10. सुकरात के तीन सवाल


उद्देश्य: बच्चों को सार्थक (समझदारी वाली) बातचीत के लिए प्रेरित करना।
समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

कहानी:
प्राचीन यूनान में सुकरात नाम के विद्वान हुए हैं। वे बहुत ही ज्ञानवान और विनम्र थे। एक बार वे बाजार से गुज़र रहे थे तो रास्ते में उनकी मुलाकात एक परिचित व्यक्ति से हुई। उस सज्जन ने सुकरात को रोककर कुछ बताना शुरू किया। वह बताने लगा, “क्या आप जानते हैं कि कल आपका मित्र आपके बारे में क्या कह रहा था?”
सुकरात ने उस व्यक्ति की बात को वहीं रोकते हुए कहा, “सुनो, भले व्यक्ति! मेरे मित्र ने मेरे बारे में क्या कहा यह बताने से पहले तुम मेरे तीन छोटे प्रश्नों का उत्तर दो। उस व्यक्ति ने आश्चर्य से कहा – “तीन छोटे प्रश्न?”
सुकरात ने कहा, “हाँ, तीन छोटे प्रश्न।”
पहला प्रश्न तो यह है कि तुम मुझे जो कुछ भी बताने जा रहे हो क्या वह पूरी तरह से सही है?
उस आदमी ने जवाब दिया, “नहीं, मैंने अभी-अभी यह बात सुनी है।”
सुकरात ने कहा, “कोई बात नहीं, इसका मतलब यह है कि तुम्हें नहीं पता कि तुम जो कहने जा रहे हो वह सच है या नहीं।”
अब मेरे दूसरे प्रश्न का जवाब दो कि जो कुछ तुम मुझे बताने जा रहे हो क्या उसमें कोई सार्थकता है?
उस आदमी ने तुरंत कहा, “नहीं।”
सुकरात बोले ठीक है। अब मेरे आख़िरी प्रश्न का और जवाब दो कि जो कुछ तुम मुझे बताने जा रहे हो क्या वह मेरे लिए उपयोगी है?
वह व्यक्ति बोला, “नहीं, उस बात में आपके काम आने जैसा तो कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है।” तीनों प्रश्नों के उत्तर सुनने के बाद सुकरात बोले, “ऐसी बात जो सुनी-सुनाई है, जिसमें कोई सार्थकता नहीं है और जिसकी मेरे लिए कोई उपयोगिता नहीं है उसे सुनने से क्या फ़ायदा?”

पहला दिन: 
चर्चा के लिए प्रश्न: 
1. हम अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में जो भी बातचीत करते हैं, क्या उसका निर्णय इन तीन सवाल के आधार पर लेते हैं? चर्चा करें।
2. हमारी बहुत सी बातों में यह तीन विशेषताएँ न होते हुए भी हम ऐसी बातें क्यों करते हैं?
3 . उदाहरण देकर बताओ कि हाल ही में आपने कौनसी ऐसी बातें की जिनमें ये तीनों विशेषताएँ थीं।

घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए): 
  • विद्यार्थियों से घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानने के लिए कहा जाए। 
  • विद्यार्थियों को अपने मित्रों से उनकी उन आदतों के बारे में चर्चा करने के लिए कहा जाए जो वे छोड़ना चाहते हैं। 
दूसरा दिन: 
  • कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। 
  • घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ। 
  • पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुन: किया जा सकता है। 
चर्चा के लिए प्रश्न: 
1. यदि हम बातचीत में हमेशा इन तीनों बातों का ध्यान रखें तो इससे हमारी बातचीत पर क्या असर पड़ेगा? इससे हमें और हमारे मित्रों/परिवारजनों को क्या फ़ायदा होगा?
2. “दूसरों के गुणों की चर्चा करने से हमारी उन्नति होती है और दूसरों के अवगुणों की चर्चा करने से हमारी अवनति होती है।” सहमत/असहमत? चर्चा करें। चर्चा की दिशा: हम रोज़मर्रा कि ज़िंदगी में देखें कि जब हम फ़ुरसत में होते हैं तो हमारी बातचीत का विषय क्या होता है और इससे हमें क्या फ़ायदा होता है? अधिकतर लोगों की ज़्यादातर बातचीत दूसरों की कमियों को लेकर होती हैं। इसकी आदत होने पर नज़रिया नकारात्मक हो जाता है। नकारात्मक नज़रिए वाले लोग हमेशा दुःखी रहते हैं और दूसरे लोग इनसे धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं। हमारी बातचीत का हमारी ज़िंदगी में बहुत प्रभाव पड़ता है। दूसरों के गुणों की चर्चा करने से हमारी उन्नति होती है और दूसरों के अवगुणों की चर्चा करने से हमारी अवनति होती है। इन प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को सार्थक और उपयोगी बातचीत करने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया गया है।

क्या करें और क्या न करें: 
  • सभी को अभिव्यक्ति का अवसर दें और उनकी बात धैर्य से सुनें। 
  • शिक्षक यह देखें कि सभी विद्यार्थी चर्चा में भाग ले रहे हैं या नहीं। 
  • जो विद्यार्थी चर्चा में भाग लेने से संकोच कर रहे हैं उन्हें इसके लिए प्रेरित करे और उनका सहयोग करें।
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  1. अलेक्जेंडर और डायोगनीज
  2. मन के अंदर महल
  3. राबिया की सूई
  4. क्या असली तो क्या नकली
  5. कितनी ज़मीन
  6. अहंकार का कमरा
  7. पगड़ी
  8. मेरी पहचान
  9. अरुणिमा सिन्हा
  10. सुकरात के तीन सवाल
  11. तीन मज़दूर तीन नज़रिए
  12. निर्मल पानी
  13. कौन बोल रहा है
  14. पतंग की डोर 
  15. बड़ा आदमी
  16. भाई है बोझ नहीं 
  17. मिल-जुलकर 
  18. दूध में चीनी

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