सत्र 15 (Mindfulness of Feelings)

समय वितरण
1. a. माइंडफुल चेक-इन (Mindful Check In): 3-5 मिनट
    b. ध्यान देने की प्रक्रिया पर चर्चा: 10 मिनट
2. a. Mindfulness of Feelings: 5 मिनट
    b. Mindfulness of Feelings पर चर्चा: 15 मिनट
3. साइलेंट चेक आउट (Silent Check Out): 2 मिनट

1 a) माइंडफुल चेक-इन (Mindful Check In): 3-5 मिनट

उद्देश्य: इस गतिविधि के माध्यम से शिक्षक विद्यार्थियों को ध्यान देने की कक्षा के लिए तैयार करें

गतिविधि के चरण
  • शिक्षक विद्यार्थियों को बताएँ कि इस गतिविधि के द्वारा विद्यार्थी अपना ध्यान पहले से कर रहे कार्य से हटाकर, वर्तमान में लेकर आते हैं। इसका अभ्यास विद्यार्थी कभी भी, कहीं भी कर सकते हैं।
  • शिक्षक सभी विद्यार्थियों से कहें कि वे आरामदायक स्थिति में बैठकर, चाहें तो कमर सीधी करके आँखें बंद कर लें। अगर किसी को आँखें बंद करने में मुश्किल महसूस हो रही हो तो वह नीचे की ओर देख सकता है।
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने हाथ डेस्क पर या अपने पैरों पर रख सकते हैं।
  • शिक्षक विद्यार्थियों से कहें कि हम शुरूआत माइंडफुल चेक इन गतिविधि से करेंगे। यह गतिविधि हम लगभग 3 मिनट तक करेंगे।
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपना ध्यान पहले अपने आस-पास के वातावरण में उत्पन्न हो रही आवाज़ों पर ले जाएँ और उसके बाद अपनी साँसों की प्रक्रिया पर ले जाएँगे।
  • विद्यार्थियों को बताएँ कि ये आवाज़ें धीमी हो सकती हैं...या तेज़, रुक-रुककर आ सकती हैं...या लगातार।
(20 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि जैसी भी हों, इन आवाज़ों के प्रति सजग हो जाएँ। ध्यान दें कि ये आवाज़ें कहाँ से आ रही हैं।
(30 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि अब वे अपना ध्यान अपनी साँसों पर लेकर जाएँ। साँसों के आने और जाने पर ध्यान दें।
  • विद्यार्थियों को बताएँ कि वे साँसों को किसी प्रकार बदलने की कोशिश न करें। केवल अपनी साँसों के प्रति सजग हो जाएँ।
(10 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे ध्यान दें कि साँस कब अंदर आ रही है और कब बाहर जा रही है। अंदर आने और बाहर जाने वाली साँस में कोई अंतर है या नहीं। क्या ये साँसें ठंडी हैं या गरम...तेज़ी से आ रही हैं या आराम से….हल्की हैं या गहरी।
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपनी हर साँस के प्रति सजग हो जाएँ।
(20 सेकंड रुकें)
  • ब विद्यार्थियों से कहें कि वे धीरे-धीरे अपना ध्यान अपने बैठने की स्थिति पर ले आएँ और जब भी ठीक लगे, वे अपनी आँखें खोल सकते हैं।
क्या करें और क्या नहीं करें:
  • चेक इन शुरू करने के पहले विद्यार्थियों को अपनी जगह पर आराम से बैठने का वक़्त दें।
  • गतिविधि के दौरान यदि किसी विद्यार्थी का ध्यान आपको भटकता हुआ प्रतीत हो तो उसका नाम लिए बिना, पूरी कक्षा को ध्यान देने के लिए कहें।

1 b) ध्यान देने की प्रक्रिया पर चर्चा: 10 मिनट

उद्देश्य: माइंडफुलनेस की प्रक्रिया और उसके फ़ायदों पर विद्यार्थियों के अनुभव जानना।

चर्चा के लिए प्रस्तावित बिंदु:
  • विद्यार्थियों को 2-3 मिनट माइंडफुलनेस गतिविधियों से स्वयं में आए बदलावों के बारे में सोचने के लिए कहें। पिछले सप्ताह की गई माइंडफुलनेस गतिविधि के अनुभव और अभ्यास के बारे में सोचने के लिए कहें। यह भी सोचें कि इस गतिविधि का प्रयोग हैपीनेस पीरियड के अलावा कब और किस प्रकार किया। 
  • शिक्षक इसके पश्चात विद्यार्थियों से चर्चा कर सकते हैं कि माइंडफुलनेस सीखने से विद्यार्थी अपने जीवन में क्या सुधार महसूस कर रहे हैं।
    • मन के अंदर तनाव की कमी
    • क्लास में ध्यान देने में मदद
    • इस बात का एहसास होना कि मेरे अंदर क्या चल रहा है (सुख, दुःख, क्रोध आदि)
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने विचार अपनी नोटबुक में लिख सकते हैं। इसके बाद कुछ विद्यार्थियों को अपने विचार साझा करने के लिए कहें।
  • इस दौरान माइंडफुलनेस गतिविधि से संबंधित विद्यार्थियों के विशेष अनुभव, चुनौतियों या प्रश्नों पर भी चर्चा की जा सकती है।
  • माइंडफुलनेस पर विद्यार्थियों द्वारा लाए गए आर्टिकल्स (articles) पर चर्चा करें।
क्या करें और क्या नहीं करें:
  • हर हफ्ते विद्यार्थियों से कहें कि वे माइंडफुलनेस पर कुछ अच्छे आर्टिकल्स (articles) ढूँढकर लाएँ जिस पर क्लास में चर्चा की जा सके।
  • सभी विद्यार्थियों को उत्तर देने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करें।
  • जो विद्यार्थी इस भाग में उत्तर देने में संकोच महसूस कर रहे हैं, वे अपने विचार कहीं लिख सकते हैं।
  • शिक्षक विद्यार्थियों के सभी उत्तरों को स्वीकार करें।

2. a. Mindfulness of Feelings: 5 मिनट

उद्देश्य- विद्यार्थियों को अपनी भावनाओं के प्रति सजग करवाना। भावनाओं के प्रति सजग होने से विद्यार्थी ख़ुद को बेहतर जान पाएँगे और जीवन में बेहतर निर्णय ले पाएँगे।

विद्यार्थियों को बताया जाए -
  • जिस प्रकार से हम अपना ध्यान सुनने पर, देखने पर, चलने इत्यदि पर देते हैं उसी प्रकार से हम अपना ध्यान अपनी फ़ीलिंग/भावनाओं पर भी दे सकते हैं।
  • इस प्रक्रिया में हम अपना ध्यान, हमें इस वक़्त कैसा महसूस हो रहा है, इस पर देंगे।
  • हम Mindfulness of Feelings में केवल अपने फ़ीलिंग/भावनाओं की ओर सजग होंगे। उनको सही-ग़लत, अच्छे बुरे की तरह नहीं देखेंगे। केवल जानेंगे की हम कैसा महसूस कर रहे हैं।
गतिविधि के चरण :
  • शिक्षक विद्यार्थियों को शांत एवं आरामदायक स्थिति में बैठने के लिए कहें अब विद्यार्थियों को तीन लम्बी गहरी साँस लेने के लिए और मुँह से छोड़ने के लिए कहें। अगर उन्हें किसी भी तरह का तनाव शरीर में महसूस हो रहा हो तो अगली साँस के साथ उसे शरीर से बाहर करने के लिए कहें।
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि वे अब ध्यान दें कि इस पल वे कैसा महसूस कर रहे हैं और इस पल उनके भाव किस तरह के हैं? विद्यार्थी याद रखें कि कोई भी भाव अच्छा या बुरा नहीं है! विद्यार्थियों को कहें कि ख़ुशी की, उदासी की, गुस्से की, तनाव की, घबराहट की, डर की, बेचैनी जैसी भावनाएँ वे इस पल मे महसूस कर रहे है उनको विद्यार्थी ज्यो का त्यों देख रहे है, जिस भी प्रकार की लहरें उठ रही हैं विद्यार्थी उनको उसी तरह से देख रहे हैं। ध्यान दें कि वे इस पल जो भी महसूस कर रहे हैं उस भावना को बदलने का प्रयास न करे, न ही इन भावनाओं के साथ संघर्ष करे!
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि अब वे जो भी भावनाएँ महसूस कर रहे हैं उस पर ध्यान दें और जानने की कोशिश करें कि यह किस प्रकार का भाव है? यह भाव वे शरीर में कहाँ-कहाँ महसूस कर रहे हैं? क्या यह भाव उनकी की छाती में है या पेट में या फिर हाथों में? विद्यार्थी ध्यान दें कि शरीर के किस अंग या भाग में वे यह भाव महसूस कर पा रहे है।
(10 सेकंड रुकें )
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि अब वे जब भी उनको लगे कि उनका ध्यान कहीं और विचलित हो गया है तब अपना ध्यान फिर वापस अगली साँस पर ला सकते हैं।
(10 सेकंड रुकें )
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि अब वे ध्यान दें कि इस भाव से साँसों की प्रक्रिया मे किस प्रकार का बदलाव हो रहा है। क्या साँस की गति बदल गयी है? क्या साँस लम्बी और गहरी है या जल्दी जल्दी आ रही है?
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि अगर ऐसा करते-करते उनका मन कहीं और जा रहा है या वे उस भावना के बारे में सोच रहे हैं- तो वापस अपना ध्यान अपनी साँसो पर ले आएँ और देखें कि उनकी साँसों में किस प्रकार का बदलाव हो रहा है।
(10 सेकंड रुकें )
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि अब वे ध्यान दे कि शुरुआत से अंत तक भावनाओं में क्या कोई बदलाव हुआ? जो कुछ भी वे इस पल महसूस कर रहे है उस भावना को बहुत ही स्नेह के साथ देखे। कुछ भी सही या ग़लत नहीं है।
(10-15 सेकंड रुकें )
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि अब वे अपना ध्यान अपने बैठने की स्थिति पर ले आएँ। अपना ध्यान कक्षा में वापिस ले आएँ और जब अच्छा महसूस करें तो धीरे-धीरे आप अपनी आंखें खोल सकते हैं!

2. b. Mindfulness of Feelings पर चर्चा: 15 मिनट
  • आप अभी कैसा महसूस कर रहे हैं ?
  • क्या गतिविधि के शुरू और अंत में आपने अपनी भावनाओं में कोई अंतर पाया?
  • आपने अपनी भावनाओं के बारे में क्या जाना?
  • विचारों और भावों पर ध्यान देने से क्या फ़ायदा हो सकता है?
  • शिक्षक विद्यार्थियों से इन बिंदुओं पर भी चर्चा कर सकते हैं-
    • हम ज्यादातर ध्यान देने की प्रक्रिया साँसों पर ध्यान देने से शुरू करते है फिर आस-पास के वातावरण व अपने शरीर पर ध्यान देने का अभ्यास करते हैं। इसका अभ्यास हम अपने विचारों व भावनाओं के साथ भी करते हैं। इसके अभ्यास से हम अपने विचारों व भावों को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं।
    • इस सजगता के साथ हम अपनी रोज़ की ज़िंदगी में प्रतिक्रिया वयक्त करने यानी रीऐक्शन (Reaction) देने के बजाय सोच समझ कर निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है
    • हम इस अभ्यास से विचारों व भावनाओं से प्रभावित हुए बिना कार्य कर पाते है, क्योंकि हम जानते है की विचार व भावनाएँ एक जैसी नहीं रहती है, बल्कि हर पल बदलती रहती हैं। जब भावनाओं के भंवर मे उलझे होते हैं तब हो सकता उस स्थिति को पूरे 360 डिग्री रूप से देखने के बजाय उसको अधूरे रूप में/ भावनाओं से प्रभावित होकर देखते हैं और उसके आधार पर ही निर्णय बना लेते है।
    • जिस प्रकार समुद्र में लहरें हलचल करती हैं ठीक उसी प्रकार हमारे मन में कई प्रकार की भावनाएँ आती व जाती रहती है! ये भावनाएँ अच्छी या बुरी नहीं होती! जैसे समुद्र में लहरें कितनी भी शोर करती है किन्तु समुद्र का तल/बेस (base) एकदम शांत होता है, ठीक उसी प्रकार जब हम ध्यान देने की प्रक्रिया का अभ्यास करते हैं तब हम महसूस कर पाते हैं की भावनाओं में उतार-चढ़ाव होते हुए भी हम हमारे भीतर स्थिरता का अनुभव कर पाते है!

3. साइलेंट चेक आउट (Silent Check Out): 1-2 मिनट
उद्देश्य: इस गतिविधि का उद्देश्य है की विद्यार्थी इस कक्षा में हुए गतिविधियों से उत्पन्न हुए विचारों और भावनाओं पर मनन कर पाएं।

गतिविधि के चरण:
  • ध्यान की कक्षा का अंत 2 मिनट शाँत बैठकर किया जाए।
  • इस दौरान कोई निर्देश न दिया जाए।
  • विद्यार्थी आँखें बंद रखें या खुली रखकर नीचे की ओर देखें, यह उनकी इच्छा पर छोड़ दें।
क्या करें क्या नहीं करें?
  • शिक्षक अंत में कोई भी प्रश्न न पूछें।
  • अगर कोई विद्यार्थी अपना अनुभव साझा करना चाहता है तो शिक्षक उसे मौका दे सकते हैं। 
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