सत्र 20 (बादल की तरह विचार)

समय वितरण 
1. a. माइंडफुल चेक-इन (Mindful Check In): 3-5 मिनट
b. ध्यान देने की प्रक्रिया पर चर्चा: 10 मिनट
2. a. बादल की तरह विचार: 5 मिनट
b. बादल की तरह विचार पर चर्चा: 10 मिनट
3. साइलेंट चेक आउट (Silent Check Out): 1-2 मिनट

1 a) माइंडफुल चेक-इन (Mindful Check In): 3-5 मिनट

उद्देश्य: इस गतिविधि के माध्यम से शिक्षक विद्यार्थियों को ध्यान देने की कक्षा के लिए तैयार करेंगे।

गतिविधि के चरण
  • शिक्षक विद्यार्थियों को बताएँ कि इस गतिविधि के द्वारा विद्यार्थी अपना ध्यान पहले से कर रहे कार्य से हटाकर, वर्तमान में लेकर आते हैं। इसका अभ्यास विद्यार्थी कभी भी, कहीं भी कर सकते हैं।
  • शिक्षक सभी विद्यार्थियों से कहें कि वे आरामदायक स्थिति में बैठकर, चाहें तो कमर सीधी करके आँखें बंद कर लें। अगर किसी को आँखें बंद करने में मुश्किल महसूस हो रही हो तो वह नीचे की ओर देख सकता है।
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने हाथ डेस्क पर या अपने पैरों पर रख सकते हैं।
  • शिक्षक विद्यार्थियों से कहें कि हम शुरूआत माइंडफुल चेक इन गतिविधि से करेंगे। यह गतिविधि हम लगभग 3 मिनट तक करेंगे।
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपना ध्यान पहले अपने आस-पास के वातावरण में उत्पन्न हो रही आवाज़ों पर ले जाएँ और उसके बाद अपनी साँसों की प्रक्रिया पर ले जाएँगे।
  • विद्यार्थियों को बताएँ कि ये आवाज़ें धीमी हो सकती हैं...या तेज़, रुक-रुककर आ सकती हैं...या लगातार।
(20 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि जैसी भी हों, इन आवाज़ों के प्रति सजग हो जाएँ। ध्यान दें कि ये आवाज़ें कहाँ से आ रही हैं।
(30 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि अब वे अपना ध्यान अपनी साँसों पर लेकर जाएँ। साँसों के आने और जाने पर ध्यान दें।
  • विद्यार्थियों को बताएँ कि वे साँसों को किसी प्रकार बदलने की कोशिश न करें। केवल अपनी साँसों के प्रति सजग हो जाएँ।
(10 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे ध्यान दें कि साँस कब अंदर आ रही है और कब बाहर जा रही है। अंदर आने और बाहर जाने वाली साँस में कोई अंतर है या नहीं। क्या ये साँसें ठंडी हैं या गरम...तेज़ी से आ रही हैं या आराम से….हल्की हैं या गहरी। 
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपनी हर साँस के प्रति सजग हो जाएँ।
(20 सेकंड रुकें)
  • अब विद्यार्थियों से कहें कि वे धीरे-धीरे अपना ध्यान अपने बैठने की स्थिति पर ले आएँ और जब भी ठीक लगे, वे अपनी आँखें खोल सकते हैं।
क्या करें और क्या नहीं करें:
  • चेक इन शुरू करने के पहले विद्यार्थियों को अपनी जगह पर आराम से बैठने का वक़्त दें।
  • गतिविधि के दौरान यदि किसी विद्यार्थी का ध्यान आपको भटकता हुआ प्रतीत हो तो उसका नाम लिए बिना, पूरी कक्षा को ध्यान देने के लिए कहें।
1 b) ध्यान देने की प्रक्रिया पर चर्चा: 10 मिनट

उद्देश्य: माइंडफुलनेस की प्रक्रिया और उसके फ़ायदों पर विद्यार्थियों के अनुभव जानना।

चर्चा के लिए प्रस्तावित बिंदु:
  • शिक्षक विद्यार्थियों से चर्चा कर सकते हैं कि माइंडफुलनेस सीखने से विद्यार्थी अपने जीवन में क्या सुधार महसूस कर रहे हैं।
    • मन के अंदर तनाव की कमी
    • क्लास में ध्यान देने में मदद
    • इस बात का एहसास होना कि मेरे अंदर क्या चल रहा है (सुख, दुःख, क्रोध आदि)
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने विचार अपनी नोटबुक में लिख सकते हैं। इसके बाद कुछ विद्यार्थियों को अपने विचार साझा करने के लिए कहें।
  • इस दौरान माइंडफुलनेस गतिविधि से संबंधित विद्यार्थियों के विशेष अनुभव, चुनौतियों या प्रश्नों पर भी चर्चा की जा सकती है।
क्या करें और क्या नहीं करें:
  • सभी विद्यार्थियों को उत्तर देने के लिए प्रेरित करें।
  • शिक्षक सभी विद्यार्थियों के उत्तर स्वीकार करें।
  • विद्यार्थियों द्वारा दिए गए उत्तर पर कोई नकारात्मक टिप्पणी न करें।
2. a. बादल की तरह विचार : 5 मिनट

उद्देश्य: विचारों के प्रति सजगता।

क्या करें क्या न करें:
शिक्षक बच्चों को अभ्यास शुरू करवाने से पहले, उन्हें क्या-क्या करना है, बता सकते हैं।

गतिविधि के चरण
  • शिक्षक विद्यार्थियों को बताएँ कि:
    • पिछले 2-3 महीनों में हम सब अपने वातावरण के प्रति सजग हुए थे, अब हम अपना ध्यान अपने भीतर लेकर जाएँगे एवं अपने विचारों के प्रति सजग होंगे।
    • विचारों को बदलने की, रोकने की, अच्छा-बुरा सोचने की और विचारों की गति बदलने की कोशिश बिलकुल न करें। जैसे विचार आ रहे हैं, उन्हें वैसे ही आने दें और अपना ध्यान उन पर केंद्रित करें।
    • विचारों पर ध्यान देने का मतलब विचारों को समाप्त करना नहीं है।
    •  अब हम अपने मन को आसमान की तरह देख सकते हैं और मन में आने वाले विचारों को बादल की तरह। ऐसा अभ्यास करते हुए हम जानेंगे कि हमारे मन में कितने विचार आते हैं।
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि अब वे एक आरामदायक स्थिति में बैठ जाएँ। अपनी पीठ को सीधा करें और कंधो को ढीला छोड़ें। धीरे से अपनी आँखें बंद करें।
  • अब छात्रों को तीन लम्बी गहरी साँस लेने के लिए और मुँह से छोड़ने के लिए कहा जाए। अगर किसी भी तरह का तनाव शरीर में महसूस हो रहा हो तो अगली साँस के साथ उसे शरीर से बाहर करेंगे।
  • जैसे साँस अंदर-बाहर अपने आप आ-जा रही है, उसी प्रकार हमारे मन में कई विचार आते और जाते रहते हैं। ये विचार हो सकता है बीते हुए कल से या फिर आने वाले कल से संबंधित हों, या फिर किसी घटना से संबंधित हो सकते हैं। इन विचारों को आने दें और जाने दें। और इन्हें शांत मन से देखते रहें। किसी भी विचार को रोकें नहीं। विचार जैसे भी हैं उनकी वैसे ही आने दें।
  • ऐसा अभ्यास करते हुए अगर आपको शरीर में किसी तरह की बेचैनी या हलचल महसूस हो तो आप अपना ध्यान अपनी साँसों की प्रक्रिया पर ला सकते हैं।
  • विद्यार्थियों को कहें कि आप अपने मन को कल्पना में आसमान की तरह मान सकते है व हर विचार को बादल की तरह। जिस तरह आसमान में बादल घूमते रहते हैं उसी प्रकार हमारे मन रूपी आसमान में विचारों के बादल आते व जाते रहते हैं। आप शांत मन से बादल रूपी विचारों को देखें। विचार आ रहे हैं और जा रहे हैं।
  • विद्यार्थियों को कहें कि जब भी आपका मन विचारों में उलझ जाए तो आप अपना ध्यान अपनी साँसों की प्रक्रिया पर ला सकते हैं
  • अब उन्हें कहें कि वे अगली साँस के साथ अपना ध्यान अपने बैठने की स्थिति की ओर ले जाएँ, वातावरण में हो रही आवाज़ों के प्रति सजग हो जाएँ। धीरे-धीरे पैर की उँगलियों को हिलाएँ और अब जब भी अच्छा महसूस करें तब अपनी आँखें खोल सकते हैं।
2. b. बादल की तरह विचार पर चर्चा: 10 मिनट
  • आप कैसा महसूस कर रहे हैं?
  • आपने अपने विचारों के बारे में क्या जाना?
  • यह अभ्यास कठिन था या आसान? क्यों?
3. साइलेंट चेक आउट (Silent Check Out): 1-2 मिनट 

उद्देश्य: इस गतिविधि का उद्देश्य है कि विद्यार्थी हैप्पीनेस कक्षा में आज की गई गतिविधियों से उत्पन्न हुए विचारों और भावनाओं पर मनन (reflection) कर पाएँ।

गतिविधि के चरण:
  • ध्यान की कक्षा का अंत शांत बैठकर किया जाए। 
  • इस दौरान विद्यार्थी आज की गई गतिविधियों से उत्पन्न विचारों और भावनाओं पर मनन (reflection) करें।
  • इस दौरान विद्यार्थियों को कोई अन्य निर्देश न दिया जाए।
  • विद्यार्थी आँखें बंद रखें या खुली रखकर नीचे की ओर देखें, यह उनकी इच्छा पर छोड़ दें। 
क्या करें और क्या नहीं करें: 
  • साइलेंट चेक आउट के बाद शिक्षक कोई भी प्रश्न न पूछें।
  • अगर कोई विद्यार्थी अपना अनुभव साझा करना चाहता है तो शिक्षक उसे मौका दे सकते हैं।
------------------------

No comments:

Post a Comment