कक्षा 8: कहानी

1. अलेक्जेंडर और डायोगनीज 

कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों को इस बात का एहसास दिलाना कि हम सबके जीवन का मूल उद्देश्य ख़ुशी ढूँढना है। भले ही कुछ लोग ग़लत काम करके ख़ुशी ढूँढते हैं, कुछ लोग अच्छा काम करके ख़ुशी ढूँढते हैं। समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक की संतुष्टि होने तक

कहानी: 
प्राचीन ग्रीस में एक बुद्धिमान व्यक्ति डायोगनीज रहता था। उसका चारों तरफ़ बड़ा नाम था। लोग दूर-दूर से उससे मिलने के लिए आते थे। वह लोगों को हमेशा एक ही शिक्षा देता था कि अगर ख़ुश होने के लिए कुछ करोगे तो मन चाहा न होने पर हमेशा दु:खी रहोगे और अगर ख़ुश होकर कुछ करोगे तो मन चाहा हो या न हो, पर हमेशा ख़ुश रहोगे। उसी दौरान सिकंदर नाम का एक सम्राट दुनिया को जीतने की धुन में एक के बाद एक युद्ध किए जा रहा था। वह जहाँ भी जाता युद्ध करता और वहाँ के लोगों को अपना गुलाम बना लेता। युद्ध में खूब मार-काट मचती। लाखों लोगों की हत्याएँ की जाती। एक बार सिकंदर की मुलाकात डायोगनीज से हुई। सिकंदर ने बड़े अहंकार के साथ डायोगनीज से कहा कि मैं सिकंदर महान हूँ और सारी दुनिया जीतने निकला हूँ। मैंने आपकी बड़ी तारीफ सुनी है। आपको कभी मुझसे कोई काम हो तो बताईयेगा ज़रूर। डायोगनीज ने पूछा कि तुम सारी दुनिया में इतना युद्ध क्यों कर रहे हो। सिकंदर ने कहा कि मैं सारी दुनिया पर विजय प्राप्त करना चाहता हूँ। अब कुछ ही देश बचे हैं, एक बार उन्हें भी युद्ध में हरा दूँ तो उसके बाद आराम से बैठूंगा। डायोगनीज ने उससे कहा कि सिकंदर तुम सारी दुनिया भी जीत लोगे तब भी ख़ुश नहीं हो सकते। क्योंकि जिस दिन तुम सारी दुनिया जीत लोगे उस दिन तुम यह सोचकर दु:खी होगे कि अब जीतने के लिए कुछ बचा नहीं। ख़ुशी मानवीयता के उत्थान में है, उसके पतन में नहीं। इसलिए जो भी करो ख़ुश होकर करो, ख़ुश होने के लिए मत करो। कहते हैं कि सिकंदर ने मरते दम तक डायोगनीज की इस बात को याद रखा और अपने सैनिकों के साथ अकसर युद्ध जीतने के बाद वह इसकी चर्चा किया करता था।

पहला दिन: 
चर्चा के लिए प्रश्न: 
1. सिकंदर अपनी ख़ुशी कहाँ ढूँढ रहा था?
2. एक देश के लोगों को गुलाम बनाना या उनकी हत्या कर देने के बाद जब सिकंदर दूसरे देश को जीतने आगे बढ़ता था तो उसे लगता था कि इस देश को और जीत लूँ तो मुझे बहुत ख़ुशी मिलेगी। बच्चों से पूछें कि उनके हिसाब से क्या सिकंदर सही सोचता था? (बच्चों को अपनी तरफ़ से सही या गलत न बताएँ बल्कि उनके अंदर से ही सही या गलत का उत्तर आने दें और सिर्फ़ सही या गलत मानने के पीछे उनके कारण पूछें।)
3. क्या ख़ुश होकर अनुचित कार्य किया जा सकता है? जैसे: दूसरों का शोषण करना या उन्हें पीड़ा पहुँचाना।

घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए): 
  • विद्यार्थियों से घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानने के लिए कहा जाए। 
  • इस बारे में बातचीत करें कि लोग किन चीज़ों या कार्यों से सुख खोज रहे हैं। दूसरा दिन अथवा आगे: 
  • कहानी की पुनरावृत्ति कुछ विद्यार्थियों से करवाएँ। 
  • कुछ अन्य विद्यार्थियों को घर पर कहानी सुनाने के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ। 
  • पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुन: किया जा सकता है। 
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न: 
1. डायोगजीन ने सिकंदर से कहा कि सारी दुनिया भी जीत लोगे तब भी तुम ख़ुश नहीं हो सकते। ऐसा उसने क्यों कहा?
2. ख़ुश होकर कोई काम करने की अवस्था और ख़ुश होने के लिए कोई काम करने की अवस्था के बारे में बच्चों से चर्चा करें। उनसे दोनों अवस्थाओं के लिए उदाहरण निकलवाएँ। कोशिश करें कि बच्चे अपनी ज़िंदगी से जुड़े हुए उदाहरण निकाले जैसे- ख़ुश होकर आइसक्रीम खाना या ख़ुश होने के लिए आइसक्रीम खाना। ख़ुशी मन से अच्छे कपड़े पहनना या अच्छे कपड़े पहनकर ख़ुश होने की कोशिश करना। ख़ुशी मन से किसी की मदद करना या किसी की मदद करके ख़ुशी ढूँढना। इन सब अवस्थाओं में क्या अंतर है।
3. बच्चों से चर्चा करें क्या कोई व्यक्ति सारी दुनिया का सबसे अमीर आदमी बनकर ख़ुश हो सकता है। इस चर्चा के लिए टाटा या बिलगेट्स जैसी हस्तियों के उदाहरण दे सकते हैं जिन्होंने अपार दौलत कमाने के बाद अपनी संपत्ती समाज के काम में लगाई।

क्या करें, क्या न करें 
  • सभी को अभिव्यक्ति का अवसर दें और उनकी बात धैर्य से सुनें। 
  • शिक्षक यह देखें कि सभी विद्यार्थी चर्चा में भाग ले रहे हैं या नहीं। 
  • जो विद्यार्थी चर्चा में भाग लेने से संकोच कर रहे हैं उन्हें इसके लिए प्रेरित करे और उनका सहयोग करें।

2 comments:

  1. सारथक कहानियाँ,परिवरतन में सहायक,

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  2. Sir mujhe is kahani ko thoda vistar mein samajhna hai kripya aap mujhe thoda vistar mein samjhaiye

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