सत्र 21 (Thoughts as Bus Passengers)


समय वितरण: 
1. a. माइंडफुल चेक-इन (Mindful Check In): 3-5 मिनट
    b. ध्यान देने की प्रक्रिया पर चर्चा: 10 मिनट
2. a. बस में सवारी (Thoughts as Bus Passengers): 5 मिनट
    b. बस में सवारी (Thoughts as Bus Passengers) पर चर्चा: 15 मिनट
3. Silent Check Out: 1-2 मिनट

1 a) माइंडफुल चेक-इन (Mindful Check In): 3-5 मिनट 
उद्देश्य: इस गतिविधि के माध्यम से शिक्षक विद्यार्थियों को ध्यान देने की कक्षा के लिए तैयार करेंगे।
गतिविधि के चरण 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को बताएँ कि इस गतिविधि के द्वारा विद्यार्थी अपना ध्यान पहले से कर रहे कार्य से हटाकर, वर्तमान में लेकर आते हैं। इसका अभ्यास विद्यार्थी कभी भी, कहीं भी कर सकते हैं। 
  • शिक्षक सभी विद्यार्थियों से कहें कि वे आरामदायक स्थिति में बैठकर, चाहें तो कमर सीधी करके आँखें बंद कर लें। अगर किसी को आँखें बंद करने में मुश्किल महसूस हो रही हो तो वह नीचे की ओर देख सकता है। 
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने हाथ डेस्क पर या अपने पैरों पर रख सकते हैं। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों से कहें कि हम शुरूआत माइंडफुल चेक इन गतिविधि से करेंगे। यह गतिविधि हम लगभग 3 मिनट तक करेंगे। 
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपना ध्यान पहले अपने आसपास के वातावरण में उत्पन्न हो रही आवाज़ों पर ले जाएँ और उसके बाद अपनी साँसों की प्रक्रिया पर ले जाएँगे। 
  • विद्यार्थियों को बताएँ कि ये आवाज़ें धीमी हो सकती हैं...या तेज़, रुक-रुककर आ सकती हैं...या लगातार। 
(20 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि जैसी भी हों, इन आवाज़ों के प्रति सजग हो जाएँ। ध्यान दें कि ये आवाज़ें कहाँ से आ रही हैं। 
(30 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि अब वे अपना ध्यान अपनी साँसों पर लेकर जाएँ। साँसों के आने और जाने पर ध्यान दें। 
  • विद्यार्थियों को बताएँ कि वे साँसों को किसी प्रकार बदलने की कोशिश न करें। केवल अपनी साँसों के प्रति सजग हो जाएँ। 
 (10 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे ध्यान दें कि साँस कब अंदर आ रही है और कब बाहर जा रही है। अंदर आने और बाहर जाने वाली साँस में कोई अंतर है या नहीं। क्या ये साँसें ठंडी हैं या गरम...तेज़ी से आ रही हैं या आराम से….हल्की हैं या गहरी। 
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपनी हर साँस के प्रति सजग हो जाएँ। 
(20 सेकंड रुकें)
  • अब विद्यार्थियों से कहें कि वे धीरे-धीरे अपना ध्यान अपने बैठने की स्थिति पर ले आएँ और जब भी ठीक लगे, वे अपनी आँखें खोल सकते हैं। 
  क्या करें और क्या नहीं करें: 
  • चेक इन शुरू करने के पहले विद्यार्थियों को अपनी जगह पर आराम से बैठने का वक़्त दें। 
  • गतिविधि के दौरान यदि किसी विद्यार्थी का ध्यान आपको भटकता हुआ प्रतीत हो तो उसका नाम लिए बिना, पूरी कक्षा को ध्यान देने के लिए कहें। 
1 b) ध्यान देने की प्रक्रिया पर चर्चा: 10 मिनट 
उद्देश्य: माइंडफुलनेस की प्रक्रिया और उसके फ़ायदों पर विद्यार्थियों के अनुभव जानना।
चर्चा के लिए प्रस्तावित बिंदु: 
  • विद्यार्थियों को 2-3 मिनट माइंडफुलनेस गतिविधियों से स्वयं में आए बदलावों के बारे में सोचने के लिए कहें। पिछले सप्ताह की गई माइंडफुलनेस गतिविधि के अनुभव और अभ्यास के बारे में सोचने के लिए कहें। यह भी सोचें कि इस गतिविधि का प्रयोग हैप्पीनेस पीरियड के अलावा कब और किस प्रकार किया। 
  • शिक्षक इसके पश्चात विद्यार्थियों से चर्चा कर सकते हैं कि माइंडफुलनेस सीखने से विद्यार्थी अपने जीवन में क्या सुधार महसूस कर रहे हैं। ○ मन के अंदर तनाव की कमी ○ क्लास में ध्यान देने में मदद ○ इस बात का एहसास होना कि मेरे अंदर क्या चल रहा है (सुख, दुःख, क्रोध आदि) 
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने विचार अपनी नोटबुक में लिख सकते हैं। इसके बाद कुछ विद्यार्थियों को अपने विचार साझा करने के लिए कहें। 
  • इस दौरान माइंडफुलनेस गतिविधि से संबंधित विद्यार्थियों के विशेष अनुभव, चुनौतियों या प्रश्नों पर भी चर्चा की जा सकती है। 
  • माइंडफुलनेस पर विद्यार्थियों द्वारा लाए गए आर्टिकल्स (articles) पर चर्चा करें। 
क्या करें और क्या नहीं करें: 
  • हर हफ्ते विद्यार्थियों से कहें कि वे माइंडफुलनेस पर कुछ अच्छे आर्टिकल्स (articles) ढूँढकर लाएँ जिस पर क्लास में चर्चा की जा सके। 
  • सभी विद्यार्थियों को उत्तर देने के लिए प्रेरित करें। 
  • जो विद्यार्थी इस भाग में उत्तर देने में संकोच महसूस कर रहे हैं, वे अपने विचार कहीं लिख सकते हैं। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों के सभी उत्तरों को स्वीकार करें। 
  2. a. बस में सवारी (Thoughts as Bus Passengers): 5 मिनट 
उद्देश्य: विचारों को बस में सवारी की तरह देखना। इससे विद्यार्थी अपने विचारों के प्रति सजग हो पाएँगे और विचारों के प्रभाव को भी जान पाएँगे। जिस प्रकार बस में यात्रा करते समय हर तरह की सवारी होती हैं पर चालक का ध्यान सड़क पर होता है। ठीक उसी प्रकार हम अपने ध्यान के चालक है और हमारे विचार बस की सवारी की तरह है। इस गतिविधि में हम शांत मन से देखेंगे कि किस-किस तरह की सवारी आज बस में सवार हैं।
  गतिविधि के चरण: 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को बताएँ कि आज हम अपने विचारों को बस की सवारी की तरह भी देखेंगे। जिस प्रकार बस का ड्राइवर किसी सवारी पर अपना ध्यान दिए बिना बस को चलाता है व अपना ध्यान सड़क पर केंद्रित रखता है उसी प्रकार हम अपने विचार पर ग़ौर करें। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों से कहें कि विचार जैसे है, उन्हें वैसे ही देखें यानी विचारों के बारे में सही या ग़लत का निर्णय न लें। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि सब एक आरामदायक स्थिति में बैठ जाएँगे। कंधों को ढीला छोड़ दें। एक लंबी गहरी साँस लें और मुँह से धीरे-धीरे छोड़ें। अगली साँस के साथ धीरे-धीरे अपनी आँखे बंद कर लें। अगर किसी को आंखे बंद करने में असुविधा महसूस हो तो आप नीचे की ओर देख सकते हैं। 
  • विद्यार्थियों को कहें कि अगली साँस के साथ अपने वातावरण के लिए सजग हो जाएँ। अपना ध्यान वातावरण में उत्पन्न हो रही विभिन्न आवाज़ों पर लेकर जाएँगे। (30 सेकंड के लिए रुकें) 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि सामान्य रूप से साँस अंदर-बाहर आ जा रही है। साँस के अंदर-बाहर आने जाने से उत्पन्न हो रही संवेदना पर ध्यान ले कर जाएँगे। (शिक्षक इस स्थिति मे 10 सेकेंड तक रुकें) 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि वे कल्पना करें कि उनके मन में आने वाले विचार, बस में सवारी की तरह हैं।जिस तरह से बस पर सवारियों का आना जाना लगा रहता है उसी प्रकार आपके मन में विचार चल रहे हैं। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि किसी भी विचार पर किसी भी तरह की टिप्पणी न करें। जब कोई विचाररूपी सवारी झगड़ा करे, गुस्सा करे या फिर तनाव दे तब अपना ध्यान उस सवारी से लड़े-झगड़े बिना वापस अपनी साँस की प्रक्रिया पर ले आएँ। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि हो सकता है विचारों को देखते समय हम विचारों में उलझ जाएँ या फिर हमारा ध्यान विचारों से हटकर कहीं और चला जाए। ऐसी स्थिति में आप अपने ध्यान को वापस अपनी साँस पर लाएँ। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि अब अगले 1 मिनट तक हम सब अपने विचारों पर ग़ौर करेंगे। विचारों को आने दें और जाने दें। विचारों को रोकें नहीं। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि अब अगली साँस के साथ अपने बैठने की स्थिति पर ध्यान ले कर जाएँ। धीरे-धीरे अपना ध्यान अपने वातावरण में हो रही आवाज़ों पर लेकर जाएँ। अब जब भी अच्छा महसूस करें तब धीरे-धीरे अपनी आँखें खोल सकते हैं। 
2. b. बस में सवारी (Thoughts as Bus Passengers) पर चर्चा: 15 मिनट 
  • आपको कैसा लग रहा है? 
  • क्या आप अपना अनुभव साझा करना चाहेंगे? 
  • आप कब अपने विचारों पर ध्यान दे पाए? 
  • अपने विचारों पर गौर करने पर आपको क्या महसूस हुआ? 
क्या करें और क्या न करें: 
  • शिक्षक विद्यार्थियों की अभिव्यक्ति को पूरा अवसर प्रदान करें। 
  • शिक्षक से अपेक्षा है कि वे विद्यार्थियों के विचारों को धैर्यपूर्वक सुनें। किसी भी बच्चे की न तो प्रशंसा करें और न ही आलोचना। 
  • विद्यार्थियों के अनुभव की आपस में किसी तरह की कोई तुलना न करें क्योंकि हर बच्चे का अपना अनुभव होता है। 
3. साइलेंट चेक आउट (Silent Check Out): 1-2 मिनट 
उद्देश्य: इस गतिविधि का उद्देश्य है कि विद्यार्थी हैप्पीनेस कक्षा में आज की गई गतिविधियों से उत्पन्न हुए विचारों और भावनाओं पर मनन (reflection) कर पाएँ।
  गतिविधि के चरण: 
  • ध्यान की कक्षा का अंत शांत बैठकर किया जाए। 
  • इस दौरान विद्यार्थी आज की गई गतिविधियों से उत्पन्न विचारों और भावनाओं पर मनन (reflection) करें। 
  • इस दौरान विद्यार्थियों को कोई अन्य निर्देश न दिया जाए। 
  • विद्यार्थी आँखें बंद रखें या खुली रखकर नीचे की ओर देखें, यह उनकी इच्छा पर छोड़ दें। 
क्या करें और क्या नहीं करें: 
  • साइलेंट चेक आउट के बाद शिक्षक कोई भी प्रश्न न पूछें। 
  • अगर कोई विद्यार्थी अपना अनुभव साझा करना चाहता है तो शिक्षक उसे मौका दे सकते हैं।  
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