उद्देश्य: भाई-बहन, मित्र और सहपाठियों के साथ आपसी सहयोग और ख़ुशीपूर्वक साथ-साथ जीना देख पाना, एक-दूसरे के लिए स्नेह महसूस करना और व्यक्त करना।
शिक्षक के संदर्भ के लिए नोट:
हमारे जीवन का अधिकतर सुख-दु:ख अपने और अपनों के साथ जुड़ा हुआ है। ज़िंदगी में यह अपनों की संख्या भी बदलती रहती है। साथ ही अपना-पराया की मानसिकता भी हमारे सुख-दु:ख का एक बड़ा कारण है। संबंधों में दूरियाँ अपनेपन के एहसास का अभाव पैदा करती हैं जो बड़ा पीड़ादायक होता है। अत: एक ख़ुशहाल जीवन के लिए अपनों के प्रति अपनापन का एहसास बहुत ज़रूरी है। इसके साथ ही अपनी ख़ुशी का दायरा बढ़ाने के लिए अपनेपन का विस्तार भी ज़रूरी है ताकि सारा परायापन ख़त्म हो जाए, क्योंकि आज समाज में सबसे ज़्यादा भय इनसान के द्वारा बनाई गई अपने-पराए की दीवारों के कारण ही है।
सभी इनसान किसी न किसी रूप में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। हम जैसे ही उस जुड़ाव या संबंध को स्वीकार करते हैं तो इससे अपने अंदर अपनेपन और सुरक्षा की भावना आती है, जिसे हम ख़ुशी के रूप में महसूस करते हैं।
जब हम किसी व्यक्ति के साथ कोई संबंध स्वीकार कर लेते हैं, जैसे- भाई, बहन, मित्र आदि तो अब उस व्यक्ति से मिलने पर या उसे याद करने पर हमारा बेचैन मन भी प्रसन्न हो जाता है।
जिन लोगों के प्रति हमारे अंदर स्नेह का भाव होता है उनसे कोई काम न होने पर भी सिर्फ़ ख़ुशी के लिए, ख़ुशी से और ख़ुशी में मिलने का मन करता है।
किसी व्यक्ति की मूल चाहत (ख़ुशी) के प्रति आश्वस्त (assure) होने पर उसके प्रति विश्वास का भाव विकसित होता है। विश्वास के आधार पर उसे एक व्यक्ति के रूप में अपने जैसा स्वीकार करने पर उसके प्रति सम्मान का भाव विकसित होता है।
विश्वास और सम्मान के आधार पर उसके साथ किसी संबंध की स्वीकृति होने पर स्नेह का भाव विकसित होता है। अत: संबंधों में विश्वास (trust) और सम्मान (respect) होने पर ही स्नेह (affection) हो पाता है।
प्रकृति में सब कुछ एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है, इसलिए ख़ुशी से जीने के लिए प्रकृति में अकेले का कोई कार्यक्रम नहीं है बल्कि मिल-जुलकर रहने का ही प्रावधान है। अत: जो हमसे आगे हैं उनसे सहयोग लेकर और जो हमसे पीछे हैं उनका सहयोग करके हम सभी निर्विरोधपूर्वक अर्थात स्नेहपूर्वक ख़ुशहाल जीवन जी सकते हैं।
जब हम किसी के प्रति स्नेह के भाव के साथ होते हैं तो हम उसके प्रति निष्ठावान (committed) बने रहते हैं अर्थात हर हाल में हम उसके साथ ठहरे रहते हैं।
स्नेह के भाव (feeling of affection) को पहचानने (to explore), महसूस करने (to experience) और व्यक्त करने (to express) के लिए निम्नलिखित सत्र (sessions) रखे गए हैं।
उद्देश्य : बच्चे अपने घर के बच्चे या आसपडोस के बच्चो के साथ अपने व्यवहार को देख पाए ।
समय : सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन या बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए ।
शिक्षक नोट : इस सत्र में बच्चे परिवार में अपने भाई बहनों के साथ रोज़मर्रा के काम में सहयोग और पूरकता की ओर ध्यान दे पाएं |
बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति :
निम्न प्रश्नों के माध्यम से बच्चो में दूसरों के प्रति स्नेह का भाव देख पाने के लिए अभिव्यक्ति के अवसर दिए जाएँ।
उद्देश्य : बच्चे अपने घर के बच्चे या आसपडोस के बच्चो के साथ अपने व्यवहार को देख पाए
समय : सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन या बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए ।
शिक्षक के लिए नोट : इस सत्र में बच्चे परिवार में अपने भाई बहनों के साथ किये गए कार्यो की भागीदारी और पूरकता की ओर ध्यान दे पाएं |
बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति :
निम्न प्रश्नों के माध्यम से बच्चो में दूसरों के प्रति स्नेह का भाव देख पाने के लिए अभिव्यक्ति के अवसर दिए जाएँ।
उद्देश्य : बच्चे अपने स्कूल के बच्चो के साथ अपना रोज़मर्रा का व्यवहार और अपनी अपनी भागीदारी में पूरकता को देख पाएं ।
समय : सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन या बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए ।
शिक्षक के लिए नोट : बच्चे इस ओर ध्यान दे पाएं की वे अपनी कक्षा के दूसरे बच्चो के साथ कैसा व्यवहार करते है | बच्चो को निम्नलिखित उदहारण से स्नेह के भाव को समझने के लिए प्रेरित करें | मान लीजिये यदि आपकी कापी आपके प्रिय मित्र से फट जाती है तब आप अपने मित्र से कैसा व्यवहार करेंगे और यदि वही कापी किसी दूसरे बच्चे से फट जाती तब आप उसके साथ कैसा व्यवहार करेंगे ?
बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति :
निम्न प्रश्नों के माध्यम से बच्चे स्कूल के बच्चो के साथ स्नेह का भाव देख पाने के बाद अभिव्यक्ति के अवसर दिए जाएँ।
समय : सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन या बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए ।
उद्देश्य : बच्चे अपने आसपास के बच्चो के साथ अपनी पूरकता और भागीदारी को देख पाए |
शिक्षक नोट : शिक्षक बच्चो का ध्यान इस ओर जाए की वे अपने आसपास के बच्चो के साथ क्या-क्या कार्य करते है|,
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य : अगले अभिव्यक्ति दिवस पर आप इस बात पर चर्चा करेंगे कि आप किन कारणों से दूसरों के साथ जुड़ाव/संबंध महसूस करते हैं। अत: इस दौरान आप इसे अपने में देखने का प्रयास करें।
उद्देश्य : बच्चो को दूसरों के प्रति स्नेह के भाव को महसूस करने के लिए प्रेरित करना ।
शिक्षक नोट :सत्र का उद्देश्य इसी बात को इंगित करता है की बच्चे अपने संबंधों में स्नेहपूर्वक व्यवहार करते हुए एक ख़़ुशहाल जीवन जी सकें और अपने जीवन में अपनेपन का विस्तार करते हुए अपनी ख़ुशी का दायरा बढ़ाते रहें।
समय : सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन या बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए ।
बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति : निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से बच्चो को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ ।
समय : सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन या बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए ।
उद्देश्य : बच्चो को दूसरों के प्रति स्नेह के भाव को व्यक्त करने के लिए प्रेरित करना । बच्चे अपने संबंधों में स्नेहपूर्वक व्यवहार करते हुए एक ख़़ुशहाल जीवन जी सकें और अपने जीवन में अपनेपन का विस्तार करते हुए अपनी ख़ुशी का दायरा बढ़ाते रहें।
शिक्षक के लिए नोट : प्रस्तुत सत्र का मात्र उद्देश्य बच्चो में उठते स्नेह के भाव की अभिव्यक्ति है ,बच्चा किस-किस के प्रति अपना स्नेह का भाव व्यक्त करना चाहता है और उसकी अभिव्यक्ति का क्या माध्यम अपनाया जा सकता है |
बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति :
इस दिन अभिव्यक्ति दिवस पर कुछ हट के किया जा सकता है । सत्र का उद्देश्य मात्र इतना ही है की बच्चे अपने लिए प्रस्तुत स्नेह के भाव को देख और समझ पाए और किसी न किसी रूप में व्यक्त हो पाए |
शिक्षक के संदर्भ के लिए नोट:
हमारे जीवन का अधिकतर सुख-दु:ख अपने और अपनों के साथ जुड़ा हुआ है। ज़िंदगी में यह अपनों की संख्या भी बदलती रहती है। साथ ही अपना-पराया की मानसिकता भी हमारे सुख-दु:ख का एक बड़ा कारण है। संबंधों में दूरियाँ अपनेपन के एहसास का अभाव पैदा करती हैं जो बड़ा पीड़ादायक होता है। अत: एक ख़ुशहाल जीवन के लिए अपनों के प्रति अपनापन का एहसास बहुत ज़रूरी है। इसके साथ ही अपनी ख़ुशी का दायरा बढ़ाने के लिए अपनेपन का विस्तार भी ज़रूरी है ताकि सारा परायापन ख़त्म हो जाए, क्योंकि आज समाज में सबसे ज़्यादा भय इनसान के द्वारा बनाई गई अपने-पराए की दीवारों के कारण ही है।
सभी इनसान किसी न किसी रूप में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। हम जैसे ही उस जुड़ाव या संबंध को स्वीकार करते हैं तो इससे अपने अंदर अपनेपन और सुरक्षा की भावना आती है, जिसे हम ख़ुशी के रूप में महसूस करते हैं।
जब हम किसी व्यक्ति के साथ कोई संबंध स्वीकार कर लेते हैं, जैसे- भाई, बहन, मित्र आदि तो अब उस व्यक्ति से मिलने पर या उसे याद करने पर हमारा बेचैन मन भी प्रसन्न हो जाता है।
जिन लोगों के प्रति हमारे अंदर स्नेह का भाव होता है उनसे कोई काम न होने पर भी सिर्फ़ ख़ुशी के लिए, ख़ुशी से और ख़ुशी में मिलने का मन करता है।
किसी व्यक्ति की मूल चाहत (ख़ुशी) के प्रति आश्वस्त (assure) होने पर उसके प्रति विश्वास का भाव विकसित होता है। विश्वास के आधार पर उसे एक व्यक्ति के रूप में अपने जैसा स्वीकार करने पर उसके प्रति सम्मान का भाव विकसित होता है।
विश्वास और सम्मान के आधार पर उसके साथ किसी संबंध की स्वीकृति होने पर स्नेह का भाव विकसित होता है। अत: संबंधों में विश्वास (trust) और सम्मान (respect) होने पर ही स्नेह (affection) हो पाता है।
प्रकृति में सब कुछ एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है, इसलिए ख़ुशी से जीने के लिए प्रकृति में अकेले का कोई कार्यक्रम नहीं है बल्कि मिल-जुलकर रहने का ही प्रावधान है। अत: जो हमसे आगे हैं उनसे सहयोग लेकर और जो हमसे पीछे हैं उनका सहयोग करके हम सभी निर्विरोधपूर्वक अर्थात स्नेहपूर्वक ख़ुशहाल जीवन जी सकते हैं।
जब हम किसी के प्रति स्नेह के भाव के साथ होते हैं तो हम उसके प्रति निष्ठावान (committed) बने रहते हैं अर्थात हर हाल में हम उसके साथ ठहरे रहते हैं।
स्नेह के भाव (feeling of affection) को पहचानने (to explore), महसूस करने (to experience) और व्यक्त करने (to express) के लिए निम्नलिखित सत्र (sessions) रखे गए हैं।
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सत्र :1.1
उद्देश्य : बच्चे अपने घर के बच्चे या आसपडोस के बच्चो के साथ अपने व्यवहार को देख पाए ।
समय : सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन या बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए ।
शिक्षक नोट : इस सत्र में बच्चे परिवार में अपने भाई बहनों के साथ रोज़मर्रा के काम में सहयोग और पूरकता की ओर ध्यान दे पाएं |
बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति :
निम्न प्रश्नों के माध्यम से बच्चो में दूसरों के प्रति स्नेह का भाव देख पाने के लिए अभिव्यक्ति के अवसर दिए जाएँ।
- आप अपने भाई बहनों के साथ क्या-क्या वस्तुएं बाँटते है?जैसे: खिलोने,कॉपी किताब, कपडे इत्यादि |
- अपने भाई बहनों के साथ क्या सिर्फ चीज़ें ही बांटी जा सकती है? या कुछ और भी बाँटते है जैसे ख़ुशी के पल,कोई परेशानी,स्कूल की घटनाये,दोस्तों की बातें | कोई एक उद्धरण देकर अपनी बात प्रस्तुत करें |
- आप अपने भाई बहनों लिए रोजाना के क्या-क्या काम करते है ?बच्चे छोटे समूहों में साझा करें |
- आपके भाई बहन आपकी क्या-क्या ज़रूरतों का ध्यान रखते है? (जैसे : आपके खाना पीना ,पढ़ाई,आपके खिलोने, मम्मी पापा की डांट से बचाना)
- अपनी ख़ुशी या कोई परेशानी के पल हम घर पर सबसे पहले किसको बताते है ?
- कोई एक घटना साझा कीजिये जिसमें आपने अपने भाई या बहन या आसपडोस के किसी साथी के साथ मिल कर किसी परेशानी को सुलझाया?
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सत्र : 1.2
उद्देश्य : बच्चे अपने घर के बच्चे या आसपडोस के बच्चो के साथ अपने व्यवहार को देख पाए
समय : सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन या बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए ।
शिक्षक के लिए नोट : इस सत्र में बच्चे परिवार में अपने भाई बहनों के साथ किये गए कार्यो की भागीदारी और पूरकता की ओर ध्यान दे पाएं |
बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति :
निम्न प्रश्नों के माध्यम से बच्चो में दूसरों के प्रति स्नेह का भाव देख पाने के लिए अभिव्यक्ति के अवसर दिए जाएँ।
- आपने कब-कब अपनी चीज़ें अपने भाई बहनों या किसी दूसरे बच्चो के साथ साझा की ? ऐसा आपने क्यों किया ?
- अपने भाई बहनों की चीज़ें हम पूछ कर इस्तेमाल करते है या बिना पूछे ही इस्तेमाल कर लेते है ?
- ऐसी कितनी चीज़ें है जो आप अपने भाई बहनों के साथ कॉमन साझा करते है ?
- आपकी भाई बहनों के साथ कब तक नाराज़गी बनी रहती है ?और कैसे खत्म होती है ?
- अपने भाई बहनों के साथ आप क्या- क्या खेलते हो ?
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सत्र 2.1
उद्देश्य : बच्चे अपने स्कूल के बच्चो के साथ अपना रोज़मर्रा का व्यवहार और अपनी अपनी भागीदारी में पूरकता को देख पाएं ।
समय : सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन या बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए ।
शिक्षक के लिए नोट : बच्चे इस ओर ध्यान दे पाएं की वे अपनी कक्षा के दूसरे बच्चो के साथ कैसा व्यवहार करते है | बच्चो को निम्नलिखित उदहारण से स्नेह के भाव को समझने के लिए प्रेरित करें | मान लीजिये यदि आपकी कापी आपके प्रिय मित्र से फट जाती है तब आप अपने मित्र से कैसा व्यवहार करेंगे और यदि वही कापी किसी दूसरे बच्चे से फट जाती तब आप उसके साथ कैसा व्यवहार करेंगे ?
बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति :
निम्न प्रश्नों के माध्यम से बच्चे स्कूल के बच्चो के साथ स्नेह का भाव देख पाने के बाद अभिव्यक्ति के अवसर दिए जाएँ।
- आप नए मित्र कैसे बनाते है?
- स्कूल खुलने के बाद आपने कितने नए मित्र बनाए?
- हमारा व्यवहार नए मित्रो के साथ कैसा रहा और पुराने के साथ कैसा?
- आपको किसके साथ बैठना अच्छा लगता है?
- आप अपना टिफ़िन कितने बच्चो के साथ बैठ कर खाते हो?
- आप खेलने के समय किस-किस के साथ खेलते है?
- आप अकेले क्या
- आप क्या-क्या अपने दोस्तों के साथ बाँटते हो?जैसे : कापी पेंसिल,पानी,खाना,
- क्या सब कुछ अपनी कक्षा में सब बच्चो के साथ बांटा जा सकता है या ये कुछ बच्चो के साथ के साथ ही किया जाता है?
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सत्र : 2.2
समय : सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन या बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए ।
उद्देश्य : बच्चे अपने आसपास के बच्चो के साथ अपनी पूरकता और भागीदारी को देख पाए |
शिक्षक नोट : शिक्षक बच्चो का ध्यान इस ओर जाए की वे अपने आसपास के बच्चो के साथ क्या-क्या कार्य करते है|,
- आप किस-किस के साथ विद्यालय जाते आते हो?
- अगर आपका दोस्त किसी दिन विद्यालय न जाये तब आपको कैसा महसूस होगा ? उस दिन आप अपने दोस्त की क्या कमी महसूस करेंगे?
- आप आसपडोस के बच्चो के साथ क्या-क्या चीज़ें साझा करते है?जैसे खेलने ,खाने की चीज़ें,
- क्या कभी आपने कोई सबसे प्यारी चीज़ अपने दोस्त के साथ साझा की?
- आप अपने मन की बातें क्या अपने दोस्तों के साथ साझा करते है?
- क्या आपने कभी आसपडोस के दोस्तों के साथ मिल कर कोई समस्या का हल ढूँढा?
- आप अपने आसपडोस के बच्चो के घर कब-कब जाते हो?
- कितने त्यौहार आप एक साथ मनाते हो?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य : अगले अभिव्यक्ति दिवस पर आप इस बात पर चर्चा करेंगे कि आप किन कारणों से दूसरों के साथ जुड़ाव/संबंध महसूस करते हैं। अत: इस दौरान आप इसे अपने में देखने का प्रयास करें।
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सत्र : 3
उद्देश्य : बच्चो को दूसरों के प्रति स्नेह के भाव को महसूस करने के लिए प्रेरित करना ।
शिक्षक नोट :सत्र का उद्देश्य इसी बात को इंगित करता है की बच्चे अपने संबंधों में स्नेहपूर्वक व्यवहार करते हुए एक ख़़ुशहाल जीवन जी सकें और अपने जीवन में अपनेपन का विस्तार करते हुए अपनी ख़ुशी का दायरा बढ़ाते रहें।
समय : सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन या बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए ।
बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति : निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से बच्चो को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ ।
- अपने मित्रो के साथ मित्रता निभाने के लिए आपने क्या-क्या किया?कोई एक घटना साझा कीजिये|
- जिन बच्चो को आप नहीं भी जानते उनके साथ किस प्रकार से बातचीत करते हो?
- मित्रो के साथ खेलने में ज्यादा मज़ा आता है या भाई-बहनों के साथ?क्यों?
- अगर भाई बहन और दोस्त एक साथ खेलें तब आप क्या क्या खेल खेलते है?
- गर्मियों की छुट्टियों में जब आपके क्स्न्स(चचेरे,ममेरे ,मौसेरे)आपके घर आते है तब आप उनके साथ क्या-क्या खेल खेलते है?
- अपने भाई-बहन या दोस्तों की कौन सी ऐसी अच्छी बातें या आदतें है जो आप अपनाना चाहते है?
- पिकनिक पर जाते समय हमे किसके साथ घूमना पसंद आता है?
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सत्र : 4
समय : सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सत्र को कम से कम दो दिन या बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए ।
उद्देश्य : बच्चो को दूसरों के प्रति स्नेह के भाव को व्यक्त करने के लिए प्रेरित करना । बच्चे अपने संबंधों में स्नेहपूर्वक व्यवहार करते हुए एक ख़़ुशहाल जीवन जी सकें और अपने जीवन में अपनेपन का विस्तार करते हुए अपनी ख़ुशी का दायरा बढ़ाते रहें।
शिक्षक के लिए नोट : प्रस्तुत सत्र का मात्र उद्देश्य बच्चो में उठते स्नेह के भाव की अभिव्यक्ति है ,बच्चा किस-किस के प्रति अपना स्नेह का भाव व्यक्त करना चाहता है और उसकी अभिव्यक्ति का क्या माध्यम अपनाया जा सकता है |
बच्चो द्वारा अभिव्यक्ति :
इस दिन अभिव्यक्ति दिवस पर कुछ हट के किया जा सकता है । सत्र का उद्देश्य मात्र इतना ही है की बच्चे अपने लिए प्रस्तुत स्नेह के भाव को देख और समझ पाए और किसी न किसी रूप में व्यक्त हो पाए |
- अपने साथियों के लिए का भाव देखा और महसूस किया , उसके लिए thanku कार्ड या कोई छोटी सी चिट्ठी रूप में कुछ पंक्तियाँ लिख सकते है ? बच्चो को ये कार्य करने के लिए थोडा समय दें |
- अपने भाई बहन के स्नेह के बदले क्या कोई रास्ता ढूँढा जा सकता है जिससे बच्चे का स्नेह झलक पाए ? शिक्षक बच्चो की राय सुन भी सकते है और किसी रूप में भी व्यक्त होने का समय दे सकते है |
- आपको क्या लगता है की सिर्फ thanku कार्ड या चिट्ठी से ही सारी बात बन जाती है या स्नेह किसी और रूप में भी व्यक्त कर सकते है ?
- अपने दोस्तों को किस-किस प्रकार से स्नेह का भाव दिखा सकते है ?
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