शिक्षक के संदर्भ के लिए:
पिछले अध्याय में हमने देखा की:
- परिवार एक व्यवस्था है।
- इसमें सभी सदस्य अपनी भागीदारी पहचानकर बड़े अपने से चोटों की सुरक्षा, पोषण और शिक्षा की ज़िम्मेदारी लेते हैं और छोटे अपने बड़ों के प्रति कृतज्ञता पूर्वक सेवा करते हैं।
- अब हम देखते हैं कि कई परिवार के समूह मिलकर समाज कैसे बनता है।
हमारी समाज की कल्पना आज की स्थिति में बाज़ार से जुड़ी है। जबकि बाज़ार समाज का एक हिस्सा है। हमने ऐसा माना हुआ है की पैसे देने से हमें वस्तुएँ मिल जाती हैं पर भूल जाते हैं की उस वस्तु के बनने और हम तक पहुँचने में बहुत सारे लोगों का हाथ है।
हम सभी लोग आपस में सामाजिकता से जुड़े हुए हैं। अकेला कोई है नहीं। हम सब मिल कर समाज कहलाते हैं। हम कैसे हैं, हम में समझदारी कितनी है इसका प्रतिबिम्बन पूरे समाज पर पड़ता है। समझदार इंसान ही समाज और समग्र व्यवस्था में ठीक भागीदारी कर सकता है। एक व्यक्ति अपने मोहल्ला की व्यवस्था में भागीदारी करने का अभिलाषी हो सकता है तो कोई दूसरा व्यक्ति देश व विश्व की व्यवस्था में भागीदारी करने का अभिलाषी हो सकता है।
Section 1: समाज क्यों?
गतविधि 1.1: समाज की आवश्यकता क्यों?
गतिविधि 1.2:-समाज को समझें
Section 2: समाज कैसा?
कहानी 2.1: दूध में चीनी
गतिविधि 2.1: हमारा योगदान
Section 1: समाज क्यों?
शिक्षक के संदर्भ के लिए:
- जिस प्रकार प्रकृति की हर वस्तु एक-दूसरे की पूरकता में है उसी प्रकार आदमी भी समाज में रहते हुए एक-दूसरे के सहयोगी हैं।
- सभी की उन्नति के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग एवं सहभागिता बढ़ाने की योग्यता का विकास करने की आवश्यकता है।
- इस section में विद्यार्थियों का ध्यान इस बात पर ले जाने का प्रयास है कि हम जीने की जगह समाज के बीच है। हमें समाज की आवश्यकता क्या है? और क्यूँ हमें ग़ौर करना चाहिए।
- साथ ही, हम सब आपस में कैसे जुड़े हैं, इस पर भी ध्यान जाएगा।
गतविधि 1.1: समाज की आवश्यकता क्यों?
गतिविधि का उद्देश्य: बच्चों को यह स्पष्ट हो जाए कि समाज की आवश्यकता क्यों है।
समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट: एक से अधिक परिवारों के समुदाय को समाज कहते हैं, जिसमें सभी व्यक्ति कुछ क्रियाकलाप करते है, जैसे- सामाजिक सुरक्षा और मनुष्य तथा प्रकृति के साथ संबंधों का निर्वाह आदि। हर एक व्यक्ति का कार्य- व्यवहार कुछ निश्चित लक्ष्यों की पूर्ति हेतु होता है। किसी समाज के अंतर्गत आने वाले व्यक्ति एक-दूसरे के प्रति परस्पर स्नेह तथा सहृदयता का भाव रखते हैं। दुनिया के सभी समाज अपनी एक अलग पहचान बनाते हुए अलग-अलग रस्में-रिवाज़ों का पालन करते हैं। एक मनुष्य की बहुत सी आवश्यकताएँ ऐसी होती है, जैसे आहार, आवास, वस्त्र तथा सुरक्षा आदि जिन्हें वह ख़ुद के साधनों या प्रयासों से कतई पूरी नही कर सकता व उनके लिए उसको समाज की अवाश्यकता पड़ती ही है। इस गतिविधि में हम समाज की आवश्यकता क्यों है? इस बारे में चर्चा करेंगे।
गतिविधि के चरण:
शिक्षक कक्षा के सभी बच्चों से उन कारणों की सूची बनाने को कहेंगे:-
- जिनकी वजह से हम सभी का समाज में रहना अनिवार्य है।
- यदि हमारे परिवार को किसी जंगल या द्वीप में अकेले रहने को कहा जाए, या अकेले रहना पड़े (जहाँ दूर-दूर तक और कोई भी परिवार न रहता हो, कोई सामाजिक/सरकारी व्यवस्था न हो) तो हमारे परिवार को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ेगा?
अब बच्चों से पूछकर बोर्ड पर एक सूची बनाएँ।
(अपेक्षित उत्तर : हमारे घर में बिजली नहीं आ पायेगी (heater, cooler, tv, fridge, कुछ नहीं होगा), बीमार होने या चोट लगने पर अस्पताल नहीं होगा, कहीं अकेले जाने पर जानवरों का डर रहेगा। कपड़े कहाँ से आएँगे? mobile भी नहीं होगा तो एक-दूसरे को बुलाना भी संभव नहीं होगा आदि।)
इस सूची का वर्गीकरण निम्नानुसार कर सकते हैं:-
भय से मुक्ति हेतु
|
समाधान (शिक्षा) हेतु
|
ज़रूरतें पूरी करने (समृद्धि) हेतु
|
जैसे:- जानवर
का
डर,
बीमार
होने
या
चोट
लगने
पर
क्या
करेंगे?
सर्दी,
गर्मी,
बारिश
से
कैसे
बचेंगे?
|
जैसे:- शिक्षा,
सीखना,
समझना
|
जैसे:- बिजली,
mobile, खेती,
खाना-पीना,
कपडा,
घर,
tv, fridge, car, cycle,
|
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. समाज में रहने से भयमुक्त हुआ जा सकता है। सहमत/असहमत/ कैसे?
2. समाज में रहने से सीखना, समझना आसान हो जाता है। सहमत/असहमत/ कैसे?
3. समाज में रहने से हमारी ज़रूरतें आसानी से पूरी हो सकती हैं। सहमत/असहमत/ कैसे?
4. क्या अभी कुछ ऐसे विन्दु और बचते हैं जिन्हें हम ऊपर लिखी तीन श्रेणी में नहीं डाल पा रहे?
(अपेक्षित उत्तर : नहीं)।
शिक्षक कथन: इसका मतलब कि सामाजिकता की आवश्यकता भय से मुक्ति, समाधान और समृद्धि के लिए है।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए): बच्चों को प्रोत्साहित करें कि वह क्लास के बाद या घर पर इन बिंदुओं के बारे में मित्रों, भाई-बहन या अन्य रिश्तेदारों के साथ मंथन और चर्चा करें। जैसे-
- हमें समाज की ज़रूरत क्यों है, क्या हम अकेले नहीं रह सकते हैं?
- समाज की ज़रूरत मुझे है या मेरी ज़रूरत समाज को है?
- आपने किन-किन लोगों से चर्चा किया?
- उन्हें आपके साथ बातचीत कैसी लगी?
- आपने जो कुछ भी चर्चा किया उसे साझा करें?
- समाज के बारे में आए कुछ रोचक प्रसंग की भी चर्चा करें।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न: 1. समाज के बिना मानव की कल्पना ही नहीं हो सकती। सहमत/ असहमत। चर्चा करें। 2. समाज एक व्यवस्था है या अव्यवस्था? 3. समाज का प्रभाव व्यक्तियों पर पड़ता है। सहमत/ असहमत। चर्चा करें। 4. व्यक्तियों का प्रभाव समाज पर पड़ता है। सहमत/ असहमत। चर्चा करें। 5. सरकार भी समाज का ही एक अनिवार्य हिस्सा है। सहमत/ असहमत। चर्चा करें।
गतिविधि 1.2: समाज को समझें
गतिविधि का उद्देश्य: बच्चों को यह स्पष्ट हो जाए कि समाज क्या है और रोज़मर्रा में मेरे काम आने वाले लोग समाज के ही हिस्से हैं। समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
शिक्षक के लिए नोट: हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बहुत सारे समाज के लोगों का सहयोग रहता है, इस बात पर ध्यान चला जाए इसके लिए यह गतिविधि है।
गतिविधि के चरण: शिक्षक कक्षा के सभी बच्चों से निम्नलिखित चर्चा करेंगे:-
- अगर हमारा भुट्टा (भुना हुआ मक्का) खाने का मन हो तो क्या करना पड़ेगा? (संभावित उत्तर:- बाज़ार से लाना पड़ेगा)
- बाज़ार में मक्का कहाँ से आता है? (संभावित उत्तर:- खेत से)
- खेत में हमारे लिए मक्का कौन उगाता है? (संभावित उत्तर:- किसान)
- यदि हमारे पास पैसा हो पर किसान खेत में मक्का न उगाए हों तो हमें मक्का उपलब्ध हो पाएगा? (संभावित उत्तर:- नहीं)
- किसान हमारे लिए मक्का उगाते हैं तो उनसे हमारा संबंध हुआ कि नहीं?
- तेज़ गर्मी में यदि हमारा पंखा खराब हो जाए तो कैसा लगेगा? (संभावित उत्तर:-गर्मी से बहुत दिक्कत होगी)
- ऐसी स्थिति में हम क्या करेंगे? (संभावित उत्तर:- पंखा ठीक कराएँगे)
- पंखे को कौन ठीक करेगा? (संभावित उत्तर:- उसे ठीक करने वाले मैकेनिक)
- यदि हमारे पास पैसा हो पर मैकेनिक उपलब्ध न हो तो क्या पैसे से हमारा पंखा ठीक हो पाएगा?
- मैकेनिक जो हमारी मदद करते हैं उनसे हमारा संबंध हुआ कि नहीं?
- किसान, मैकेनिक इत्यादि समाज के हिस्से हैं कि नहीं?
शिक्षक कथन: इसका मतलब कि समाज के सभी सदस्य ख़ुश रह सकें इसके लिए काम करने की आवश्यकता है।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए):
बच्चों को प्रोत्साहित करें कि वह क्लास के बाद या घर पर इन बिंदुओं के बारे में मित्रों, भाई-बहन या अन्य रिश्तेदारों के साथ मंथन और चर्चा करें। जैसे-
- हमारे दैनिक जीवन को सुचारू रूप से चलते रहने में बहुत सारे लोगों का योगदान है। इस बारे में आपके क्या विचार हैं?
- केवल पैसा होने से ही सुविधाएँ नहीं मिल जाती हैं, उसके लिए समाज में ज़िम्मेदार लोग होना ज़रूरी है।
- आपने किन-किन लोगों से चर्चा किया?
- उन्हें आपके साथ बातचीत कैसी लगी?
- आपने जो कुछ भी चर्चा किया उसे साझा करें?
- चर्चा में आए कुछ रोचक प्रसंग की भी चर्चा करें।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. हमारी सभी सुविधाओं के लिए हम समाज पर निर्भर हैं? सहमत/असहमत/कैसे?
2. हमारे सहयोगियों के प्रति हमारा ध्यान बना रहता है या हम उनकी उपेक्षा करते हैं?
3. समाज के ख़ुशहाल होने से हम भी ख़ुशहाल होंगे। सहमत/असहमत/कैसे? 4. समाज लगातार मेरी समझ और सुविधा के लिए लगा ही हुआ है। सहमत/असहमत/कैसे?
Section 2: समाज कैसा?
शिक्षक के संदर्भ के लिए:
मनुष्य की उन्नति सामाजिकता में ही है। वह अकेला रहकर अपनी ज़िंदगी नहीं जी सकता है। इसे अनेक लोगों के सहयोग की आवश्यकता होती है। इसका अपना एक परिवार होता है जिसमें माता-पिता, भाई-बहन व अन्य संबंधी होते हैं। परिवारों के समूह से मनुष्य समाज बनता है और मनुष्य की उन्नति में समाज का भी बड़ा योगदान होता है।
स्वस्थ समाज की पहचान है अखंडता और अपनापन। आपस में घुल-मिलकर, बराबरी के साथ एक-दूसरे के योगदान को पहचानकर उसके लिए कृतज्ञ होना और अपना योगदान देना हर व्यक्ति की ज़िम्मेदारी है।
इस section में हम कहानी और गतिविधि के माध्यम से इसे समझने का प्रयास करेंगे।
कहानी 2.1: दूध में चीनी
उद्देश्य: विद्यार्थियों को परस्परता में जीने की समझ विकसित करना।
समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कहानी:
कई सदियों पुरानी बात है। एक छोटे देश पर आक्रमण हुआ। इसके कारण वहाँ के स्थायी लोगों को देश छोड़कर कहीं दूर जाना पड़ा। वे बड़ी संख्या में अपनी नावों में दूर नई जगह ढूँढने निकले और एक बड़े देश के तट पर पहुँचे। वहाँ पहुँचकर उन्होंने पनाह के लिए आग्रह किया। बड़े देश का राजा काफ़ी दयालु था, परंतु उनका यह मानना था कि उनके देश की ज़मीन पहले से ही लोगों से भरी हुई है और वे अधिक लोगों को समायोजित नहीं कर सकेंगे।
राजा ने उन्हें समझाने के लिए एक गिलास दूध भेजा जो पूरी तरह से भरा हुआ था। उन लोगों ने तुरंत संदेश को समझ लिया और राजा से एक चम्मच चीनी माँगी। उन्होंने दूध में चीनी घोल दी और राजा को गिलास वापस भेज दिया। इसके माध्यम से उन्होंने राजा को संदेश दिया कि वे शांतिप्रिय और धार्मिक लोग हैं जो अपने ज्ञान और परिश्रम से भूमि और समुदाय को समृद्ध बनाते हैं।
राजा उनके इशारे से बहुत प्रभावित हुए और उन्हें उपहार के साथ अपने देश में आने का स्वागत किया। उन्हें अपने नए घर में बसने में मदद भी की। इस तरह वे सभी अपने नए देश में दूध में चीनी की तरह मिल गए और उस देश को बेहतर बनाने में जुट गए।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न:
1. क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि किसी के साथ रहने के बाद आपका उनके प्रति नज़रिया बदला हो?
2. क्या हमारे आसपास सब एक ही प्रकार के लोग हैं या अलग-अलग? हम एक-दूसरे से किस तरह समान हैं?
3. क्या हम संबंध समानताएँ देखकर बनाते हैं? हम संबंध किस आधार पर बनाते हैं?
4. क्या हम सबके लिए उपयोगी हो सकते हैं? कैसे?
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्तियों के लिए): 1. घर जाकर अपने माता-पिता से चर्चा करके यह समझें कि आपके मोहल्ले में कहाँ-कहाँ से लोग आकर बसे हैं और क्या वे दूध में चीनी की तरह घुल गए हैं? 2. अगर हो सके तो घर वालों से यह भी चर्चा करें कि आपके मोहल्ले में पहले कौन आकर बसे और बाद में कौन लोग आए? क्या आज इस बात से मोहल्ले की ख़ुशहाली पर फ़र्क पड़ता है कि पहले कौन बसा और बाद में कौन आया? शिक्षक पहले पिछले दिन की डिस्कशन का फ़ीड्बैक लें और फिर इस प्रश्न पर थोड़ा और मनन कराया जाए कि क्या इस बात से फ़र्क पड़ता है कि पहले कौन आकर बसा और बाद में कौन आया। शिक्षक थोड़े उदाहरण दें कि कैसे हमारे देश से भी लोग बाहर जाकर बसे हैं - अफ़्रीका, कनाडा, सिंगापुर। वहाँ भारतियों की पूरी बस्तियाँ हैं। दुनिया का कोई कोना नहीं जहाँ हमारे देश के लोग जाकर ना बसे हों। वहाँ के समाज में दूध-चीनी की तरह मिल गए। हमारे देश में भी दुनिया भर के तमाम देशों से लोग आकर बसे और आज हम एक समाज हैं।
दूसरा दिन:
- कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए।
- घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
- पहले दिन के चिंतन के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुन: किया जा सकता है।
क्या करें और क्या न करें:
- सभी को अभिव्यक्ति का अवसर दें और उनकी बात धैर्य से सुनें।
- शिक्षक यह देखे कि सभी विद्यार्थी चर्चा में भाग ले रहे हैं या नहीं।
- जो विद्यार्थी चर्चा में भाग लेने से संकोच कर रहे हैं उन्हें इसके लिए प्रेरित करे और उनका सहयोग करें।
समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
गतिविधि के चरण:
- विद्यार्थियों को स्वेच्छा से 5-5 के समूह में बैठने को कहा जाए।
- अपने विद्यालय के वातावरण को बेहतर बनाने के लिए प्रत्येक समूह को अपने योगदान की एक योजना बनाने के लिए कहा जाए। योजना के मुख्य बिंदु- क्या, कब, कौन, कैसे आदि लिए जा सकते हैं। (5 मिनट)
- शिक्षक भी अपने लिए एक योजना बना सकते हैं और कक्षा के साथ साझा कर सकते हैं।
- प्रत्येक समूह अपनी योजना को कक्षा में प्रस्तुत करे। विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत की गई योजनाओं की सराहना की जाए। (प्रत्येक समूह 3 मिनट)
1. हमें विद्यालय के वातावरण को बेहतर बनाने के लिए योगदान क्यों देना चाहिए?
2. विद्यार्थियों के द्वारा विद्यालय में किस-किस प्रकार का योगदान दिया जा सकता है?
3. यदि सभी विद्यार्थी अपना-अपना योगदान दें तो इससे अपने विद्यालय में क्या-क्या बदलाव देखने को मिल सकते हैं?
क्या करें और क्या न करें (Dos and Don’ts):
- समूह की योजना को चार्ट पेपर पर बनवाकर कक्षा में या अन्य उपयुक्त स्थान पर प्रदर्शित किया जा सकता है।
- विद्यालय में स्वेच्छा से ज़िम्मेदारी लेने वाले विद्यार्थियों की प्रार्थना सभा में सराहना की जाए।
- शिक्षक द्वारा विद्यार्थियों के योगदान की योजना को विद्यालय में लागू करवाने में मदद की जाए।
- यदि यह गतिविधि एक पीरियड में पूरी न हो सके तो अगले दिन भी इसे जारी रख सकते हैं।
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