1. कृतज्ञता (Gratitude)

उद्देश्य: अपने से बड़े, जैसे- माता-पिता, गुरु, परिवार व आप-पड़ोस में बड़े-बुजुर्ग आदि की अपनी ज़िंदगी में भागीदारी देख पाना, उनके लिए कृतज्ञता महसूस करना और व्यक्त करना।

शिक्षक के संदर्भ के लिए नोट:
ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए बहुत से लोग हमारा सहयोग करते हैं। जब हम मन से उस सहयोग को स्वीकार करते हैं तो हम उनके प्रति आभार (कृतज्ञता) महसूस करते हैं। इससे अपने अंदर एक स्थिरता (ठहराव/stability) आती है, जिसे हम ख़ुशी (happiness) के रूप में महसूस (feel) करते हैं।
जब हम किसी के प्रति कृतज्ञता के भाव के साथ होते हैं तो उसके प्रति हमारा व्यवहार ‘सौम्य’ (विनम्र/humble) रहता है और हम स्वयं में नियंत्रित (disciplined) रहते हैं। यदि हमारे समक्ष किसी का व्यवहार अशोभनीय है तो इसकी बड़ी संभावना है कि उसकी उन्नति में या तो हमारा कोई योगदान नहीं रहा है या वह उस योगदान को पहचान नहीं पा रहा है। जब भी हम ख़ुश होते हैं तो अपनी ख़ुशी अपनों के साथ साझा (share) करना चाहते हैं। इससे हम और ज़्यादा ख़ुशी महसूस करते हैं। कोई व्यक्ति जब परेशान होता है तो वह अकेला रहना चाहता है, लेकिन ख़ुशी के समय शायद ही कोई व्यक्ति अकेला रहना पसंद करे। हम जब भी किसी भाव के साथ होंगे तो उसे व्यक्त करना चाहेंगे ही। भाव को व्यक्त करने वाले को ही ‘व्यक्ति’ कहते हैं।
आज हम जितनी सुविधाओं (भोजन, कपड़े, मोबाइल, बस, ट्रेन आदि) का उपयोग कर रहे हैं, उनके लिए यदि हम उनकी खोज या आविष्कार से लेकर उनके परिष्कृत रूप में आने तक लोगों के योगदान और मेहनत को देखें तो स्वयं को ऋणी महसूस करेंगे। इस ऋण को चुकाया भी नहीं जा सकता है। किसी ऋण के साथ एक व्यक्ति ख़ुशहालीपूर्वक नहीं जी सकता है। प्रकृति में इस ऋण के भार को कम करने का एक ही तरीका है और वह है- कृतज्ञ होना। कृतज्ञ होने का मतलब केवल thanks, धन्यवाद या शुक्रिया कहना नहीं है। जब हम मन से किसी के योगदान को हमेशा के लिए स्वीकारते हैं तभी कृतज्ञता का भाव महसूस होता है। ऐसा होने पर एक व्यक्ति समाज के विकास के लिए अपना योगदान देना शुरू कर देता है। समाज में अपनी भागीदारी के साथ जीना ही हमारी ख़ुशी का सही रास्ता है और यही जीवन की सार्थकता भी है।
यदि प्रकृति की यह व्यवस्था समझ में आती है तो इसके नियमानुसार यहाँ योगदान देनेवाला ही ख़ुश रह सकता है जबकि अभी अधिकतर लोग यही मानकर दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं कि यहाँ अधिक से अधिक पाने से किसी दिन सुखी (happy) हो जाएँगे।
कृतज्ञता के भाव में विश्वास, सम्मान और स्नेह का भाव शामिल रहता है। कृतज्ञता को हम ग्रेटिट्यूड, आभार और एहसानमंदी के नाम से भी जानते हैं।
कृतज्ञता के भाव (feeling of gratitude) को पहचानने (to explore), महसूस करने (to experience) और व्यक्त करने (to express) के लिए निम्नलिखित सत्र (sessions) रखे गए हैं।

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सत्र (Session): 1

उद्देश्य : शरीर के पोषण के लिए परिवार के सदस्यों के योगदान की ओर विद्यार्थियों का ध्यान दिलाना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट : घर पर माता पिता और कई अन्य लोग हमारे शरीर के पोषण का ध्यान रखते हैं। उनके योगदान पर ध्यान जाने से हम उस सम्बन्ध के महत्व को जान पाते हैं। यह कृतज्ञता का एहसास देता है और व्यवहार में सौम्यता आती है। इसी उद्देश्य से यह सत्र रखा गया है।

अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1 a. इस सप्ताह आपके घर में खाना किस-किसने बनाया?
b. उन्होंने भोजन बनाते समय किन बातों का ध्यान रखा?
c. उसे बनाने में परिवार के किन सदस्यों ने सहयोग किया?
2 a. भोजन आपको परोसे जाते समय परोसने वाले का कैसा भाव था? (मुस्कुराकर परोसा या गुस्से में या परेशान होकर)
b. आपको भोजन करने में कैसा लगा?
3. क्या कभी कोई ऐसा भोजन भी बनाया गया जो स्वाद में आपको पसंद न आया हो, पर स्वास्थ्य के हिसाब से अच्छा रहा हो? तब आपने क्या किया?
4. आपके घर में ज़्यादातर दिन किसने सबसे अंत में खाना खाया? उन्होंने वैसा क्यों किया (किया होगा)?

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम ध्यान देंगे कि परिवार के सदस्यों के अलावा स्कूल या पड़ोस में वे कौन लोग हैं जिन्होंने हमारे शरीर के पोषण (खाने पीने और स्वास्थ्य) का ध्यान रखा। उन्होंने उसके लिए क्या - क्या किया और क्यों किया? "क्यों" का उत्तर जानने के लिए उन लोगों से बातें करके देखें।

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सत्र (Session): 2

उद्देश्य : शरीर के पोषण के लिए परिवार के सदस्यों के अलावा अन्य लोगों के योगदान की ओर विद्यार्थियों का ध्यान दिलाना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट : व्यक्ति स्वकेंद्रित या परिवार केन्द्रित होता जा रहा है। जबकि उसके शरीर के पोषण की जिम्मेदारी के भाव के साथ समाज के कई लोग लगे होते हैं। जब ध्यान उनके योगदान की ओर जाता है तो वह उन सभी के साथ अपनेपन के भाव से प्रस्तुत होता है। इस सत्र में विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर चला जाए कि वे कौनसे लोग हैं जो उनके पोषण में योगदान देते हैं।

अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1 a. क्या इस सप्ताह विद्यालय में किसी ने आपके भोजन (मिड डे मील या किसी और प्रकार का भोजन) का ध्यान रखा? वे कौन लोग थे?
b. उन्होंने आपको खाना खिलाते समय किन बातों का ध्यान रखा? (भोजन की क्वालिटी, बैठने वाले स्थान की सफ़ाई, खाने से पहले हाथ की सफ़ाई जैसी बातों की ओर ध्यान जाए।)
c. उन्होंने उसके लिए क्या क्या किया?
d. उन्होंने वैसा क्यों किया? (यह जानने के लिए विद्यार्थियों को उन लोगों से बात करके आने का अवसर दिया जाए।)
2 a. क्या आपके आस पड़ोस में भी किसी ने आपके खाने पीने का ध्यान रखा? वे कौन लोग थे?
b. उन्होंने वैसा क्यों किया (किया होगा)?
3 a. क्या आप इस सप्ताह किसी सगे संबंधी के यहां भी गए थे? वहां आपके खाने पीने का ध्यान किसने रखा? उन्होंने वैसा क्यों किया (किया होगा)?
4. क्या किसी ने आपको कुछ खाने पीने से रोकने की कोशिश की? वो वस्तुएं कौनसी थीं? उन्होंने आपको क्यों रोका (रोका होगा)?

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम ध्यान देंगे कि किन लोगों ने किस तरह हमारी बीमारी की स्थिति में हमारी देखभाल की। साथ ही ऐसे कौनसे लोग रहे जिन्होंने चोट लगने से बचाने में या चोट लगने के बाद मदद की? उन लोगों से बात कर पता लगाएं कि उन्होंने यह सब आपके लिए क्यों किया?

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सत्र (Session): 3

उद्देश्य : स्वयं के शरीर के संरक्षण में योगदान देने वालों के कार्यों पर विद्यार्थियों का ध्यान दिलाना
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट : घर, पड़ोस तथा विद्यालय में अनेक लोग हमारे शरीर के संरक्षण के लिए जिम्मेदारी के साथ प्रस्तुत होते हैं। उनके द्वारा यह देखभाल किया जाना जब दिखता है तो उनके प्रति कृतज्ञता का भाव आता है और हमारा व्यवहार बदलता है।

अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1. यदि आप कभी बीमार हुए, तो किसने आपका ध्यान रखा? कैसे?
2. इस सप्ताह परिवार में किसने आपके घूमने, पार्क जाने या खेलने कूदने का ध्यान रखा? कैसे?
3a. इस सप्ताह घर में किस किसने आपका खयाल रखा कि आपको चोट न लगे? कैसे? (जैसे, नुकीली वस्तुओं को पहुंच से दूर रखना, फर्श पर फिसलन न बनने देना आदि।)
b. क्या आपके पड़ोस या स्कूल में भी किसी ने इस बात का ध्यान रखा कि आपको चोट न लगे? किसने ध्यान रखा और कैसे?
4. क्या इस सप्ताह आपमें से किसी को चोट लगी? ऐसे में किसने आपकी मदद की?
5. उन लोगों ने आपका ध्यान क्यों रखा?

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम ध्यान देंगे कि घर पर या स्कूल में किन लोगों का हमारे पढ़ने लिखने या किसी और तरीके से कुछ सीखने में योगदान रहा।

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सत्र (Session): 4

उद्देश्य : सीखने में योगदान देने वालों की ओर विद्यार्थियों का ध्यान दिलाना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट : सीखना समझना अपने आप में एक सुखदाई कार्य है। साथ ही यह एक व्यक्ति के सुखपूर्वक जीने में भी सहयोगी है। ऐसे में विद्यार्थी का ध्यान इस योगदान की ओर जाना संबंधों में जीने के लिए उसे तैयार करता है।

अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1. विद्यालय में आपके सीखने में कौन लोग सहयोगी हैं? कैसे?
2. घर पर कौन आपकी सीखने में मदद करता है? कैसे?
3. कोई एक ऐसी बात बताइए जो जानकर/सीखकर आपको बहुत अच्छा लगा? वह आपने किससे सीखा?
4. घर पर पढ़ाई का माहौल बना रहे, इसका ध्यान किसने रखा? कैसे?

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम ध्यान देंगे कि जिन लोगों ने हमारे भोजन, पढ़ाई आदि आवश्यकताओं की पूर्ति की, उनके प्रति हमारे मन में क्या भाव और विचार आए।

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सत्र (Session): 5

उद्देश्य : विद्यार्थियों को दूसरों के प्रति कृतज्ञता का भाव महसूस कराना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट : जब किसी के योगदान पर नज़र जाती है तो उससे पनपने वाला कृतज्ञता का भाव संबंधों में सौम्य व्यवहार के साथ जीने के लिए तैयार करता है। यह सत्र विद्यार्थियों को स्वयं के अन्दर उपज रहे भाव को देखने का अवसर देगा।

अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1. जब आपको भूख लगी और भोजन आपको समय पर मिल गया तो आपको कैसा लगा?
2a. क्या कभी ऐसा हुआ, जब आपको तेज़ भूख लगी हो और खाना मिलने में देरी हुई हो? ऐसे में आपके मन में क्या विचार आए?
b. क्या आपने देरी का कारण पता किया? वह कारण क्या था?
3. जिसने आपके लिए भोजन की व्यवस्था की, उसके प्रति आपको कैसा महसूस हुआ?
4a. इस सप्ताह आपकी किन ज़रूरतों को पूरा करने का ध्यान रखा गया?
b. वह ध्यान किन्होंने रखा?
c. उनके प्रति आपके मन में क्या विचार आए?
5. इस सप्ताह जब आपको कोई बात समझ आई तब आपको कैसा लगा? समझाने वाले के प्रति आपको क्या महसूस हुआ? किसी एक बार की बात साझा कीजिए।
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम ध्यान देंगे कि अपने परिवार, पड़ोस या विद्यालय में जिन लोगों ने भी हमारे लिए जो कुछ भी किया उनका आभार हमने कैसे जताया।

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सत्र (Session): 6

उद्देश्य : विद्यार्थियों को दूसरों के प्रति कृतज्ञता के भाव को व्यक्त करने के लिए प्रेरित करना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट : स्वयं के प्रति किसी के योगदान को देखने और महसूस करने के साथ साथ उससे पनपे कृतज्ञता की अभिव्यक्ति भी आवश्यक है। यह संबंधों में मधुरता लाते हुए साथ जीने के लिए तैयार करता है। विद्यार्थी उन पोषण, संरक्षण और सीखने में जिम्मेदारी के साथ प्रस्तुत लोगों के प्रति किन शब्दों और कार्य-व्यवहार से आभार जताते हैं, यह सत्र उन्हें आपस में यह साझा करने का अवसर देगा।

अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1a. पिछले कुछ दिनों में आपका ध्यान परिवार के किन लोगों के योगदान की ओर गया? आपने उनके प्रति कैसा महसूस किया?
b. उनके प्रति आपने आभार कैसे जताया? वैसा करके आपको कैसा लगा?
2a. इस सप्ताह आपने अपनी कक्षा/विद्यालय या पड़ोस में किसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की और क्यों?
b. आभार जताने के लिए आपने क्या किया?
3. किसी एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताइए जिनका अपने जीवन में योगदान देखने के बाद उनके प्रति आपका व्यवहार बदल गया।

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम ध्यान देंगे कि जिन लोगों का हमारे जीवन में अनेक प्रकार से योगदान रहा, उनमें से किन लोगों से हमें दोबारा मिलकर धन्यवाद देने की इच्छा है।

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सत्र (Session): 7

उद्देश्य : विद्यार्थियों को दूसरों के प्रति कृतज्ञता के भाव को व्यक्त करने के लिए प्रेरित करना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट : यह सत्र विद्यार्थियों को अपने अन्दर किसी व्यक्ति के प्रति उपजे कृतज्ञता के भाव को व्यक्त करने का एक अवसर है। एक कार्ड बनाना या पत्र लिखना उन्हें अपने अनुभवों और विचारों को पुनः जीने का अवसर देगा।

अभिव्यक्ति हेतु कार्य:
1. आप जिस व्यक्ति के लिए अपनी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहते हैं उसके लिए एक ‘थैंक यू कार्ड’ (thank you card) बनाएँ और संभव हो तो यह कार्ड उन तक पहुँचाएँ।
2. आप अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए अपने परिवार के किसी सदस्य, अपने टीचर या मित्र के लिए एक पत्र लिखें और उन तक यह पत्र पहुँचाएँ या पढ़कर सुनाएँ।

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