सत्र 1 (माइंडफुलनेस का परिचय)

समय वितरण
1. a. माइंडफुल चेक-इन (Mindful Check In): 2- 3 मिनट
    b. माइंडफुलनेस का परिचय: 20-30 मिनट
2. साइलेंट चेक आउट (Silent Check Out): 1- 2 मिनट

1 a) माइंडफुल चेक-इन (Mindful Check In): 2-3 मिनट

उद्देश्य: इस गतिविधि के माध्यम से शिक्षक विद्यार्थियों को ध्यान देने की कक्षा के लिए तैयार करेंगे।

गतिविधि के चरण
  • शिक्षक विद्यार्थियों को बताएँ कि इस गतिविधि के द्वारा विद्यार्थी अपना ध्यान पहले से कर रहे कार्य से हटाकर, वर्तमान में लेकर आते हैं। इसका अभ्यास विद्यार्थी कभी भी, कहीं भी कर सकते हैं।
  • शिक्षक सभी विद्यार्थियों से कहें कि वे आरामदायक स्थिति में बैठकर, चाहें तो कमर सीधी करके आँखें बंद कर लें। अगर किसी को आँखें बंद करने में मुश्किल महसूस हो रही हो तो वह नीचे की ओर देख सकता है।
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने हाथ डेस्क पर या अपने पैरों पर रख सकते हैं।
  • शिक्षक विद्यार्थियों से कहें कि हम शुरूआत माइंडफुल चेक इन गतिविधि से करेंगे। यह गतिविधि हम लगभग 3 मिनट तक करेंगे।
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपना ध्यान पहले अपने आस-पास के वातावरण में उत्पन्न हो रही आवाज़ों पर ले जाएँ और उसके बाद अपनी साँसों की प्रक्रिया पर ले जाएँगे।
  • विद्यार्थियों को बताएँ कि ये आवाज़ें धीमी हो सकती हैं...या तेज़, रुक-रुककर आ सकती हैं...या लगातार।
(20 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि जैसी भी हों, इन आवाज़ों के प्रति सजग हो जाएँ। ध्यान दें कि ये आवाज़ें कहाँ से आ रही हैं।
(30 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि अब वे अपना ध्यान अपनी साँसों पर लेकर जाएँ। साँसों के आने और जाने पर ध्यान दें।
  • ● विद्यार्थियों को बताएँ कि वे साँसों को किसी प्रकार बदलने की कोशिश न करें। केवल अपनी साँसों के प्रति सजग हो जाएँ।
(10 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे ध्यान दें कि साँस कब अंदर आ रही है और कब बाहर जा रही है। अंदर आने और बाहर जाने वाली साँस में कोई अंतर है या नहीं। क्या ये साँसें ठंडी हैं या गरम...तेज़ी से आ रही हैं या आराम से….हल्की हैं या गहरी।
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपनी हर साँस के प्रति सजग हो जाएँ।
(20 सेकंड रुकें)
  • अब विद्यार्थियों से कहें कि वे धीरे-धीरे अपना ध्यान अपने बैठने की स्थिति पर ले आएँ और जब भी ठीक लगे, वे अपनी आँखें खोल सकते हैं।
क्या करें और क्या नहीं करें:
  • चेक इन शुरू करने के पहले विद्यार्थियों को अपनी जगह पर आराम से बैठने का वक़्त दें। 
  • गतिविधि के दौरान यदि किसी विद्यार्थी का ध्यान आपको भटकता हुआ प्रतीत हो तो उसका नाम लिए बिना, पूरी कक्षा को ध्यान देने के लिए कहें।
b) माइंडफुलनेस का परिचय: 20-30 मिनट

उद्देश्य: विद्यार्थियों को ध्यान देने की प्रक्रिया (Mindfulness) से परिचित करवाना|

माइंडफुलनेस क्लास की शुरुआत में शिक्षक विद्यार्थियों से इस प्रकार चर्चा कर सकते हैं:
“हैप्पीनेस की क्लास में आप सभी का स्वागत है। जैसे कि आप सभी जानते हैं कि पिछले साल हैप्पीनेस क्लास में हर सप्ताह के पहले दिन आपकी माइंडफुलनेस (mindfulness) की कक्षा होती थी, उसी प्रकार हम इस साल भी हर सप्ताह के पहले दिन माइंडफुलनेस की अलग अलग गतिविधियां करेंगे।”
  • क्या कोई बताना चाहेगा कि आपके अनुसार माइंडफुलनेस क्या है?
  • पिछले साल इसके बारे में जान कर आपको क्या मदद मिली?
चर्चा के लिए प्रस्तावित बिंदु:
  • अब शिक्षक विद्यार्थियों को शांत बैठने के लिए कहें। इसके बाद विद्यार्थियों से कहें कि वे अगले 1 मिनट तक आँखें बंद रखकर मन में जो भी विचार आते हैं उन्हें आने दें। अब आँखें खोलने के बाद उनसे पूछें क्या उनके विचार बीते हुए पल/घटना के बारे में/ आने वाले पल की प्लानिंग/चिंता के बारे में या इस पल/वर्तमान में थे? (विद्यार्थी से कहें कि उनके विचार इन तीनों में से जिस-जिस काल में थे, वे उस ऑप्शन में हाथ उठाएँ) (ज़्यादातर यही पाया जाता है कि सबके अधिकतर विचार भूतकाल और भविष्य में रहते हैं, जबकि हम कार्य वर्तमान में करते हैं।)
माइंडफुलनेस (Mindfulness) V/S माइंड-फुल्ल (Mind-full)
  • माइंडफुलनेस का अर्थ है पूरा ध्यान देकर वर्तमान के प्रति सजग बने रहने की अवस्था।
  • माइंड-फुल्ल का अर्थ है तरह-तरह के विचारों में डूबा दिमाग जिसे विचारों की उलझन में ख्याल ही नहीं है कि वह क्या कर रहा है।
  • Mindful व Mind-full में अंतर समझना ज़रूरी है।Mindful का अर्थ है पूरे ध्यान के साथ कोई भी क्रिया करना। इस अभ्यास को माइंडफुलनेस कहते हैं। Mind-full का अर्थ है विचारों में उलझे रहना। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वर्तमान में बने रहना, अभी के प्रति सजग तथा सचेत रहना ही माइंडफुलनेस है।
माइंडफुलनेस ही हैप्पीनेस का आधार है!

माइंडफुलनेस के अभ्यास से-
  • पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों का ध्यान कक्षा में बनाए रखने में मदद होती है। स्कूल में या घर पर पढ़ाई करते वक्त विद्यार्थियों की पढ़ाई पर फोकस बनाए रखने में मदद मिलती है।
  • शिक्षक की बातों को ध्यान से सुनने में मदद मिलती है।
  • ध्यान देने के अभ्यास से तनाव, उदासी, चिंता, अकेलापन, जैसी दिक्कतें कम होती हैं।
  • यदि हर क्षण में हमारा ध्यान (attention) हम जो कार्य कर रहे हैं, उस पर होगा तो उससे हमारा कार्य जल्दी समाप्त होगा, हम कार्य बेहतर कर पाएंगे, और कार्य को बिना तनाव के कर पाएंगे।
क्या करें और क्या नहीं करें:
  • ऊपर दिए गए बिंदुओं पर विद्यार्थियों से उनके स्तर के अनुसार, उनके जीवन से सम्बंधित उदाहरणों पर चर्चा करें।
  • सभी विद्यार्थियों को उत्तर देने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करें।
  • शिक्षक विद्यार्थियों के सभी उत्तरों को स्वीकारने का प्रयास करें।

2. साइलेंट चेक आउट (Silent Check Out): 1- 2 मिनट

उद्देश्य: इस गतिविधि का उद्देश्य है कि विद्यार्थी इस कक्षा में की गई गतिविधियों से उत्पन्न हुए विचारों और भावनाओं पर मनन कर पाएं |

गतिविधि के चरण:
  • ध्यान की कक्षा का अंत 2 मिनट शाँत बैठकर किया जाए। इस दौरान कोई निर्देश न दिया जाए।
  • विद्यार्थी आँखें बंद रखें या खुली रखकर नीचे की ओर देखें, यह उनकी इच्छा पर छोड़ दें।
क्या करें क्या नहीं करें:
  • शिक्षक अंत में कोई भी प्रश्न न पूछें |
  • अगर कोई विद्यार्थी अपना अनुभव साझा करना चाहता है तो शिक्षक उसे मौका दे सकते हैं|
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