1. विश्वास (Trust)

उद्देश्य: ख़ुद में और परिवार, दोस्त, विद्यालय व समाज में एक-दूसरे के लिए विश्वास देख पाना, महसूस करना और व्यक्त करना।
शिक्षक के संदर्भ के लिए नोट: विश्वास को दो तरह से देखा जाता है।

A. आत्मविश्वास (Self-confidence): 
जब भी हम किसी काम को ठीक से कर पाते हैं या किसी बात को ठीक से समझते हैं तो उस समय हमारे मन में कोई डर या घबराहट नहीं रहती है। इस ठीक से करने व समझने की आश्वस्ति (assurance) से हममें एक स्थिरता (stability) रहती है, जिसे हम ख़ुशी (happiness) के रूप में महसूस करते हैं।
किसी चीज़ की स्पष्टता (clarity) होने पर ही हम उसके बारे में आश्वस्त (assured) होते हैं। हमारा मन किसी निश्चितता (certainty) को पहचानने पर ही निश्चिंत (relaxed) होता है। अस्पष्टता (obscurity) और अनिश्चितता (uncertainty) की स्थिति में हमारा मन विचलित या अस्थिर (unstable) रहता है, जिसे हम परेशानी या समस्या के रूप में महसूस करते हैं।
प्रत्येक व्यक्ति में सोचने-समझने की असीम क्षमता (unlimited potential) होती है। जब एक व्यक्ति अपनी मूल क्षमताओं को पहचानकर ‘सिखाने’ और ‘समझाने’ के रूप में अपनी योग्यताओं (competences) को विकसित कर लेता है तो उसमें ख़ुशहालीपूर्वक जीने का भरोसा पैदा हो जाता है। इसे ही हम आत्मविश्वास के भाव (feeling of self-confidence) के रूप में महसूस करते हैं।

B. परस्परता में विश्वास (Trust for each other): 
हमेशा ख़ुश रहने और दूसरों के ख़ुश रहने में मददगार होने की चाहत प्राकृतिक रूप से धरती के सभी इनसानों की मूल चाहत (basic intention) है। ऐसा चाहने के बावज़ूद भी हम हमेशा ख़ुश नहीं रह पाते हैं और न ही दूसरों के ख़ुश रहने में हमेशा मददगार हो पाते हैं। यही स्थिति दूसरों की भी होती है।
यदि हम प्रकृति की व्यवस्था को देखें तो पाते हैं कि हवा, पानी, मिट्टी, पत्थर, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि सभी एक-दूसरे के लिए पूरक (पूरा करने वाले/complementary) हैं। इसके विपरीत यदि इनसान को देखें तो अभी सभी इनसान एक-दूसरे के पूरक नहीं हो पाए हैं, इसीलिए सभी समस्याएँ हैं। प्रकृति के नियमानुसार सभी की ख़ुशी के लिए सभी को एक-दूसरे का पूरक होना आवश्यक है।
हम सभी शांत मन से अपने में देखें तो पाते हैं कि हम सब हमेशा ख़ुश रहना चाहते हैं और दूसरे के ख़ुश रहने में हमेशा सहयोगी रहना चाहते हैं। ऐसा चाहने के बावज़ूद भी हम हमेशा ख़ुश कैसे रहें और दूसरे को ख़ुश कैसे करें - यह समझ में नहीं आता है। यह समझ में न आना ही हमारी पीड़ा (दु:ख) का कारण बनता है। यही पीड़ा कभी गुस्से में भी बदल जाती है। जैसे- जब बच्चा किसी कारणवश चिड़चिड़ा होता है और हमें समझ में नहीं आता है कि उसे ख़ुश कैसे करें या शांत कैसे करें तब अकसर हमें बच्चे पर गुस्सा आ जाता है। यह गुस्सा उसकी गलती से ज़्यादा हमें अपनी अयोग्यता के कारण आता है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि योग्यता (competence/समझ) में कमी होने के कारण, न तो हम हमेशा ख़ुश रह पाते हैं और न ही दूसरे के ख़ुश रहने में हमेशा सहयोगी हो पाते हैं। यहाँ योग्यता या सही समझ होने का तात्पर्य है कि हमारा ध्यान दूसरे की मूल चाहना (हमेशा ख़ुश रहना) पर बना रहता है। दूसरा कहाँ खड़ा है, उसकी समझ, उसकी परिस्थितियाँ क्या हैं? इस पर ध्यान बना रहता है। ध्यान बने रहने से दूसरे की योग्यता का सही मूल्यांकन हो पाता है। इससे दूसरे से गलती होने पर यह साफ़-साफ़ दिखता है कि वह गलती समझ के अभाव में हुई है न कि जान-बूझकर। साथ ही दूसरे में सही करने की योग्यता कैसे विकसित हो सकती है, यह भी दिखता है। यही हममें सही समझ या योग्यता होने का फलन है।
यदि हम किसी व्यक्ति की मूल चाहत को ध्यान में रखते हैं तो उससे गलती होने पर हम उसकी योग्यता में कमी देखकर उस योग्यता को बढ़ाने के लिए सहयोगी हो जाते हैं। इसके विपरीत जब भी हम उसकी योग्यता का सही मूल्यांकन न कर, उसकी मूल चाहत (basic intention) पर शंका (doubt) करते हैं तो हम सहयोग करने की बजाय गुस्सा या विरोध करते हैं। जैसे- कोई बहुत छोटा बच्चा बिस्तर गीला कर देता है तो हम उसके intention पर doubt नहीं करते हैं और हम उसकी योग्यता में कमी को देखकर उसका सहयोग करते हैं, लेकिन जब वह बच्चा बड़ा होने के बाद भी यदि बिस्तर गीला करता है तो हम उसके intention पर doubt करते हैं और सहयोगी होने के बजाय गुस्सा करते हैं, जबकि उसने यह गलती अब भी योग्यता में कमी के कारण ही की है। निश्चित रूप से वह ऐसा जान-बूझकर नहीं करता है।
इस प्रकार हम जब भी किसी के intention पर doubt करते हैं तो गुस्सा या विरोध ही करते हैं और स्वयं परेशान होकर दूसरे को भी परेशान करते हैं। इसके विपरीत जब भी हम किसी के intention पर doubt नहीं करते हैं तो उसकी गलती को योग्यता (सही समझ) में कमी के रूप में देखते हैं और हम उसके लिए सहयोगी/पूरक हो जाते हैं। अपने संबंधों में एक-दूसरे की मूल चाहत को लेकर जब हम शंकामुक्त होते हैं तो एक-दूसरे के प्रति विश्वास के साथ संबंधों को ख़ुशी से निभाते हैं।
विश्वास का भाव हमारे सभी संबंधों का आधार है। अत: संबंधों में इस भाव (मूल्य) को 'आधार मूल्य' भी कहा जाता है। विश्वास के बाद ही हम दूसरे भावों को महसूस कर पाते हैं।
जब हम दूसरों के प्रति विश्वास के भाव के साथ होते हैं तो उनके साथ हमारा व्यवहार सौजन्यपूर्ण (सज्जनतापूर्वक/सहयोगात्मक/collaborative) रहता है अर्थात हम हमेशा सहयोग की भावना के साथ होते हैं।
विश्वास को हम कॉन्फ़िडेंस, भरोसा, यकीन, एतबार आदि नामों से भी जानते हैं।
विश्वास के भाव (feeling of trust) को पहचानने (to explore), महसूस करने (to experience) और व्यक्त करने (to express) के लिए निम्नलिखित सत्र (sessions) रखे गए हैं।

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सत्र (session): 1.1 

उद्देश्य (Objective): आत्मविश्वास (self-confidence) का भाव महसूस करना।
समय (Time): कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): 
जब भी हम किसी काम को ठीक से कर पाते हैं या किसी बात को ठीक से समझते हैं तो उस समय हमारे मन में कोई डर या घबराहट नहीं रहती है। इस ठीक से करने व समझने की आश्वस्ति (assurance) से हम अपने अंदर एक स्थिरता (stability) महसूस करते हैं। इस स्थिरता का एहसास ही ख़ुशी है।
इस सत्र में विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर दिलाना है कि वे कब-कब विश्वास के साथ होते हैं और जब विश्वास के साथ होते हैं तब कैसा महसूस होता है।

Check In:
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students): निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. आप किन-किन कामों को करते समय डर या घबराहट महसूस नहीं करते हैं? जैसे-साइकिल चलाना, खाना बनाना, कोई खेल खेलना आदि।
2. एक उदाहरण देकर बताइए कि किसी काम को सीखने से पहले और उस काम को ठीक से सीखने के बाद आपने अपने अंदर क्या बदलाव महसूस किया? जैसे- साइकिल चलाना सीखने पर या कोई अन्य काम सीखने पर।
3. जब कभी आप कक्षा में किसी विषय की बात को ठीक से समझ नहीं पाते हैं तो उस समय कैसा महसूस होता है? किसी घटना को लेकर अपने अनुभव साझा (share) करें।
4. आप किसी विषय की कौन-कौनसी बातों को अपने दोस्तों को समझाने के लिए तैयार है? कुछ उदाहरण दीजिए। जैसे- किसी विषय का कोई पाठ या टॉपिक। अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि आप कब-कब ख़ुद में भरोसा महसूस करते हैं।

Check out:
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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सत्र (session): 1.2 

उद्देश्य (Objective): आत्मविश्वास (self-confidence) का भाव व्यक्त करना।
समय (Time): कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): किसी चीज़ की स्पष्टता (clarity) होने पर ही हम उसके बारे में आश्वस्त (assured) होते हैं। हम किसी निश्चितता (certainty) को पहचानने पर ही निश्चिंत (relaxed) होते हैं। अस्पष्टता (obscurity) और अनिश्चितता (uncertainty) की स्थिति में हमारा मन विचलित या अस्थिर (unstable) रहता है जिसे हम परेशानी या समस्या के रूप में महसूस करते हैं।
इस सत्र में विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर दिलाना है कि जब वे ख़ुद पर भरोसे के साथ होते हैं तो किस तरह व्यक्त होते हैं। अपने अंदर की स्थिति का हमारे व्यवहार पर क्या प्रभाव पड़ता है।

Check In: 
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students): 
निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. आपने विद्यालय की किस गतिविधि को करते समय कोई डर या घबराहट महसूस नहीं की? जैसे- गायन, नृत्य, नाटक, भाषण, लेखन, खेल आदि।
2. कोई ऐसा काम बताओ जिसे करने में पहले बहुत डर लगता था, लेकिन अब बिलकुल भी डर नहीं लगता है?
3. एक उदाहरण देकर बताइए कि किसी बात को समझने से पहले और उस बात को ठीक से समझने के बाद आपने अपने अंदर क्या बदलाव महसूस किया? जैसे- किसी विषय का कोई पाठ या टॉपिक।
4. किसी बात को ठीक से न समझा पाने की स्थिति में और किसी बात को ठीक से समझा पाने की स्थिति में क्या आपने कभी अंतर महसूस किया है? अपने अनुभव साझा (share) करें।
 5. जब आप ख़ुद पर भरोसे के साथ होते हैं तब दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं?
6. जब आप डर के साथ होते हैं तब दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं?

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): 
अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि आप किन-किन कामों को करते समय डर महसूस करते हैं।

Check out: 
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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  सत्र (session): 1.3 

उद्देश्य (Objective): आत्मविश्वास के भाव का अर्थ स्पष्ट कराना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): 
प्रत्येक व्यक्ति में हमेशा ख़ुश रहने की मूल चाहत (fundamental desire) होती है। इसके साथ ही प्रत्येक व्यक्ति में सोचने-समझने की असीम क्षमता (unlimited potential) भी होती है। जब एक व्यक्ति अपनी मूल क्षमताओं को पहचानकर ‘सिखाने’ और ‘समझाने’ के रूप में अपनी योग्यताओं (competences) को विकसित कर लेता है तो उसमें ख़ुशहालीपूर्वक जीने का भरोसा पैदा हो जाता है।
इस सत्र में विद्यार्थियों का ध्यान उनकी योग्यताओं की ओर दिलाना है ताकि वे योग्यता के साथ होने को आत्मविश्वास के रूप में पहचान सकें।

Check In: 
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students):
निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. आप कौन-कौनसे काम पूरे भरोसे के साथ करते हैं? जैसे- कोई खेल, कुछ बनाना या ठीक करना आदि।
2. आप किन-किन कामों को करते समय डर या घबराहट महसूस करते हैं?

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): 
अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि जब आप दूसरों के प्रति विश्वास के भाव के साथ होते हैं तो आपको कैसा महसूस होता है।

Check out:
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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सत्र (session): 1.4 

उद्देश्य (Objective): संबंधों में विश्वास का भाव महसूस करना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): जब हम अपने संबंधों में किसी व्यक्ति के इरादों पर कभी शंका नहीं करते हैं तो उन पर भरोसा बना रहता है। यदि उनसे कोई गलती भी हो जाती है तो हमें बुरा नहीं लगता है, लेकिन जब आपस में भरोसा नहीं रहता है तो हम यह मानते हैं कि दूसरे ने जानबूझ कर गलती की है। ऐसा मानने पर हम परेशान हो जाते हैं।
इस सत्र में विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि संबंधों में विश्वास होने पर ही हमें अच्छा महसूस होता और शक या शंका होने पर हमें ख़राब महसूस होता है। इससे इस ओर ध्यान जाता है कि हमारी ख़ुशी के लिए संबंधों में विश्वास अति आवश्यक है।

Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students): 
निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. क्या कभी आपके दोस्त की वजह से आपका कोई नुकसान हुआ है? उस समय आपने क्या किया था और क्यों?
2. किसी अन्य व्यक्ति की गलती से आपका नुकसान होने पर कैसा महसूस हुआ था? साझा करें।
3. उपर्युक्त दोनों ही स्थितियों में एक जैसा महसूस हुआ था या अलग-अलग प्रकार से? वे विद्यार्थी बताएँ जिनको दोनों तरह का अनुभव रहा है।
4. किस स्थिति में आपको गुस्सा आ रहा था या बहुत ख़राब लग रहा था? और क्यों?

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day):
अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि जब आप दूसरों पर भरोसा नहीं करते हैं तो आपको कैसे महसूस होता है।

Check out:
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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सत्र (session): 1.5 

उद्देश्य (Objective): संबंधों में विश्वास के भाव को व्यक्त करना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): 
हम जब भी किसी के intention पर doubt करते हैं तो गुस्सा या विरोध ही करते हैं और स्वयं परेशान होकर दूसरे को भी परेशान करते हैं। इसके विपरीत जब भी हम किसी के intention पर doubt नहीं करते हैं तो उसकी गलती को योग्यता (सही समझ) में कमी के रूप में देखते हैं और हम उसके लिए सहयोगी हो जाते हैं।
इस सत्र का उद्देश्य है कि विद्यार्थी एक-दूसरे की गलतियों को योग्यता में कमी के रूप में देखकर एक-दूसरे की योग्यता बढ़ाने में सहयोगी बनें। संबंधों में सहयोगी बने रहना ही विश्वास की अभिव्यक्ति है।

विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students):
निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. जिस व्यक्ति पर आप भरोसा करते हैं उसके साथ आपका व्यवहार कैसा रहता है?
 2. जिस व्यक्ति पर आप भरोसा नहीं करते हैं उसके साथ आपका व्यवहार कैसा रहता है?
 3. आप किस-किस व्यक्ति के प्रति विश्वास का भाव महसूस करते हैं? साझा करें।
4. किसी व्यक्ति की गलतियों के प्रति सजग (aware) रहने के लिए आप क्या करते हैं?

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): 
अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि जब भी आप दूसरों के intention पर doubt करते हैं तो कैसा महसूस करते हैं।

Check out: 
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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सत्र (session): 1.6 

उद्देश्य (Objective): संबंधों में विश्वास के भाव का अर्थ स्पष्ट होना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): विश्वास का भाव हमारे सभी संबंधों का आधार है। संबंधों में इस भाव (मूल्य) को 'आधार मूल्य' भी कहा जाता है। जब हम दूसरों के प्रति विश्वास के साथ होते हैं तो उनके साथ हमारा व्यवहार सौजन्यपूर्ण (सहयोगात्मक/collaborative) रहता है अर्थात हम हमेशा सहयोग की भावना के साथ होते हैं।
इस सत्र का उद्देश्य है कि विद्यार्थी विश्वास को अपने संबंधों में एक-दूसरे के प्रति शंका रहित स्थिति के रूप में देख पाएँ और गलतियाँ होने पर भी सहयोगी बने रहें।

Check In: 
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students):
निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।

1. जिन पर आपको भरोसा होता है उनसे गलती होने पर आप क्या करते हैं?
2. जिन पर आपको भरोसा नहीं होता है उनसे गलती होने पर आप क्या करते हैं?
3. जब आप किसी व्यक्ति पर भरोसा नहीं करते हैं उस समय आपको कैसा महसूस होता है? किसी घटना को लेकर बताओ।
4. जब आप पर कोई भरोसा नहीं करता है तो आपको कैसा महसूस होता है? स्वेच्छा से कक्षा में साझा करें। 

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): 
अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि दूसरे व्यक्ति के प्रति विश्वास का भाव होने पर उससे गलती होने पर उसके साथ आपका व्यवहार कैसा रहता है।

Check out: 
के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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