सत्र 16 (Happy Experiences)


समय वितरण: 
1. a. माइंडफुल चेक-इन (Mindful Check In): 3-5 मिनट
    b. ध्यान देने की प्रक्रिया पर चर्चा: 10 मिनट
2. a. Happy Experiences: 5 मिनट
    b. Happy Experiences पर चर्चा: 15 मिनट
3. Silent Check Out: 1-2 मिनट

1 a) माइंडफुल चेक-इन (Mindful Check In): 3-5 मिनट 
उद्देश्य: इस गतिविधि के माध्यम से शिक्षक विद्यार्थियों को ध्यान देने की कक्षा के लिए तैयार करेंगे।
गतिविधि के चरण 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को बताएँ कि इस गतिविधि के द्वारा विद्यार्थी अपना ध्यान पहले से कर रहे कार्य से हटाकर, वर्तमान में लेकर आते हैं। इसका अभ्यास विद्यार्थी कभी भी, कहीं भी कर सकते हैं। 
  • शिक्षक सभी विद्यार्थियों से कहें कि वे आरामदायक स्थिति में बैठकर, चाहें तो कमर सीधी करके आँखें बंद कर लें। अगर किसी को आँखें बंद करने में मुश्किल महसूस हो रही हो तो वह नीचे की ओर देख सकता है। 
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने हाथ डेस्क पर या अपने पैरों पर रख सकते हैं। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों से कहें कि हम शुरूआत माइंडफुल चेक इन गतिविधि से करेंगे। यह गतिविधि हम लगभग 3 मिनट तक करेंगे। 
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपना ध्यान पहले अपने आसपास के वातावरण में उत्पन्न हो रही आवाज़ों पर ले जाएँ और उसके बाद अपनी साँसों की प्रक्रिया पर ले जाएँगे। 
  • विद्यार्थियों को बताएँ कि ये आवाज़ें धीमी हो सकती हैं...या तेज़, रुक-रुककर आ सकती हैं...या लगातार। 
(20 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि जैसी भी हों, इन आवाज़ों के प्रति सजग हो जाएँ। ध्यान दें कि ये आवाज़ें कहाँ से आ रही हैं। 
(30 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि अब वे अपना ध्यान अपनी साँसों पर लेकर जाएँ। साँसों के आने और जाने पर ध्यान दें। 
  • विद्यार्थियों को बताएँ कि वे साँसों को किसी प्रकार बदलने की कोशिश न करें। केवल अपनी साँसों के प्रति सजग हो जाएँ। 
 (10 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे ध्यान दें कि साँस कब अंदर आ रही है और कब बाहर जा रही है। अंदर आने और बाहर जाने वाली साँस में कोई अंतर है या नहीं। क्या ये साँसें ठंडी हैं या गरम...तेज़ी से आ रही हैं या आराम से….हल्की हैं या गहरी। 
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपनी हर साँस के प्रति सजग हो जाएँ। 
(20 सेकंड रुकें)
  • अब विद्यार्थियों से कहें कि वे धीरे-धीरे अपना ध्यान अपने बैठने की स्थिति पर ले आएँ और जब भी ठीक लगे, वे अपनी आँखें खोल सकते हैं। 
  क्या करें और क्या नहीं करें: 
  • चेक इन शुरू करने के पहले विद्यार्थियों को अपनी जगह पर आराम से बैठने का वक़्त दें। 
  • गतिविधि के दौरान यदि किसी विद्यार्थी का ध्यान आपको भटकता हुआ प्रतीत हो तो उसका नाम लिए बिना, पूरी कक्षा को ध्यान देने के लिए कहें। 
1 b) ध्यान देने की प्रक्रिया पर चर्चा: 10 मिनट 
उद्देश्य: माइंडफुलनेस की प्रक्रिया और उसके फ़ायदों पर विद्यार्थियों के अनुभव जानना।
  चर्चा के लिए प्रस्तावित बिंदु: 
  • विद्यार्थियों को 2-3 मिनट माइंडफुलनेस गतिविधियों से स्वयं में आए बदलावों के बारे में सोचने के लिए कहें। पिछले सप्ताह की गई माइंडफुलनेस गतिविधि के अनुभव और अभ्यास के बारे में सोचने के लिए कहें। यह भी सोचें कि इस गतिविधि का प्रयोग हैप्पीनेस पीरियड के अलावा कब और किस प्रकार किया। 
  • शिक्षक इसके पश्चात विद्यार्थियों से चर्चा कर सकते हैं कि माइंडफुलनेस सीखने से विद्यार्थी अपने जीवन में क्या सुधार महसूस कर रहे हैं। ○ मन के अंदर तनाव की कमी ○ क्लास में ध्यान देने में मदद ○ इस बात का एहसास होना कि मेरे अंदर क्या चल रहा है (सुख, दुःख, क्रोध आदि) 
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने विचार अपनी नोटबुक में लिख सकते हैं। इसके बाद कुछ विद्यार्थियों को अपने विचार साझा करने के लिए कहें। 
  • इस दौरान माइंडफुलनेस गतिविधि से संबंधित विद्यार्थियों के विशेष अनुभव, चुनौतियों या प्रश्नों पर भी चर्चा की जा सकती है। 
  • माइंडफुलनेस पर विद्यार्थियों द्वारा लाए गए आर्टिकल्स (articles) पर चर्चा करें। 
क्या करें और क्या नहीं करें: 
  • हर हफ्ते विद्यार्थियों से कहें कि वे माइंडफुलनेस पर कुछ अच्छे आर्टिकल्स (articles) ढूँढकर लाएँ जिस पर क्लास में चर्चा की जा सके। 
  • सभी विद्यार्थियों को उत्तर देने के लिए प्रेरित करें। 
  • जो विद्यार्थी इस भाग में उत्तर देने में संकोच महसूस कर रहे हैं, वे अपने विचार कहीं लिख सकते हैं। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों के सभी उत्तरों को स्वीकार करें। 
2. a. Happy Experiences : 5 मिनट 
उद्देश्य: विद्यार्थियों को शरीर एवं मन में ख़ुशी का अनुभव करवाना। इस गतिविधि से हमारी सजगता बढ़ती है - ख़ुशी के समय पर हमारा शरीर, हमारे विचार, हमारी भावना, हमारा व्यव्हार कैसा होता है। इस अभ्यास को हम कभी भी कहीं भी करके, ख़ुशी महसूस कर सकते हैं।
  शिक्षक विद्यार्थियों को बताएँ कि: 
  • अब आप और हम एक गतिविधि करेंगे जो हमें खुशी का अनुभव करने में मदद करेगी। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि अब वे एक आरामदायक स्थिति में बैठ जाएँ। अपनी पीठ को सीधा करें और कंधो को ढीला छोड़ें। धीरे से अपनी आँखें बंद करें। अब एक ग़हरी सास अंदर लें और मुँह के द्वारा सास बाहर छोड़ें। इसे एक- दो बार फिर से दोहराएँ। ग़हरी सास अंदर लें और मुँह से सास बाहर छोड़ें। 
  • विद्यार्थियों को कहें कि वे अब एक ऐसी जगह या स्थिति की कल्पना करें जहाँ आप ख़ुशी और सुकून महसूस करते हैं। कल्पना कीजिये की आप इस जगह या स्थिति में क्या कर रहे है? किसके साथ हैं? 10 सेकंड रुकें 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि अब वे खोजें और पता लगाएँ कि अपने शरीर में आप कहाँ ख़ुशी महसूस कर रहे है। क्या यह दिल में है, यह आपके पेट में है या आपके हाथों में है? 10 सेकंड रुकें 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि अब वे अपने शरीर में इस ख़ुशी के एहसास को महसूस करते रहें। विद्यार्थी ध्यान दें कि उनको कैसा महसूस हो रहा है। उनके शरीर में क्या प्रक्रिया चल रही है। 
  • विद्यार्थियों को कहें कि इसके साथ-साथ, अपना ध्यान अपने विचारों पर भी लाने का प्रयास करें। इस पल उनके मन में क्या विचार आ रहे हैं? क्या एक ही विचार आ रहा है या अलग अलग विचार आ रहे हैं। विद्यार्थी कुछ समय इन विचारों के साथ रहें। 10 सेकंड रुकें 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि अब वे धीरे से साँस अंदर लें..... और साँस छोड़े। साँस अंदर लेते हुए सोचें, ‘मैं मुस्करा रहा/रही हूँ।’ साँस बाहर छोड़ते हुए सोचें, ‘मैं मुस्करा रहा/ रही हूँ।’ 
  • अब विद्यार्थियों को धीरे-धीरे अपना ध्यान अपने आसपास के वातावरण में वापस लाने को कहें और जब विद्यार्थी तैयार हों तो वे अपनी आँखें खोल सकते हैं। 
  • अब विद्यार्थी एक दूसरे को देखें और कोमल मुस्कान दें। 
  2. b. Happy Experiences पर चर्चा: 15 मिनट 
  • आप कैसा महसूस कर रहे है? 
  • आपके शरीर में कहाँ कहाँ ख़ुशी का एहसास हुआ? 
  • आपने जिस जगह में खुश रहने की कल्पना की उसमे आप क्या करके खुशी महसूस कर रहे थे? 
  • इस गतिविधि के अभ्यास से आपको क्या लाभ हो सकता है? (इस गतिविधि के लगातार अभ्यास से हम सकारात्मक भावनाओं (Positive Feelings) को ज़्यादा महसूस कर पाते हैं, जैसे कि ख़ुशी, प्यार, संतोष, आभार, गर्व, आशा, रुचि, इत्यादि। इससे, हमारी संतुष्टि भी बेहतर रहती है और हमारी Well Being भी बढ़ता है।) 
  3. साइलेंट चेक आउट (Silent Check Out): 1-2 मिनट 
उद्देश्य: इस गतिविधि का उद्देश्य है कि विद्यार्थी हैप्पीनेस कक्षा में आज की गई गतिविधियों से उत्पन्न हुए विचारों और भावनाओं पर मनन (reflection) कर पाएँ।
  गतिविधि के चरण: 
  • ध्यान की कक्षा का अंत शांत बैठकर किया जाए। 
  • इस दौरान विद्यार्थी आज की गई गतिविधियों से उत्पन्न विचारों और भावनाओं पर मनन (reflection) करें। 
  • इस दौरान विद्यार्थियों को कोई अन्य निर्देश न दिया जाए। 
  • विद्यार्थी आँखें बंद रखें या खुली रखकर नीचे की ओर देखें, यह उनकी इच्छा पर छोड़ दें। 
क्या करें और क्या नहीं करें: 
  • साइलेंट चेक आउट के बाद शिक्षक कोई भी प्रश्न न पूछें। 
  • अगर कोई विद्यार्थी अपना अनुभव साझा करना चाहता है तो शिक्षक उसे मौका दे सकते हैं।
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