सत्र 23 (Brain House)


समय वितरण: 
1. a. माइंडफुल चेक-इन (Mindful Check In): 3-5 मिनट
    b. ध्यान देने की प्रक्रिया पर चर्चा: 10 मिनट
2. दिमाग का घर (Brain House) व चर्चा: 15 मिनट
3. Silent Check Out: 1-2 मिनट

1 a) माइंडफुल चेक-इन (Mindful Check In): 3-5 मिनट 
उद्देश्य: इस गतिविधि के माध्यम से शिक्षक विद्यार्थियों को ध्यान देने की कक्षा के लिए तैयार करेंगे।
गतिविधि के चरण 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को बताएँ कि इस गतिविधि के द्वारा विद्यार्थी अपना ध्यान पहले से कर रहे कार्य से हटाकर, वर्तमान में लेकर आते हैं। इसका अभ्यास विद्यार्थी कभी भी, कहीं भी कर सकते हैं। 
  • शिक्षक सभी विद्यार्थियों से कहें कि वे आरामदायक स्थिति में बैठकर, चाहें तो कमर सीधी करके आँखें बंद कर लें। अगर किसी को आँखें बंद करने में मुश्किल महसूस हो रही हो तो वह नीचे की ओर देख सकता है। 
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने हाथ डेस्क पर या अपने पैरों पर रख सकते हैं। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों से कहें कि हम शुरूआत माइंडफुल चेक इन गतिविधि से करेंगे। यह गतिविधि हम लगभग 3 मिनट तक करेंगे। 
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपना ध्यान पहले अपने आसपास के वातावरण में उत्पन्न हो रही आवाज़ों पर ले जाएँ और उसके बाद अपनी साँसों की प्रक्रिया पर ले जाएँगे। 
  • विद्यार्थियों को बताएँ कि ये आवाज़ें धीमी हो सकती हैं...या तेज़, रुक-रुककर आ सकती हैं...या लगातार। 
(20 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि जैसी भी हों, इन आवाज़ों के प्रति सजग हो जाएँ। ध्यान दें कि ये आवाज़ें कहाँ से आ रही हैं। 
(30 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि अब वे अपना ध्यान अपनी साँसों पर लेकर जाएँ। साँसों के आने और जाने पर ध्यान दें। 
  • विद्यार्थियों को बताएँ कि वे साँसों को किसी प्रकार बदलने की कोशिश न करें। केवल अपनी साँसों के प्रति सजग हो जाएँ। 
 (10 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे ध्यान दें कि साँस कब अंदर आ रही है और कब बाहर जा रही है। अंदर आने और बाहर जाने वाली साँस में कोई अंतर है या नहीं। क्या ये साँसें ठंडी हैं या गरम...तेज़ी से आ रही हैं या आराम से….हल्की हैं या गहरी। 
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपनी हर साँस के प्रति सजग हो जाएँ। 
(20 सेकंड रुकें)
  • अब विद्यार्थियों से कहें कि वे धीरे-धीरे अपना ध्यान अपने बैठने की स्थिति पर ले आएँ और जब भी ठीक लगे, वे अपनी आँखें खोल सकते हैं। 
  क्या करें और क्या नहीं करें: 
  • चेक इन शुरू करने के पहले विद्यार्थियों को अपनी जगह पर आराम से बैठने का वक़्त दें। 
  • गतिविधि के दौरान यदि किसी विद्यार्थी का ध्यान आपको भटकता हुआ प्रतीत हो तो उसका नाम लिए बिना, पूरी कक्षा को ध्यान देने के लिए कहें। 
1 b) ध्यान देने की प्रक्रिया पर चर्चा: 10 मिनट 
उद्देश्य: माइंडफुलनेस की प्रक्रिया और उसके फ़ायदों पर विद्यार्थियों के अनुभव जानना।
चर्चा के लिए प्रस्तावित बिंदु: 
  • विद्यार्थियों को 2-3 मिनट माइंडफुलनेस गतिविधियों से स्वयं में आए बदलावों के बारे में सोचने के लिए कहें। पिछले सप्ताह की गई माइंडफुलनेस गतिविधि के अनुभव और अभ्यास के बारे में सोचने के लिए कहें। यह भी सोचें कि इस गतिविधि का प्रयोग हैप्पीनेस पीरियड के अलावा कब और किस प्रकार किया। 
  • शिक्षक इसके पश्चात विद्यार्थियों से चर्चा कर सकते हैं कि माइंडफुलनेस सीखने से विद्यार्थी अपने जीवन में क्या सुधार महसूस कर रहे हैं। ○ मन के अंदर तनाव की कमी ○ क्लास में ध्यान देने में मदद ○ इस बात का एहसास होना कि मेरे अंदर क्या चल रहा है (सुख, दुःख, क्रोध आदि) 
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने विचार अपनी नोटबुक में लिख सकते हैं। इसके बाद कुछ विद्यार्थियों को अपने विचार साझा करने के लिए कहें। 
  • इस दौरान माइंडफुलनेस गतिविधि से संबंधित विद्यार्थियों के विशेष अनुभव, चुनौतियों या प्रश्नों पर भी चर्चा की जा सकती है। 
  • माइंडफुलनेस पर विद्यार्थियों द्वारा लाए गए आर्टिकल्स (articles) पर चर्चा करें। 
क्या करें और क्या नहीं करें: 
  • हर हफ्ते विद्यार्थियों से कहें कि वे माइंडफुलनेस पर कुछ अच्छे आर्टिकल्स (articles) ढूँढकर लाएँ जिस पर क्लास में चर्चा की जा सके। 
  • सभी विद्यार्थियों को उत्तर देने के लिए प्रेरित करें। 
  • जो विद्यार्थी इस भाग में उत्तर देने में संकोच महसूस कर रहे हैं, वे अपने विचार कहीं लिख सकते हैं। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों के सभी उत्तरों को स्वीकार करें। 
  2. दिमाग का घर (Brain House) व चर्चा: 15 मिनट 
उद्देश्य: विद्यार्थियों को भावनाओं और विचारों के बारे में सजग करवाना।
गतिविधि के चरण: 
  • शिक्षक निम्न चित्र ब्लैकबोर्ड पर बनाएँ। 












  • शिक्षक विद्यार्थियों से कहें कि “हम अपने दिमाग को एक घर की तरह सोच सकते है। इस घर में 2 मंज़िल है। नीचे की मंज़िल में हमारी कई कई प्रकार की भावनाएँ रहती है। भावना यानी feelings, हमारे अनुभवों और स्मृति (memory) से मन में उत्पन्न होने वाले भाव होते हैं। दूसरी मंज़िल में हमारे विचार रहते है। इसमें हमारे कई कई प्रकार के ख्याल रहते है। हमारी ध्यान देने की शक्ति, याद करने की शक्ति, सोचने की शक्ति और फैसले लेने की शक्ति, सब इसी मंज़िल में रहते है। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को बताएँ कि जब जीवन में परेशानियाँ/ कठिनाई आती है तब हम कई बार जल्दबाज़ी में और बार आवेगशील फैसले ले लेते है, बहुत घबरा जाते है, खुद से या दूसरों से चिड़चिड़ापन महसूस करने लगते है। घबराहट के कारण या तो हम मुश्किल परिस्थिति से दूर भाग जाते है या फिर ख़ुद से और दूसरों से परेशान रहने लगते है। हमारी सोच और भावनाएँ एक दूसरे में उलझ जाती है और हम सही फैसले नहीं ले पाते है। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों से पूछे, "इससे बचने के लिए हम क्या कर सकते है?”
  • कुछ विद्यार्थियों से उत्तर लेने के बाद चर्चा को ऐसे आगे बढ़ा सकते हैं- “क्या हम अपनी भावनाओं और विचारों के बीच दोस्ती करवा सकते है?” 
  • “हमारा दिमाग सबसे अच्छा काम करता है जब ऊपर और नीचे की मंज़िल एक साथ काम करते हैं; जब हम अपनी भावनाओं व विचारों के प्रति सजग होते हैं। माइंडफुलनेस के द्वारा हम इन दोनों मंज़िलों की दोस्ती करा सकते है।” 
  • “माइंडफुलनेस को हम एक सीढ़ी के तरह सोच सकते है जो दोनों मंज़िलों (विचार और भावना) को साथ में जोड़ता है। 
  चर्चा के लिए प्रस्तावित बिंदु: 
  • अब ब्लैक्बॉर्ड पर यह table बनाएँ- 
भावनाएँ
विचार







  • अब सभी विद्यार्थियों से कहें कि वे ऐसे 5 भावनाएँ और 5 विचार अपनी कॉपी में लिखें, जो उन्होंने कभी महसूस किए हैं या उनके मन में आए हैं। 
  • अब विद्यार्थियों से पूछें - 
  • भावनाएँ और विचार कैसे अलग अलग हैं? 
  • भावनाओं और विचार में अंतर जानने से हमारा क्या लाभ हो सकता है? 
  • आपने इस कक्षा में भावनाओं और विचारों के बारे में ऐसा क्या सीखा जो आपको सबसे उपयोगी/ अच्छा लगा? 
3. साइलेंट चेक आउट (Silent Check Out): 1-2 मिनट 
उद्देश्य: इस गतिविधि का उद्देश्य है कि विद्यार्थी हैप्पीनेस कक्षा में आज की गई गतिविधियों से उत्पन्न हुए विचारों और भावनाओं पर मनन (reflection) कर पाएँ।
  गतिविधि के चरण: 
  • ध्यान की कक्षा का अंत शांत बैठकर किया जाए। 
  • इस दौरान विद्यार्थी आज की गई गतिविधियों से उत्पन्न विचारों और भावनाओं पर मनन (reflection) करें। 
  • इस दौरान विद्यार्थियों को कोई अन्य निर्देश न दिया जाए। 
  • विद्यार्थी आँखें बंद रखें या खुली रखकर नीचे की ओर देखें, यह उनकी इच्छा पर छोड़ दें। 
क्या करें और क्या नहीं करें: 
  • साइलेंट चेक आउट के बाद शिक्षक कोई भी प्रश्न न पूछें। 
  • अगर कोई विद्यार्थी अपना अनुभव साझा करना चाहता है तो शिक्षक उसे मौका दे सकते हैं।
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