3. ममता (Care)

उद्देश्य: अपने पालन-पोषण में माता-पिता व परिवार के अन्य बड़े-बुजुर्गों की भागीदारी देख पाना और एक-दूसरे की देखभाल के लिए स्वयं भी भागीदारी करना।

शिक्षक के संदर्भ के लिए नोट:
जब हम अपने संबंधों में किसी व्यक्ति के शरीर के पोषण और संरक्षण की ज़िम्मेदारी को स्वीकार करते हैं तो हमारा मन एक स्थिरता महसूस करता है और इस ज़िम्मेदारी को निभाने पर हमें संतुष्टि होती है। इसे ही हम ममता का भाव (feeling of care) कहते हैं।
बच्चे के शरीर के पोषण और संरक्षण के लिए उसे पौष्टिक व स्वादिष्ट भोजन खिलाना, उसे शरीर की सफ़ाई करना सिखाना, उसे व्यायाम, दौड़ इत्यादि का अभ्यास कराना, मेहनत व श्रम के प्रति उसकी मानसिकता बनाना, उसे अलग-अलग कौशल (skills) का exposure देना - इन सभी प्रक्रियाओं से बच्चा स्वस्थ होता है और स्वस्थ बना रहता है। स्वस्थ होने से पोषण देने वाले व्यक्ति को ममता का एहसास होता है। यही स्वस्थ बच्चा बड़ा होने पर स्वावलंबी होता है और अपने माता-पिता के शरीर के पोषण और संरक्षण की ज़िम्मेदारी सहजता से स्वीकारता है। उनकी सेवा करता है, घर की ज़िम्मेदारियाँ स्वीकारता है और अपनी संतान के पोषण-संरक्षण के लिए भी सक्षम होता है। ऐसा होने पर उसके माता-पिता में सही रूप में ममता के भाव की तृप्ति होती है और हमेशा के लिए बनी रहती है।
प्रकृति के नियमानुसार जो व्यक्ति जिसके लिए ममता भाव के साथ होता है उसके लिए वह माता (mother) के स्वरूप में होता है फिर चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, आयु में छोटा हो या बड़ा। अत: संबंध और उसके संबोधन का प्राकृतिक आधार भाव ही होता है जबकि अभी व्यवहार में हम माता सिर्फ़ उसे ही मानते हैं जिसने हमें जन्म दिया है और/या जो हमारा पालन-पोषण करती है, क्योंकि बच्चे को जन्म देने के साथ ही उसके पोषण और देखभाल की ज़िम्मेदारी प्रधानत: वही निभाती है।
बच्चे, वृद्ध, रोगी और वे व्यक्ति जो किसी अन्य भूमिका में व्यस्त रहते हैं, ऐसे व्यक्तियों को अपने शरीर के पोषण व संरक्षण के लिए मदद की आवश्यकता होती है। किसी न किसी परिस्थिति या आयु में यह आवश्यकता सभी को रहती है। अत: इस ज़िम्मेदारी को स्वीकार करके निभाने वाला व्यक्ति ही ममता का भाव महसूस करता है।
ममता के भाव (feeling of care) को पहचानने (to explore), महसूस करने (to experience) और व्यक्त करने (to express) के लिए निम्नलिखित सत्र (sessions) रखे गए हैं।

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सत्र (Session): 1

उद्देश्य : विद्यार्थियों को ममता के भाव से किए जा रहे कार्यों को देखने और महसूस करने के लिए प्रेरित करना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट : किसी के पोषण और संरक्षण के दायित्व के साथ प्रस्तुत होना ही ममता है। घर, पड़ोस या विद्यालय में अनेक लोग इस जिम्मेदारी को अपनेपन के साथ निभा रहे होते हैं। इस सत्र में विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाना और उनमें संबंधों में जीने की योग्यता विकसित करेगा।

अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1 a. पिछले कुछ दिनों में क्या आपके घर में कोई बीमार पड़ा? उसके खाने पीने और दवाइयों का ध्यान किसने रखा?
b. क्या उनका ध्यान रखने के लिए कुछ और भी किया गया? वे सारे काम किसने किए?
c. उन्होंने वह सब क्यों किया होगा? (यह जानने के लिए विद्यार्थियों को अपने परिवार के उन सदस्यों से बात करके आने के लिए कहा जाए। अगली अभिव्यक्ति कक्षा में उनके विचार सुने जा सकते हैं।)
2 a. घर पर कौन कौन आपकी ज़रूरतों का ध्यान रखता है?
b. इस सप्ताह आपकी किन ज़रूरतों का ध्यान आपके बिना बोले ही रखा गया? वे ध्यान रखने वाले लोग कौन थे?
c. क्या कभी आपकी कोई ज़रूरत देर से पूरी की गई? उसका क्या कारण था? उसके लिए क्या प्रयास किया गया?
3. क्या आपके अपने पड़ोस या स्कूल में कोई ऐसा व्यक्ति है, जो आपके मम्मी-पापा की तरह ही आपका ध्यान रखता है? पिछली कोई ऐसी घटना साझा कीजिए जब आपको ऐसा महसूस हुआ?

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य: इस सप्ताह हम यह देखेंगे कि हमने अपने घर या स्कूल में किनके खाने पीने, पहनने ओढ़ने या फिर किसी और आवश्यकता का ध्यान रखा।

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सत्र (Session): 2

उद्देश्य : विद्यार्थी ममता के भाव के साथ अभिव्यक्त हों।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट : विद्यार्थी स्वयं भी ऐसे अनेक कार्य करता है जिसमें वह किसी के प्रति ममता मूल्य के साथ होता है। वह अपने उन कार्यों को देख सके और अपने से छोटों के प्रति वह उस भाव से सदा प्रस्तुत होने के लिए प्रेरित हो।

अभिव्यक्ति हेतु प्रश्न:
1. पिछले कुछ दिनों में क्या आपने किसी के खाने पीने, पहनने ओढ़ने आदि का ध्यान रखा? किनका ध्यान रखा और कैसे?
2. क्या कभी आपने किसी को चोट लगने या उसके बीमार होने पर उसका ध्यान रखा? किनका ध्यान रखा? कैसे?
3. क्या आपने कभी किसी के उठने बैठने, चलने फिरने, घूमने या खेलने आदि का ध्यान रखा? किनका और कैसे?
4. आपने वह सब क्यों किया?
5. इनमें से कौनसे कार्य आप नियमित रूप से करते हैं?

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  • 1. कृतज्ञता (Gratitude) 
  • 2. स्नेह (Affection) 
  • 3. ममता (Care) 
  • 4. सम्मान (Respect)
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