उद्देश्य: अपने पालन-पोषण में माता-पिता व परिवार के अन्य बड़े-बुजुर्गों की भागीदारी देख पाना और एक-दूसरे की देखभाल के लिए स्वयं भी भागीदारी करना।
शिक्षक के संदर्भ के लिए नोट:
जब हम अपने संबंधों में किसी व्यक्ति के शरीर के पोषण और संरक्षण की ज़िम्मेदारी को स्वीकार करते हैं तो हमारा मन एक स्थिरता महसूस करता है और इस ज़िम्मेदारी को निभाने पर हमें संतुष्टि होती है। इसे ही हम ममता का भाव (feeling of care) कहते हैं।
बच्चे के शरीर के पोषण और संरक्षण के लिए उसे पौष्टिक व स्वादिष्ट भोजन खिलाना, उसे शरीर की सफ़ाई करना सिखाना, उसे व्यायाम, दौड़ इत्यादि का अभ्यास कराना, मेहनत व श्रम के प्रति उसकी मानसिकता बनाना, उसे अलग-अलग कौशल (skills) का exposure देना - इन सभी प्रक्रियाओं से बच्चा स्वस्थ होता है और स्वस्थ बना रहता है। स्वस्थ होने से पोषण देने वाले व्यक्ति को ममता का एहसास होता है। यही स्वस्थ बच्चा बड़ा होने पर स्वावलंबी होता है और अपने माता-पिता के शरीर के पोषण और संरक्षण की ज़िम्मेदारी सहजता से स्वीकारता है। उनकी सेवा करता है, घर की ज़िम्मेदारियाँ स्वीकारता है और अपनी संतान के पोषण-संरक्षण के लिए भी सक्षम होता है। ऐसा होने पर उसके माता-पिता में सही रूप में ममता के भाव की तृप्ति होती है और हमेशा के लिए बनी रहती है।
प्रकृति के नियमानुसार जो व्यक्ति जिसके लिए ममता भाव के साथ होता है उसके लिए वह माता (mother) के स्वरूप में होता है फिर चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, आयु में छोटा हो या बड़ा। अत: संबंध और उसके संबोधन का प्राकृतिक आधार भाव ही होता है जबकि अभी व्यवहार में हम माता सिर्फ़ उसे ही मानते हैं जिसने हमें जन्म दिया है और/या जो हमारा पालन-पोषण करती है, क्योंकि बच्चे को जन्म देने के साथ ही उसके पोषण और देखभाल की ज़िम्मेदारी प्रधानत: वही निभाती है।
बच्चे, वृद्ध, रोगी और वे व्यक्ति जो किसी अन्य भूमिका में व्यस्त रहते हैं, ऐसे व्यक्तियों को अपने शरीर के पोषण व संरक्षण के लिए मदद की आवश्यकता होती है। किसी न किसी परिस्थिति या आयु में यह आवश्यकता सभी को रहती है। अत: इस ज़िम्मेदारी को स्वीकार करके निभाने वाला व्यक्ति ही ममता का भाव महसूस करता है।
ममता के भाव (feeling of care) को पहचानने (to explore), महसूस करने (to experience) और व्यक्त करने (to express) के लिए निम्नलिखित सत्र (sessions) रखे गए हैं।
उद्देश्य : बच्चे अपने लिए ममता के भाव को महसूस कर पाए और स्वयं भी उसकी अभिव्यक्ति कर पाए ।
समय : प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन (दो अभिव्यक्ति दिन) बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।
शिक्षक नोट : सत्र का उद्देश्य इसी बात को इंगित करता है की बच्चे अपने लिए और अपने द्वारा किये गए प्रदर्शित ममता के भाव को देख पाए | निम्लिखित प्रश्नों में बच्चो को भागीदारी को सुनिश्चित कर पाने के लिए एक परिस्थिति दी गयी है जिससे बच्चा अपनी बात रखने में सहज महसूस करे |
बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति गतिविधि:
बच्चो को निम्नलिखित स्थिति के बारे में सुन कर सोचने के लिए कहा जाए:
" आज मैंने रोजाना की तरह अपनी छोटे भाई को नह्लाया और स्कूल के लिए तैयार होने में उसकी मदद की , मैं जानती थी की माँ उस समय हम दोनों के लिए टिफ़िन तैयार कर रही होंगी और पापा सुबह सुबह काम पर निकल गए होंगे | माँ ने भी तो काम पर जाना था और हम दोनों को उठाने से लेकर तैयार करने में बहुत समय जाता है इसीलिए मैंने माँ के साथ सच्चे मन से कुछ ज़िम्मेदारी बाँट ली “|
बच्चो द्वारा निम्न प्रश्नों पर अभिव्यक्ति :
उद्देश्य : बच्चे अपने लिए ममता के भाव को महसूस कर पाए और स्वयं भी उसकी अभिव्यक्ति कर पाए ।
समय : प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन (दो अभिव्यक्ति दिन) बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।
शिक्षक नोट : सत्र का उद्देश्य इस बात को खोलता है की जब भी बच्चो के लिए ममता का भाव प्रदर्शित होता है बच्चे उसको महसूस कर पाए | कभी कभी किसी अपने लिए किये गए काम के प्रति हम दुसरे व्यक्ति की भावनाओ को गहरायी से देख या महसूस नहीं पाते , अतः निम्न प्रश्नों के माध्यम से बच्चे अपने अन्दर ममता भाव को महसूस कर पाए |
बच्चो द्वारा निम्न प्रश्नों पर अभिव्यक्ति :
उद्देश्य : बच्चे अपने लिए प्रस्तुत ज़िम्मेदारी के साथ निर्वाहित ममता के भाव को महसूस कर पाए ।
शिक्षक नोट : सत्र का उद्देश्य मुख्यतः इसी भाव को समझना समझाना है की हमारे शरीर के पोषण और संरक्षण के लिए जो भी ज़िम्मेदारी का निर्वाह करते है हम उनके प्रति मन में उठते ममता के भाव को स्पष्ट रूप से देख पाए |
समय : प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन (दो अभिव्यक्ति दिन) बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।
बच्चो द्वारा निम्न प्रस्तावित प्रश्नों पर अभिव्यक्ति करवाई जाए :
शिक्षक के संदर्भ के लिए नोट:
जब हम अपने संबंधों में किसी व्यक्ति के शरीर के पोषण और संरक्षण की ज़िम्मेदारी को स्वीकार करते हैं तो हमारा मन एक स्थिरता महसूस करता है और इस ज़िम्मेदारी को निभाने पर हमें संतुष्टि होती है। इसे ही हम ममता का भाव (feeling of care) कहते हैं।
बच्चे के शरीर के पोषण और संरक्षण के लिए उसे पौष्टिक व स्वादिष्ट भोजन खिलाना, उसे शरीर की सफ़ाई करना सिखाना, उसे व्यायाम, दौड़ इत्यादि का अभ्यास कराना, मेहनत व श्रम के प्रति उसकी मानसिकता बनाना, उसे अलग-अलग कौशल (skills) का exposure देना - इन सभी प्रक्रियाओं से बच्चा स्वस्थ होता है और स्वस्थ बना रहता है। स्वस्थ होने से पोषण देने वाले व्यक्ति को ममता का एहसास होता है। यही स्वस्थ बच्चा बड़ा होने पर स्वावलंबी होता है और अपने माता-पिता के शरीर के पोषण और संरक्षण की ज़िम्मेदारी सहजता से स्वीकारता है। उनकी सेवा करता है, घर की ज़िम्मेदारियाँ स्वीकारता है और अपनी संतान के पोषण-संरक्षण के लिए भी सक्षम होता है। ऐसा होने पर उसके माता-पिता में सही रूप में ममता के भाव की तृप्ति होती है और हमेशा के लिए बनी रहती है।
प्रकृति के नियमानुसार जो व्यक्ति जिसके लिए ममता भाव के साथ होता है उसके लिए वह माता (mother) के स्वरूप में होता है फिर चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, आयु में छोटा हो या बड़ा। अत: संबंध और उसके संबोधन का प्राकृतिक आधार भाव ही होता है जबकि अभी व्यवहार में हम माता सिर्फ़ उसे ही मानते हैं जिसने हमें जन्म दिया है और/या जो हमारा पालन-पोषण करती है, क्योंकि बच्चे को जन्म देने के साथ ही उसके पोषण और देखभाल की ज़िम्मेदारी प्रधानत: वही निभाती है।
बच्चे, वृद्ध, रोगी और वे व्यक्ति जो किसी अन्य भूमिका में व्यस्त रहते हैं, ऐसे व्यक्तियों को अपने शरीर के पोषण व संरक्षण के लिए मदद की आवश्यकता होती है। किसी न किसी परिस्थिति या आयु में यह आवश्यकता सभी को रहती है। अत: इस ज़िम्मेदारी को स्वीकार करके निभाने वाला व्यक्ति ही ममता का भाव महसूस करता है।
ममता के भाव (feeling of care) को पहचानने (to explore), महसूस करने (to experience) और व्यक्त करने (to express) के लिए निम्नलिखित सत्र (sessions) रखे गए हैं।
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सत्र: 1
उद्देश्य : बच्चे अपने लिए ममता के भाव को महसूस कर पाए और स्वयं भी उसकी अभिव्यक्ति कर पाए ।
समय : प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन (दो अभिव्यक्ति दिन) बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।
शिक्षक नोट : सत्र का उद्देश्य इसी बात को इंगित करता है की बच्चे अपने लिए और अपने द्वारा किये गए प्रदर्शित ममता के भाव को देख पाए | निम्लिखित प्रश्नों में बच्चो को भागीदारी को सुनिश्चित कर पाने के लिए एक परिस्थिति दी गयी है जिससे बच्चा अपनी बात रखने में सहज महसूस करे |
बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति गतिविधि:
बच्चो को निम्नलिखित स्थिति के बारे में सुन कर सोचने के लिए कहा जाए:
" आज मैंने रोजाना की तरह अपनी छोटे भाई को नह्लाया और स्कूल के लिए तैयार होने में उसकी मदद की , मैं जानती थी की माँ उस समय हम दोनों के लिए टिफ़िन तैयार कर रही होंगी और पापा सुबह सुबह काम पर निकल गए होंगे | माँ ने भी तो काम पर जाना था और हम दोनों को उठाने से लेकर तैयार करने में बहुत समय जाता है इसीलिए मैंने माँ के साथ सच्चे मन से कुछ ज़िम्मेदारी बाँट ली “|
बच्चो द्वारा निम्न प्रश्नों पर अभिव्यक्ति :
- घर में आपकी देखरेख किसने की और जिसने भी आपकी देखरेख की उनका ध्यान किसने रखा?
- क्या आपने कभी अपने बड़े या छोटे भाई या बहन या किसी अन्य की देखरेख की ज़िम्मेदारी उठाई और उसे निभाने की कोशिश की?
- देखरेख की ज़िम्मेदारी क्या सिर्फ बड़ो के ही हिस्से आती है या ज़रूरत पड़ने पर आप भी उसको निभा सकते है?कैसे कैसे तरीके अपना सकते है दूसरो की देखरेख के लिए?
- जब भी आपने किसी का ध्यान-ध्यान रखा या देखभाल की तब आपको ख़ुशी मिली या सिर्फ बोझ महसूस हुआ?
- पिछले सप्ताह आपने ऐसे कितने काम किये जो बड़ो द्वारा आपको करने के लिए कहे गए?
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सत्र : 2
उद्देश्य : बच्चे अपने लिए ममता के भाव को महसूस कर पाए और स्वयं भी उसकी अभिव्यक्ति कर पाए ।
समय : प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन (दो अभिव्यक्ति दिन) बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।
शिक्षक नोट : सत्र का उद्देश्य इस बात को खोलता है की जब भी बच्चो के लिए ममता का भाव प्रदर्शित होता है बच्चे उसको महसूस कर पाए | कभी कभी किसी अपने लिए किये गए काम के प्रति हम दुसरे व्यक्ति की भावनाओ को गहरायी से देख या महसूस नहीं पाते , अतः निम्न प्रश्नों के माध्यम से बच्चे अपने अन्दर ममता भाव को महसूस कर पाए |
बच्चो द्वारा निम्न प्रश्नों पर अभिव्यक्ति :
- गत सप्ताह आपने जो भी काम किये वे मात्र अपने बड़ो का कहना भर मानने के लिए किये या आपका मन भी किया उन कार्यो को करने के लिए?जैसे :पढ़ाई करना,मिल बांट कर खाना खाना , माँ पिताजी की बात सुनना |
- पिछले सप्ताह आपके लिए घर के सदस्यों द्वारा क्या-क्या काम किये गए ?
- क्या लगता है जब भी आपके लिए कोई काम किया जाता है तब दूसरे कैसा महसूस करते है?
- जिन व्यक्तियों का ख़याल रखा क्या उनको अच्छा लगा ?
- दूसरो का ख़याल किन-किन तरीको से रख सकते है ?
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सत्र 3
उद्देश्य : बच्चे अपने लिए प्रस्तुत ज़िम्मेदारी के साथ निर्वाहित ममता के भाव को महसूस कर पाए ।
शिक्षक नोट : सत्र का उद्देश्य मुख्यतः इसी भाव को समझना समझाना है की हमारे शरीर के पोषण और संरक्षण के लिए जो भी ज़िम्मेदारी का निर्वाह करते है हम उनके प्रति मन में उठते ममता के भाव को स्पष्ट रूप से देख पाए |
समय : प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन (दो अभिव्यक्ति दिन) बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।
बच्चो द्वारा निम्न प्रस्तावित प्रश्नों पर अभिव्यक्ति करवाई जाए :
- ऐसा आप क्या क्या खाते है जो आपके शरीर के लिए अच्छा होता है?
- क्या सिर्फ खान-पान से ही शरीर का ध्यान रखा जाता है या कोई अन्य तरीका भी है जिससे हमारा शरीर ठीक से चलता रहे?
- घर में आपका का ध्यान किस-किस ने रखा?
- आपका ध्यान सिर्फ घर में ही रखा गया या बाहर भी कुछ लोग आपका ध्यान रखते है?
- जो भी आपके शरीर के पोषण और संरक्षण का ध्यान रखते है वे ऐसा कार्य रोजाना करते है या कभी-कभी ऐसा करते है?
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