सत्र 9 (Heartbeat)

समय वितरण
1. a. माइंडफुल चेक-इन (Mindful Check In): 3-5 मिनट
    b. ध्यान देने की प्रक्रिया पर चर्चा: 10 मिनट
2. a. Heartbeat: 5 मिनट
    b. Heartbeat पर चर्चा: 15 मिनट
3. साइलेंट चेक आउट (Silent Check Out): 2 मिनट

1 a) माइंडफुल चेक-इन (Mindful Check In): 3-5 मिनट

उद्देश्य: इस गतिविधि के माध्यम से शिक्षक विद्यार्थियों को ध्यान देने की कक्षा के लिए तैयार करें

गतिविधि के चरण
  • शिक्षक विद्यार्थियों को बताएँ कि इस गतिविधि के द्वारा विद्यार्थी अपना ध्यान पहले से कर रहे कार्य से हटाकर, वर्तमान में लेकर आते हैं। इसका अभ्यास विद्यार्थी कभी भी, कहीं भी कर सकते हैं।
  • शिक्षक सभी विद्यार्थियों से कहें कि वे आरामदायक स्थिति में बैठकर, चाहें तो कमर सीधी करके आँखें बंद कर लें। अगर किसी को आँखें बंद करने में मुश्किल महसूस हो रही हो तो वह नीचे की ओर देख सकता है।
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने हाथ डेस्क पर या अपने पैरों पर रख सकते हैं।
  • शिक्षक विद्यार्थियों से कहें कि हम शुरूआत माइंडफुल चेक इन गतिविधि से करेंगे। यह गतिविधि हम लगभग 3 मिनट तक करेंगे।
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपना ध्यान पहले अपने आस-पास के वातावरण में उत्पन्न हो रही आवाज़ों पर ले जाएँ और उसके बाद अपनी साँसों की प्रक्रिया पर ले जाएँगे।
  • विद्यार्थियों को बताएँ कि ये आवाज़ें धीमी हो सकती हैं...या तेज़, रुक-रुककर आ सकती हैं...या लगातार।
(20 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि जैसी भी हों, इन आवाज़ों के प्रति सजग हो जाएँ। ध्यान दें कि ये आवाज़ें कहाँ से आ रही हैं।
(30 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि अब वे अपना ध्यान अपनी साँसों पर लेकर जाएँ। साँसों के आने और जाने पर ध्यान दें।
  • विद्यार्थियों को बताएँ कि वे साँसों को किसी प्रकार बदलने की कोशिश न करें। केवल अपनी साँसों के प्रति सजग हो जाएँ।
(10 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे ध्यान दें कि साँस कब अंदर आ रही है और कब बाहर जा रही है। अंदर आने और बाहर जाने वाली साँस में कोई अंतर है या नहीं। क्या ये साँसें ठंडी हैं या गरम...तेज़ी से आ रही हैं या आराम से….हल्की हैं या गहरी।
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपनी हर साँस के प्रति सजग हो जाएँ।
(20 सेकंड रुकें)
  • ब विद्यार्थियों से कहें कि वे धीरे-धीरे अपना ध्यान अपने बैठने की स्थिति पर ले आएँ और जब भी ठीक लगे, वे अपनी आँखें खोल सकते हैं।
क्या करें और क्या नहीं करें:
  • चेक इन शुरू करने के पहले विद्यार्थियों को अपनी जगह पर आराम से बैठने का वक़्त दें।
  • गतिविधि के दौरान यदि किसी विद्यार्थी का ध्यान आपको भटकता हुआ प्रतीत हो तो उसका नाम लिए बिना, पूरी कक्षा को ध्यान देने के लिए कहें।

1 b) ध्यान देने की प्रक्रिया पर चर्चा: 10 मिनट

उद्देश्य: माइंडफुलनेस की प्रक्रिया और उसके फ़ायदों पर विद्यार्थियों के अनुभव जानना।

चर्चा के लिए प्रस्तावित बिंदु:
  • विद्यार्थियों को 2-3 मिनट माइंडफुलनेस गतिविधियों से स्वयं में आए बदलावों के बारे में सोचने के लिए कहें। पिछले सप्ताह की गई माइंडफुलनेस गतिविधि के अनुभव और अभ्यास के बारे में सोचने के लिए कहें। यह भी सोचें कि इस गतिविधि का प्रयोग हैपीनेस पीरियड के अलावा कब और किस प्रकार किया। 
  • शिक्षक इसके पश्चात विद्यार्थियों से चर्चा कर सकते हैं कि माइंडफुलनेस सीखने से विद्यार्थी अपने जीवन में क्या सुधार महसूस कर रहे हैं।
    • मन के अंदर तनाव की कमी
    • क्लास में ध्यान देने में मदद
    • इस बात का एहसास होना कि मेरे अंदर क्या चल रहा है (सुख, दुःख, क्रोध आदि)
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने विचार अपनी नोटबुक में लिख सकते हैं। इसके बाद कुछ विद्यार्थियों को अपने विचार साझा करने के लिए कहें।
  • इस दौरान माइंडफुलनेस गतिविधि से संबंधित विद्यार्थियों के विशेष अनुभव, चुनौतियों या प्रश्नों पर भी चर्चा की जा सकती है।
  • माइंडफुलनेस पर विद्यार्थियों द्वारा लाए गए आर्टिकल्स (articles) पर चर्चा करें।
क्या करें और क्या नहीं करें:
  • हर हफ्ते विद्यार्थियों से कहें कि वे माइंडफुलनेस पर कुछ अच्छे आर्टिकल्स (articles) ढूँढकर लाएँ जिस पर क्लास में चर्चा की जा सके।
  • सभी विद्यार्थियों को उत्तर देने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करें।
  • जो विद्यार्थी इस भाग में उत्तर देने में संकोच महसूस कर रहे हैं, वे अपने विचार कहीं लिख सकते हैं।
  • शिक्षक विद्यार्थियों के सभी उत्तरों को स्वीकार करें।
2. a. Heartbeat: 5 मिनट
उद्देश्य: विद्यार्थी अपनी धड़कन व साँसो के प्रति सजग हो पाएँ

गतिविधि के चरण:
  • शिक्षक सभी विद्यार्थियों को शांत भाव से एक आरामदायक स्थिति में बैठने को कहें। विद्यार्थियों को अपनी आँखें बंद करने या नीचे की ओर देखने को कहें। 
  • विद्यार्थियों को तीन गहरी सांस अंदर और बाहर लेने को कहें।
अंदर….. बाहर। (तीन बार)
  • विद्यार्थियों को अपनी उंगलियों या हाथों को अपने शरीर के उस हिस्से पर रखने को कहें जहां वे अपनी नाड़ी (या दिल की धड़कन) महसूस कर सकते हैं। जैसे - अपनी गर्दन के किनारे, अपने जबड़े के नीचे, अपनी कलाई में, अपने दिल पर।
  • विद्यार्थियों को नोटिस करने को कहें कि उनका दिल कितनी तेज़ या धीरे-धीरे धड़क रहा है।
  • विद्यार्थियों को ध्यान देने को कहें कि अभी वे क्या महसूस कर रहे हैं।
  • विद्यार्थियों से जानें कि क्या यह भावना दिल की धड़कन की गति से जुड़ी है? अगर धड़कन तेज़ है तो क्या विचार भी अलग प्रकार के हैं, और धड़कन धीरे होने से विचार अलग प्रकार के विचार हो जाते हैं।
(10 सेकंड रुकें)
  • अब विद्यार्थियों को आँखें खोलने के लिए कहें और बिना बोले, शांति व सजगता से खड़े होकर, दस बार कूदने को कहें।
  • विद्यार्थियों को बैठने को कहें और अपने दिल की धड़कन पर फिर से ध्यान ले जाने को कहें।
  • विद्यार्थियों को इस बात पर ध्यान देने के लिए कहें कि क्या वे कोई बदलाव महसूस कर रहे हैं। क्या दिल की धड़कन की गति बदली है? क्या सांस में कोई बदलाव हुआ है?
  • विद्यार्थियों को आँखें बंद करने को बोलें और अपने दिल की धड़कन पर तब तक ध्यान केंद्रित करने को कहें जब तक कि यह फिर से धीमी न हो जाए।
(30 सेकंड बाद)
  • विद्यार्थियों से कहें कि जब उन्हें ठीक लगे वे अपनी आँखें खोल सकते हैं।
क्या करें क्या नहीं करें:
यदि किसी विद्यार्थी कूदने में कोई परेशानी महसूस करे तो उस पर ऐसा करने के लिए दबाव न डाला जाए।

2. b. Heartbeat पर चर्चा: 15 मिनट
  • कूदने से पहले और कूदने के बाद आपने क्या बदलाव महसूस किया?
  • क्या आपको ऐसा लगा कि आपके विचार आपके दिल की धड़कन की गति से जुड़े हैं? अगर धड़कन तेज़ है तो आपके विचार भी अलग प्रकार के हैं, और धड़कन धीरे होने से अलग प्रकार के विचार हो जाते हैं?
  • आपने गतिविधि के दौरान अपने शरीर व विचारों में क्या बदलाव पाया? चर्चा करें।

3. साइलेंट चेक आउट (Silent Check Out): 1-2 मिनट

उद्देश्य: इस गतिविधि का उद्देश्य है कि विद्यार्थी इस कक्षा में की गई गतिविधियों से उत्पन्न हुए विचारों और भावनाओं पर मनन कर पाएं |

गतिविधि के चरण:
  • ध्यान की कक्षा का अंत 2 मिनट शाँत बैठकर किया जाए। इस दौरान कोई निर्देश न दिया जाए।
  •  विद्यार्थी आँखें बंद रखें या खुली रखकर नीचे की ओर देखें, यह उनकी इच्छा पर छोड़ दें।
क्या करें क्या नहीं करें:
  • शिक्षक अंत में कोई भी प्रश्न न पूछें |
  • अगर कोई विद्यार्थी अपना अनुभव साझा करना चाहता है तो शिक्षक उसे मौका दे सकते हैं|
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