सत्र 19 (Gatekeeper)


समय वितरण: 
1. a. माइंडफुल चेक-इन (Mindful Check In): 3-5 मिनट
    b. ध्यान देने की प्रक्रिया पर चर्चा: 10 मिनट
2. a. Gatekeeper: 5 मिनट
    b. Gatekeeper पर चर्चा: 15 मिनट
3. Silent Check Out: 1-2 मिनट

1 a) माइंडफुल चेक-इन (Mindful Check In): 3-5 मिनट 
उद्देश्य: इस गतिविधि के माध्यम से शिक्षक विद्यार्थियों को ध्यान देने की कक्षा के लिए तैयार करेंगे।
गतिविधि के चरण 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को बताएँ कि इस गतिविधि के द्वारा विद्यार्थी अपना ध्यान पहले से कर रहे कार्य से हटाकर, वर्तमान में लेकर आते हैं। इसका अभ्यास विद्यार्थी कभी भी, कहीं भी कर सकते हैं। 
  • शिक्षक सभी विद्यार्थियों से कहें कि वे आरामदायक स्थिति में बैठकर, चाहें तो कमर सीधी करके आँखें बंद कर लें। अगर किसी को आँखें बंद करने में मुश्किल महसूस हो रही हो तो वह नीचे की ओर देख सकता है। 
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने हाथ डेस्क पर या अपने पैरों पर रख सकते हैं। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों से कहें कि हम शुरूआत माइंडफुल चेक इन गतिविधि से करेंगे। यह गतिविधि हम लगभग 3 मिनट तक करेंगे। 
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपना ध्यान पहले अपने आसपास के वातावरण में उत्पन्न हो रही आवाज़ों पर ले जाएँ और उसके बाद अपनी साँसों की प्रक्रिया पर ले जाएँगे। 
  • विद्यार्थियों को बताएँ कि ये आवाज़ें धीमी हो सकती हैं...या तेज़, रुक-रुककर आ सकती हैं...या लगातार। 
(20 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि जैसी भी हों, इन आवाज़ों के प्रति सजग हो जाएँ। ध्यान दें कि ये आवाज़ें कहाँ से आ रही हैं। 
(30 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि अब वे अपना ध्यान अपनी साँसों पर लेकर जाएँ। साँसों के आने और जाने पर ध्यान दें। 
  • विद्यार्थियों को बताएँ कि वे साँसों को किसी प्रकार बदलने की कोशिश न करें। केवल अपनी साँसों के प्रति सजग हो जाएँ। 
(10 सेकंड रुकें)
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे ध्यान दें कि साँस कब अंदर आ रही है और कब बाहर जा रही है। अंदर आने और बाहर जाने वाली साँस में कोई अंतर है या नहीं। क्या ये साँसें ठंडी हैं या गरम...तेज़ी से आ रही हैं या आराम से….हल्की हैं या गहरी। 
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपनी हर साँस के प्रति सजग हो जाएँ। 
(20 सेकंड रुकें)
  • अब विद्यार्थियों से कहें कि वे धीरे-धीरे अपना ध्यान अपने बैठने की स्थिति पर ले आएँ और जब भी ठीक लगे, वे अपनी आँखें खोल सकते हैं। 
क्या करें और क्या नहीं करें: 
  • चेक इन शुरू करने के पहले विद्यार्थियों को अपनी जगह पर आराम से बैठने का वक़्त दें। 
  • गतिविधि के दौरान यदि किसी विद्यार्थी का ध्यान आपको भटकता हुआ प्रतीत हो तो उसका नाम लिए बिना, पूरी कक्षा को ध्यान देने के लिए कहें। 
1 b) ध्यान देने की प्रक्रिया पर चर्चा: 10 मिनट 
उद्देश्य: माइंडफुलनेस की प्रक्रिया और उसके फ़ायदों पर विद्यार्थियों के अनुभव जानना।
  चर्चा के लिए प्रस्तावित बिंदु: 
  • विद्यार्थियों को 2-3 मिनट माइंडफुलनेस गतिविधियों से स्वयं में आए बदलावों के बारे में सोचने के लिए कहें। पिछले सप्ताह की गई माइंडफुलनेस गतिविधि के अनुभव और अभ्यास के बारे में सोचने के लिए कहें। यह भी सोचें कि इस गतिविधि का प्रयोग हैप्पीनेस पीरियड के अलावा कब और किस प्रकार किया। 
  • शिक्षक इसके पश्चात विद्यार्थियों से चर्चा कर सकते हैं कि माइंडफुलनेस सीखने से विद्यार्थी अपने जीवन में क्या सुधार महसूस कर रहे हैं। ○ मन के अंदर तनाव की कमी ○ क्लास में ध्यान देने में मदद ○ इस बात का एहसास होना कि मेरे अंदर क्या चल रहा है (सुख, दुःख, क्रोध आदि) 
  • विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने विचार अपनी नोटबुक में लिख सकते हैं। इसके बाद कुछ विद्यार्थियों को अपने विचार साझा करने के लिए कहें। 
  • इस दौरान माइंडफुलनेस गतिविधि से संबंधित विद्यार्थियों के विशेष अनुभव, चुनौतियों या प्रश्नों पर भी चर्चा की जा सकती है। 
  • माइंडफुलनेस पर विद्यार्थियों द्वारा लाए गए आर्टिकल्स (articles) पर चर्चा करें। 
क्या करें और क्या नहीं करें: 
  • हर हफ्ते विद्यार्थियों से कहें कि वे माइंडफुलनेस पर कुछ अच्छे आर्टिकल्स (articles) ढूँढकर लाएँ जिस पर क्लास में चर्चा की जा सके। 
  • सभी विद्यार्थियों को उत्तर देने के लिए प्रेरित करें। 
  • जो विद्यार्थी इस भाग में उत्तर देने में संकोच महसूस कर रहे हैं, वे अपने विचार कहीं लिख सकते हैं। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों के सभी उत्तरों को स्वीकार करें। 
2. a. Gatekeeper: 5 मिनट 
उद्देशय: विचारों के प्रति सजगता लाना।
गतिविधि के चरण : 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को बताएँ कि - आज हम अपना ध्यान अपने भीतर लेकर जाएँगे एवं अपने विचारों के प्रति सजग होंगे। जैसे विचार आ रहे हैं उन्हें वैसा ही आने दें और अपना ध्यान उन पर लेकर जाएँ। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि विचारों को बदलने को, रोकने की, अच्छा-बुरा सोचने की और विचारों की गति बदलने के आवश्यकता नहीं है। 
  • विद्यार्थियों को कहें कि विचारों पर ध्यान देने का अभिप्राय विचारों को समाप्त करना नहीं है। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि अब वे अपने मन को चौकीदार की तरह देख सकते है और मन मे आने वाले विचारों को मेहमान की तरह। जिस प्रकार चौकीदार हर मेहमान का मुस्करा कर स्वागत करता है, ठीक उसी प्रकार हम अपने मन में आने वाले विचारों को मेहमान की तरह देख सकते है और उनका स्वागत कर सकते है। 
  • ऐसा अभ्यास करते हुए वे जानेंगे कि उनके मन में कितने विचार आते हैं। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को शांत एवं आरामदायक स्थिति में बैठने के लिए कहें। अब उन्हें तीन लंबी गहरी साँस लेने के लिए और मुँह से छोड़ने के लिए कहें। अगर किसी भी तरह का तनाव शरीर में महसूस हो रहा हो तो अगली साँस के साथ उसे शरीर से बाहर करें। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को बताएँ कि साँस को साधारण, सामान्य व सजग तरीके से आने और जाने दे। किसी भी तरह से साँस में परिवर्तन न करें। साँस को लंबा या छोटा न करें। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को बताएँ कि जैसे साँस अंदर-बाहर अपने आप आ-जा रही है, उसी प्रकार हमारे मन में विचार आते और जाते रहते है। हो सकता है यह विचार बीते हुए कल या फिर आने वाले कल से संबंधित हो, या फिर किसी घटना से संबंधित हो सकते हो। इन विचारों को आने दे और जाने दे और इन्हे शांत मन से देखते रहे। किसी भी विचार को रोक नहीं सकते। विचार जैसे भी है उनको वैसे ही आने दे। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को बताएँ कि ऐसा अभ्यास करते हुए यदि उन्हें शरीर में किसी तरह की बेचैनी या हलचल महसूस हो तो वे अपना ध्यान अपनी साँसों की प्रक्रिया पर ला सकते है। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि आप कल्पना में अपने मन को चौकीदार व हर विचार को मेहमान माने। जिस तरह चौकीदार मेहमानों को शांत भाव से देखता है ठीक उसी प्रकार वे भी विचारों को आते और जाते हुए देख सकते है। 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को बताएँ कि जब भी उनका मन विचारों में उलझ जाए तो वे अपना ध्यान अपनी साँसों की प्रक्रिया पर ला सकते है और मन ही मन कह सकते हैं, "मैं हर अंदर आती हुई साँस के लिए सजग हूँ। मैं हर बाहर जाती हुई साँस के लिए सजग हूँ। कोमल व शांत मन से मैं हर साँस को अंदर - बाहर आते हुए और जाते हुए देख रहा हूँ!" 
  • शिक्षक विद्यार्थियों को कहें कि इस स्थिति में वे एक मिनट के लिए रुके। 
  • विद्यार्थियों को कहें कि अगली साँस के साथ अपना ध्यान अपने बैठने की स्थिति की और ले जाए, वातावरण में हो रही आवाज़ों के प्रति सजग हो जाए। धीरे-धीरे पैर की उंगलियों को हिलाएँ और अब जब भी अच्छा महसूस करे तब आँखें खोल सकते हैं। 
चर्चा के लिए प्रस्तावित बिंदु: 
  • क्या आपने विभिन्न प्रकार के विचारों को आते और जाते हुए देखा? 
  • आपने अपने विचारों के बारे में क्या जाना? 
  • आप इस अभ्यास के बाद कैसा महसूस कर रहे हैं? 
  • यह कठिन था या आसान? क्यों 
3. साइलेंट चेक आउट (Silent Check Out): 1-2 मिनट 
उद्देश्य: इस गतिविधि का उद्देश्य है कि विद्यार्थी हैप्पीनेस कक्षा में आज की गई गतिविधियों से उत्पन्न हुए विचारों और भावनाओं पर मनन (reflection) कर पाएँ।
गतिविधि के चरण: 
  • ध्यान की कक्षा का अंत शांत बैठकर किया जाए। 
  • इस दौरान विद्यार्थी आज की गई गतिविधियों से उत्पन्न विचारों और भावनाओं पर मनन (reflection) करें। 
  • इस दौरान विद्यार्थियों को कोई अन्य निर्देश न दिया जाए। 
  • विद्यार्थी आँखें बंद रखें या खुली रखकर नीचे की ओर देखें, यह उनकी इच्छा पर छोड़ दें। 
क्या करें और क्या नहीं करें: 
  • साइलेंट चेक आउट के बाद शिक्षक कोई भी प्रश्न न पूछें। 
  • अगर कोई विद्यार्थी अपना अनुभव साझा करना चाहता है तो शिक्षक उसे मौका दे सकते हैं।
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