1. ममता (Care)

उद्देश्य: अपने पालन-पोषण में माता-पिता व परिवार के अन्य बड़े-बुजुर्गों की भागीदारी देख पाना और एक-दूसरे की देखभाल के लिए स्वयं भी भागीदारी करना।

शिक्षक के संदर्भ के लिए नोट: जब हम अपने संबंधों में किसी व्यक्ति के शरीर के पोषण और संरक्षण की ज़िम्मेदारी को स्वीकार करते हैं तो हमारा मन एक स्थिरता महसूस करता है और इस ज़िम्मेदारी को निभाने पर हमें संतुष्टि होती है। इसे ही हम ममता का भाव (feeling of care) कहते हैं।
बच्चे के शरीर के पोषण और संरक्षण के लिए उसे पौष्टिक व स्वादिष्ट भोजन खिलाना, उसे शरीर की सफ़ाई करना सिखाना, उसे व्यायाम, दौड़ इत्यादि का अभ्यास कराना, मेहनत व श्रम के प्रति उसकी मानसिकता बनाना, उसे अलग-अलग कौशल (skills) का exposure देना - इन सभी प्रक्रियाओं से बच्चा स्वस्थ होता है और स्वस्थ बना रहता है। स्वस्थ होने से पोषण देने वाले व्यक्ति को ममता का एहसास होता है। यही स्वस्थ बच्चा बड़ा होने पर स्वावलंबी होता है और अपने माता-पिता के शरीर के पोषण और संरक्षण की ज़िम्मेदारी सहजता से स्वीकारता है। उनकी सेवा करता है, घर की ज़िम्मेदारियाँ स्वीकारता है और अपनी संतान के पोषण-संरक्षण के लिए भी सक्षम होता है। ऐसा होने पर उसके माता-पिता में सही रूप में ममता के भाव की तृप्ति होती है और हमेशा के लिए बनी रहती है।
प्रकृति के नियमानुसार जो व्यक्ति जिसके लिए ममता भाव के साथ होता है उसके लिए वह माता (mother) के स्वरूप में होता है फिर चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, आयु में छोटा हो या बड़ा। अत: संबंध और उसके संबोधन का प्राकृतिक आधार भाव ही होता है जबकि अभी व्यवहार में हम माता सिर्फ़ उसे ही मानते हैं जिसने हमें जन्म दिया है और/या जो हमारा पालन-पोषण करती है, क्योंकि बच्चे को जन्म देने के साथ ही उसके पोषण और देखभाल की ज़िम्मेदारी प्रधानत: वही निभाती है।
बच्चे, वृद्ध, रोगी और वे व्यक्ति जो किसी अन्य भूमिका में व्यस्त रहते हैं, ऐसे व्यक्तियों को अपने शरीर के पोषण व संरक्षण के लिए मदद की आवश्यकता होती है। किसी न किसी परिस्थिति या आयु में यह आवश्यकता सभी को रहती है। अत: इस ज़िम्मेदारी को स्वीकार करके निभाने वाला व्यक्ति ही ममता का भाव महसूस करता है।
ममता के भाव (feeling of care) को पहचानने (to explore), महसूस करने (to experience) और व्यक्त करने (to express) के लिए निम्नलिखित सत्र (sessions) रखे गए हैं।

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सत्र: 1

उद्देश्य: बच्चे अपनी देखभाल करने वालों की भागीदारी देख पाए।
समय: प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एक से दो दिन (अभिव्यक्ति दिन ) का समय निर्धारित किया गया है बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।
शिक्षक नोट: शिक्षक बच्चों का ध्यान इस ओर ले जाएं कि उनके शरीर की देखभाल, पोषण और सुरक्षा के लिए, कोई, जो भी कुछ करते है, ये ही ममता का भाव है। इस भाव कि भागीदारी को बच्चे अपने आसपास देख पाए और पहचान पाएँ।

कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

बच्चों द्वारा अभिव्यक्ति: निम्न प्रश्नों के माध्यम से बच्चों को अभिव्यक्ति के अवसर दिए जाएँ।
  • घर में आपके लिए भोजन कौन बनाता है?
  • आपके खाने के लिए घर में क्या-क्या बनाया जाता है और उसे बनाने के लिए क्या तैयारी की जाती है?
  • जब आपकी तबियत ख़राब होती है तब आपका ध्यान कौन रखता है?
  • तबियत खराब होने पर आपके परिवार वाले आपका ध्यान कैसे रखते है?
  • घर में आपका ध्यान और कौन-कौन रखता है?
  • आपका ध्यान सिर्फ घर में ही रखा जाता है या घर से बाहर भी (आस-पड़ोस)? ऐसी कोई घटना बताएँ जब बाहर किसी ने आपका ध्यान रखा हो।
  • विद्यालय में आपको सुरक्षित रखने में कौन-कौन आपका ध्यान रखता है?
अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य :
अगले पूरे सप्ताह आप ध्यान दीजिए कि जब कोई आपकी देखभाल करता है या ध्यान रखता है तो आपको कैसा महसूस होता है आपके भाव उसके प्रति कैसे होते हैं। अगले अभिव्यक्ति दिवस पर हम चर्चा करेंगें।

कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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सत्र : 2

उद्देश्य : बच्चे अपनी देखभाल करने वालों के प्रति अपने भावों को महसूस कर पाए उसकी अभिव्यक्ति कर पाए।
समय: प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एक से दो दिन (अभिव्यक्ति दिन ) का समय निर्धारित किया गया है बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।

शिक्षक नोट: शिक्षक बच्चों का ध्यान इस ओर ले जाएं कि उनके देखभाल, पोषण और सुरक्षा के लिए, कोई, जो भी कुछ करते हैं, इस ममता के भाव की भागीदारी को बच्चे अपने में महसूस कर पाएं।

कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

बच्चों द्वारा निम्न प्रश्नों पर अभिव्यक्ति :
  • आपकी मम्मी या घर का कोई बड़ा आपको खाना देते हैं तब आप कैसा महसूस करते हैं?
  • जब आपको बड़े बाहर का खाना खाने से मना करते हैं तब आपको कैसा महसूस होता है?
  • जब आप बीमार होते हो और आपके घर वाले आपका ध्यान रखते हैं, तब आपको कैसा महसूस होता है? कोई घटना साझा करें जब बीमार होने पर घर पर आपका किसी ने ख्याल रखा हो।
  • जब आपका कोई ध्यान रखता है तब आपको कैसा महसूस होता है? (जैसे: खाना-पीना, आपके कपड़े, आपकी दवाई, सोने उठने, खेलने और आपकी सुरक्षा आदि)
  • आपकी मम्मी या घर पर किसी बड़े ने अपनी तबियत खराब होने पर भी आपके लिए खाना बनाया? तब आपको कैसा महसूस हुआ? ऐसी कोई घटना साझा करो .
अगले अभिव्यक्ति दिवस के लिए कार्य :
अगले पूरे सप्ताह आप ध्यान दीजिए कि जब कोई आपकी देखभाल करता है या ध्यान रखता है तो आपको कैसा महसूस होता है, आपके भाव उसके प्रति कैसे होते हैं और आप उनको कैसे बताते (व्यक्त करते) हैं? अगले अभिव्यक्ति दिवस पर हम चर्चा करेंगें।

कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें।

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सत्र 3

उद्देश्य : बच्चे अपनी देखभाल करने वालों के प्रति अपने भावों की अभिव्यक्ति कर पाए।
समय: प्रत्येक सत्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एक से दो दिन (अभिव्यक्ति दिन) का समय निर्धारित किया गया है बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक चलाया जाए।

शिक्षक नोट: सत्र का उद्देश्य मुख्यतः इसी भाव को समझना समझाना है की हमारे शरीर के पोषण और संरक्षण के लिए जो भी ज़िम्मेदारी का निर्वाह करते है हम उनके मन में उठते ममता के भाव को पहचान कर महसूस कर पाएं। और उनके द्वारा किये कार्यों के लिए उनको विभिन्न तरीके से धन्यवाद कर सकें।

कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

बच्चों द्वारा निम्न प्रस्तावित प्रश्नों पर अभिव्यक्ति करवाई जाए :
  • आपकी मम्मी ने थकान के बाद भी आपको भूख लगने पर भोजन बना कर दिया। आपने क्या किया?
  • आपके birthday पर आपकी मम्मी ने आपकी पसंद का खाना बनाया आपको अच्छा लगा। आपने मम्मी को कैसे धन्यवाद दिया?
  • आपकी मम्मी या बड़े ने अपने खाने के लिए रखी वस्तु आपको दी क्योंकि आपको वो बहुत पसंद थी। आपने उनका आभार कैसे व्यक्त किया?
  • विद्यालय में हम सुरक्षित किनके कारण रहते हैं हम उनको लिए क्या करते हैं? ( शिक्षक बच्चों से बताए गए लोगों के लिए धन्यवाद कार्ड बनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।)
  • घर के अलावा हमारी देखभाल जो करता है, हम उनके के प्रति आपने भाव कैसे व्यक्त करते है?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की अपनी अभिव्यक्ति के बारे में विचार करें। 

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