शिक्षकों के लिए: सभी शिक्षक माइंडफुलनेस की क्लास लेने से पहले इस चैप्टर को ध्यान से पढ़ लें। इससे पूरे वर्ष माइंडफुलनेस की क्लास चलाने में आपको मदद मिलेगी।
माइंडफुलनेस क्या है?
इसे समझने के लिए 2 शब्दों को ध्यान से समझ लें।
माइंडफुलनेस (Mindfulness) और माइंड-फुल्ल (Mind-full)
इसलिए वर्तमान में बने रहना, अभी के प्रति सजग-सचेत रहना ही माइंडफुलनेस है।
माइंडफुलनेस ही हैप्पीनेस का आधार है।
इस क्लास के बारे में कुछ ख़ास बिंदु समझ लें:
माइंडफुलनेस क्लास हर सप्ताह के पहले दिन सोमवार या फिर उसके अगले दिन (यदि सोमवार को छुट्टी हुई) ली जाएगी। इस क्लास के दौरान 35 मिनट के पीरियड में तीन प्रमुख चरण होंगे:
1.a. शुरूआत में 3-5 मिनट का माइंडफुलनेस चेक इन।
1.b. इस अभ्यास के बाद बच्चों के अनुभव पर लगभग 10 मिनट की चर्चा। इसमें हर सप्ताह कुछ अलग-अलग बच्चों से उनका अनुभव पूछें और माइंडफुलनेस से उनके कार्य या बरताव में आए बदलाव पर चर्चा करें। शिक्षक से अनुरोध है कि वे बच्चों को किसी भी अपेक्षित परिणाम का सुझाव न दें बल्कि बच्चों को स्वयं के अंदर खोज कर जवाब देने में मदद करें।
2.a. माइंडफुलनेस के अभ्यास के तहत लगभग 5 मिनट अपने विचारों या शरीर में चल रही घटनाओं के प्रति सजगता के अभ्यास के लिए दी गई अलग-अलग गतिविधि को क्लास में करवाएँ। ये गतिविधियाँ हर सप्ताह अलग-अलग होंगी।
2.b. किए गए अभ्यास पर लगभग 15 मिनट की चर्चा। शिक्षक से अनुरोध है कि प्रति सप्ताह होने वाले इस अभ्यास के उपरांत चर्चा में अलग-अलग विद्यार्थियों को अपनी बात रखने के लिए प्रोत्साहित करें और कोशिश करें कि 3 से 4 सप्ताह में हर बच्चा अपनी बात ज़रूर रखे।
3. क्लास के अंत में हर रोज़ की तरह 1-2 मिनट का माइंडफुलनेस का अभ्यास।
माइंडफुलनेस (ध्यान देना) एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। विश्व भर के स्कूलों में बच्चों व शिक्षकों को ध्यान देने का निरंतर अभ्यास करवाया जा रहा है। यह एक सरल प्रक्रिया है, जो कोई भी, कहीं भी, कभी भी कर सकता है। माइंडफुलनेस के अभ्यास से कई फायदे हैं, जैसे:
माइंडफुलनेस क्या है?
इसे समझने के लिए 2 शब्दों को ध्यान से समझ लें।
माइंडफुलनेस (Mindfulness) और माइंड-फुल्ल (Mind-full)
- माइंडफुलनेस (Mindfulness) का अर्थ है पूरा दिमाग लगाकर वर्तमान के प्रति सजग बने रहने की अवस्था।
- माइंड-फुल्ल (Mind-full) का अर्थ है तरह-तरह के विचारों में डूबा दिमाग जिसे विचारों की उलझन में ख़याल ही नहीं है कि वह क्या कर रहा है।
इसलिए वर्तमान में बने रहना, अभी के प्रति सजग-सचेत रहना ही माइंडफुलनेस है।
माइंडफुलनेस ही हैप्पीनेस का आधार है।
इस क्लास के बारे में कुछ ख़ास बिंदु समझ लें:
माइंडफुलनेस क्लास हर सप्ताह के पहले दिन सोमवार या फिर उसके अगले दिन (यदि सोमवार को छुट्टी हुई) ली जाएगी। इस क्लास के दौरान 35 मिनट के पीरियड में तीन प्रमुख चरण होंगे:
1.a. शुरूआत में 3-5 मिनट का माइंडफुलनेस चेक इन।
1.b. इस अभ्यास के बाद बच्चों के अनुभव पर लगभग 10 मिनट की चर्चा। इसमें हर सप्ताह कुछ अलग-अलग बच्चों से उनका अनुभव पूछें और माइंडफुलनेस से उनके कार्य या बरताव में आए बदलाव पर चर्चा करें। शिक्षक से अनुरोध है कि वे बच्चों को किसी भी अपेक्षित परिणाम का सुझाव न दें बल्कि बच्चों को स्वयं के अंदर खोज कर जवाब देने में मदद करें।
2.a. माइंडफुलनेस के अभ्यास के तहत लगभग 5 मिनट अपने विचारों या शरीर में चल रही घटनाओं के प्रति सजगता के अभ्यास के लिए दी गई अलग-अलग गतिविधि को क्लास में करवाएँ। ये गतिविधियाँ हर सप्ताह अलग-अलग होंगी।
2.b. किए गए अभ्यास पर लगभग 15 मिनट की चर्चा। शिक्षक से अनुरोध है कि प्रति सप्ताह होने वाले इस अभ्यास के उपरांत चर्चा में अलग-अलग विद्यार्थियों को अपनी बात रखने के लिए प्रोत्साहित करें और कोशिश करें कि 3 से 4 सप्ताह में हर बच्चा अपनी बात ज़रूर रखे।
3. क्लास के अंत में हर रोज़ की तरह 1-2 मिनट का माइंडफुलनेस का अभ्यास।
माइंडफुलनेस (ध्यान देना) एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। विश्व भर के स्कूलों में बच्चों व शिक्षकों को ध्यान देने का निरंतर अभ्यास करवाया जा रहा है। यह एक सरल प्रक्रिया है, जो कोई भी, कहीं भी, कभी भी कर सकता है। माइंडफुलनेस के अभ्यास से कई फायदे हैं, जैसे:
- पढ़ाई के दौरान क्लासरूम में ध्यानबनाए रखने में मदद
- अध्यापक की बातों को ध्यान से सुनने में मदद
- स्कूल में या घर पर पढ़ाई करते वक्त पढ़ाई पर फोकस बनाए रखने में मदद
- सोचने समझने की क्षमता और स्मरण-शक्ति में सुधार
- पढ़ाई के अलावा भी किसी अन्य काम को करते समय उस काम में ध्यान लगा कर रखने में सहायता
- हर वक्त सजग रहने की क्षमता का बढ़ना
- बात करते वक्त, खाते वक्त या कोई कार्य करते वक्त यह ध्यान रखने में मदद मिलना कि कहीं हम कुछ गलत काम तो नहीं कर रहे या गलत बात तो नहीं कह रहे।
- ध्यान रखें कि इस दौरान बच्चों को किसी शब्द या मंत्र का उच्चारण करने को न कहें।
- हैप्पीनेस व ध्यान की कक्षा में किसी तरह की तनावपूर्ण अभिव्यक्ति जैसे- किसी बात पर बच्चों को डाँटने या सख्त शब्दों में निर्देश न दें व उन पर किसी प्रकार का दबाव न डालें।
- चर्चा के दौरान सभी विद्यार्थियों की भागीदारी सुनिश्चित करें।
- ध्यान की इस कक्षा में आप स्वयं भी सक्रिय भागीदार बनें। जैसे, ध्यान का अभ्यास करवाते समय आप भी अभ्यास करें।
- जब कक्षा में प्रवेश करें तो अपनी मनःस्थिति को लेकर सजग रहें व कोशिश करें कि आपके विचार और भावनाएँ स्थिर रहें। याद रखें कि बच्चा शिक्षक के व्यवहार पर भी ध्यान देता है।
- बच्चों के साथ प्यार, सौहार्द व विनम्रता के साथ पेश आएँ और मधुर भाषा में बात करें।
- ध्यान की प्रक्रिया शुरू होने के पहले यह सुनिश्चित करें कि कक्षा का वातावरण शांत हो और हर बच्चा अपने आप को सहज महसूस करे। यह भी देखें कि ध्यान के पश्चात वह अपने अनुभव साझा कर सके। कोई भी बच्चा एक सुरक्षित और सहज वातावरण में ही अपनी बात कहना चाहता है या कह पाता है।
- ध्यान के अभ्यास से हमारा उद्देश्य विचारों या भावनाओं से दूर होना या उनको दबाना नहीं है। हमारे इस प्रयास का उद्देश्य बच्चों को अपने वातावरण, संवेदनाओं, विचारों एवं भावनाओं के प्रति सजग करना है जिससे वे अपने सामान्य व्यवहार में सोच-विचार करके बेहतर प्रतिक्रिया देने में सक्षम हो जाएँ।
- सत्र 1 (माइंडफुलनेस का परिचय)
- सत्र 2 (Mindful Belly Breathing)
- सत्र 3 (Temperature of Breath)
- सत्र 4 (Mindful Listening) I
- सत्र 5 (Mindful Listening) II
- सत्र 6 (Mindful Seeing) I
- सत्र 7 (Mindful Seeing)II
- सत्र 8 (Mindful Seeing)III
- सत्र 9 (Mindful Drawing)
- सत्र 10 (Mindful Smelling)
- सत्र 11 (Mindful Standing)
- सत्र 12 (Mindful Walking)
- सत्र 13 (Heartbeat)
- सत्र 14 (Mindfulness of Feelings)
- सत्र 15 (Mindfulness of Feelings)
- सत्र 16 (Breathing Colours)
- सत्र 17 (Happy Experiences)
- सत्र 18 (Word Association)
- सत्र 19 (Mindfulness of Thoughts)
- सत्र 20 (बादल की तरह विचार)
These are really interesting activities. Reading these has not only motivated me to introduce these to my students but also improved me as an educator who can connect with the students even better.
ReplyDeleteThese activities are very well thought of and written. These hav helped me to understand and associate with my students even better.
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