3. कृतज्ञता (Gratitude)


उद्देश्य: अपने से बड़े, जैसे- माता-पिता, गुरु, परिवार व आप-पड़ोस में बड़े-बुजुर्ग आदि की अपनी ज़िंदगी में भागीदारी देख पाना, उनके लिए कृतज्ञता महसूस करना और व्यक्त करना।

शिक्षक के संदर्भ के लिए नोट: 
ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए बहुत से लोग हमारा सहयोग करते हैं। जब हम मन से उस सहयोग को स्वीकार करते हैं तो हम उनके प्रति आभार (कृतज्ञता) महसूस करते हैं। इससे अपने अंदर एक स्थिरता (ठहराव/stability) आती है, जिसे हम ख़ुशी (happiness) के रूप में महसूस (feel) करते हैं।
जब हम किसी के प्रति कृतज्ञता के भाव के साथ होते हैं तो उसके प्रति हमारा व्यवहार ‘सौम्य’ (विनम्र/humble) रहता है और हम स्वयं में नियंत्रित (disciplined) रहते हैं।
यदि हमारे समक्ष किसी का व्यवहार अशोभनीय है तो इसकी बड़ी संभावना है कि उसकी उन्नति में या तो हमारा कोई योगदान नहीं रहा है या वह उस योगदान को पहचान नहीं पा रहा है।
जब भी हम ख़ुश होते हैं तो अपनी ख़ुशी अपनों के साथ साझा (share) करना चाहते हैं। इससे हम और ज़्यादा ख़ुशी महसूस करते हैं। कोई व्यक्ति जब परेशान होता है तो वह अकेला रहना चाहता है, लेकिन ख़ुशी के समय शायद ही कोई व्यक्ति अकेला रहना पसंद करे। हम जब भी किसी भाव के साथ होंगे तो उसे व्यक्त करना चाहेंगे ही। भाव को व्यक्त करने वाले को ही ‘व्यक्ति’ कहते हैं।
आज हम जितनी सुविधाओं (भोजन, कपड़े, मोबाइल, बस, ट्रेन आदि) का उपयोग कर रहे हैं, उनके लिए यदि हम उनकी खोज या आविष्कार से लेकर उनके परिष्कृत रूप में आने तक लोगों के योगदान और मेहनत को देखें तो स्वयं को ऋणी महसूस करेंगे। इस ऋण को चुकाया भी नहीं जा सकता है। किसी ऋण के साथ एक व्यक्ति ख़ुशहालीपूर्वक नहीं जी सकता है। प्रकृति में इस ऋण के भार को कम करने का एक ही तरीका है और वह है- कृतज्ञ होना। कृतज्ञ होने का मतलब केवल thanks, धन्यवाद या शुक्रिया कहना नहीं है। जब हम मन से किसी के योगदान को हमेशा के लिए स्वीकारते हैं तभी कृतज्ञता का भाव महसूस होता है। ऐसा होने पर एक व्यक्ति समाज के विकास के लिए अपना योगदान देना शुरू कर देता है। समाज में अपनी भागीदारी के साथ जीना ही हमारी ख़ुशी का सही रास्ता है और यही जीवन की सार्थकता भी है।
यदि प्रकृति की यह व्यवस्था समझ में आती है तो इसके नियमानुसार यहाँ योगदान देनेवाला ही ख़ुश रह सकता है जबकि अभी अधिकतर लोग यही मानकर दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं कि यहाँ अधिक से अधिक पाने से किसी दिन सुखी (happy) हो जाएँगे।
कृतज्ञता के भाव में विश्वास, सम्मान और स्नेह का भाव शामिल रहता है। कृतज्ञता को हम ग्रेटिट्यूड, आभार और एहसानमंदी के नाम से भी जानते हैं।
कृतज्ञता के भाव (feeling of gratitude) को पहचानने (to explore), महसूस करने (to experience) और व्यक्त करने (to express) के लिए निम्नलिखित सत्र (sessions) रखे गए हैं।

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सत्र (session): 3.1 

उद्देश्य (Objective): दूसरों की भागीदारी (contribution) की ओर विद्यार्थियों का ध्यान दिलाना।
समय (Time): कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher):
एक व्यक्ति के विकास और ख़ुशहालीपूर्वक जीने में बहुत से लोगों का योगदान रहता है। इस ओर जब ध्यान नहीं जाता है तो उसे लगता है कि आज वह जहाँ भी है सिर्फ़ अपनी मेहनत की वजह से (self-made) है। वह सोचता है कि समाज ने उसके लिए किया ही क्या है जिससे कि वह समाज के लिए कुछ करे! ऐसा सोचने पर वह सिर्फ़ अपने तक सीमित रहता है और इस दुनिया को और बेहतर बनाने के लिए स्वयं की भागीदारी के लिए प्रेरित नहीं होता है।
अत: इस बात की आवश्यकता है कि प्रत्येक विद्यार्थी का ध्यान इस बात की ओर जाए कि हमारे ख़ुशहालीपूर्वक जीने में कितने लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारा सहयोग कर रहे हैं।

Check In: 
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students): 
हमारे ख़ुशहालीपूर्वक जीने में दूसरों के योगदान की ओर ध्यान दिलाने के लिए विद्यार्थियों को निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से अभिव्यक्ति कराएँ।
1. अपनी कोई एक अच्छी आदत बताओ? इस आदत के विकास में किसका सहयोग रहा है?
2. खेल, संगीत, नृत्य, लेखन या किसी चीज़ को बनाने आदि में आप कौनसा काम बहुत अच्छी तरह से कर पाते हैं? इस काम को सीखने में किस-किसका योगदान रहा है?
3. आपकी पढ़ाई-लिखाई में घर या आस-पड़ोस के कौन-कौन लोग आपकी मदद करते हैं?
4. आप घर पर रोज़ाना ऐसी कौन-कौनसी चीज़ों को काम में लेते हो जो समाज के लोगों की मेहनत के कारण उपलब्ध हो पाती हैं?

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि जब भी कोई आपकी मदद करता है तो उस समय आपको कैसा महसूस होता है।
Check out:
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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  सत्र (session): 3.2 

 उद्देश्य (Objective): कृतज्ञता का भाव महसूस करना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): 
ज़रूरत के समय जब भी कोई हमारी मदद करता है तो हमें अच्छा महसूस (feel) होता है। इतना ही नहीं, बाद में भी उसके बारे में सोचने पर हमें अच्छा महसूस होता है। ऐसा सभी के साथ होता है, क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से तय है। प्रकृति के नियमों के अनुसार चलने पर अपने मन में एक स्थिरता (stability) आती है। इससे हमें अच्छा महसूस होता है। ज़रूरत के समय मदद करने पर, मदद करने वाले व मदद लेने वाले दोनों को ही अच्छा लगता है और नहीं करने पर दोनों को ही अच्छा नहीं लगता है।
अत: इस सत्र का उद्देश्य है कि सभी विद्यार्थी अपने में यह देख पाएँ कि किसी के द्वारा की गई मदद को स्वीकार (accept) करने पर हमें कैसा महसूस होता है।

Check In: 
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students):
निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. किस-किसने पिछले सप्ताह किसी की मदद मिलने पर अच्छा महसूस किया था? आपकी किसने क्या मदद की थी? साझा करें।
 2. आपके विद्यालय का निर्माण किन-किन लोगों की मदद से हुआ होगा? उनको याद करने पर आपको कैसा महसूस होता है?

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि आप दूसरों के प्रति अपने कृतज्ञता के भाव को किस-किस तरीक़े से व्यक्त करते हैं।

Check out: 
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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  सत्र (session): 3.3 

उद्देश्य (Objective): कृतज्ञता के भाव को व्यक्त करना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): जब भी हम ख़ुश होते हैं तो अपनी ख़ुशी अपनों के साथ साझा (share) करना चाहते हैं। इससे हम और ज़्यादा ख़ुशी महसूस करते हैं। कोई व्यक्ति जब परेशान होता है तो वह अकेला रहना चाहत है, लेकिन ख़ुशी के समय शायद ही कोई व्यक्ति अकेला रहना पसंद करे। हम जब भी किसी भाव के साथ होंगे तो उसे व्यक्त करना चाहेंगे ही। भाव को व्यक्त करने वाले को ही ‘व्यक्ति’ कहते हैं।
अत: इस सत्र का उद्देश्य है कि विद्यार्थियों को उनकी रुचि और कौशल के आधार पर विभिन्न माध्यमों से दूसरों के प्रति अपने कृतज्ञता के भाव को व्यक्त करने के लिए अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।

Check In:
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students): 
निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के द्वारा विद्यार्थियों को दूसरों के प्रति अपने कृतज्ञता के भाव को विभिन्न माध्यमों से व्यक्त करने के अवसर दिए जाएँ।
1. आपकी मदद करने वाले लोगों के प्रति आप अपना आभार किस-किस तरह से व्यक्त करते हैं?
2. अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए अपने परिवार के किसी सदस्य, अपने टीचर या मित्र के लिए एक पत्र लिखें और उन तक यह पत्र पहुँचाएँ या पढ़कर सुनाएँ।
3. अपनी कक्षा के किस मित्र के प्रति अपना आभार व्यक्त करें? आभार व्यक्त करते हुए यह बताएँ कि आपके मित्र से आपको क्या-क्या सहयोग मिलता है?

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): 
अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि जो लोगों हमारी उन्नति के लिए मदद करते हैं उनकी उपस्थिति (presence) में हमारा व्यवहार (behaviour) कैसा रहता है।

Check out: 
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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सत्र (session): 3.4 

उद्देश्य (Objective): कृतज्ञता के भाव का अर्थ स्पष्ट होना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): 
ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए बहुत से लोग हमारा सहयोग करते हैं। जब हम मन से उस सहयोग को स्वीकार करते हैं तो हम अच्छा महसूस करने लगते हैं। जो लोग हमारे सही जीने में मदद करते हैं उनके साथ हमारा व्यवहार विनम्र (humble) रहता है। हम स्वयं में नियंत्रित (disciplined) रहते हैं।
इस सत्र का उद्देश्य है कि विद्यार्थियों को कृतज्ञता के भाव का अर्थ स्पष्ट हो जाए जिससे कि वे उसे पहचान सकें और व्यवहार में अभिव्यक्त (express) कर सकें।

Check In: 
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students):
निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. आप जीवन में क्या करना चाहते हैं? उसकी तैयारी के लिए किसने आपकी मदद की है या कर रहे हैं?
 2. जीवन में आप जो कुछ करना चाहते हैं उसके लिए आपकी मदद करने वालों के लिए आप कैसा महसूस करते हैं?
3. जो लोग आपकी मदद करते हैं उनके सामने आपका व्यवहार कैसा रहता है?
4. आपने जिसकी कोई मदद की है उस व्यक्ति का आपके साथ कैसा व्यवहार रहता है?
5. क्या आपका किसी ने कोई ऐसा सहयोग किया है जिसके कारण आप उनके प्रति हमेशा आभार महसूस करते हैं? कोई एक उदाहरण देकर बताइए।

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): 
अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि आपने दूसरों के ख़ुश रहने में कब-कब मदद की।

Check out:
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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सत्र (session): 3.5 

उद्देश्य (Objective): कृतज्ञता के भाव के साथ भागीदारी (contribution) करना।
समय (Time): कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): आज हम जितनी सुविधाओं (भोजन, कपड़ें, मोबाइल, बस, ट्रेन आदि) का उपयोग कर रहे हैं, उनके लिए यदि हम उनकी खोज या आविष्कार से लेकर उनके परिष्कृत रूप में आने तक लोगों के योगदान और मेहनत को देखें तो स्वयं को ऋणी महसूस करेंगे। इस ऋण को चुकाया भी नहीं जा सकता है और किसी ऋण के साथ एक व्यक्ति ख़ुशहालीपूर्वक नहीं जी सकता है। प्रकृति में इस ऋण के भार को कम करने का एक ही तरीका है और वह है- कृतज्ञ होना। कृतज्ञ होने का मतलब केवल thanks, धन्यवाद या शुक्रिया कहना नहीं है। जब हम मन से किसी योगदान को हमेशा के लिए स्वीकारते हैं तभी कृतज्ञता का भाव महसूस होगा।
अत: इस सत्र में विद्यार्थियों को कृतज्ञता के भाव के साथ अपने योगदान के लिए प्रेरित किया गया है।

Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students): 
निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
1. आप अपने घर पर किन-किन कामों में सहयोग करते हैं? आपके सहयोग से किसका काम आसान होता है?
2. क्या आपने किसी का कोई ऐसा सहयोग किया है जिसके कारण कोई आपके लिए हमेशा आभार व्यक्त करता है? आपने क्या सहयोग किया है?
3. सीखने-समझने में किसी की मदद करने पर आपको कैसा महसूस होता है? और क्यों?
4. ज़रूरत के समय किसी की मदद न कर पाने पर आपको कैसा महसूस होता है। क्यों? किसी घटना को लेकर बताओ।
5. क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि किसी ने आपकी कोई मदद की हो और एक दिन इस मदद का एहसान जता दिया हो? यदि हाँ, तो उस समय आपको कैसा महसूस हुआ था और क्यों?

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): 
आप अगले सप्ताह भर अपनी कक्षा, घर या पास-पड़ोस में किसी को कोई चीज़/बात को सीखने/समझने में मदद करेंगे और अगले अभिव्यक्ति दिवस पर अपने अनुभवों को साझा करेंगे।

Check out: 
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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सत्र (session): 3.6 

उद्देश्य (Objective): कृतज्ञता के भाव के साथ सक्रिय भागीदारी (active participation) करना।
समय (Time): कम से कम एक पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

शिक्षक के लिए नोट (Note for the teacher): 
कृतज्ञ होने का मतलब केवल thanks, धन्यवाद या शुक्रिया कहना नहीं है। जब हम मन से किसी योगदान को हमेशा के लिए स्वीकारते हैं तभी कृतज्ञता का भाव महसूस होगा। अत: इस सत्र में विद्यार्थियों को कृतज्ञता के भाव के साथ अपने योगदान के लिए प्रेरित किया गया है।

Check In: 
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

विद्यार्थियों द्वारा अभिव्यक्ति (Expression by the Students): 
निम्नलिखित प्रस्तावित प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
(पिछले सप्ताह दिए गए कार्य पर आधारित प्रश्न)
1. आपने पिछले सप्ताह भर सीखने-समझने में किसकी मदद की? क्या मदद की?
2. आपकी मदद से वह कितना सीख पाया/पाई?
3. यह मदद करके आपको कैसा लग रहा है? क्यों?

अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य (Task for next expression day): 
अगले अभिव्यक्ति दिवस तक आप अपने में यह देखने का प्रयास करें कि समाज के द्वारा किए गए कार्यों के लिए आप कब-कब सराहना कर पाए।

Check out: 
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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