शिक्षक के संदर्भ के लिए:
पिछले अध्याय में हमने देखा की:
- सुख कैसे मिलेगा इसकी स्पष्टता न होने के कारण हम सामान इकट्ठा करने और दिखावे में पड़ जाते हैं।
- आत्मविश्वास अपने भीतर महसूस होने वाला स्वभाव है।
- यह दूसरों पर निर्भरता नहीं प्राप्त होता, दिखावे से नहीं प्राप्त होता, यह अपनी आवश्यकताओं की समझ और उनकी पूर्ति से प्राप्त होता है। आज की स्थिति में हमारा एक-दूसरे के साथ संबंध महसूस करने का आधार, एक-दूसरे पर विश्वास का आधार, हमारे आपस में पहचान का आधार या तो वस्तुओं को केंद्र में रख कर है
- दूसरे का कैसा घर है, उसका स्कूल बैग कैसा है, उसके पास कितने कपडे हैं आदि; या फिर शरीर के आधार पर
- दूसरे का रंग कैसा है, आवाज़ कैसी है, किस प्रांत का है, कैसी भाषा बोलता है
- इन आधार पर हम उसके साथ अपना संबंध पहचानते हैं। और क्योंकि यह गुण हम सबमें अलग-अलग हैं, अस्थायी हैं, हमारी पहचान भी इनके साथ अस्थिर रहती है. हर इंसान की कोई न कोई ख़ासियत होती है और यही ख़ासियत उसे दूसरों से अलग बनाती है यही ख़ासियत इंसानों के बीच विविधता के रूप में देखी जाती है। कोई क्रिकेट में अच्छा है तो कोई लेखन में। किसी को पीला रंग पसंद है तो किसी को हरा।
इस धरती के 700 करोड़ लोगों के बीच में कुछ कॉमन है अगर उस कॉमन को पहचान लेंगे तो फिर धरती से झगड़े ही खत्म हो जाएँगे। इस चैप्टर का मकसद है धरती से झगड़े खत्म कराना! घृणा कम कराना। अगर 700 करोड़ लोगों में जो-जो लोग अपने बीच समानता पहचानते हैं उनके बीच कोई घृणा नहीं होती। शारीरिक भिन्नताएँ होने के बावजूद जैसे-जैसे मानसिक समानताएँ बनती हैं हम शांत होते चले जाते हैं, हमारे रिश्ते मजबूत होते चले जाते हैं।
Chapter 5: समानता को पहचानें
- गतिविधि 1.1: हम सबमें भिन्नताएँ (uniqueness)
- गतिविधि 1.2: हम सबमें समानताएँ
- गतिविधि 1.3: पहचान का आधार
- गतिविधि 1.4: मनुष्यों के बीच समानता की पहचान
गतिविधि 1.1: हम सबमें भिन्नताएँ (uniqueness)
उद्देश्य: विद्यार्थियों का इस बात पर ध्यान दिलाना की मानव-मानव के बीच में जो भिन्नता है उसका उद्देश्य प्रकृति की व्यवस्था बनाए रखने के लिए है न की आपस में भेदभाव और झगड़े पैदा करने के लिए।
समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट: शरीर में रंग, रूप के आधार पर भिन्नताएँ भी होती हैं। ये भिन्नताएँ हमारे भौगोलिक परिस्थितियों के कारण होती हैं। इससे कोई कम-ज़्यादा नहीं होता। ये भिन्नताएँ केवल एक-दूसरे को अलग इकाइयों (entities) के रूप में पहचानने के लिए होती हैं। हम मूल रूप में समान हैं लेकिन अपने कार्य (करने के) रूप में भिन्न हैं। जैसे
- आप और अन्य शिक्षक साथी कक्षा में क्या पढ़ाना है
- इसके बारे में सोचते हैं, पर ‘क्या-क्या’ पढ़ाना है और ‘कैसे’ पढ़ाना है
- इसमें अंतर हो सकता है। यह भिन्नता variety के लिए आवश्यक है और अलग-अलग भागिदारियों को पूरा करने के लिए भी आवश्यक है। जैसे अगर सब लोग डाक्टर बनेंगे तो इंजीनियर का काम कौन करेगा, शिक्षा का काम कौन करेगा, अनाज कौन उगाएगा? बच्चों का (और हमारा भी) ध्यान मानव में भिन्नताओं पर जाए और यह समझ सकें की भिन्नताएँ भी व्यवस्था के लिए ही हैं। भिन्नताओं के आधार पर कोई बड़ा-छोटा नहीं होता। इसके लिए यह गतिविधि है। साथ ही, समानता (commonness) व भिन्नता (uniqueness) को पहचानने में ख़ुशी है
- अगर हमारा उसको पहचानने का दृष्टिकोण सही हो पाए।
गतिविधि के चरण :-
1. सभी विद्यार्थियों से पूछें की इस कक्षा में आप सबमें क्या भिन्नताएँ हैं। आपको जो-जो भिन्नताएँ दिख रही हैं उनकी एक सूची बनाइए। जैसे - आप सब के नाम अलग-अलग हैं, आप सब का रंग रूप अलग है। (5 मिनट)
2. अब सूची में देखकर बच्चे बोलते जाएँ और शिक्षक उसे ब्लैक-बोर्ड पर लिख लें।
3. बोर्ड पर आए सभी बिंदुओं पर चर्चा कराएँ।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. क्या क्लासरूम और स्कूल में भी इस प्रकार की भिन्नताएँ हैं?
2. ये भिन्नताएँ ज़रूरी हैं की नहीं? यदि ज़रूरी है तो क्यों? (बच्चों का ध्यान जाए कि हमारे खाने-पीने की रूचियों, शक्ल-सूरत, लंबाई, उम्र इत्यादि में सभी मानव में भिन्नता है।) नोट:- इस चर्चा से यहाँ पर पहुँच पा रहे हैं की मानव-मानव में जो भिन्नताएँ हैं, वे व्यवस्था व् भागीदारी के लिए हैं। भिन्नताओं के आधार पर लोग अलग-अलग भागीदारी करते हैं। जैसे घर में सब अलग-अलग कार्य करते हैं जिसके कारण घर के सभी काम पूरे हो पाते हैं। विद्यालय में सब अलग-अलग विषय पढ़ाने में सक्षम होते हैं तभी विद्यालय व्यवस्थित रूप से चल पाता है। अगर सभी शिक्षक एक ही विषय पढ़ा पाते तो बच्चों का बहुमुखी विकास कैसे होता?
3. मानव-मानव में भिन्नताएँ आवश्यक तो हैं पर इसके आधार पर भेदभाव (छोटा-बड़ा मानना) को आप कैसे देखते हैं?
4. भिन्नता के प्रति सही दृष्टिकोण विकसित हो जाने के बाद हमारी ज़िंदगी में कौन-कौनसे प्रमुख परिवर्तन आ सकते हैं?
5. भिन्नता के प्रति सही दृष्टिकोण से आपको ख़ुशी हुई या उदासी?
क्या करें और क्या न करें :
- इस गतिविधि में बच्चों का ध्यान मानव-मानव में भिन्नता पर बनाकर रखा जाए पर ध्यान में रहे की यह एक प्राकृतिक आवश्यकता है, इसके आधार पर भेद- भाव ठीक नहीं है।
- इस गतिविधि के प्रश्नों को दूसरे दिन छोटे समूहों में चर्चा करवाकर प्रस्तुति भी की जा सकती है।
गतिविधि 1.2: हम सबमें समानताएँ
उद्देश्य: बच्चे मानव-मानव के बीच समानता को समझ सकेंगे।
समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
गतिविधि के चरण:
शिक्षक द्वारा कक्षा में बच्चों से आपस में चर्चा करके उस कक्षा में पढ़ने वाले सभी बच्चों में क्या-क्या समानता है इसकी एक सूची तैयार करने की कोशिश की जाएगी। कुछ संकेत दिया जा सकता है जैसे:- शरीर, क्षेत्र, भाषा, जाति, धर्म या पूजा पद्धति, लिंग के आधार पर समानता इत्यादि
बच्चे जो-जो समानता के उदाहरण दें उन्हें बोर्ड पर सूचीबद्ध करते रहना ठीक रहेगा।
उपर्युक्त समानताएँ भी सबमें नहीं है कुछ-कुछ बच्चों में हैं। अब ऐसी समानताओं की ओर चर्चा को ले जाने की कोशिश करें जहाँ पूरी की पूरी क्लास एक-दूसरे बच्चे के समान देख सकें जैसे चर्चा में पूछा जा सकता है कि:-
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
- हम सभी एक ही स्कूल के, एक ही क्लास के छात्र हैं, यह हमारे बीच समानता का आधार है या नहीं? चर्चा करें।
- हम सभी इस वक्त हैप्पीनेस क्लास पढ़ रहे हैं, यह हमारे बीच समानता का आधार है या नहीं? चर्चा करें।
- सभी खाना खाते हैं, भूख सबको लगती है, यह सबके बीच समानता का आधार है या नहीं? चर्चा करें।
- प्यास सबको लगती है, पानी सब पीते हैं, यह सबके बीच समानता का आधार है या नहीं? चर्चा करें।
- सर्दी-गर्मी सबको लगती है, कपड़े सब पहनते हैं, यह सबके बीच समानता का आधार है या नहीं?
जैसे -
उपर्युक्त चार्ट पर चर्चा कराया जाए कि क्या A, B के बारे में ऐसा ही सोचता है या कुछ और सोचता है। (जैसे A, B के बारे में ऐसा ही सोचता है की उससे गलती भ्रमवश होती है या A को लगता है की B जानबूझकर गलती करता है) इस प्रकार के अन्य चर्चा करा सकते हैं।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. प्यार सबको चाहिए। सहमत/ असहमत। चर्चा करें
2. क्या कोई अपमानित होना चाहता है? चर्चा करें
3. कोई भी निराश होना नहीं चाहता है। सहमत/ असहमत। चर्चा करें
4. कोई भी दु:खी नहीं होना चाहता है। सहमत/ असहमत। चर्चा करें
5. हम एक-दूसरे के बीच जब संबंध खोजते हैं, अपनापन खोजते हैं तो वह उसके और अपने बीच विविधता के आधार पर खोजते हैं या समानता के आधार पर? चर्चा करें।
6. जब भी हम किसी इंसान से मिलते हैं तो हम उस से अपना संबंध किस आधार पर पहचानते हैं।
7. जब भी हमें किसी व्यक्ति के बारे में यह पता चलता है कि हमारे और उसके बीच कुछ समानता है तो हमें कैसा लगता है।
नोट:- इस प्रकार के चर्चा और प्रयास से हम दो या दो से अधिक इंसानों के बीच समानता को पहचान सकते हैं।
समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट: हम किसी भी इंसान को किस किस आधार पर पहचानते हैं। हमारी धरती पर हम जैसे करीब 700 करोड़ लोग रहते हैं। सभी 700 करोड़ लोग किसी न किसी देश में रहते हैं उनकी अलग-अलग भाषाएँ हैं, अलग-अलग जीवन शैली हैं। इन 700 करोड़ लोगों की अलग-अलग बोलियाँ हैं। धरती पर सभी लोगों के बीच कई प्रकार की विविधताएँ हैं, हमारी क्लास में 40 बच्चें हैं। उनमें से हर बच्चे के अंदर अलग प्रतिभा है। कोई क्रिकेटर बनेगा, कोई खिलाड़ी बनेगा। खिलाड़ियों में भी अलग-अलग है। क्रिकेटरों में भी अलग-अलग है। कोई अच्छा बॉलर बनेगा तो कोई अच्छा बैट्समैन बनेगा। इस गतिविधि में हम मनुष्य में पहचान के आध्हरों पर चर्चा करेंगे।
गतिविधि के चरण: शिक्षक कक्षा में बच्चों से पूछेंगे कि हम किस आधार पर कहते हैं कि अमुक व्यक्ति को हम जानते हैं या पहचानते हैं? बच्चों को सोचने का कुछ अवसर देने के बाद निम्नलिखित उदाहरण दे सकते हैं:-
- पूरे स्कूल में
- पूरे शहर में
- पूरे देश में
- पूरी दुनिया में… भूख सबको लगती है, प्यास सबको लगती है इत्यादि। घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए): बच्चों को प्रोत्साहित करें कि वह क्लास के बाद या घर पर
- शरीर और भौतिक ज़रूरत की समानता के अतिरिक्त और कौन सी समानताएँ हमारे में पायी जाती हैं?
- भाव रूप में समानताओं पर भी कक्षा के बाहर या घर पर चर्चा करें। दूसरा दिन: अभी तक हमने शरीर या बाहर के कारणों के आधार पर समानताओं पर चर्चा किया है। अब हम बच्चों से थोड़ी सी चर्चा करके अंदर के आधार पर भी समानताएँ निकालने की कोशिश करें। जैसे:- A और B दो लोग हैं, इन दोनों लोगों के बारे में चर्चा करते हैं:
A की ख़ुद के बारे में सोच
|
A की B के बारे में सोच
|
1. मैं
ख़ुशी
चाहता/चाहती
हूँ।
|
1. B
तो
ख़ुश
ही
है।
|
2. मैं
गलती
करना
नहीं
चाहता/चाहती
हूँ।
|
2. B
ग़लती
करता
रहता
है।
|
3. मुझसे
भ्रमवश
गलती
होती
है।
|
3. B
जान-बूझकर
ग़लती
करता
है।
|
4. गलती
होने
पर
मुझे
स्नेहपूर्वक
समझाया
जाए।
|
4. B
को
दंड
देकर
सबक़
सिखाया
जाए।
|
उपर्युक्त चार्ट पर चर्चा कराया जाए कि क्या A, B के बारे में ऐसा ही सोचता है या कुछ और सोचता है। (जैसे A, B के बारे में ऐसा ही सोचता है की उससे गलती भ्रमवश होती है या A को लगता है की B जानबूझकर गलती करता है) इस प्रकार के अन्य चर्चा करा सकते हैं।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. प्यार सबको चाहिए। सहमत/ असहमत। चर्चा करें
2. क्या कोई अपमानित होना चाहता है? चर्चा करें
3. कोई भी निराश होना नहीं चाहता है। सहमत/ असहमत। चर्चा करें
4. कोई भी दु:खी नहीं होना चाहता है। सहमत/ असहमत। चर्चा करें
5. हम एक-दूसरे के बीच जब संबंध खोजते हैं, अपनापन खोजते हैं तो वह उसके और अपने बीच विविधता के आधार पर खोजते हैं या समानता के आधार पर? चर्चा करें।
6. जब भी हम किसी इंसान से मिलते हैं तो हम उस से अपना संबंध किस आधार पर पहचानते हैं।
7. जब भी हमें किसी व्यक्ति के बारे में यह पता चलता है कि हमारे और उसके बीच कुछ समानता है तो हमें कैसा लगता है।
नोट:- इस प्रकार के चर्चा और प्रयास से हम दो या दो से अधिक इंसानों के बीच समानता को पहचान सकते हैं।
गतिविधि 1.3: पहचान का आधार
उद्देश्य: विद्यार्थियों का इस बात पर ध्यान दिलाना की मानव में पहचान का आधार या तो कोई समानता है या तो कोई भिन्नता।समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट: हम किसी भी इंसान को किस किस आधार पर पहचानते हैं। हमारी धरती पर हम जैसे करीब 700 करोड़ लोग रहते हैं। सभी 700 करोड़ लोग किसी न किसी देश में रहते हैं उनकी अलग-अलग भाषाएँ हैं, अलग-अलग जीवन शैली हैं। इन 700 करोड़ लोगों की अलग-अलग बोलियाँ हैं। धरती पर सभी लोगों के बीच कई प्रकार की विविधताएँ हैं, हमारी क्लास में 40 बच्चें हैं। उनमें से हर बच्चे के अंदर अलग प्रतिभा है। कोई क्रिकेटर बनेगा, कोई खिलाड़ी बनेगा। खिलाड़ियों में भी अलग-अलग है। क्रिकेटरों में भी अलग-अलग है। कोई अच्छा बॉलर बनेगा तो कोई अच्छा बैट्समैन बनेगा। इस गतिविधि में हम मनुष्य में पहचान के आध्हरों पर चर्चा करेंगे।
गतिविधि के चरण: शिक्षक कक्षा में बच्चों से पूछेंगे कि हम किस आधार पर कहते हैं कि अमुक व्यक्ति को हम जानते हैं या पहचानते हैं? बच्चों को सोचने का कुछ अवसर देने के बाद निम्नलिखित उदाहरण दे सकते हैं:-
- वह हमारी क्लास में पढ़ता है या पढ़ता था।
- वह हमारे स्कूल में पढ़ता है।
- वह हमारी कॉलोनी में रहता है।
- वह मेरा कोई रिश्तेदार है।
- वह हमारे साथ खेलता है आदि आदि। कुछ और उदाहरण इस प्रकार हो सकते हैं, जैसे:-
- वह कोई बहुत अच्छा खिलाड़ी, फिल्म अभिनेता, गायक या कोई मशहूर व्यक्ति है।
- उसकी तस्वीरें किताबों, समाचार पत्रों या टीवी पर देखी हैं। किसी व्यक्ति को जानने-पहचानने के कुछ और आधार भी हो सकते हैं, जैसे:-
- उसकी और हमारी पसंद एक जैसी है...कोई रंग, कोई संगीत, कोई खेल, कोई खिलाड़ी आदि आदि। नोट:- हर इंसान की कोई न कोई ख़ासियत होती है और यही ख़ासियत उसे दूसरों से अलग बनाती है यही ख़ासियत इंसानों के बीच विविधता के रूप में देखी जाती है, अकसर हम दो लोगों के बीच अंतर को आसानी से पहचानते हैं। उसके शरीर, उसके रंग रूप, उसकी आवाज़, उसके कपड़े, उसके शहर राज्य देश, उसके काम से, इत्यादि के आधार पर अंतर करके हम लोगों को पहचान पाते हैं।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. किसी को लाल रंग अच्छा लगता है तो किसी को पीला रंग अच्छा। यह हमारे मन का भेद है या शरीर का? चर्चा करें।
2. किसी को ठंड ज़्यादा लगती है तो किसी को गर्मी ज़्यादा लगती है। ये शरीर की भिन्नता के कारण है। इस पर चर्चा करें।
3. जेंडर की भिन्नता शरीर की है या मन की। चर्चा करें।
4. किसी का पेट 2 रोटी में भर जाता है तो किसी का पेट 4 रोटी में। यह भिन्नता किसकी है, शरीर की या मन की? चर्चा करें।
5. किसी को गज़ल अच्छी लगती है तो किसी को रॉक अच्छा लगता है। यह भिन्नता किसकी है, शरीर की या मन की? चर्चा करें।
6. अपने और दोस्तों के बीच डायवर्सिटी निकालिए कि उसको क्या-क्या पसंद है और आपको उनमें से क्या- क्या नापसंद है?
शिक्षक की स्पष्टता हेतु नोट: इन भिन्नताओं पर चर्चा करते हुए आगे बढ़ेंगे तो हमको मिलेगा शरीर की भी भिन्नता और मन की भी। थोड़ी-सी मन की भिन्नता की बात भी करेंगे ताकि यह भी समझ सके कि मन में भी डायवर्सिटी है। यूनीकनेस कही प्रतिभा की तरफ़ चली जाएगी, लेकिन डायवर्सिटी इसे और ठीक से समझा पाएगी। बच्चे के अंदर थोड़ी पहचान हो सके कि इस 40 बच्चों की क्लास में अलग-अलग क्या है।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए):
बच्चों को प्रोत्साहित करें कि वह क्लास के बाद या घर पर इन बिंदुओं के बारे में मंथन और चर्चा करें। जैसे-
- शरीर की और मन की समानताओं और भिन्नताओं के आधार पर हम एक-दूसरे को कैसे पहचानते हैं इसके कुछ उदाहरण अपने पास पड़ोस और मित्रों दोस्तों में देखने की कोशिश करें?
- पहचान की भिन्नताओं को हमलोग कहीं असमानता या इर्ष्या-द्वेष के कारण के रूप में तो नहीं देखते हैं यदि देखते हैं उदाहरण सोचकर या लिख कर ले आएँ।
दूसरा दिन:
बच्चे उपर्युक्त बिंदुओं पर अपने मित्रों, रिश्तेदारों, परिवारजनों से चर्चा करके आए रहेंगे तो अब हम उनसे निम्नलिखित चर्चा करेंगे:-
- आपने किन-किन लोगों से चर्चा किया?
- उन्हें आपके साथ बातचीत कैसी लगी?
- आपने जो कुछ भी समानता या भिन्नता देखी है उसे साझा करें?
- ये समानता या भिन्नता व्यवस्था हेतु हैं या अव्यवस्था हेतु? बच्चों से आ रहे उत्तरों को बोर्ड पर लिखते जाएँ।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. सभी मनुष्यों को जाति, पंथ, धर्म, वेश-भूषा, भाषा, क्षेत्र, वर्ग, व्यवसाय आदि आधारों पर छोटा-बड़ा या सही-गलत मानना ठीक है? सहमत/ असहमत। चर्चा करें।
2. आदमी-आदमी में भेद के ये सभी आधार ख़ुशी की तलाश में आदमी ने ही बनाए हैं। सहमत/ असहमत। चर्चा करें।
3. इन भेदों के आधार पर अपने-पराए के बीच दीवारें भी बना रखी हैं। सहमत/ असहमत। चर्चा करें।
4. इसके परिणाम में हिंसा, आतंकवाद और युद्ध भी दिखाई देते हैं। इस परिणाम के लिए 'शिक्षित मनुष्य' अधिक मेहनत करते दिखाई पड़ते हैं। सहमत/ असहमत। चर्चा करें।
5. यदि व्यक्ति-व्यक्ति में समानता को स्वीकार किया जाए तो आने वाली पीढ़ियों को हिंसा, आतंकवाद और युद्ध से मुक्ति दिलाई जा सकती है। सहमत/ असहमत। चर्चा करें।
6. प्रत्येक व्यक्ति दूसरे को अपनी बात मनवाकर ‘अपने जैसा मानने वाला’ बनाने का प्रयास करता है अर्थात् हर व्यक्ति अपनेपन का विस्तार चाहता है। सहमत/ असहमत। चर्चा करें।
शिक्षक की स्पष्टता हेतु नोट: यदि सच्चाई को देखा जाए तो सभी मनुष्य ख़ुशी चाहते हैं। सभी अपनी पहचान और सम्मान चाहते हैं। सभी के पास सोचने और समझने की असीम क्षमता है। ये सभी प्राकृतिक आधार हैं। इन आधारों पर हम कह सकते हैं कि हम सब एक समान हैं। यदि व्यक्ति-व्यक्ति में समानता का प्राकृतिक आधार स्वीकार हो जाए तो अपने-पराए के बीच की दीवारें नहीं रहेंगी और आदमी से आदमी का भय, घृणा, द्वेष दूर होगा जिससे अपनेपन के विस्तार के साथ सबकी मूल चाहत ‘ख़ुशी’ पूरी हो सकती है।
गतिविधि 1.4: मनुष्यों के बीच समानता की पहचान
उद्देश्य: विद्यार्थियों का इस बात पर ध्यान दिलाना की मनुष्यों में आपस में समानता की पहचान होने से हमें ख़ुशी मिलती है।
समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट:
हमारा ध्यान आपसी समानताओं पर होने से हम एक-दूसरे से ज़्यादा जुड़े हुए व ख़ुश महसूस करते हैं। एक-दूसरे में भिन्नता देखने से जहाँ पर ख़ुद को बड़ा पाते हैं वहाँ ख़ुश होते हैं पर जहाँ ख़ुद को छोटा पाते हैं वहाँ पर दु:खी हो जाते हैं। यह बड़ा या छोटा मानने का अभ्यास हमारी मान्यताओं या conditioning से आता है। हम काला-गोरा, अमीर-ग़रीब, फ़िरंगी-देशी के आधार पर अपने-पराए की दीवार खड़ी कर देते हैं। जब हमारा ध्यान सबसे पहले हमारे आपस की समानताओं पर जाता है तब हम एक-दूसरे के साथ ज़्यादा सहजता से व्यवहार कर पाते हैं। हमें सब एक जैसे दिखने लगते हैं और वही भिन्नताएँ जो पहले हमारे आपस में मानसिक रूप से रुकावटें पैदा कर रहीं थीं अब हमारे आपस में इस दुनिया की डायवर्सिटी को appreciate करने में, एक-दूसरे को पहचानने के अर्थ में मददगार होती हैं। (भिन्नता का अपना महत्व (भिन्नता का अपना महत्व है, प्रकृति में सारी भिन्नताएँ पूरकता के लिए हैं इसलिए यहाँ हमारा मकसद भिन्नता को गलत ठहराना नहीं है बल्कि बच्चों के अंदर यह विश्वास पैदा करना है की इतनी भिन्नताओं के बावजूद धरती के सब इंसान अंदर से एक जैसे ही हैं, अगर बच्चों का ध्यान सही से इस और चला जाता है तो वे जीवन भर के लिए धर्म, जाती क्षेत्र रंग आदि के झगड़ों से मुक्त हो सकते हैं)
हम सब कैसे समान हैं?
हम सभी साँस लेते हैं, खाना खाते हैं, सोते हैं, हमें घर और कपड़ों की ज़रूरत है इत्यादि। यह समानताएँ शरीर के आधार पर हैं।
हम सभी सोचते हैं, निर्णय लेते हैं, सभी ख़ुशी चाहते हैं, सभी सम्मान चाहते हैं आदि-आदि। यह समानताएँ मन के आधार पर हैं।
ऐसे कई प्रकार से हम मनुष्य समान हैं। हर मनुष्य सोचता है पर अलग-अलग चीज़ें सोचता है, हर मनुष्य निर्णय लेता है पर अलग-अलग निर्णय लेता है। हर इंसान प्यार करता है, पर व्यक्त करने के तरीक़े अलग हैं। हर इंसान प्यार चाहता है, सम्मान चाहता है, ख़ुशी चाहता है, पर पाने के तरीक़े अलग हैं। अंत में मूल रूप से हम सब एक जैसे ही हैं। यह बात स्पष्ट तरह से बच्चों तक पहुँच जाए, इस क्रम में यह गतिविधि है।
गतिविधि के चरण:
शिक्षक द्वारा किसी घटना या परिस्थिति से चर्चा शुरू करें।
जैसे:- “कल्पना करिए कि आपके स्कूल और किसी दूसरे स्कूल के बीच में क्रिकेट मैच हो रहा है।
दो प्रकार के स्थितियों की संभावना है:-
या तो आपके स्कूल की टीम जीतेगी
या आपके स्कूल की टीम हारेगी”
आइए चर्चा करते हैं:
- जब अपने स्कूल की टीम जीतती है तब हमारे अंदर क्या भाव आते हैं? और उस टीम की जीतने की ख़ुशी हम कैसे मनाते हैं?
- जब अपने स्कूल की टीम हारती है तब हमारे अंदर क्या भाव आते हैं? और उस टीम की हारने का दुःख हम कैसे व्यक्त करते हैं? अब एक-दूसरे प्रकार के मैच की कल्पना करते हैं। यह मैच हमारे मोहल्ले की दो टीमों के बीच है, इसमें दोनों टीमों में आपके मित्र और भाई-बहन खेल रहे हैं। इस मैच के परिणाम में भी वही होगा की कोई एक टीम जीतेगी तो दूसरी टीम हारेगी।
- जीती हुई टीम के बारे में हमारे अंदर क्या भाव आते हैं? उस टीम की जीतने की ख़ुशी हम कैसे मनाते हैं?
- हारी हुई टीम के बारे में हमारे अंदर क्या भाव आते हैं? उस टीम की हारने का दुःख हम कैसे व्यक्त करते हैं?
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. आप जिन लोगों से लगाव रखते हैं उनमें और ख़ुद में क्या-क्या समानता पाते हैं?
2. जो लोग आपसे लगाव रखते हैं वे आप में क्या समानता देख पाते हैं?
(संकेत- स्नेह, प्रेम, विश्वास आदि।)
3. हमारा ध्यान ज़्यादातर दूसरे के साथ समानता पर जाता है या हम दूसरे से कुछ अलग हैं, इस पर जाता है?
4. जब हम ख़ुद को दूसरे से कुछ अलग (असमान) पाते हैं तो हमारे बीच के संबंध कैसे होते हैं? हमारा उनके प्रति भाव कैसा होता है? चर्चा करें।
5. जब हम एक-दूसरे को समान मानते हैं तो हमारे संबंध कैसे होते हैं? हमारा उनके प्रति भाव कैसा होता है? चर्चा करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए):
- बच्चों को प्रोत्साहित करें कि वह क्लास के बाद या घर पर इन बिंदुओं के बारे में मंथन और चर्चा करें। जैसे-
- अपने आस पास के मित्र, संबंधी और परिवार के सदस्यों में समानता के विदुओं पर ध्यान दीजिए चर्चा करिए और सूची बनाइए।
- समानताओं के आधार पर हम एक-दूसरे को कैसे पहचानते हैं? इसके कुछ उदाहरण अपने पास- पड़ोस और दोस्तों में देखने की और चर्चा करने की कोशिश करें?
दूसरा दिन:
बच्चे उपर्युक्त बिंदुओं पर अपने मित्रों, रिश्तेदारों, परिवारजनों से चर्चा करके आए रहेंगे तो अब हम उनसे निम्नलिखित चर्चा करेंगे:-
बच्चे उपर्युक्त बिंदुओं पर अपने मित्रों, रिश्तेदारों, परिवारजनों से चर्चा करके आए रहेंगे तो अब हम उनसे निम्नलिखित चर्चा करेंगे:-
- आपने किन-किन लोगों से चर्चा किया?
- उन्हें आपके साथ बातचीत कैसी लगी?
- आपने जो कुछ भी समानता देखी है उसे साझा करें? बच्चों से आ रहे उत्तरों को बोर्ड पर लिखते जाएँ।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. समानता से सहयोग का भाव आता है या प्रतिस्पर्धा का? किस प्रकार?
2. मनुष्यों में समानता का दृष्टिकोण विकसित हो जाने के बाद हमारी ज़िंदगी में कौन-कौन से प्रमुख परिवर्तन आ सकते हैं?
3. समानता का दृष्टिकोण रखने से हम ख़ुश होते हैं या दु:खी?
4. आप और आपके टीचर में क्या समानताएँ हैं?
5. आप और आपके सबसे अच्छे मित्र में क्या समानताएँ हैं?
6. अपने परिवार के सदस्यों के बारे में सोचकर बताइये उनमें क्या-क्या समानताएँ हैं?
7. ऐसे ही अपने मोहल्ले और आसपास के बारे में समानता वाली चीज़ें सोचकर बताइये।
8. अगर क्लास में ऐसा कोई व्यक्ति है जिसे आप पसंद नहीं करते- क्या उसके और आप के बीच में भी कुछ समान है?
क्या करें और क्या न करें:
इस गतिविधि में बच्चों का पूरा ध्यान मानव-मानव में समानता पर बनाकर रखा जाए।
दूसरे दिन ‘घर जाकर देखो, पूछो, समझो’ के प्रश्नों को छोटे समूहों में चर्चा करवाकर उनकी प्रस्तुति करवाएँ।
शिक्षक की स्पष्टता हेतु नोट: बच्चे को यदि इंसान में समानता के विन्दु देखने की आदत पड़ जाए तो हर क्षण विशेषता की चर्चा और होड़ से वह बाहर निकल जाएँगे और शांतिपूर्ण ज़िंदगी की ओर अग्रसर होंगेI जिसके परिणामस्वरूप हम वैश्विक शांति और सद्भाव की बात कर पायेंगेI
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