उद्देश्य: अपने से बड़े, जैसे- माता-पिता, गुरु, परिवार व आप-पड़ोस में बड़े-बुजुर्ग आदि की अपनी ज़िंदगी में भागीदारी देख पाना, उनके लिए कृतज्ञता महसूस करना और व्यक्त करना।
शिक्षक के संदर्भ के लिए नोट:
ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए बहुत से लोग हमारा सहयोग करते हैं। जब हम मन से उस सहयोग को स्वीकार करते हैं तो हम उनके प्रति आभार (कृतज्ञता) महसूस करते हैं। इससे अपने अंदर एक स्थिरता (ठहराव/stability) आती है, जिसे हम ख़ुशी (happiness) के रूप में महसूस (feel) करते हैं।
जब हम किसी के प्रति कृतज्ञता के भाव के साथ होते हैं तो उसके प्रति हमारा व्यवहार ‘सौम्य’ (विनम्र/humble) रहता है और हम स्वयं में नियंत्रित (disciplined) रहते हैं।
यदि हमारे समक्ष किसी का व्यवहार अशोभनीय है तो इसकी बड़ी संभावना है कि उसकी उन्नति में या तो हमारा कोई योगदान नहीं रहा है या वह उस योगदान को पहचान नहीं पा रहा है।
जब भी हम ख़ुश होते हैं तो अपनी ख़ुशी अपनों के साथ साझा (share) करना चाहते हैं। इससे हम और ज़्यादा ख़ुशी महसूस करते हैं। कोई व्यक्ति जब परेशान होता है तो वह अकेला रहना चाहता है, लेकिन ख़ुशी के समय शायद ही कोई व्यक्ति अकेला रहना पसंद करे। हम जब भी किसी भाव के साथ होंगे तो उसे व्यक्त करना चाहेंगे ही। भाव को व्यक्त करने वाले को ही ‘व्यक्ति’ कहते हैं।
आज हम जितनी सुविधाओं (भोजन, कपड़े, मोबाइल, बस, ट्रेन आदि) का उपयोग कर रहे हैं, उनके लिए यदि हम उनकी खोज या आविष्कार से लेकर उनके परिष्कृत रूप में आने तक लोगों के योगदान और मेहनत को देखें तो स्वयं को ऋणी महसूस करेंगे। इस ऋण को चुकाया भी नहीं जा सकता है। किसी ऋण के साथ एक व्यक्ति ख़ुशहालीपूर्वक नहीं जी सकता है। प्रकृति में इस ऋण के भार को कम करने का एक ही तरीका है और वह है- कृतज्ञ होना। कृतज्ञ होने का मतलब केवल thanks, धन्यवाद या शुक्रिया कहना नहीं है। जब हम मन से किसी के योगदान को हमेशा के लिए स्वीकारते हैं तभी कृतज्ञता का भाव महसूस होता है। ऐसा होने पर एक व्यक्ति समाज के विकास के लिए अपना योगदान देना शुरू कर देता है। समाज में अपनी भागीदारी के साथ जीना ही हमारी ख़ुशी का सही रास्ता है और यही जीवन की सार्थकता भी है।
यदि प्रकृति की यह व्यवस्था समझ में आती है तो इसके नियमानुसार यहाँ योगदान देनेवाला ही ख़ुश रह सकता है जबकि अभी अधिकतर लोग यही मानकर दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं कि यहाँ अधिक से अधिक पाने से किसी दिन सुखी (happy) हो जाएँगे।
कृतज्ञता के भाव में विश्वास, सम्मान और स्नेह का भाव शामिल रहता है। कृतज्ञता को हम ग्रेटिट्यूड, आभार और एहसानमंदी के नाम से भी जानते हैं।
कृतज्ञता के भाव (feeling of gratitude) को पहचानने (to explore), महसूस करने (to experience) और व्यक्त करने (to express) के लिए निम्नलिखित सत्र (sessions) रखे गए हैं।
शिक्षक के संदर्भ के लिए नोट:
ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए बहुत से लोग हमारा सहयोग करते हैं। जब हम मन से उस सहयोग को स्वीकार करते हैं तो हम उनके प्रति आभार (कृतज्ञता) महसूस करते हैं। इससे अपने अंदर एक स्थिरता (ठहराव/stability) आती है, जिसे हम ख़ुशी (happiness) के रूप में महसूस (feel) करते हैं।
जब हम किसी के प्रति कृतज्ञता के भाव के साथ होते हैं तो उसके प्रति हमारा व्यवहार ‘सौम्य’ (विनम्र/humble) रहता है और हम स्वयं में नियंत्रित (disciplined) रहते हैं।
यदि हमारे समक्ष किसी का व्यवहार अशोभनीय है तो इसकी बड़ी संभावना है कि उसकी उन्नति में या तो हमारा कोई योगदान नहीं रहा है या वह उस योगदान को पहचान नहीं पा रहा है।
जब भी हम ख़ुश होते हैं तो अपनी ख़ुशी अपनों के साथ साझा (share) करना चाहते हैं। इससे हम और ज़्यादा ख़ुशी महसूस करते हैं। कोई व्यक्ति जब परेशान होता है तो वह अकेला रहना चाहता है, लेकिन ख़ुशी के समय शायद ही कोई व्यक्ति अकेला रहना पसंद करे। हम जब भी किसी भाव के साथ होंगे तो उसे व्यक्त करना चाहेंगे ही। भाव को व्यक्त करने वाले को ही ‘व्यक्ति’ कहते हैं।
आज हम जितनी सुविधाओं (भोजन, कपड़े, मोबाइल, बस, ट्रेन आदि) का उपयोग कर रहे हैं, उनके लिए यदि हम उनकी खोज या आविष्कार से लेकर उनके परिष्कृत रूप में आने तक लोगों के योगदान और मेहनत को देखें तो स्वयं को ऋणी महसूस करेंगे। इस ऋण को चुकाया भी नहीं जा सकता है। किसी ऋण के साथ एक व्यक्ति ख़ुशहालीपूर्वक नहीं जी सकता है। प्रकृति में इस ऋण के भार को कम करने का एक ही तरीका है और वह है- कृतज्ञ होना। कृतज्ञ होने का मतलब केवल thanks, धन्यवाद या शुक्रिया कहना नहीं है। जब हम मन से किसी के योगदान को हमेशा के लिए स्वीकारते हैं तभी कृतज्ञता का भाव महसूस होता है। ऐसा होने पर एक व्यक्ति समाज के विकास के लिए अपना योगदान देना शुरू कर देता है। समाज में अपनी भागीदारी के साथ जीना ही हमारी ख़ुशी का सही रास्ता है और यही जीवन की सार्थकता भी है।
यदि प्रकृति की यह व्यवस्था समझ में आती है तो इसके नियमानुसार यहाँ योगदान देनेवाला ही ख़ुश रह सकता है जबकि अभी अधिकतर लोग यही मानकर दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं कि यहाँ अधिक से अधिक पाने से किसी दिन सुखी (happy) हो जाएँगे।
कृतज्ञता के भाव में विश्वास, सम्मान और स्नेह का भाव शामिल रहता है। कृतज्ञता को हम ग्रेटिट्यूड, आभार और एहसानमंदी के नाम से भी जानते हैं।
कृतज्ञता के भाव (feeling of gratitude) को पहचानने (to explore), महसूस करने (to experience) और व्यक्त करने (to express) के लिए निम्नलिखित सत्र (sessions) रखे गए हैं।
–-------------------------💐---–-------------------------
सत्र (session): 2.1
उद्देश्य (Objective): स्वयं की ख़ुशी के लिए परिवारजनों एवं अन्य की भागीदारी (योगदान) को विद्यार्थी देख पाएँगे।
समय (Time): कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): एक व्यक्ति के विकास और ख़ुशहालीपूर्वक जीने में बहुत से लोगों का योगदान रहता है। इस ओर ध्यान नहीं जाने पर व्यक्ति प्रायः सोचता है कि आज वह जहाँ भी है सिर्फ़ अपनी मेहनत की वजह से (self-made) है। वह सोचता है कि समाज ने उसके लिए किया ही क्या है जिससे कि वह समाज के लिए कुछ करे! ऐसा सोचने पर वह सिर्फ़ अपने तक सीमित रहता है और इस दुनिया को और बेहतर बनाने के लिए स्वयं की भागीदारी के लिए प्रेरित नहीं होता है।
अत: इस सत्र (session) का उद्देश्य है कि प्रत्येक विद्यार्थी का ध्यान इस बात की ओर जाए कि हमारी ज़िंदगी में उन्नति के लिए कितने लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारा सहयोग कर रहे हैं। दूसरों के द्वारा किए गए योगदान पर ध्यान बना रहे तो योगदान करने वालों के साथ एक जुड़ाव (संबंध/relation) महसूस होता है।
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students): निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. अपने परिवार के सदस्यों से आपको किस-किस प्रकार का सहयोग मिलता है?
2. आप जो भोजन करते हैं उसे बाज़ार से आपकी थाली तक पहुँचाने में परिवार के किन-किन सदस्यों का क्या-क्या योगदान है? (सामान लाने, बनाने और परोसने में)
3. हमारा भोजन बाज़ार में कहाँ से आता है? खेत से बाज़ार तक लाने में किस-किसकी भूमिका होती है।
4. हमारे आस-पड़ोस को स्वच्छ रखने में किन-किन लोगों का क्या-क्या योगदान है?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि विद्यालय परिवार में कौन-कौन उनकी किस प्रकार से मदद करता है।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
–-------------------------💐---–-------------------------
सत्र (session): 2.2
उद्देश्य (Objective): विद्यार्थियों का ध्यान उनकी अच्छी पढ़ाई के लिए विद्यालय द्वारा किए गए योगदान (contribution) पर जाए।
समय (Time): कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): एक व्यक्ति के विकास और ख़ुशहालीपूर्वक जीने में बहुत से लोगों और संस्थाओं का योगदान रहता है। विद्यालय उनमें से एक महत्त्वपूर्ण संस्था है, जिसका गठन ही विद्यार्थियों की उन्नति हेतु किया गया है।
इस सत्र (session) का उद्देश्य प्रत्येक विद्यार्थी के ध्यान को विद्यालय की उपयोगिता और उसके योगदान की ओर ले जाना है।
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students): निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. इस सप्ताह किस-किसने पढ़ने-लिखने में आपकी सहायता की (अध्यापक के अतिरिक्त)? उन्होंने आपकी सहायता कैसे की?
2. विद्यालय की कोई एक बात बताइए जिसके कारण आपकी पढ़ाई अच्छे से हो पाती है?
3. आप कक्षा में जिस डेस्क (मेज़/desk) पर बैठे हैं इसके बनने से लेकर यहाँ तक पहुँचने में किन-किन लोगों की किस प्रकार की मेहनत शामिल है?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि जब भी कोई आपकी मदद करता है तो उस समय आपको कैसा महसूस (feel) होता है।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
–-------------------------💐---–-------------------------
सत्र (session): 2.3
उद्देश्य (Objective): विद्यार्थियों को दूसरों के प्रति कृतज्ञता का भाव महसूस कराना।
समय (Time): कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): ज़रूरत के समय जब भी कोई हमारी मदद करता है तो हमें अच्छा महसूस (feel) होता है। इतना ही नहीं, बाद में भी उसके बारे में सोचने पर हमें अच्छा महसूस होता है। ज़रूरत के समय मदद करने पर, मदद करने वाले व मदद लेने वाले दोनों को ही अच्छा लगता है और नहीं करने पर दोनों को ही अच्छा नहीं लगता है।
इस सत्र में सभी विद्यार्थी अपने में यह देख पाएँगे कि किसी के द्वारा की गई मदद को स्वीकार (accept) करने पर कैसा महसूस होता है। इसी क्रम में वे कृतज्ञता के भाव को भी महसूस करेंगे।
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students): निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. किसी ऐसी घटना को याद करो जिसमें आपको किसी की मदद की आवश्यकता थी, लेकिन किसी ने आपकी मदद नहीं की। घटना को साझा करते हुए बताइए कि उस समय आपको कैसा लगा और क्यों?
2. किसी ऐसी घटना को याद करो जिसमें किसी ने मुसीबत के समय आपकी सहायता की थी। घटना को साझा करते हुए बताइए कि उस समय आपको कैसा लगा था और उसे याद करने पर अब कैसा लगता है?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि जो लोगों हमारी उन्नति के लिए मदद करते हैं उनकी उपस्थिति (presence) में हमारा व्यवहार (behaviour) कैसा रहता है।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
–-------------------------💐---–-------------------------
सत्र (session): 2.4
उद्देश्य (Objective): विद्यार्थी कृतज्ञता के भाव की अभिव्यक्ति का महत्व जान पाएँ।
समय (Time): कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): जब भी हम ख़ुश होते हैं तो अपनी ख़ुशी अपनों के साथ साझा (share) करना चाहते हैं। जो अपने भावों को व्यक्त कर पाए उसे ही ‘व्यक्ति’ कहते हैं। व्यक्त करने के बाद व्यक्ति और ज़्यादा ख़ुशी महसूस करता है। ख़ुशी का संसार एक-दूसरे के प्रति सही भावों के साथ होने और विभिन्न माध्यमों व तरीकों से उन्हें व्यक्त करने से ही जुड़ा हुआ है। सही भाव व्यक्त करने वाला भी प्रसन्न होता है और जिसके लिए भाव व्यक्त किए जाएँ वह भी प्रसन्न होता है।
इस सत्र का उद्देश्य है कि विद्यार्थियों को दूसरों के प्रति अपने कृतज्ञता के भाव को व्यक्त करने के लिए अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students): निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. आपके माता-पिता आपके लिए इतना कुछ करते हैं। उनके प्रति आप अपना आभार किस-किस प्रकार से व्यक्त करते हैं?
2. परिवार के किसी एक सदस्य, जिसने इस हफ़्ते में आपकी बहुत मदद की है, के प्रति आभार व्यक्त कीजिए? यह भी बताइए कि उन्होंने किस प्रकार आपकी मदद की।
3. किसी ऐसी घटना को साझा कीजिए जब आपके किसी बड़े ने आपकी सहायता की, लेकिन आप उनके प्रति आभार नहीं व्यक्त कर पाए। आप क्यों नहीं व्यक्त कर पाए?
4. क्या आपने पिछले सप्ताह के दौरान अपनी कक्षा के किसी साथी के प्रति कृतज्ञता का भाव व्यक्त किया है? किसका और क्यों?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि आपने दूसरों के ख़ुश रहने में कब-कब मदद की।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
–-------------------------💐---–-------------------------
सत्र (session): 2.5
समय (Time): कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए बहुत से लोग हमारा सहयोग करते हैं। जब हम मन से उस सहयोग को स्वीकार करते हैं तो हमें ख़ुशी होती है। किसी ने हमारी बेहतरी के लिए कुछ किया है। वस्तुत: हमारी बेहतरी के लिए किसी के द्वारा किए हुए का ज्ञान होना ही हमारा कृतज्ञ होना है। उनके कार्य को acknowledge करना, उनके प्रति आभार व्यक्त करना कृतज्ञता की ही अभिव्यक्ति है।
इस सत्र से विद्यार्थियों को कृतज्ञता के भाव का अर्थ (मतलब/meaning) स्पष्ट होगा, जिससे कि वे उसे पहचान सकें, महसूस कर सकें और व्यवहार में अभिव्यक्त (express) कर सकें।
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students): निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. किसी ऐसी घटना को साझा कीजिए जब आपके किसी बड़े ने आपकी सहायता की अथवा मार्गदर्शन किया, लेकिन आपको उस समय पता ही नहीं चला कि वह आपकी मदद कर रहे हैं।
2. जीवन में आप जो कुछ करना चाहते हैं उसके लिए आपकी मदद करने वालों के लिए आप कैसा महसूस करते हैं?
3. किसी एक व्यक्ति को याद कीजिए जिसने आपकी बेहतरी (उन्नति/ख़ुशहाली) के लिए बड़ा योगदान किया है। उस व्यक्ति के सामने आपका व्यवहार कैसा होता है? साझा कीजिए।
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि आप दूसरों के प्रति अपने कृतज्ञता के भाव को किस-किस तरीक़े से व्यक्त करते हैं।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
–-------------------------💐---–-------------------------
सत्र (session): 2.6
समय (Time): कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): आज हम जितनी सुविधाओं (भोजन, कपड़ें, मोबाइल, बस, ट्रेन आदि) को भोग रहे हैं, उनके लिए यदि हम उनकी खोज या आविष्कार से लेकर उनके परिष्कृत रूप में आने तक लोगों के योगदान और मेहनत को देखें तो स्वयं को ऋणी महसूस करेंगे। जब हम मन से किसी योगदान को हमेशा के लिए स्वीकारते हैं तभी कृतज्ञता का भाव महसूस होगा। ऐसा होने पर हम इन धरोहरों (legacies) का संरक्षण ही नहीं करेंगे बल्कि समाज के विकास के लिए अपना योगदान भी शुरू करेंगे। हमारी ख़ुशी का यही एकमात्र रास्ता है और यही जीवन की सार्थकता भी है।
इस सत्र का उद्देश्य विद्यार्थियों को कृतज्ञता के भाव के साथ दूसरों की ख़ुशी के लिए अपने योगदान/भागीदारी के लिए प्रेरित करना है।
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students): निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. आपके किए हुए किसी अच्छे काम को स्वीकार किए जाने पर आपको कैसा लगा? उदाहरण देकर बताएँ।
2. (a) आपने किसी की भलाई की, लेकिन उसने आपके योगदान को महत्त्व (acknowledge) ही नहीं दिया। उस वक़्त आपको कैसा लगा?
(b) क्या अब भी आप उसकी भलाई के लिए कुछ करना चाहेंगे? यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
3. माता-पिता अथवा परिवार के बड़े आपका ख़याल रखते हैं। क्या आप भी उनका ख़याल रखते हैं? कैसे?
4. क्या आभार सिर्फ़ thank you, शुक्रिया इत्यादि बोलकर ही जताया जा सकता है? आप किस तरीक़े से आभार जताते हैं?
5. एक ऐसा कार्य बताइए जो आपने घर-परिवार, विद्यालय या समाज के लिए गत सप्ताह में किया हो।
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): आप अगले सप्ताह भर अपनी कक्षा, घर या आस-पड़ोस में किसी को कोई चीज़/बात को सीखने/समझने में मदद करेंगे और अगले अभिव्यक्ति दिवस पर अपने अनुभवों को साझा करेंगे।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
–-------------------------💐---–-------------------------
सत्र (session): 2.7
उद्देश्य (Objective):विगत सप्ताह कृतज्ञता के भाव के साथ की गई सक्रिय भागीदारी (active participation) की अभिव्यक्ति।
समय (Time): कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): कृतज्ञ होने का मतलब केवल thanks, धन्यवाद या शुक्रिया कहना नहीं है। जब हम मन से किसी योगदान को हमेशा के लिए स्वीकारते हैं तभी कृतज्ञता का भाव महसूस होता है। जब हम दूसरों के लिए कोई भागीदारी करते हैं तो दूसरे भी हमारे लिए कृतज्ञ होते हैं।
अत: इस सत्र में विद्यार्थियों को कृतज्ञता के भाव के साथ अपने योगदान के लिए प्रेरित किया गया है।
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students): निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ:
1. इस सप्ताह आपने अपने माता-पिता की कौन-कौनसे कार्यों में क्या मदद की?
2. इस सप्ताह अपने सहपाठियों के लिए आपने ऐसा क्या किया जिससे आपको ख़ुशी मिली?
3. इस सप्ताह विद्यालय परिवार के दूसरे सदस्यों (सहपाठियों को छोड़कर) के लिए आप किस प्रकार मददगार साबित हुए?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि समाज के द्वारा किए गए कार्यों के लिए आप कब-कब सराहना कर पाए।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।
–-------------------------💐---–-----------------
No comments:
Post a Comment