शिक्षक के संदर्भ के लिए:
पिछले अध्याय में आपने देखा कि-
- समाज कई परिवारों के समूहों के मिलने से बनता है।
- इसमें सभी मानव अपनी भूमिका अपनी उपयोगिता के अनुसार निभाते हैं।
- मानव प्रकृति का हिस्सा है जो आपस में एक-दूसरे के पूरक हैं।
जब से मनुष्य का उद्भव इस पृथ्वी पर हुआ है तब से लगातार अपनी मूल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधन, जैसे- भूमि, जल, जंगल, जानवर आदि का उपयोग कर रहा है। इन संसाधनों को ठीक बनाए रखने से ही प्राकृतिक व्यवस्था ख़ुशहाल रह सकेगी। इंसान भी तभी ख़ुशहाली से जी पाएँगे। इस अध्याय में हम प्राकृतिक व्यवस्था और उसमें संतुलन को समझने की कोशिश करेंगे।
इसके आगे हम यह भी देखेंगे कि आकाश में अनेक तारे, ग्रह और उपग्रह होते हैं। आकाश को शून्य, ख़ाली स्थान या ख़ाली जगह भी कहते हैं। आकाश में ही सभी तारे, ग्रह और उपग्रह गतिशील रहते हैं। आकाश ही सब ग्रह-उपग्रह के रहने की जगह है। इनमें से एक हमारी धरती भी है।
इस धरती पर दिखने वाले सब मिट्टी-पत्थर, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मानव को यदि एक शब्द देना चाहें तो इसे ‘प्रकृति’ कहते हैं। धरती के साथ इस सौरमंडल के सभी ग्रह-उपग्रह, दूसरे सौरमंडल, दूसरी galaxies और आकाश को मिलाकर यदि एक शब्द देना चाहें तो इसे 'अस्तित्व' कहते हैं।
इस अध्याय में हम प्रकृति और आकाश को गतिविधियों के माध्यम से समझने का प्रयास करेंगे।
Section 1: चार अवस्थाएँ
गतिविधि 1.1: हमारे चारों ओर क्या-क्या है?
Section 2: स्पेस
गतिविधि 2.1: स्पेस एक वास्तविकता
गतिविधि 2.2: स्पेस कैसा?
Section 1: चार अवस्थाएँ
शिक्षक के संदर्भ के लिए:
- जब हम सारी सृष्टि को देखते हैं तो जो कुछ भी हमें दिखता है उसे हम चार श्रेणियों में रख सकते हैं।
- इनमें से एक श्रेणी मिट्टी, पत्थर, हवा, पानी आदि रूप में है जिसे सामान्यत: निर्जीव बोलते हैं। दूसरी श्रेणी में पेड़-पौधे आदि आते हैं। तीसरी श्रेणी पशु-पक्षियों की है और चौथे श्रेणी में इंसान आते हैं।
- इंसान ही बाकी तीन श्रेणियों को समझ सकता है और उनका सदुपयोग-दुरुपयोग करता है।
- इस अध्याय में विद्यार्थियों में प्रकृति की चारों श्रेणियों की समझ बनाने का प्रयास है।
गतिविधि 1.1: हमारे चारों ओर क्या-क्या है?
गतिविधि का उद्देश्य: 1. विद्यार्थी यह जान सकेंगे कि हमारे चारों तरफ़ जो कुछ भी है, वह चार प्रकार की वास्तविकताओं के रूप में है। 2. इन वास्तविकताओं को चार श्रेणियों/अवस्थाओं के रूप में पहचानना- पदार्थावस्था (निर्जीव पदार्थ- मिट्टी, पत्थर, धातु आदि), प्राणावस्था (पेड़-पौधे), जीवावस्था (पशु-पक्षी) तथा ज्ञानावस्था (मानव)।
आवश्यक सामग्री: चार या पाँच कागज़ की शीट
समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
पहला दिन:
गतिविधि के चरण:
1. विद्यार्थियों को चार या पाँच छोटे समूहों में बैठा दें और हर समूह को एक पेज़ दिया जाए।
2. समूह का एक बच्चा इस पेज़ पर अपने आसपास दिख रही चीजों में से कोई दो चीज़ों के नाम लिखे। अगला बच्चा अन्य दो चीज़ों के नाम लिखे। इस प्रकार समूह के सभी विद्यार्थी 2-2 चीज़ों के नाम लिखें।
3. अब विद्यार्थी उन 2-2 चीज़ों का नाम लिखें जो उन्हें घर से स्कूल आते वक्त रास्ते में दिखाई पड़ती हैं। जिस चीज़ का नाम एक बार लिखा जा चुका हो, उसे दोबारा न लिखें।
4. अब हर समूह से एक बच्चा इस सूची को कक्षा में प्रस्तुत करे। (प्रत्येक समूह 3 मिनट)
5. प्रस्तुतीकरण के समय शिक्षक द्वारा बोर्ड पर 4 कॉलम (1, 2, 3, 4) खींचकर निम्न आधार पर उनकी सूची को वर्गीकृत कराएँ:
- कॉलम 1 में उन चीज़ों के नाम लिखवाए जाएँ जो साँस नहीं लेते हैं।
- कॉलम 2 में उन चीज़ों का नाम लिखवाए जाएँ जो साँस लेते हैं, पर घूम- फिर नहीं सकते हैं और हमारे कहने का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
- कॉलम 3 में उन चीज़ों के नाम लिखवाए जाएँ जो साँस लेते हैं, हमारे कहने का उन पर प्रभाव पड़ता है, परंतु उनमें समझना और समझाना नहीं होता है।
- कॉलम 4 में उन चीज़ों का नाम लिखवाए जाएँ जो साँस लेते हैं, हमारे कहने का उन पर प्रभाव पड़ता है तथा वे समझ सकते हैं और समझा सकते हैं। (सभी संबंधी इसी में आएँगे।)
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. पहली तरह की चीज़ों का हम क्या नाम दे सकते हैं? (उत्तर:- निर्जीव पदार्थ)
2. दूसरी तरह की चीज़ों का हम क्या नाम दे सकते हैं? (उत्तर:- पेड़-पौधे)
3. तीसरी तरह की चीज़ों का हम क्या नाम दे सकते हैं? (उत्तर:- पशु-पक्षी)
4. चौथी तरह की चीज़ों का हम क्या नाम दे सकते हैं? ( उत्तर:- मानव)
इस प्रकार हम संपूर्ण प्रकृति को चार समूहों के रूप में पहचान सकते हैं।
- पहले समूह में सभी पदार्थ आते हैं।
- दूसरे समूह में पेड़-पौधे आते हैं, अत: इसे वनस्पति जगत कहते हैं।
- तीसरे समूह में जीव-जंतु आते हैं, अत: इस समूह को जंतु जगत भी कहते हैं।
- चौथे समूह में आदमी आता है जो कि समझ सकता है और समझा सकता है। इसे हम मानव जगत कह सकते हैं।
कल हमने देखा कि संपूर्ण प्रकृति को हम चार समूहों के रूप में पहचान सकते हैं।
- पहले समूह में सभी पदार्थ आते हैं।
- दूसरे समूह में पेड़-पौधे आते हैं, अत: इसे वनस्पति जगत कहते हैं।
- तीसरे समूह में जीव-जंतु आते हैं, अत: इस समूह को जंतु जगत भी कहते हैं।
- चौथे समूह में आदमी आता है जो कि समझ सकता है और समझा सकता है। इसे हम मानव जगत कह सकते हैं।
गतिविधि के चरण: विद्यार्थियों को चार छोटे समूह में बैठाकर हर समूह में एक पेज़ दे दिया जाए। विद्यार्थियों के समूहों को पदार्थ जगत, वनस्पति जगत, जंतु जगत और मानव जगत का नाम दिया जा सकता है। हरेक समूह अपने नाम से जुड़े जगत की विशेषताओं को लिखेगा। जैसे- आहार की आवश्यकता और निर्भरता, श्वसन क्रिया (breathing), दूसरे जगत के लिए उपयोगिता आदि के बारे में। (5 मिनट)
(शिक्षक द्वारा बीच-बीच में जाकर हिंट दिया जाना ठीक रहेगा, जैसे कि निर्जीव पदार्थ एक-दूसरे से मिलकर नए पदार्थ बना सकते हैं। पेड़-पौधे जहाँ रहते हैं वहीं से अपने पोषण की वस्तुओं को पहचानकर उपयोग कर लेते हैं। पशु-पक्षी अपने आहार के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं, परंतु आहार जैसा प्रकृति में उपलब्ध है वैसा ही ग्रहण करते हैं। आदमी अपनी जगह को ही अनुकूल बनाकर वहीं पर उत्पादन का सकता है। अपने भोजन को तैयार करने के लिए अपनी कल्पनाशीलता लगाता है आदि।)
1. अब हर समूह से एक बच्चा प्रस्तुतीकरण करे। (प्रत्येक समूह 3 मिनट)
2. प्रस्तुतीकरण के समय शिक्षक द्वारा बोर्ड पर 4 कॉलम (1, 2, 3, 4) खींचकर निम्न आधार पर उनकी सूची को अलग कराया जाए :-
- कॉलम 1 में निर्जीव पदार्थ की विशेषताएँ लिखें।
- कॉलम 2 में पेड़-पौधों की विशेषताएँ लिखें।
- कॉलम 3 में पशु-पक्षी की विशेषताएँ लिखें।
- कॉलम 4 में मानव की विशेषताएँ लिखें।
1. पदार्थ जगत की चीज़ों के बारे में आपका क्या विचार है, इनका आचरण निश्चित है या अनिश्चित? उदाहरण देकर बताएँ। (यदि बच्चे न बता सकें तो शिक्षक स्वयं से कुछ ऐसे उदाहरण देकर चर्चा आगे बढ़ा सकते हैं, जैसे- पानी हमेशा 100 डिग्री सेल्सियस पर उबलता है; बर्तन, औज़ार, टीवी आदि एक निश्चित विधि से बनते हैं, इसलिए हम फैक्ट्री में इन्हें हज़ारों-लाखों की संख्या में बना पाते हैं। इसका मतलब है निश्चित आचरण होना। पानी ढलान की ओर ही बहता है। इस नियम के साथ वह चलता है, इसलिए उसका आचरण निश्चित है।
2. वनस्पति जगत की चीज़ों के आचरण के बारे में आपका क्या विचार है, इनका आचरण निश्चित है या अनिश्चित? उदाहरण देकर बताएँ। (यदि बच्चे न बता सकें तो शिक्षक स्वयं से कुछ ऐसे उदाहरण देकर चर्चा आगे बढ़ा सकते हैं, जैसे- आम के बीज से आम का पौधा ही उगता है और फिर पेड़ बनता है। उसमें फल भी आम के ही आते हैं। मिर्च तीखी ही होती है, यदि तीखी नहीं होती तो हम बोलते हैं कि यह कैसी मिर्च है? इत्यादि)
3. जंतु जगत के आचरण के बारे में आपका क्या विचार है, इनका आचरण निश्चित है या अनिश्चित? उदाहरण देकर बताएँ। (यदि बच्चे न बता सकें तो शिक्षक स्वयं से कुछ ऐसे उदाहरण देकर चर्चा आगे बढ़ा सकते हैं, जैसे- एक ही जीव किसी के लिए क्रूर हो सकता है तो किसी अन्य के लिए अक्रूर हो सकता है। बिल्ली चूहे के लिए क्रूर होती है, परंतु कुत्ते के लिए अक्रूर होती है। हाथी कभी मांस नहीं खाता। शेर भूखा होने पर ही शिकार करता है। इनका आचरण निश्चित है।)
4. मानव जगत के आचरण के बारे में आपका क्या विचार है, इनका आचरण निश्चित है या अनिश्चित?
(चर्चा के लिए रख सकते हैं कि मानव की नासमझी की वजह से और अपने होने के नियम की पहचान न होने से उसका आचरण अनिश्चित है। जैसे- हम कभी अपने पर विश्वास कर पाते हैं तो कभी नहीं कर पाते हैं, क्योंकि हमारे क्रिया-कलाप नासमझी के कारण हमें वे परिणाम नहीं देते जिनकी हमें चाहत है। इसी तरह हम कभी ग़ुस्से में होते हैं तो कभी प्यार में। कभी ख़ुश होते हैं तो कभी दु:खी। यह सब अनिश्चित आचरण के लक्षण हैं।) (नोट: मानव यदि समझदार हो जाए तो निश्चित आचरण में जिएगा - सदा विश्वास में, सदा ख़ुश, सदा प्यार में। अन्य जगत के साथ भी तालमेल से जी पाएगा।)
Section 2: स्पेस
गतिविधि 2.1: स्पेस एक वास्तविकता
उद्देश्य: खाली जगह/स्पेस (Space) एक वास्तविकता है, बच्चों का इस ओर ध्यान चला जाए।
समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट:- पिछली गतिविधि में हमने देखा कि धरती पर चार प्रकार के समूह हैं जिन्हें हम पदार्थ जगत, वनस्पति जगत, जंतु जगत और मानव जगत भी कह रहे हैं, लेकिन जब हम पूरे अस्तित्व को देखते हैं तो समझ में आता है कि अस्तित्व में स्पेस नाम की एक और महत्त्वपूर्ण वास्तविकता भी है। इस गतिविधि में हम इसके बारे में ही बातचीत करेंगे।
गतिविधि के चरण:-
पहली चर्चा :-
कक्षा में बच्चे पानी की बोतलें लेकर आते ही हैं। उनमें से कोई दो लगभग एक जैसी बोतलें लें। एक में पानी भरा रहे और दूसरी बिलकुल खाली रहे। अब शिक्षक संवाद शुरू करेंगे:
1. दोनों बोतलों का वजन एक जैसा है या अलग-अलग है?
2. यदि अलग-अलग है तो कौन सी बोतल भारी है? खाली वाली या पानी से भरी हुई? क्यों? चर्चा करें। (उत्तर:- पानी से भरी बोतल भारी होगी क्योंकि पानी एक द्रव है और द्रव के कणों के बीच दूरी कम रहती है, इसलिए पानी के ज़्यादा कण बोतल में हैं। जिस बोतल में पानी नहीं है उस बोतल में हवा है। हवा में गैसें हैं, इसलिए इसके कणों के बीच की दूरी अधिक रहती है। अत: हवा के कम कण बोतल में हैं, इसलिए यह बोतल हल्की है।)
3. कणों के बीच दूरी का मतलब यह हुआ कि उन कणों के बीच में और कोई कण नहीं है। केवल खाली जगह है। इस खाली जगह को स्पेस भी कहते हैं।
दूसरी चर्चा :- बच्चों के साथ सौरमंडल के बारे में संवाद शुरू करेंगे।
- धरती और चाँद के बीच में क्या है? खाली जगह या कुछ और? (उत्तर:- खाली जगह)
- धरती, सूरज के चारों तरफ़ चक्कर लगा रही है। उस ऑर्बिट में खाली जगह है या कुछ और है? (उत्तर:- खाली जगह)
- यदि इस ऑर्बिट में खाली जगह ना होती (कोई और ग्रह होते या कुछ और होता) तो क्या धरती सूरज के चारों और चक्कर लगा सकती थी? (दूसरे शब्दों में कहें तो धरती का सूरज के चारों ओर चक्कर लगाना, धरती के ऑर्बिट में खाली जगह है, इसलिए ही संभव हुआ।
- आसमान में सारे ग्रहों और तारों को देखें - तो कुछ ग्रहों और तारों के आसपास स्पेस है या सबके आसपास?
- थोड़ा और सोचकर देखें तो क्या लगता हैं कि ग्रहों और तारों के बीच में स्पेस/खाली स्थान है या खाली स्थान/स्पेस में ग्रह-गोल हैं?
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
- आपके ध्यान में कोई ऐसी जगह है जहाँ खाली जगह ना हो?
- जिस कुर्सी पर आप बैठे हैं, उसमें खाली जगह है या नहीं हैं?
- यह कुर्सी कणों/ परमाणुओं से मिलकर बनी है या नहीं?
- इन परमाणुओं के बीच में खाली जगह है या नहीं?
- यदि परमाणुओं के बीच खाली जगह है तो कुर्सी में भी खाली जगह है। सहमत/असहमत/ चर्चा करें?
- पेन में भी खाली जगह है? सहमत/असहमत/ चर्चा करें?
- मेरे शरीर में खाली जगह है? सहमत/असहमत/ चर्चा करें?
- छत में खाली जगह है? सहमत/असहमत/ चर्चा करें?
- एक बार फिर सोचकर बताइए कि आपके ध्यान में कोई ऐसी जगह है जहाँ खाली जगह न हो?
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. ट्रैफिक जाम में हमारी गाड़ी क्यों रुक जाती है?
2. खाली सड़क पर हम तेज़ क्यों चल सकते हैं?
3. इन दोनों स्थितियों में खाली जगह का क्या महत्त्व है? (किस स्थिति में खाली जगह ज़्यादा है और किस में खाली जगह कम है?)
4. गाड़ी अगर आगे नहीं जा पा रही है तो इसमें खाली जगह बाधा है या दूसरी गाड़ी बाधा है?
5. सूर्य के चक्कर लगाते हुए धरती के गति पथ में कोई अन्य गृह गोल नहीं दिखता, केवल खाली स्थान है। क्या खाली स्थान गृह गोल के घूमने में कोई बाधा है?
6. खाली स्थान कण-कण के बीच, हम सबके बीच है और ग्रह गोल के बीच भी है। यह खाली स्थान हमारे आपस की क्रियाओं में बाधा है या सहायक है?
गतिविधि 2.2: स्पेस कैसा?
उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान इस बात पर चला जाए कि स्पेस में कोई बदलाव नहीं होता और यह असीमित है।
समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट:- पिछली कुछ गतिविधियों में हमने धरती पर चार अवस्थाओं को समझा और स्पेस को एक वास्तविकता के रूप में जाना। इस गतिविधि में हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि चारों अवस्थाओं में समय अनुसार परिवर्तन होता रहता है, परंतु स्पेस में कोई परिवर्तन नहीं होता और यह असीमित वास्तविकता है।
गतिविधि के चरण:
- शिक्षक बच्चों को 5 मिनट तक अपने आसपास की चीज़ों का निरीक्षण करने को कहे।
- क्या-क्या चीज़ें हैं जिनमें परिवर्तन (बनते-बिगड़ते रहते हैं) होता है? इनकी सूची भी अपनी कॉपी में बना लें।
- क्या कोई ऐसी भी चीज़ है जिसमें कोई परिवर्तन नहीं होता है?
- बच्चों से सूची की चीज़ें बताने को कहें और साथ ही बोर्ड पर लिखते जाएँ।
1. जिस कुर्सी/डेस्क पर हम बैठे हुए हैं यह बनता-बिगड़ता रहेगा या हमेशा एक जैसा रहेगा? क्यों?
2. हमारा मकान बनता-बिगड़ता रहेगा या हमेशा एक जैसा रहेगा? क्यों?
3. स्कूल के गार्डन में लगे हुए पेड़-पौधे हमेशा एक जैसे रहेंगे या इनमें बदलाव होता रहेगा? यदि बदलाव होगा तो क्या-क्या?
4. जंगल में पशु पक्षी हमेशा एक जैसे रहेंगे या इनमें बदलाव होता रहेगा? यदि बदलाव होगा तो क्या-क्या?
5. हमारा शरीर हमेशा एक जैसा रहेगा या इसमें बदलाव होता रहेगा? यदि बदलाव होगा तो क्या-क्या?
6. स्पेस हमेशा एक जैसा रहेगा या इसमें कोई बदलाव होगा? यदि बदलाव होगा तो क्या-क्या? (नोट: बच्चों का ध्यान इस तरफ़ ले जाएँ कि स्पेस में कोई बदलाव नहीं होता है।)
7. क्या हम ऐसा कह सकते हैं कि चारों अवस्थाओं की इकाइयों में परिवर्तन या बनना-बिगड़ना होता रहता है जबकि स्पेस में न तो कोई परिवर्तन होता है और न ही यह बनता-बिगड़ता है? सहमत/असहमत/ चर्चा करें।
8. क्या हम ऐसा कह सकते हैं कि अस्तित्व, परिवर्तनीय (चारों अवस्थाएँ) और अपरिवर्तनीय (स्पेस) का सहअस्तित्व है? सहमत/असहमत/ चर्चा करें।
दूसरा दिन:
- शिक्षक बच्चों को 5 मिनट तक अपने आसपास की चीज़ों का निरीक्षण करने को कहें कि क्या-क्या चीज़ें हैं जिनका आकार सीमित होता है? इनकी सूची भी अपने कॉपी में बना लें।
- क्या कोई ऐसी भी चीज़ है जिसका कोई आकार नहीं है और असीमित है?
- बच्चों से सूची की चीज़ें बताने को कहें और साथ ही बोर्ड पर लिखते जाएँ।
1. जिस कुर्सी/डेस्क पर हम बैठे हुए हैं इसका आकार (लंबाई, चौड़ाई) सीमित है या असीमित? (उत्तर: सीमित)
2. हमारे मकान का आकार (लंबाई, चौड़ाई) सीमित है या असीमित? (उत्तर : सीमित)
3. स्कूल के गार्डन में लगे हुए पेड़-पौधों का आकार (लंबाई, चौड़ाई) सीमित है या असीमित? (उत्तर : सीमित)
4. जंगल में पशु-पक्षियों का आकार सीमित (लंबाई, चौड़ाई) है या असीमित? (उत्तर : सीमित)
5. हमारे शरीर का आकार सीमित (लंबाई, चौड़ाई) है या असीमित? (उत्तर : सीमित)
6. स्पेस का कोई आकार (लंबाई, चौड़ाई) है या नहीं? (उत्तर : आकार नहीं है)
7. स्पेस की कोई सीमा (शुरू, ख़त्म) है या यह असीमित है? (उत्तर : असीमित)
8. क्या हम ऐसा कह सकते हैं कि चारों अवस्थाओं का कोई आकार रहता है जबकि स्पेस का कोई आकार नहीं है? सहमत/असहमत/ चर्चा करें।
9. क्या हम ऐसा कह सकते हैं कि अस्तित्व, सीमित इकाइयों (चारों अवस्थाएँ) और असीमित स्पेस का सहअस्तित्व है? सहमत/असहमत/ चर्चा करें।
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