उद्देश्य: भाई-बहन, मित्र और सहपाठियों के साथ आपसी सहयोग और ख़ुशीपूर्वक साथ-साथ जीना देख पाना, एक-दूसरे के लिए स्नेह महसूस करना और व्यक्त करना।
शिक्षक के संदर्भ के लिए नोट:
हमारे जीवन का अधिकतर सुख-दु:ख अपने और अपनों के साथ जुड़ा हुआ है। ज़िंदगी में यह अपनों की संख्या भी बदलती रहती है। साथ ही अपना-पराया की मानसिकता भी हमारे सुख-दु:ख का एक बड़ा कारण है। संबंधों में दूरियाँ अपनेपन के एहसास का अभाव पैदा करती हैं जो बड़ा पीड़ादायक होता है। अत: एक ख़ुशहाल जीवन के लिए अपनों के प्रति अपनापन का एहसास बहुत ज़रूरी है। इसके साथ ही अपनी ख़ुशी का दायरा बढ़ाने के लिए अपनेपन का विस्तार भी ज़रूरी है ताकि सारा परायापन ख़त्म हो जाए, क्योंकि आज समाज में सबसे ज़्यादा भय इनसान के द्वारा बनाई गई अपने-पराए की दीवारों के कारण ही है।
सभी इनसान किसी न किसी रूप में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। हम जैसे ही उस जुड़ाव या संबंध को स्वीकार करते हैं तो इससे अपने अंदर अपनेपन और सुरक्षा की भावना आती है, जिसे हम ख़ुशी के रूप में महसूस करते हैं। जब हम किसी व्यक्ति के साथ कोई संबंध स्वीकार कर लेते हैं, जैसे- भाई, बहन, मित्र आदि तो अब उस व्यक्ति से मिलने पर या उसे याद करने पर हमारा बेचैन मन भी प्रसन्न हो जाता है।
जिन लोगों के प्रति हमारे अंदर स्नेह का भाव होता है उनसे कोई काम न होने पर भी सिर्फ़ ख़ुशी के लिए, ख़ुशी से और ख़ुशी में मिलने का मन करता है।
किसी व्यक्ति की मूल चाहत (ख़ुशी) के प्रति आश्वस्त (assure) होने पर उसके प्रति विश्वास का भाव विकसित होता है। विश्वास के आधार पर उसे एक व्यक्ति के रूप में अपने जैसा स्वीकार करने पर उसके प्रति सम्मान का भाव विकसित होता है। विश्वास और सम्मान के आधार पर उसके साथ किसी संबंध की स्वीकृति होने पर स्नेह का भाव विकसित होता है। अत: संबंधों में विश्वास (trust) और सम्मान (respect) होने पर ही स्नेह (affection) हो पाता है। प्रकृति में सब कुछ एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है, इसलिए ख़ुशी से जीने के लिए प्रकृति में अकेले का कोई कार्यक्रम नहीं है बल्कि मिल-जुलकर रहने का ही प्रावधान है। अत: जो हमसे आगे हैं उनसे सहयोग लेकर और जो हमसे पीछे हैं उनका सहयोग करके हम सभी निर्विरोधपूर्वक अर्थात स्नेहपूर्वक ख़ुशहाल जीवन जी सकते हैं।
जब हम किसी के प्रति स्नेह के भाव के साथ होते हैं तो हम उसके प्रति निष्ठावान (committed) बने रहते हैं अर्थात हर हाल में हम उसके साथ ठहरे रहते हैं।
स्नेह के भाव (feeling of affection) को पहचानने (to explore), महसूस करने (to experience) और व्यक्त करने (to express) के लिए निम्नलिखित सत्र (sessions) रखे गए हैं।
उद्देश्य : विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि सम्बन्ध का दिखना स्नेह का आधार बनता है।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट : जिसे हम अपना मानते हैं, हमारा व्यवहार उसके प्रति भिन्न होता है। व्यक्ति वही होता है, पर सम्बन्ध की पहचान होते ही हमारा व्यवहार उसके प्रति बदल जाता है। अपनेपन के भाव के साथ ही स्नेह की अभिव्यक्ति होती है। यह व्यक्ति के सुख के विस्तार का आधार बन जाता है।
अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1.a. अपने किसी एक दोस्त के बारे में बताइए कि उससे आपकी दोस्ती कैसे हुई?
b. दोस्ती होने से पहले आपका उसके प्रति व्यवहार कैसा था और दोस्ती होने के बाद आपके व्यवहार में क्या बदला?
2.a. आप पिछली बार कब अपने किसी रिश्तेदार के घर गए थे?
b. क्या वहां आपकी जान पहचान किसी से भाई बहन के रूप में हुई (जैसे चचेरे, फुफेरे, ममेरे या मौसेरे भाई बहन)?
c. आपको उनसे मिलकर कैसा लगा?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम ध्यान देंगे कि क्या हम किसी से नाराज़ हुए या कोई हमसे नाराज़ हुआ। नाराज़गी का क्या कारण रहा और किसने नाराज़गी दूर करने की पहल की?
उद्देश्य : विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि नाराज़गी तो अपनों से हो जाती है, पर यदि स्नेह होता है तो नाराज़गी दूर करने का प्रयास किया जाता है।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट : जब हम एक साथ रहते हैं तो कई बातों पर आपस में नाराज़गी हो जाती है। ऐसे में संबंधों में सुखपूर्वक जीने के लिए समझदारी से नाराज़गी को दूर किए जाने की आवश्यकता है।
अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1a. क्या कभी आप अपने भाई या बहन से नाराज़ हुए हैं?
b. आपकी नाराज़गी कब तक बनी रही?
2a. क्या कभी आपके और आपके दोस्त के बीच नाराज़गी हुई है?
b. नाराज़गी का क्या कारण था?
c. उस नाराज़गी को दूर करने की पहल किसने की और कैसे?
3a. क्या आपसे भी कोई नाराज़ हुआ? वे कौन लोग थे?
b. उनकी नाराज़गी का क्या कारण था?
c. क्या नाराज़गी दूर हुई? कैसे?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम इस बात पर ध्यान देंगे कि हमने अपनी ख़ुशी या परेशानी किनसे साझा की। हमने उन्हीं लोगों से अपनी बातें क्यों की?
उद्देश्य : विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि अपनी ख़ुशी या परेशानी वे किससे साझा करना पसंद करते हैं।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट : जिनसे हमारा स्नेह होता है, अपने मन की बात उन्हीं के साथ साझा करना अच्छा लगता है। इस चर्चा के माध्यम से विद्यार्थी उन लोगों को पहचानने में सक्षम हों जिनके प्रति वे स्नेह रखते हैं।
अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1. a. इस सप्ताह घर पर आपने अपनी ख़ुशी या परेशानी की बातें किस किसको बताई?
b. आपने उन्हीं को क्यों बताई?
2. a. क्या विद्यालय में भी आपने अपनी ख़ुशी या परेशानी की बातें किसी को बताई? किसे?
b. आपने उन्हीं को क्यों बताई?
3. a. क्या आपके आस पड़ोस में भी कोई ऐसा है जिसे आपने अपनी ख़ुशी या परेशानी की बातें साझा की? किसे?
b. आपने उन्हीं को क्यों बताना चाहा?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम ध्यान देंगे कि हमने भाई, बहन या दोस्तों के साथ खाने, खेलने जैसे कौन-कौनसे कार्य किए। आपने उन कार्यों को मिलकर क्यों करना चाहा?
उद्देश्य : विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि वह उन्हीं साथियों के साथ जीना चाहता है जिनसे उन्हें स्नेह का भाव महसूस होता है।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट : हम खाने पीने या खेलने कूदने के लिए जिनके साथ की चाहत रखते हैं, वहां स्नेह का भाव होता ही है। ऐसे में विद्यार्थी इस बात को भी देख पाए कि भाई-बहन या दोस्तों के साथ मिलकर जीने में ख़ुशी है।
अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1a. आपने इस सप्ताह किन भाई, बहन या दोस्तों के साथ बैठकर खाना खाया?
b. उन्हीं लोगों के साथ आप क्यों बैठे?
2a. आपने इस सप्ताह किन लोगों के साथ मिलकर कोई खेल खेला?
b. आपने खेलने के लिए उन्हीं लोगों को क्यों चुना?
3a. आपने उन लोगों के साथ मिलकर कौन-कौनसे अन्य कार्य किए?
b. वे कार्य किसके फ़ायदे के थे?
c. आप सबने साथ मिलकर वह कार्य क्यों किया?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम यह देखेंगे कि किनसे हमने अपनी कोई वस्तु या मन की बात साझा की। साथ ही हम यह भी ध्यान देंगे कि किन लोगों का अपने घर आना हमें बहुत अच्छा लगा।
उद्देश्य : विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि वस्तुओं के आदान प्रदान या बातचीत करने में अच्छा लगना स्नेह का संकेत है।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट : वस्तुओं का आपस में साझा करने की सहजता उन्हीं लोगों के साथ होती है, जिनसे अपनापन होता है। साथ ही मन की बात किसी से साझा करना भी सुखदाई होता है। पर वह सहजता भी स्नेह के वातावरण में ही होती है।
अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1. क्या पिछले कुछ दिनों में घर पर, स्कूल में या पड़ोस में किसी भाई, बहन या दोस्त ने कोई चीज़ आपसे साझा की? तब आपको कैसा लगा? (ऐसे प्रश्नों में घर, स्कूल और पड़ोस की बातें एक-एक करके ली जाएं।)
2a. किसी एक बार की बात बताइए जब आपने अपनी कोई पसंदीदा चीज़ किसी से साझा की या उसे दे दी? (जैसे - बैठने का स्थान, कोई खाने की वस्तु आदि।)
b. वैसा आपने क्यों किया?
3a. आपने इस सप्ताह किन लोगों के साथ खूब बातें की?
b. आपने उन्हीं लोगों के साथ वह वक़्त बिताना क्यों चाहा?
4a. क्या कभी आपके घर कोई ऐसा व्यक्ति आया जिससे बातचीत करने के लिए आपने अपना पसंदीदा काम छोड़ दिया? (जैसे टीवी बंद कर दिया या खेलना छोड़कर घर आ गए।) वे कौन लोग थे?
b. वैसा आपने क्यों किया?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम ध्यान देंगे कि किन लोगों का सामान लेते समय हमें झिझक नहीं हुई। हम यह भी देखेंगे कि हमारा कोई सामान किसी ने बिना पूछे ले लिया तो हमें कैसा लगा और हमने क्या किया?
उद्देश्य : विद्यार्थियों का ध्यान जाए कि जिनके साथ हम वस्तुओं के लेन देन को लेकर सहज होते हैं, उनके प्रति हमारा स्नेह होता है।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट : चाहे किसी ने किसी और की कोई वस्तु पूछ कर इस्तेमाल की या बिना पूछे, यदि उनके बीच स्नेह होता है, तो वस्तु 'किसकी है' (स्वामित्व) का प्रश्न परेशान नहीं करता। तब बात केवल उसके सदुपयोग को लेकर हो सकती है और वह बात भी सहज तरीके से रखी जाती है, आवेश या आक्रोश में नहीं।
अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1a. क्या कभी आपके भाई या बहन ने आपकी कोई चीज़ आपसे बिना पूछे लेकर इस्तेमाल कर ली?
b. यह बात जानकर आपके मन में क्या आया?
c. तब आपने क्या किया?
2a. क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ, जब किसी दोस्त ने आपका कोई सामान आपसे बिना पूछे ले लिया?
b. तब आपको कैसा लगा?
c. वैसे में आपने क्या किया?
3a. जब किसी और ने आपका कोई सामान आपसे बिना पूछे ले लिया तब आपको कैसा लगा?
b. उस स्थिति में आपने क्या किया?
4a. क्या आपने भी कभी बिना पूछे किसी का कोई सामान ले लिया था?
b. क्या आपने उस व्यक्ति को वह सामान लौटाया? यदि हाँ, तो बताकर लौटाया या बिना बताए?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम यह देखेंगे कि स्कूल आते समय या कहीं और जाते समय हमें किन लोगों का साथ अच्छा लगा। साथ ही हम यह भी ध्यान देने की कोशिश करेंगे कि हमें उनका साथ क्यों अच्छा लगा/लगता है।
उद्देश्य : विद्यार्थी इस बात को पहचान पाएँ कि यदि किसी के साथ की चाहत रहती है तो उस व्यक्ति के प्रति यह स्नेह का संकेत है।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट : स्कूल आने जाने की बात हो या कहीं और जाने का अवसर हो, यह ध्यान देने की बात है कि जिनसे हमारा स्नेह होता है, उनके साथ की चाहत होती है।
अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1a. आप इस सप्ताह किनके साथ स्कूल आए?
b. क्या कभी ऐसा हुआ कि उनमें से कोई किसी दिन नहीं आया और आपको उसकी कमी महसूस हुई? आपको वैसा क्यों लगा?
2a. क्या आपको पिछले कुछ दिनों में कहीं जाने का अवसर मिला? उस दौरान आपने अपना ज़्यादा वक़्त किसके साथ बिताया?
b. क्या आपको किसी के साथ न होने की कमी महसूस हुई? किसकी और क्यों?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम ध्यान देंगे कि किन लोगों ने हमारी और हमने किन लोगों की सहायता की, कब-कब धन्यवाद दिया गया और धन्यवाद देने या न देने का क्या प्रभाव पड़ा।
उद्देश्य : विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि यदि किसी के प्रति स्नेह है तो हम एहसान मनवाने की चाहत के साथ नहीं होते हैं।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट : जिनके प्रति हम स्नेह रखते हैं, उन्हें हम सहयोग देते हैं और साथ में उनसे सहयोग की अपेक्षा भी रहती है, पर एहसान मनवाने की बात नहीं होती है। मौखिक रूप से आभार जताना अच्छा तो होता है, पर यह आवश्यक नहीं होता। उनके बीच परस्पर सहयोग के लिए तत्परता बनी ही रहती है।
अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1. जब आप अपने भाई, बहन या किसी दोस्त की मदद करते हैं या किसी का साथ देते हैं, तो आपको कैसा लगता है?
2a. एक ऐसी घटना साझा कीजिए, जब आपने अपने भाई, बहन या दोस्त की मदद की और उसने धन्यवाद या थैंक यू (thankyou) कहा हो। थैंक यू सुनकर आपको कैसा लगा?
b. क्या आप उसकी दुबारा कभी मदद करेंगे? क्यों या क्यों नहीं?
3a. कोई ऐसी घटना बताइए जब आपने भाई, बहन या दोस्त की मदद की पर उसने थैंक यू नहीं बोला या आभार नहीं जताया?
b. क्या आपने उसकी दोबारा कभी मदद की या करना चाहेंगे? क्यों या क्यों नहीं?
4a. क्या कभी ऐसा हुआ जब किसी ने आपकी मदद की और आपने उसे थैंक यू नहीं बोला?
b. क्या उस व्यक्ति का व्यवहार आपके प्रति बदला?
शिक्षक के संदर्भ के लिए नोट:
हमारे जीवन का अधिकतर सुख-दु:ख अपने और अपनों के साथ जुड़ा हुआ है। ज़िंदगी में यह अपनों की संख्या भी बदलती रहती है। साथ ही अपना-पराया की मानसिकता भी हमारे सुख-दु:ख का एक बड़ा कारण है। संबंधों में दूरियाँ अपनेपन के एहसास का अभाव पैदा करती हैं जो बड़ा पीड़ादायक होता है। अत: एक ख़ुशहाल जीवन के लिए अपनों के प्रति अपनापन का एहसास बहुत ज़रूरी है। इसके साथ ही अपनी ख़ुशी का दायरा बढ़ाने के लिए अपनेपन का विस्तार भी ज़रूरी है ताकि सारा परायापन ख़त्म हो जाए, क्योंकि आज समाज में सबसे ज़्यादा भय इनसान के द्वारा बनाई गई अपने-पराए की दीवारों के कारण ही है।
सभी इनसान किसी न किसी रूप में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। हम जैसे ही उस जुड़ाव या संबंध को स्वीकार करते हैं तो इससे अपने अंदर अपनेपन और सुरक्षा की भावना आती है, जिसे हम ख़ुशी के रूप में महसूस करते हैं। जब हम किसी व्यक्ति के साथ कोई संबंध स्वीकार कर लेते हैं, जैसे- भाई, बहन, मित्र आदि तो अब उस व्यक्ति से मिलने पर या उसे याद करने पर हमारा बेचैन मन भी प्रसन्न हो जाता है।
जिन लोगों के प्रति हमारे अंदर स्नेह का भाव होता है उनसे कोई काम न होने पर भी सिर्फ़ ख़ुशी के लिए, ख़ुशी से और ख़ुशी में मिलने का मन करता है।
किसी व्यक्ति की मूल चाहत (ख़ुशी) के प्रति आश्वस्त (assure) होने पर उसके प्रति विश्वास का भाव विकसित होता है। विश्वास के आधार पर उसे एक व्यक्ति के रूप में अपने जैसा स्वीकार करने पर उसके प्रति सम्मान का भाव विकसित होता है। विश्वास और सम्मान के आधार पर उसके साथ किसी संबंध की स्वीकृति होने पर स्नेह का भाव विकसित होता है। अत: संबंधों में विश्वास (trust) और सम्मान (respect) होने पर ही स्नेह (affection) हो पाता है। प्रकृति में सब कुछ एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है, इसलिए ख़ुशी से जीने के लिए प्रकृति में अकेले का कोई कार्यक्रम नहीं है बल्कि मिल-जुलकर रहने का ही प्रावधान है। अत: जो हमसे आगे हैं उनसे सहयोग लेकर और जो हमसे पीछे हैं उनका सहयोग करके हम सभी निर्विरोधपूर्वक अर्थात स्नेहपूर्वक ख़ुशहाल जीवन जी सकते हैं।
जब हम किसी के प्रति स्नेह के भाव के साथ होते हैं तो हम उसके प्रति निष्ठावान (committed) बने रहते हैं अर्थात हर हाल में हम उसके साथ ठहरे रहते हैं।
स्नेह के भाव (feeling of affection) को पहचानने (to explore), महसूस करने (to experience) और व्यक्त करने (to express) के लिए निम्नलिखित सत्र (sessions) रखे गए हैं।
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सत्र (Session): 1
उद्देश्य : विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि सम्बन्ध का दिखना स्नेह का आधार बनता है।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट : जिसे हम अपना मानते हैं, हमारा व्यवहार उसके प्रति भिन्न होता है। व्यक्ति वही होता है, पर सम्बन्ध की पहचान होते ही हमारा व्यवहार उसके प्रति बदल जाता है। अपनेपन के भाव के साथ ही स्नेह की अभिव्यक्ति होती है। यह व्यक्ति के सुख के विस्तार का आधार बन जाता है।
अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1.a. अपने किसी एक दोस्त के बारे में बताइए कि उससे आपकी दोस्ती कैसे हुई?
b. दोस्ती होने से पहले आपका उसके प्रति व्यवहार कैसा था और दोस्ती होने के बाद आपके व्यवहार में क्या बदला?
2.a. आप पिछली बार कब अपने किसी रिश्तेदार के घर गए थे?
b. क्या वहां आपकी जान पहचान किसी से भाई बहन के रूप में हुई (जैसे चचेरे, फुफेरे, ममेरे या मौसेरे भाई बहन)?
c. आपको उनसे मिलकर कैसा लगा?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम ध्यान देंगे कि क्या हम किसी से नाराज़ हुए या कोई हमसे नाराज़ हुआ। नाराज़गी का क्या कारण रहा और किसने नाराज़गी दूर करने की पहल की?
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सत्र (Session): 2
उद्देश्य : विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि नाराज़गी तो अपनों से हो जाती है, पर यदि स्नेह होता है तो नाराज़गी दूर करने का प्रयास किया जाता है।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट : जब हम एक साथ रहते हैं तो कई बातों पर आपस में नाराज़गी हो जाती है। ऐसे में संबंधों में सुखपूर्वक जीने के लिए समझदारी से नाराज़गी को दूर किए जाने की आवश्यकता है।
अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1a. क्या कभी आप अपने भाई या बहन से नाराज़ हुए हैं?
b. आपकी नाराज़गी कब तक बनी रही?
2a. क्या कभी आपके और आपके दोस्त के बीच नाराज़गी हुई है?
b. नाराज़गी का क्या कारण था?
c. उस नाराज़गी को दूर करने की पहल किसने की और कैसे?
3a. क्या आपसे भी कोई नाराज़ हुआ? वे कौन लोग थे?
b. उनकी नाराज़गी का क्या कारण था?
c. क्या नाराज़गी दूर हुई? कैसे?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम इस बात पर ध्यान देंगे कि हमने अपनी ख़ुशी या परेशानी किनसे साझा की। हमने उन्हीं लोगों से अपनी बातें क्यों की?
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सत्र (Session): 3
उद्देश्य : विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि अपनी ख़ुशी या परेशानी वे किससे साझा करना पसंद करते हैं।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट : जिनसे हमारा स्नेह होता है, अपने मन की बात उन्हीं के साथ साझा करना अच्छा लगता है। इस चर्चा के माध्यम से विद्यार्थी उन लोगों को पहचानने में सक्षम हों जिनके प्रति वे स्नेह रखते हैं।
अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1. a. इस सप्ताह घर पर आपने अपनी ख़ुशी या परेशानी की बातें किस किसको बताई?
b. आपने उन्हीं को क्यों बताई?
2. a. क्या विद्यालय में भी आपने अपनी ख़ुशी या परेशानी की बातें किसी को बताई? किसे?
b. आपने उन्हीं को क्यों बताई?
3. a. क्या आपके आस पड़ोस में भी कोई ऐसा है जिसे आपने अपनी ख़ुशी या परेशानी की बातें साझा की? किसे?
b. आपने उन्हीं को क्यों बताना चाहा?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम ध्यान देंगे कि हमने भाई, बहन या दोस्तों के साथ खाने, खेलने जैसे कौन-कौनसे कार्य किए। आपने उन कार्यों को मिलकर क्यों करना चाहा?
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सत्र (Session): 4
उद्देश्य : विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि वह उन्हीं साथियों के साथ जीना चाहता है जिनसे उन्हें स्नेह का भाव महसूस होता है।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट : हम खाने पीने या खेलने कूदने के लिए जिनके साथ की चाहत रखते हैं, वहां स्नेह का भाव होता ही है। ऐसे में विद्यार्थी इस बात को भी देख पाए कि भाई-बहन या दोस्तों के साथ मिलकर जीने में ख़ुशी है।
अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1a. आपने इस सप्ताह किन भाई, बहन या दोस्तों के साथ बैठकर खाना खाया?
b. उन्हीं लोगों के साथ आप क्यों बैठे?
2a. आपने इस सप्ताह किन लोगों के साथ मिलकर कोई खेल खेला?
b. आपने खेलने के लिए उन्हीं लोगों को क्यों चुना?
3a. आपने उन लोगों के साथ मिलकर कौन-कौनसे अन्य कार्य किए?
b. वे कार्य किसके फ़ायदे के थे?
c. आप सबने साथ मिलकर वह कार्य क्यों किया?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम यह देखेंगे कि किनसे हमने अपनी कोई वस्तु या मन की बात साझा की। साथ ही हम यह भी ध्यान देंगे कि किन लोगों का अपने घर आना हमें बहुत अच्छा लगा।
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सत्र (Session): 5
उद्देश्य : विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि वस्तुओं के आदान प्रदान या बातचीत करने में अच्छा लगना स्नेह का संकेत है।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट : वस्तुओं का आपस में साझा करने की सहजता उन्हीं लोगों के साथ होती है, जिनसे अपनापन होता है। साथ ही मन की बात किसी से साझा करना भी सुखदाई होता है। पर वह सहजता भी स्नेह के वातावरण में ही होती है।
अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1. क्या पिछले कुछ दिनों में घर पर, स्कूल में या पड़ोस में किसी भाई, बहन या दोस्त ने कोई चीज़ आपसे साझा की? तब आपको कैसा लगा? (ऐसे प्रश्नों में घर, स्कूल और पड़ोस की बातें एक-एक करके ली जाएं।)
2a. किसी एक बार की बात बताइए जब आपने अपनी कोई पसंदीदा चीज़ किसी से साझा की या उसे दे दी? (जैसे - बैठने का स्थान, कोई खाने की वस्तु आदि।)
b. वैसा आपने क्यों किया?
3a. आपने इस सप्ताह किन लोगों के साथ खूब बातें की?
b. आपने उन्हीं लोगों के साथ वह वक़्त बिताना क्यों चाहा?
4a. क्या कभी आपके घर कोई ऐसा व्यक्ति आया जिससे बातचीत करने के लिए आपने अपना पसंदीदा काम छोड़ दिया? (जैसे टीवी बंद कर दिया या खेलना छोड़कर घर आ गए।) वे कौन लोग थे?
b. वैसा आपने क्यों किया?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम ध्यान देंगे कि किन लोगों का सामान लेते समय हमें झिझक नहीं हुई। हम यह भी देखेंगे कि हमारा कोई सामान किसी ने बिना पूछे ले लिया तो हमें कैसा लगा और हमने क्या किया?
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सत्र (Session): 6
उद्देश्य : विद्यार्थियों का ध्यान जाए कि जिनके साथ हम वस्तुओं के लेन देन को लेकर सहज होते हैं, उनके प्रति हमारा स्नेह होता है।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट : चाहे किसी ने किसी और की कोई वस्तु पूछ कर इस्तेमाल की या बिना पूछे, यदि उनके बीच स्नेह होता है, तो वस्तु 'किसकी है' (स्वामित्व) का प्रश्न परेशान नहीं करता। तब बात केवल उसके सदुपयोग को लेकर हो सकती है और वह बात भी सहज तरीके से रखी जाती है, आवेश या आक्रोश में नहीं।
अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1a. क्या कभी आपके भाई या बहन ने आपकी कोई चीज़ आपसे बिना पूछे लेकर इस्तेमाल कर ली?
b. यह बात जानकर आपके मन में क्या आया?
c. तब आपने क्या किया?
2a. क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ, जब किसी दोस्त ने आपका कोई सामान आपसे बिना पूछे ले लिया?
b. तब आपको कैसा लगा?
c. वैसे में आपने क्या किया?
3a. जब किसी और ने आपका कोई सामान आपसे बिना पूछे ले लिया तब आपको कैसा लगा?
b. उस स्थिति में आपने क्या किया?
4a. क्या आपने भी कभी बिना पूछे किसी का कोई सामान ले लिया था?
b. क्या आपने उस व्यक्ति को वह सामान लौटाया? यदि हाँ, तो बताकर लौटाया या बिना बताए?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम यह देखेंगे कि स्कूल आते समय या कहीं और जाते समय हमें किन लोगों का साथ अच्छा लगा। साथ ही हम यह भी ध्यान देने की कोशिश करेंगे कि हमें उनका साथ क्यों अच्छा लगा/लगता है।
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सत्र (Session): 7
उद्देश्य : विद्यार्थी इस बात को पहचान पाएँ कि यदि किसी के साथ की चाहत रहती है तो उस व्यक्ति के प्रति यह स्नेह का संकेत है।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट : स्कूल आने जाने की बात हो या कहीं और जाने का अवसर हो, यह ध्यान देने की बात है कि जिनसे हमारा स्नेह होता है, उनके साथ की चाहत होती है।
अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1a. आप इस सप्ताह किनके साथ स्कूल आए?
b. क्या कभी ऐसा हुआ कि उनमें से कोई किसी दिन नहीं आया और आपको उसकी कमी महसूस हुई? आपको वैसा क्यों लगा?
2a. क्या आपको पिछले कुछ दिनों में कहीं जाने का अवसर मिला? उस दौरान आपने अपना ज़्यादा वक़्त किसके साथ बिताया?
b. क्या आपको किसी के साथ न होने की कमी महसूस हुई? किसकी और क्यों?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम ध्यान देंगे कि किन लोगों ने हमारी और हमने किन लोगों की सहायता की, कब-कब धन्यवाद दिया गया और धन्यवाद देने या न देने का क्या प्रभाव पड़ा।
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सत्र (Session): 8
उद्देश्य : विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि यदि किसी के प्रति स्नेह है तो हम एहसान मनवाने की चाहत के साथ नहीं होते हैं।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट : जिनके प्रति हम स्नेह रखते हैं, उन्हें हम सहयोग देते हैं और साथ में उनसे सहयोग की अपेक्षा भी रहती है, पर एहसान मनवाने की बात नहीं होती है। मौखिक रूप से आभार जताना अच्छा तो होता है, पर यह आवश्यक नहीं होता। उनके बीच परस्पर सहयोग के लिए तत्परता बनी ही रहती है।
अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1. जब आप अपने भाई, बहन या किसी दोस्त की मदद करते हैं या किसी का साथ देते हैं, तो आपको कैसा लगता है?
2a. एक ऐसी घटना साझा कीजिए, जब आपने अपने भाई, बहन या दोस्त की मदद की और उसने धन्यवाद या थैंक यू (thankyou) कहा हो। थैंक यू सुनकर आपको कैसा लगा?
b. क्या आप उसकी दुबारा कभी मदद करेंगे? क्यों या क्यों नहीं?
3a. कोई ऐसी घटना बताइए जब आपने भाई, बहन या दोस्त की मदद की पर उसने थैंक यू नहीं बोला या आभार नहीं जताया?
b. क्या आपने उसकी दोबारा कभी मदद की या करना चाहेंगे? क्यों या क्यों नहीं?
4a. क्या कभी ऐसा हुआ जब किसी ने आपकी मदद की और आपने उसे थैंक यू नहीं बोला?
b. क्या उस व्यक्ति का व्यवहार आपके प्रति बदला?
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1. कृतज्ञता (Gratitude)
2. स्नेह (Affection)
3. ममता (Care)
4. सम्मान (Respect)
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