5. कितनी ज़मीन


उद्देश्य: बच्चों का ध्यान अपनी आवश्यकताओं की ओर ले जाना और यह पहचानने के लिए की हमारी भौतिक आवश्यकताएँ सीमित होती है; तथा अधिक संग्रह की होड़ में पड़ने के परिणाम से अवगत कराना।
समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक की संतुष्ट होने तक

कहानी:
एक आदमी के घर किसी दिन एक मुसाफिर मेहमान आया। रात के समय बातों ही बातों में मुसाफिर ने कहा, वहाँ से कुछ दूर एक गाँव है जहाँ पर ज़मीन इतनी सस्ती है कि मानो मुफ्त ही मिलती हो। वहाँ हज़ारों एकड़ ज़मीन मिल सकती है वह भी करीब-करीब मुफ्त में। उस आदमी का लोभ जगा। उसने दूसरे दिन ही उस गाँव की राह पकड़ी और जब पहुंचा तो उसने कहा कि मैं ज़मीन खरीदना चाहता हूँ। गाँव वालों ने कहा कि तुम जितना पैसा लाए हो, रख दो। ज़मीन खरीदने का तरीका यह है कि कल सुबह सूरज उगने से पहले तुम निकल पड़ना और श्याम के सूरज के अस्त होने तक जितनी ज़मीन तुम घेर सको, वह तुम्हारी होगी। वह आदमी रात-भर सो न सका। योजनाएँ बनाता रहा कि कितनी ज़मीन घेर लूँ। सुबह होते ही भाग निकला। उसने साथ अपनी रोटी और पानी का भी इंतज़ाम कर लिया था, यह सोचकर कि रास्ते में यदि भूख-प्यास लगे तो दौड़ते-दौड़ते ही खा-पी लूँगा। उसने सोचा था कि ठीक बारह बजे लौट आऊँगा ताकि सूरज डूबते-डूबते वापस पहुँच जाऊँ। उसने दोपहर तक मीलों का सफ़र पूरा कर लिया। उसके मन में विचार आया कि दोपहर हो गई और मुझे लौटना चाहिए, लेकिन सामने और उपजाऊ ज़मीन दिखाई दी और यह खयाल आया कि थोड़ी-सी और ज़मीन घेर लेता हूँ। ज़रा तेज़ी से दौड़ना पड़ेगा लौटते समय। उसने खाना भी न खाया, पानी भी नहीं पीया, क्योंकि रुकना पड़ेगा। रास्ते में उसने खाना भी फेंक दिया और पानी भी फेंक दिया, क्योंकि उनका वजन भी ढोना पड़ा रहा था। उसने कोट भी उतार दिया और टोपी भी उतार दी। जितना हल्का हो सकता था, हो गया। दोपहर बीत गई पर लौटने का मन नही हुआ। तीसरा पहर हो गया। लौटना शुरु किया, परन्तु अब उसके मन में घबराहट थी। सारी ताकत लगाई, लेकिन अब वह थक चुका था। अब सूरज डूबने लगा था। वह गाँव के करीब पहुँचने लगा था और उसे लोग दिखाई पड़ने लगे। गाँव के लोग खड़े थे और आवाज़ दे रहे थे कि आ जाओ, आ जाओ! उसने दौडऩे में आखिरी दम लगा दिया। सूरज डूबने लगा। इधर सूरज डूब रहा था, उधर वह गाँव की तरफ़ भाग रहा था। सूरज डूबते-डूबते वह आदमी गिर पड़ा। अभी सूरज की आखिरी कोर क्षितिज पर रह गई थी। वह किसी तरह अपने आपको गाँव की ओर घसीटकर ले जाने का प्रयास कर रहा था, परंतु सूरज डूब गया और वह थककर बेहोश हो गया। वहाँ मौजूद लोग हँसे और आपस में बातें करने लगे कि अब तक ऐसा एक भी आदमी नहीं आया जो घेरकर ज़मीन का मालिक बन पाया हो।

चर्चा के लिए प्रश्न: 
1. क्या अपनी आवश्यकता से कई ज़्यादा पाने की लालसा की वजह से आपको भी कभी कोई नुकसान हुआ है? कैसे?
2. कौन-कौनसी चीज़े लोग अपनी आवश्यकता से अधिक इकट्ठा करते हैं? सूची बनाइए। 3. आप भी कौन-कौनसी चीज़े अपनी आवश्यकता से अधिक एकत्रित करते हैं? कक्षा में साझा करें। घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए):
  • विद्यार्थियों से घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानने के लिए कहा जाए। 
  • विद्यार्थियों को अपने आसपास यह देखने के लिए कहा जाए कि लोग कौन-कौन सी चीज़ें अपने आवश्यकताओं से अधिक संग्रह करने में लगे हुए हैं। 
दूसरा दिन: 
  • कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। 
  • घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ। 
  • पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुन: किया जा सकता है। 
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न: 
1. कुछ चीज़ें हम अपनी आवश्यकता से अधिक इकट्ठा क्यों करते हैं? क्या इससे वह उद्देश्य पूरा होता है जिसके लिए ऐसा करते हैं?
2. हम अपनी आवश्यकताओं को कैसे तय कर सकते हैं कि किस चीज़ की कितनी ज़रूरत है? कक्षा में चर्चा करें।

चर्चा की दिशा: अभी बहुत से लोग अपने आवश्यकताओं को ठीक से तय नहीं कर पाने के कारण आवश्यकताओं से बहुत अधिक संग्रह करते हुए दिखाई पड़ते हैं। उनका ऐसा मानना है कि हमारी आवश्यकताओं की कोई सीमा नहीं है और सामग्री सीमित है तो संग्रह के अलावा कोई चारा नहीं और उसकी कोई सीमा भी तय नहीं है। इसलिए ज़िंदगी भर संग्रह के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। ऐसे में काफ़ी समय इस भ्रम के साथ जीते हुए हमारा स्वास्थ्य और संबंधियों का साथ भी छूटता है और जो मन कि आवश्यक्तयों को पूरा करने निकले थे (जैसे सम्मान, विश्वास) वह अस्थायी रहती है। इस कहानी के माध्यम से विद्यार्थियों का ध्यान अपनी आवश्यकताओं की ओर ले जाने का प्रयास किया गया है ताकि आगे चलकर वे भौतिक वस्तुओं का सही मूल्यांकन कर सकें और अपनी भावनात्मक आवश्यकताओं को भी पहचानने की ओर बढ़ें।

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  1. अलेक्जेंडर और डायोगनीज
  2. मन के अंदर महल
  3. राबिया की सूई
  4. क्या असली तो क्या नकली
  5. कितनी ज़मीन
  6. अहंकार का कमरा
  7. पगड़ी
  8. मेरी पहचान
  9. अरुणिमा सिन्हा
  10. सुकरात के तीन सवाल
  11. तीन मज़दूर तीन नज़रिए
  12. निर्मल पानी
  13. कौन बोल रहा है
  14. पतंग की डोर 
  15. बड़ा आदमी
  16. भाई है बोझ नहीं 
  17. मिल-जुलकर 
  18. दूध में चीनी

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