3. कृतज्ञता (Gratitude)

उद्देश्य: अपने से बड़े, जैसे- माता-पिता, गुरु, परिवार व आप-पड़ोस में बड़े-बुजुर्ग आदि की अपनी ज़िंदगी में भागीदारी देख पाना, उनके लिए कृतज्ञता महसूस करना और व्यक्त करना।

शिक्षक के संदर्भ के लिए नोट:
ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए बहुत से लोग हमारा सहयोग करते हैं। जब हम मन से उस सहयोग को स्वीकार करते हैं तो हम उनके प्रति आभार (कृतज्ञता) महसूस करते हैं। इससे अपने अंदर एक स्थिरता (ठहराव/stability) आती है, जिसे हम ख़ुशी (happiness) के रूप में महसूस (feel) करते हैं।
जब हम किसी के प्रति कृतज्ञता के भाव के साथ होते हैं तो उसके प्रति हमारा व्यवहार ‘सौम्य’ (विनम्र/humble) रहता है और हम स्वयं में नियंत्रित (disciplined) रहते हैं।
यदि हमारे समक्ष किसी का व्यवहार अशोभनीय है तो इसकी बड़ी संभावना है कि उसकी उन्नति में या तो हमारा कोई योगदान नहीं रहा है या वह उस योगदान को पहचान नहीं पा रहा है।
जब भी हम ख़ुश होते हैं तो अपनी ख़ुशी अपनों के साथ साझा (share) करना चाहते हैं। इससे हम और ज़्यादा ख़ुशी महसूस करते हैं। कोई व्यक्ति जब परेशान होता है तो वह अकेला रहना चाहता है, लेकिन ख़ुशी के समय शायद ही कोई व्यक्ति अकेला रहना पसंद करे। हम जब भी किसी भाव के साथ होंगे तो उसे व्यक्त करना चाहेंगे ही। भाव को व्यक्त करने वाले को ही ‘व्यक्ति’ कहते हैं।
आज हम जितनी सुविधाओं (भोजन, कपड़े, मोबाइल, बस, ट्रेन आदि) का उपयोग कर रहे हैं, उनके लिए यदि हम उनकी खोज या आविष्कार से लेकर उनके परिष्कृत रूप में आने तक लोगों के योगदान और मेहनत को देखें तो स्वयं को ऋणी महसूस करेंगे। इस ऋण को चुकाया भी नहीं जा सकता है। किसी ऋण के साथ एक व्यक्ति ख़ुशहालीपूर्वक नहीं जी सकता है। प्रकृति में इस ऋण के भार को कम करने का एक ही तरीका है और वह है- कृतज्ञ होना। कृतज्ञ होने का मतलब केवल thanks, धन्यवाद या शुक्रिया कहना नहीं है। जब हम मन से किसी के योगदान को हमेशा के लिए स्वीकारते हैं तभी कृतज्ञता का भाव महसूस होता है। ऐसा होने पर एक व्यक्ति समाज के विकास के लिए अपना योगदान देना शुरू कर देता है। समाज में अपनी भागीदारी के साथ जीना ही हमारी ख़ुशी का सही रास्ता है और यही जीवन की सार्थकता भी है।
यदि प्रकृति की यह व्यवस्था समझ में आती है तो इसके नियमानुसार यहाँ योगदान देनेवाला ही ख़ुश रह सकता है जबकि अभी अधिकतर लोग यही मानकर दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं कि यहाँ अधिक से अधिक पाने से किसी दिन सुखी (happy) हो जाएँगे।
कृतज्ञता के भाव में विश्वास, सम्मान और स्नेह का भाव शामिल रहता है। कृतज्ञता को हम ग्रेटिट्यूड, आभार और एहसानमंदी के नाम से भी जानते हैं। कृतज्ञता के भाव (feeling of gratitude) को पहचानने (to explore), महसूस करने (to experience) और व्यक्त करने (to express) के लिए निम्नलिखित सत्र (sessions) रखे गए हैं।

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सत्र : 01

उद्देश्य : अपनी ख़ुशी के लिए दूसरों के द्वारा किए गए कार्यों की ओर बच्चो का ध्यान दिलाना।

समय : प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन (दो अभिव्यक्ति दिन ) बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।

शिक्षक नोट : हमारी ख़ुशी में घर के सदस्यों का योगदान/भागीदारी होती ही है अतः जब भी हम अपने रोज़मर्रा के कार्यो को देखें तो ये सुनश्चित कर सके की हमारे छोटे छोटे कार्यो में बहुत सारे लोगो का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष योगदान होता ही है|

बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति : हमारी ख़ुशी में दूसरे(घर के सदस्य)लोगों के योगदान/भागीदारी की ओर बच्चो का ध्यान दिलाने के लिए निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों पर समूह में या जोड़े में अपने अनुभव अभिव्यक्त करें ।
  • जब भी आपके लिए खाना बनता है तब किन किन बातों का ध्यान रखा जाता है ? 
  • आपकी गलतियों को सुधारने के लिए घर के सदस्य क्या-क्या करते है | बच्चे आपस में व्यक्त करेंगे |
  • आप परिवार में किन-किन की बात मानते है और उन्ही की क्यू मानते हैं ।
  • आपको परिवार में कौन-कौन अच्छी बातें बताते है और क्या बातें बतायी जाती हैं ।
  • रोज़मर्रा के सारे कार्य क्या आप अपने आप कर सकते है ?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य : अगले अभिव्यक्ति दिवस पर इस बात पर ध्यान देना है कि घर के अलावा भी क्या कोई उनको रोज़मर्रा के कार्यो में भागिदार होता है ? (जैसे : स्कूल में खाना परोस कर देना, सड़क पार करवाना,बाज़ार से सामान ला कर देना,पढ़ाना इत्यादि) इस दौरान बच्चे घर के अलावा दूसरो के द्वारा अपनी ज़िन्दगी की उन्नति में योगदान को देखने का प्रयास करेंगे और अगले अभिव्यक्ति दिवस पर यही चर्चा का विषय रहेगा |

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सत्र 02:

उद्देश्य : बच्चे अपना ध्यान इस ओर देंगे की क्या घर के अलावा भी लोग है जो उनकी उन्नति में योगदान या भागीदार होते है चाहे वो उन्नति उनके शरीर सापेक्ष हो या मानसिकता के विकास के लिए |

समय : प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन (दो अभिव्यक्ति दिन ) बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।

शिक्षक नोट : हमारी ख़ुशी में दूसरे(घर के अलावा के सदस्य)के योगदान/भागीदारी भी होती है अतः जब भी हम अपने रोज़मर्रा के कार्यो को देखें तो ये सुनश्चित कर सके की हमारे छोटे छोटे कार्यो में बोहोत सारे लोगो का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष योगदान होता ही है|

बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति :
  • स्कूल में आप कितने लोगो को जानते है?
  • जिनको आप स्कूल में जानते है वे सब आपके लिए क्या-क्या कार्य करते है? बच्चे छोटे छोटे समूहों में व्यक्त होंगे | 
  • जिनको आप स्कूल में नहीं भी जानते क्या वो आपके लिए कोई कार्य करते है?कुछ कार्य जो उनके द्वारा किये जाते है वे कौन से कार्य है?
  • आपको कभी किसी बड़े द्वारा कुछ काम करने के लिए मना भी किया जाता है?वे कैसे कैसे काम होते है जब आपको उन्कोम्कारने की इजाजत नहीं मिलती? 
  • स्कूल में बाहर के लोगो को बिना इज़ाज़त अन्दर आने से कौन रोकता है? अगर वे न हो तो क्या कोई दिक्कत होगी?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य : अगले अभिव्यक्ति दिवस पर आप इस बात पर चर्चा करेंगे कि घर के अलावा भी कितने लोग है जो हमारा ध्यान रखते है ,उन सभी लोगो के बारे में ध्यान से सोचना है और उनके कार्यो पर ध्यान भी देना है |

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सत्र 03:

उद्देश्य : बच्चे अपना ध्यान इस ओर देंगे की क्या घर के अलावा भी लोग है जो उनकी उन्नति में योगदान या भागीदार होते है चाहे वो उन्नति उनके शरीर सापेक्ष हो या मानसिकता के विकास के लिए |

समय : प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन (दो अभिव्यक्ति दिन ) बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।

शिक्षक नोट : हमारी ख़ुशी में दूसरे(घर के अलावा के सदस्य)के योगदान/भागीदारी भी होती है अतः जब भी हम अपने रोज़मर्रा के कार्यो को देखें तो ये सुनश्चित कर सके की हमारे छोटे छोटे कार्यो में बोहोत सारे लोगो का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष योगदान होता ही है|

बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति : हमारी ख़ुशी में दूसरे(घर के अलावा के सदस्य)के योगदान/भागीदारी की ओर बच्चो का ध्यान पूरे हफ्ते बना रहा | उस ध्यान को निम्न प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से अभिव्यक्ति कराएं |
  • रोजाना स्कूल आने पर क्या आपको आपकी कक्षा साफ़ सुथरी मिलती है ? आप भी स्कूल को साफ़ रखने के लिए क्या कुछ कर सकते है ?
  • स्कूल और घर के साथ-साथ भी क्या कोई आपके लिए कुछ कार्य करते है ?अगर किसी दिन आपकी आंटी जी(आया) स्कूल ना आये तो क्या आपको कोई दिक्कत होगी?
  • क्या स्कूल के अलावा भी आस पड़ोस के कुछ लोग हमारा ध्यान रखते है ? वे हमारे लिए क्या क्या करते है |
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य : अगले सप्ताह इस बात पर चर्चा होगी कि जब भी कोई बड़ा आपकी मदद करता है तो उस समय आपको कैसा महसूस होता है। जैसे : मान लीजिये आपको सुबह स्कूल आने के लिए आपकी कोई ज़रुरत की चीज़ नहीं मिल रही थी और सारे घर में ढूंढ लेने पर भी आपको याद नहीं आ रहा था की पिछले दिन स्कूल से घर लौट कर उसे कहाँ रखा था | तभी आपकी दादी आती है और आपकी वस्तु दे देती है और आप उसका उपयोग कर लेते है | अब आपको ये देखना है की जब कोई उम्र में बड़ा व्यक्ति आपके पोषण , संरक्षण और समझ को निरंतर बढाने का दायित्व निभाता है तब आपको कैसा महसूस होता |

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सत्र : 04

उद्देश्य : बच्चो को बड़ो के प्रति कृतज्ञता का भाव महसूस कराना।

समय : प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन (दो अभिव्यक्ति दिन ) बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।

शिक्षक के लिए नोट : ज़रूरत के समय जब भी कोई हमारी मदद करता है तो हमें अच्छा ही महसूस होता है। इतना ही नहीं, बाद में भी उसके बारे में सोचने पर हमें अच्छा महसूस करते है। ऐसा सभी के साथ होता है, क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से तय है। ज़रूरत के समय मदद करने पर, मदद करने वाले व मदद लेने वाले दोनों को ही अच्छा लगता है और नहीं करने पर दोनों को ही अच्छा नहीं लगता है। अत: इस सत्र का उद्देश्य है कि सभी बच्चे अपने में यह देख पाएँ कि किसी के द्वारा की गई मदद मिलने और करने पर हमें कैसा महसूस होता है।

बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति : निम्न प्रश्नों के माध्यम से बच्चो से पूछा जाए की पूरे हफ्ते जो कार्य(ध्यान देना) उन्होंने किया तो कैसे-कैसे भाव वे अन्दर महसूस कर पाए|
  • पिछ्ले सप्ताह ऐसे कितने कार्य थे जिनमें आपको ऐसा लगा की आपको किसी की मदद की ज़रूरत पड़ी ?आपस में साझा करेंगे|
  • कितने कार्य आप स्वयं भी कर पाए ?आपस में व्यक्त हो|
  • पिछले सप्ताह जिसने भी आपकी मदद की वो आपके खुद मांगने पर मिली या बिना बोले ही उन्होंने आपका कार्य कर दिया ?
  • जब भी कभी बिना मांगे आपको मदद मिली ,तब आपको कैसा महसूस हुआ ?
  • इसके विपरीत किसी को बोल कर मदद मांगी तब आपके में मन में कैसा महसूस हुआ?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य : अगले अभिव्यक्ति दिवस पर आप इस बात पर चर्चा करेंगे कि जब भी कोई हमारे लिए अपना समय देता है चाहे कोई कार्य करने के लिए या हमारी बात ही सुनने के लिए ही तब हमे कैसा महसूस होता है और इसके विपरीत भी जब कभी भी हमारी तरफ ध्यान नहीं दिया जाता तब हम कैसा महसूस करते है |

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सत्र : 05

उद्देश्य : अपनी ख़ुशी के लिए दूसरों के द्वारा किए गए कार्यों की ओर बच्चो का ध्यान दिलाना।

समय : प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन (दो अभिव्यक्ति दिन ) बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।

शिक्षक नोट : हमारी ख़ुशी में घर के सदस्यों का योगदान/भागीदारी होती ही है अतः जब भी हम अपने रोज़मर्रा के कार्यो को भी तो ये सुनश्चित कर सके की हमारे छोटे छोटे कार्यो में बहुत सारे लोगो का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष योगदान होता ही है|

समय : प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन (दो अभिव्यक्ति दिन ) बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।

बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति : हमारी ख़ुशी में दूसरे(घर के सदस्य)लोगों के योगदान/भागीदारी की ओर बच्चो का ध्यान दिलाने के लिए निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों पर समूह में या जोड़े में अपने अनुभव अभिव्यक्त करें ।
  • सुबह आपको कौन-कौन उठाता है और वे आपको कैसे-कैसे तरीको से उठाते है?
  • क्या कोई ऐसा भी बच्चा है जो अपने आप उठ जाता है ? ऐसा क्या रोज़ करते है या कभी ध्यान जाता है की पहले कोई और भी उठता था ?
  • आपको स्कूल भेजने में घर के सदस्य क्या-क्या तैयारी करते है ?जैसे :नहलाना ,खाना बनाना,साफ़ कपडे तैयार रखना इत्यादि | 
  •  आपके लिए घर में खाना कौन कौन बनाता है ?
  • जब कभी भी आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं होता तो क्या सिर्फ मम्मी-पापा ही आपका ख़याल रखते है या कोई दूसरा भी आपका ध्यान रखता है ?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य : अगले अभिव्यक्ति दिवस पर इस बात ध्यान देना है की आपके रोजाना के कार्यो में आपके घर के सदस्यों की क्या क्या भागीदारी होती है |किसी के द्वारा की गई मदद मिलने और करने पर हमें कैसा महसूस होता है।

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सत्र : 06

उद्देश्य : बच्चो को बड़ो के प्रति कृतज्ञता का भाव महसूस कराना।

समय : प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन (दो अभिव्यक्ति दिन ) बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।

शिक्षक के लिए नोट : ज़रूरत के समय जब भी कोई हमारी मदद करता है तो हमें अच्छा ही महसूस होता है। इतना ही नहीं, बाद में भी उसके बारे में सोचने पर हमें अच्छा महसूस करते है। ऐसा सभी के साथ होता है, क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से तय है। ज़रूरत के समय मदद करने पर, मदद करने वाले व मदद लेने वाले दोनों को ही अच्छा लगता है और नहीं करने पर दोनों को ही अच्छा नहीं लगता है।

बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति : निम्न प्रश्नों के माध्यम से बच्चो से पूछा जाए की पूरे हफ्ते जो कार्य(ध्यान देना) उन्होंने किया तो कैसे-कैसे भाव वे अन्दर महसूस कर पाए |
  • क्या कभी ऐसा हुआ आपके साथ की आपने किसी से कुछ मदद मांगी और दुसरे व्यक्ति ने आपकी मदद की तब आपको कैसा महसूस हुआ?जैसे :जूतों के फीते बांधना आपको नहीं आता तब इस कार्य में आपकी किस किस ने मदद की ,खाने की थाली उठाने में आप असमर्थ थे तब आपकी किसने मदद की ,आपके बालो में कंघी कौन करता है इत्यादि |
  • आपको क्या लगता है जब कोई आपके कहने पर भी आपके कार्यो में आपकी मदद नहीं कर पाया तो उस व्यक्ति को कैसा महसूस हुआ होगा ?जैसे आपको पढ़ाई कराना ,आपके साथ खेलना |
  • आपको क्या लगता है उन्होंने जानबूझ कर ऐसा किया या कोई अन्य कारण भी रहा होगा ?
  • आपने किस-किस की मदद की और किस तरह से?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य : अभी तक बच्चे इतना ही देख पाए की उनकी उन्नति के लिए बड़ो की उनकी ज़िंदगी में क्या क्या भागीदारी और उपयोगिता होती है | इसके साथ साथ बच्चो का ध्यान इस ओर भी गया की मदद या भागीदारी देखने पर उनके मन में कैसे कैसे भाव उत्पन्न होते है | अब आगे के सप्ताह में बच्चो का ध्यान इस ओर चला जाये की वे मदद मिलने पर किस किस तरह से व्यक्त हो पाए जिससे उनमें दूसरों के प्रति कृतज्ञता के भाव को व्यक्त करने के लिए प्रेरणा मिली या बनी ।

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सत्र : 07

उद्देश्य : बच्चो को दूसरों के प्रति कृतज्ञता के भाव को व्यक्त करने के लिए प्रेरित करना।

समय : प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन (दो अभिव्यक्ति दिन ) बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।

शिक्षक के लिए नोट : जब भी हम ख़ुश होते हैं तो अपनी ख़ुशी अपनों के साथ साझा करना चाहते हैं। इससे हमे और ज़्यादा ख़ुशी महसूस होती हैं। दूसरों तक अपने भावों को पहुचाने के लिए भाषाएँ (मौखिक, लिखित, सांकेतिक) विकसित हुई हैं साथ ही साथ कुछ कलाए भी विकसित हुई हैं, जैसे-संगीत, नृत्य, रंगमंच , ड्रॉइंग, पेंटिंग, स्कल्पचर आदि। इस प्रकार देखें तो हमारी ख़ुशी का संसार एक-दूसरे के प्रति सही भावों के साथ होने और विभिन्न माध्यमों व तरीकों से उन्हें व्यक्त करने से ही जुड़ा हुआ है। अत: इस सत्र का उद्देश्य है कि बच्चो को उनकी रुचि और कौशल के आधार पर विभिन्न माध्यमों से बड़ो के प्रति अपने कृतज्ञता के भाव को व्यक्त करने के लिए अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।

बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति : निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के द्वारा बच्चो को दूसरों के प्रति अपने कृतज्ञता / आभार / धन्यवाद के भाव को विभिन्न माध्यमों से व्यक्त करने के अवसर दिए जाएँ। 
  • बड़ो द्वारा आपके लिए किये गए कार्य पर क्या आपने आभार जताया या धन्यवाद कहा और क्या ये ज़रूरी था ?
  • किसी बड़े के कहने पर आपने दूसरो को आभार जताते है या ये आपको अच्छा लगता है इसीलिए आप ऐसा कर पाए?
  • क्या ऐसा हुआ की आप आभार नहीं जता पाए या धन्यवाद नहीं कह पाए ,तब आपको कैसा महसूस हुआ ?
  • कितने लोगो का आपने आभार जताया ? आपस में साझा करें |
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य : अगले अभिव्यक्ति दिवस पर आप इस बात पर चर्चा करेंगे कि आपने दूसरों के ख़ुश रहने में कब-कब मदद की। अत: इस दौरान आप इसे देखने का प्रयास करें।

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सत्र : 08

उद्देश्य : बच्चो को दूसरों के प्रति कृतज्ञता के भाव को व्यक्त करने के लिए प्रेरित करना।

समय : प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन (दो अभिव्यक्ति दिन ) बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।

शिक्षक के लिए नोट : जब भी हम ख़ुश होते हैं तो अपनी ख़ुशी अपनों के साथ साझा करना चाहते हैं। दूसरों तक अपने भावों को पहुचाने के लिए भाषाएँ (मौखिक, लिखित, सांकेतिक) विकसित हुई हैं साथ ही साथ कुछ कलाए भी विकसित हुई हैं, जैसे-संगीत, नृत्य, रंगमंच , ड्रॉइंग, पेंटिंग, स्कल्पचर आदि।

बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति : निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के द्वारा बच्चो को दूसरों के प्रति अपने कृतज्ञता / आभार / धन्यवाद के भाव को विभिन्न माध्यमों से व्यक्त करने के अवसर दिए जाएँ।
  • क्या क्या तरीके अपनाये आपने thanku कहने के लिए ? और क्या क्या तरीके खोजे जा सकते है आभार व्यक्त करने के लिए , बच्चे आपस में चर्चा करेंगे |
  • आपको क्या लगा आपके आभार व्यक्त करने से बड़ो को कैसा लगा होगा?
  • जब भी आप किसी का आभार जताते है तब उसका व्यवहार हमारे लिए कैसा हो जाता है ?
  • जब कोई आपका आभार जताता है तब आपको उसके प्रति कैसा महसूस होता है ?
  • स्कूल में अगर आपको किसी का आभार व्यक्त करना हो तो क्या उनके सामने जा कर उन्हें बोल पाएंगे?
  • अगर अभी किसी का thanku कहना हो तो किस का कहना चाहोगे और क्या तरीका अपनाओगे ?


अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य : अगले अभिव्यक्ति दिवस पर आप इस बात पर चर्चा करेंगे कि आपने दूसरों के ख़ुश रहने में कब-कब मदद की। अत: इस दौरान आप इसे देखने का प्रयास करें।

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सत्र : 09

उद्देश्य : दूसरों की ख़ुशी के लिए बच्चो को कृतज्ञता के भाव के साथ भागीदारी करने के लिए प्रेरित करना।

समय : प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन (दो अभिव्यक्ति दिन ) बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।

शिक्षक के लिए नोट : इस सत्र का उद्देश्य विद्यार्थियों को कृतज्ञता के भाव के साथ दूसरों की ख़ुशी के लिए अपने योगदान/भागीदारी के लिए प्रेरित करना है |

विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति : निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से बच्चो को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
  • आपने अपने माता-पिता के प्रति अपना आभार कैसे व्यक्त किया ?
  • मम्मी-पापा का हमे संसार में लाने का आभार भी क्या कोई आभार हो सकता है ?
  • अगर बड़ो के प्रति आभार न भी व्यक्त किया जाए तो क्या इससे कुछ उन्हें फ़र्क पड़ता है ?
  • आपके बड़े आपसे क्या-क्या अपेक्षा करते है ?
  • आपने अपने बड़ो के साथ कितना समय बिताया ?
  • बड़ो के साथ समय बिताना भी क्या आभार व्यक्त करने का एक तरीका हो सकता है ?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य : अगले अभिव्यक्ति दिवस पर आप इस बात पर चर्चा करेंगे कि आपने दूसरों के ख़ुश रहने में कब-कब मदद की। अत: इस दौरान आप इसे देखने का प्रयास करें।

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सत्र : 10

उद्देश्य : दूसरों की ख़ुशी के लिए बच्चो को कृतज्ञता के भाव के साथ भागीदारी करने के लिए प्रेरित करना।

समय : प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन (दो अभिव्यक्ति दिन ) बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।

शिक्षक के लिए नोट : कृतज्ञ होने का मतलब केवल thanks, धन्यवाद या शुक्रिया कहना मात्र नहीं अपितु जब हम मन से किसी योगदान को हमेशा के लिए स्वीकारते हैं तभी कृतज्ञता का भाव महसूस होगा | अत: इस सत्र का उद्देश्य विद्यार्थियों को कृतज्ञता के भाव के साथ दूसरों की ख़ुशी के लिए अपने योगदान/भागीदारी के लिए प्रेरित करना है ताकि वे भी उन लोगों में शामिल न हो जाएँ जो बहुत कुछ पाकर भी परेशान रहते हैं।

विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति : निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से बच्चो को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
  • जिनको हम नहीं भी जानते क्या उनके प्रति भी आभार व्यक्त किया जा सकता है ? 
  • ऐसी कितनी वस्तुए है जो आपने नहीं बनायीं परन्तु उनका उपयोग करते है ?
  • जिन वस्तुओ का उपयोग आप करते है अगर वे न होती तो क्या आपको कोई दिक्कत होती ?
  • आप उन लोगो के प्रति कैसे आभार व्यक्त कर सकते है जिन्होंने आपके उपयोग के लिए वस्तुओ का निर्माण किया ?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य : अगले अभिव्यक्ति दिवस पर अगले मूल्य की रूपरेखा की शुरुआत की जा सकती है | अगले मूल्य के लिए बच्चो को कुछ उदहारण देकर भी बात की स्पष्टता बनायीं जा सकती है | शिक्षक के लिए ये अत्यंत अनिवार्य रहेगा की जब भी वे अगले सत्र या अगले मूल्य की ओर अग्रसर हो वह सुनिश्चित कर ले की “ शिक्षक के लिए नोट “ में उनके लिए क्या बातें ध्यान में रखने के लिए की कही गयी है | यह सुनिश्चितता बात को तात्विकता और व्यवहारिकता से जोड़ने में बहुत लाभप्रद रहती है जिससे बात को उसी गहरायी से समझा और जाना जा सकता है जिस भाव में उसे प्रस्तुत करने की कोशिश की गयी है |

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