2. सम्मान (Respect)

उद्देश्य: ख़ुद में और परिवार, दोस्त, विद्यालय व समाज में एक-दूसरे के लिए सम्मान देख पाना, महसूस करना और व्यक्त करना।

शिक्षक के संदर्भ के लिए नोट: सम्मान को दो तरह से देखा जाता है।

A. आत्मसम्मान (Self-respect): 
यदि हम एक व्यक्ति की अनिवार्य आवश्यकताओं को देखें तो रोटी, कपड़ा और मकान के बाद सम्मान और पहचान उसकी बहुत बड़ी आवश्यकताएँ हैं। अपमान के साथ शायद ही कोई व्यक्ति रोटी स्वीकार करता है। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि एक व्यक्ति के लिए उसका सम्मान और पहचान रोटी, कपड़ा और मकान से भी बड़ा मुद्दा होता है।
अभी सम्मान पाने के प्रयासों के बारे में देखा जाए तो हम पाते हैं कि अधिकतर लोग पद, पैसा, रंग-रूप, भाषा और ताकत के आधार पर सम्मान पाना चाहते हैं। इस बात को हम अपने में अच्छे से जाँचकर देख सकते हैं कि यदि कोई व्यक्ति समाज के लिए किसी भी प्रकार से उपयोगी नज़र नहीं आता है या उसका व्यवहार दूसरे लोगों के प्रति ठीक नहीं है तो चाहे उसके पास कितने ही पैसे हों, कोई भी पद हो, कैसा भी रंग-रूप हो, कितनी ही अच्छी कोई भाषा बोलता हो और कितनी भी ताकत हो, हम मन से उसे सम्मानित व्यक्ति नहीं मानते हैं फिर चाहे दिखावे के रूप में हम उसे कितनी भी बड़ी माला पहनाते रहें।

सही मायने में आत्मसम्मान क्या है? 
सभी व्यक्ति अपनी उपयोगिता व अपने महत्त्व को जानकर स्वयं में सम्मानित महसूस करते हैं। यहाँ उपयोगिता से मतलब है- स्वयं ख़ुश रहकर दूसरों के ख़ुश रहने में सहयोगी होना। ऐसी योग्यता सही समझ और अभ्यास से विकसित होती है। यदि आत्मसम्मान शब्द का अर्थ देखें तो आत्म+सम्+मान अर्थात स्वयं का सही मूल्यांकन (right evaluation of self) करना ही आत्मसम्मान है। जब हम अपनी सोचने-समझने की असीम क्षमताओं को ‘सिखाने’ और ‘समझाने’ की योग्यताओं में विकसित करते हैं तो हम स्वयं ख़ुश रहकर दूसरों के ख़ुश रहने में सहयोगी होने के रूप में उपयोगी हो जाते हैं। अपनी इस उपयोगिता को जानकर ही हम आत्मसम्मान का भाव (feeling of self-respect) महसूस करते हैं।
जैसे-जैसे हम अपनी उपयोगिता बढ़ाते जाते हैं वैसे-वैसे हम स्वयं में सम्मानपूर्वक जीने लगते हैं। इससे हम अपने सम्मान के लिए दूसरों पर निर्भरता से मुक्त होते जाते हैं।
हम व्यवहार में देखते हैं कि जो लोग स्वयं में सम्मानित महसूस नहीं करते हैं वे कोई दिखावा करके दूसरों से सम्मान पाने का असफल प्रयास करते हैं। अब इस बात पर विचार किया जा सकता है कि स्वयं के प्रति सम्मान का भाव अपनी उपयोगिता से महसूस होगा या यह भाव किसी दूसरे व्यक्ति से मिलेगा जो ख़ुद ही इसकी तलाश में है।

B. परस्परता में सम्मान (Respect for each other): 
यदि हम धरती के सभी लोगों की मूल चाहत को देखें तो पाते हैं कि सभी लोग हमेशा ख़ुश रहना चाहते हैं, सभी clarity के साथ जीना चाहते हैं। इसके साथ ही यदि हम सभी लोगों की मूल क्षमता के बारे में देखें तो पाते हैं कि सभी लोगों में सोचने-समझने की असीम ताकत (unlimited potential) होती है।
इस प्रकार प्राकृतिक आधार पर देखें तो धरती के सभी इनसान समान हैं और सभी में समानता की चाहत भी है। अत: जब हम किसी व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के अपने समान ही एक व्यक्ति के रूप में स्वीकार करते हैं तो उसके प्रति हम सम्मान का भाव महसूस करते हैं। इसे हम ख़ुशी (happiness) के रूप में महसूस करते हैं।
किसी व्यक्ति के श्रेष्ठ व्यक्तित्व और प्रतिभा को स्वीकार करने पर भी हम ऐसा ही महसूस करते हैं।
यदि सम्मान शब्द का अर्थ देखें तो सम्+मान अर्थात सही मूल्यांकन (right evaluation) करना ही सम्मान है। अत: किसी इनसान को बिना किसी भेदभाव के, अपने जैसे ही एक इनसान के रूप में स्वीकार (accept) करना ही उसका सही मूल्यांकन या सम्मान है। सम्मान एक व्यक्ति की पहचान का आधार होता है।
जब हम किसी के प्रति सम्मान के भाव के साथ होते हैं तो उसके प्रति हमारा व्यवहार सौहार्दपूर्ण (मित्रवत/दोस्ताना/cordial) रहता है।
जब हम किसी व्यक्ति को अपने समान ही (सोचने-समझने की मूल क्षमता और ख़ुशी की चाहत के आधार पर) एक व्यक्ति के रूप में स्वीकार करते हैं तो वह व्यक्ति भी सम्मानित महसूस करता है। किसी भी व्यक्ति को भेदभाव स्वीकार नहीं होता है। जब भी किसी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, लिंग, पद, भाषा, पैसे आदि के आधार पर कोई भेदभाव किया जाता है तो वह बहुत अपमानित महसूस करता है। साथ ही भेदभाव करने वाला व्यक्ति भी कभी अच्छा महसूस नहीं करता है, क्योंकि व्यक्ति-व्यक्ति में समानता प्रकृति के नियम के आधार पर है और प्राकृतिक नियम के विपरीत चलकर कोई भी ख़ुश नहीं रह सकता है। अत: दूसरों के प्रति सम्मान का भाव रखना किसी पर एहसान करना नहीं है बल्कि स्वयं के ख़ुश रहने के लिए एक प्राकृतिक बाध्यता है।
अत: दूसरे इनसान में समानता देखे बिना हम अपने में उसके प्रति सम्मान का भाव महसूस नहीं कर सकते हैं। जब कोई भाव महसूस न हो रहा हो और फिर भी हम उसे व्यक्त करने के तौर-तरीक़े (actions) अपनाते हैं तो उसे ‘दिखावा’ कहते हैं। जैसे- न चाहते हुए भी किसी को माला पहनाना, पैर छूना आदि।
सम्मान का भाव महसूस सभी को एक जैसा ही होता है, लेकिन उसे व्यवहार में व्यक्त करने के तौर-तरीक़े समय, स्थान और संस्कृति के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। जैसे- सम्मान के भाव को कोई पैर छूकर, कोई झुककर या किसी अन्य तरीक़े से व्यक्त कर सकता है।
सम्मान के भाव (feeling of respect) को पहचानने (to explore), महसूस करने (to experience) और व्यक्त करने (to express) के लिए निम्नलिखित सत्र (sessions) रखे गए हैं।

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सत्र (session): 2.1 

उद्देश्य (Objective): आत्मसम्मान (self-respect) का भाव महसूस करना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): 
इस बात को हम समझ सकते हैं कि यदि कोई व्यक्ति समाज के लिए किसी भी प्रकार से उपयोगी है या उसका व्यवहार दूसरे लोगों के प्रति ठीक नहीं है तो चाहे उसके पास कितने ही पैसे हों, कोई भी पद हो, कैसा भी रंग-रूप हो और कितनी भी ताकत हो, हम मन से उसे सम्मानित व्यक्ति नहीं मानते हैं।
इस सत्र का उद्देश्य है कि विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि वे किन-किन कामों की वजह से अपनी पहचान बना रहे हैं और इससे कैसा महसूस करते हैं।

Check In:
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students): 
1. आप अपनी पहचान बनाने के लिए क्या-क्या कोशिश करते हैं? 2. आप अपनी पहचान के लिए कौन-कौनसे ऐसे काम करते हैं जो आप सिर्फ़ दूसरों से अलग दिखने के लिए करते हैं? 3. जब आप दूसरों से अलग दिखने के लिए कुछ करते हैं तो क्या आपको अच्छा महसूस होता हैं? यदि हाँ, तो कितनी देर के लिए? 4. क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि घर या विद्यालय में आपने कोई काम ईमानदारी से किया, लेकिन किसी ने भी आपकी तारीफ़ नहीं की? उस समय आपको कैसा महसूस हुआ था और क्यों? 5. क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि घर या विद्यालय में आपने कोई काम मन लगाकर ठीक से नहीं किया, लेकिन किसी ने फिर भी आपकी बहुत तारीफ़ की? उस समय आपको कैसा महसूस हुआ था और क्यों?
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि जब भी आप किसी के लिए मददगार होते हैं, उस समय आपको कैसा महसूस होता है।

Check out:
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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सत्र (session): 2.2 

उद्देश्य (Objective): आत्मसम्मान के भाव का अर्थ स्पष्ट होना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher):
सभी व्यक्ति अपनी उपयोगिता व अपने महत्त्व को जानकर स्वयं में सम्मानित महसूस करते हैं। यहाँ उपयोगिता से मतलब है- स्वयं ख़ुश रहकर दूसरों के ख़ुश रहने में सहयोगी होना। ऐसा चाहते तो सभी हैं, लेकिन योग्यता के अभाव में न तो स्वयं हमेशा ख़ुश रह पाते हैं और न ही हमेशा दूसरों के ख़ुश रहने में सहयोगी हो पाते हैं। ऐसी योग्यता सही समझ और अभ्यास से विकसित होती है।
इस सत्र का उद्देश्य है कि विद्यार्थी अपनी उपयोगिता को आत्मसम्मान के रूप में देख पाएँ ताकि वे अपने सम्मान के लिए दूसरों पर निर्भर न रहें।

Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students):
निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. आप अपने किन-किन गुणों के कारण स्वयं को महत्त्वपूर्ण समझते हैं?
 2. जब आप अपने किसी गुण के कारण ख़ुद को उपयोगी महसूस करते हैं तो क्या उस समय आपको दूसरों से अलग दिखने की ज़रूरत महसूस होती है? क्यों?
3. विद्यालय की किसी गतिविधि या कार्यक्रम में जब कभी आप कोई सहयोग नहीं कर पाते हैं तो आपको कैसा लगता है? क्यों?

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day):
अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि आपके साथ जब कोई किसी प्रकार का भेदभाव करता है तो आपको कैसा महसूस होता है।

Check out:
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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सत्र (session): 2.3

उद्देश्य (Objective): दूसरों के लिए सम्मान का भाव महसूस करना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): 
यदि हम धरती के सभी लोगों की मूल चाहत को देखें तो पाते हैं कि सभी लोग हमेशा ख़ुश रहना चाहते हैं। इसके साथ ही यदि हम सभी लोगों की मूल क्षमता के बारे में देखें तो पाते हैं कि सभी लोगों में सोचने-समझने की असीम ताकत (unlimited potential) होती है।
इस प्रकार प्राकृतिक आधार पर देखें तो धरती के सभी इनसान समान हैं और सभी में समानता की चाहत भी है। अत: जब हम किसी व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के अपने समान ही एक व्यक्ति के रूप में स्वीकार करते हैं तो हम दूसरों के प्रति सम्मान का भाव महसूस करते हैं।
किसी व्यक्ति के श्रेष्ठ व्यक्तित्व और प्रतिभा को स्वीकार करने पर भी हम ऐसा ही महसूस करते हैं।
अत: इस सत्र का उद्देश्य है कि विद्यार्थी बिना किसी भेदभाव के दूसरे लोगों को अपने जैसे ही स्वीकार करके अपने मन में उनके प्रति सम्मान का भाव (feeling of respect) महसूस करें।

Check In: 
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students): निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. कोई ऐसी घटना साझा करें जब आपके साथ किसी तरह का भेदभाव किया गया हो? उस समय आपको कैसा महसूस हुआ था?
2. क्या आपके कारण कभी कोई अपमानित हुआ है? उस समय आपको कैसा महसूस हुआ था?
3. आप किस-किस व्यक्ति के प्रति सम्मान का भाव महसूस करते हैं और क्यों? कुछ उदाहरण दीजिए।

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): 
अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि आप दूसरों का सम्मान किस आधार पर करते हैं।
Check out: 
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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सत्र (session): 2.4

उद्देश्य (Objective): दूसरों के लिए सम्मान के भाव को व्यक्त करना।
समय (Time): कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher):
किसी दूसरे इनसान में समानता या श्रेष्ठता देखे बिना हमारे मन में उसके प्रति सम्मान का भाव महसूस होगा ही नहीं, लेकिन मन ही मन दूसरे को बुरा-भला कहते हुए माला पहनाकर सम्मान व्यक्त करने का दिखावा कर सकते हैं। जब मन में भाव महसूस न हो रहा हो और फिर भी हम उसे व्यक्त करने के तौर-तरीक़े (actions) अपनाते हैं तो उसे ‘दिखावा’ कहते हैं।
भाव सार्वभौमिक (universal) होते हैं अर्थात मन में महसूस सभी को एक जैसा ही होगा, लेकिन उसे व्यवहार में व्यक्त करने के तौर-तरीक़े समय, स्थान और संस्कृति के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। जैसे- सम्मान के भाव को कोई पैर छूकर, कोई झुककर या किसी अन्य तरीक़े से व्यक्त कर सकता है।
इस सत्र का उद्देश्य है कि विद्यार्थी बिना किसी दिखावे के वास्तविक रूप में दूसरों के प्रति सम्मान का भाव महसूस करें और व्यक्त करें।

Check In:
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students): निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. किसी व्यक्ति के प्रति आप सम्मान का भाव किस-किस तरीक़े से व्यक्त करते हैं?
2. कोई एक उदाहरण देकर बताइए कि जब दूसरे के प्रति सम्मान का भाव न होते हुए भी आपने सम्मान व्यक्त करने का दिखावा किया हो? जैसे- न चाहते हुए भी किसी के पैर छूना।
3. समाज में एक-दूसरे के प्रति भेदभाव दूर करने के लिए आप क्या कोशिश करते हैं?
4. आप सिर्फ़ बड़ों का ही सम्मान करते हैं या अपने बराबर वालों और छोटों का भी? आप अपने से छोटों का सम्मान कैसे करते हैं? उदाहरण देकर बताएँ। (जैसे- अपने से छोटों को विद्यालय में पानी पीने या मिड-डे-मील लेने का पहले मौका देना।)

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि दूसरे लोगों से व्यवहार करते समय आप उन्हें अपने जैसे व्यक्ति के रूप में देख पाए या नहीं।

Check out:
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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सत्र (session): 2.5

उद्देश्य (Objective): दूसरों के लिए सम्मान के भाव का अर्थ स्पष्ट होना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher):
जब हम एक व्यक्ति की मूल क्षमता (सोचने-समझने की असीम ताकत) और मूल चाहत (ख़ुशी) को ध्यान में रखते हुए किसी इनसान को बिना किसी भेदभाव के, अपने जैसे ही एक इनसान के रूप में स्वीकार (accept) करते हैं तो वह व्यक्ति सम्मानित महसूस करता है। किसी भी व्यक्ति को भेदभाव स्वीकार नहीं होता है। जब भी किसी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, लिंग, पद आदि के आधार पर कोई भेदभाव किया जाता है तो वह बहुत अपमानित महसूस करता है।
जब हम किसी के प्रति सम्मान के भाव के साथ होते हैं तो उसके प्रति हमारा व्यवहार सौहार्दपूर्ण (मित्रवत/दोस्ताना/cordial) रहता है।
इस सत्र का उद्देश्य है कि विद्यार्थी सम्मान को समानता और श्रेष्ठता को स्वीकार करने के रूप में पहचान सकें और व्यक्त कर सकें।

Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students):
निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. आप किन-किन बातों में दूसरे लोगों को अपने जैसा ही देख पाते हैं?
 2. आपने हाल ही में किसी व्यक्ति के लिए सम्मान व्यक्त किया है? आपने किस कारण से उस व्यक्ति का सम्मान किया था?
3. आप किसी व्यक्ति का सम्मान किस आधार पर करते हैं? और क्यों? (जैसे- अधिक पैसा, बड़ा पद, अधिक ताकत, शक्ल-सूरत, अच्छा स्वभाव, अच्छा व्यवहार, समझदारी आदि में से।)

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): 
अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि दूसरे के प्रति सम्मान का भाव होने पर उसे व्यक्त करते समय कैसा महसूस होता है और भाव नहीं होने पर भी व्यक्त करने का दिखावा करते समय कैसा महसूस होता है।

Check out: 
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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