7. पगड़ी


कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों को अपने अहंकार का पोषण करने वाली चीज़ों के प्रति सजग रहने के लिए प्रेरित करना।
समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

कहानी: 
एक चालाक आदमी एक सम्राट के दरबार में पाँच रुपए की चमकदार रंगों से रँगवाई गई एक सस्ती-सी पगड़ी लेकर गया। सम्राट ने उस पगड़ी को देखकर पूछा, “इस पगड़ी के क्या दाम हैं?” उस आदमी ने कहा, “एक हजार स्वर्ण मुद्राएँ।” सम्राट हँसा और पूछा- एक हजार स्वर्ण मुद्राएँ कैसे? सम्राट के वज़ीर ने सम्राट को उस चालाक आदमी से सावधान रहने को कहा। जब उस आदमी ने कहा कि अब मैं चलता हूँ तो सम्राट ने पूछा, “क्यों आए थे और क्यों जा रहे हो?” उसने कहा कि मैंने जिस आदमी से यह पगड़ी ख़रीदी थी उससे मैंने भी यही प्रश्न पूछा था कि यह पगड़ी एक हजार स्वर्ण मुद्राओं की कैसे? उस आदमी ने मुझे बताया था कि इस दुनिया में एक ऐसा सम्राट है जो इसके पाँच हजार स्वर्ण मुद्राएँ दे सकता है। किंतु मुझे लगता है कि यह उस सम्राट का नहीं है जिसे मैं खोज रहा हूँ। मुझे किसी और सम्राट के दरबार में जाना पड़ेगा। यह सुनते ही उस सम्राट ने कहा, “दस हजार स्वर्ण मुद्राएँ इसे दे दी जाएँ और पगड़ी ख़रीद ली जाए। जब वह आदमी रुपए लेकर दरबार से बाहर निकल रहा था तो वज़ीर ने उससे पूछा कि पाँच रुपए की पगड़ी को दस हजार स्वर्ण मुद्राओं में बेचने का राज़ क्या है? उस आदमी ने वज़ीर के कान में कहा, “मित्र, इसका राज है आदमी की कमज़ोरी।” वज़ीर ने पूछा, “क्या है आदमी की कमज़ोरी?” उसने जवाब दिया कि आदमी की कमज़ोरी है- अहंकार। वह मानता है कि मैं ही श्रेष्ठ हूँ? ‘आप ही सबसे श्रेष्ठ हैं’ मैंने यह जताकर सम्राट के अहंकार का पोषण कर दिया और पाँच रुपए की पगड़ी दस हजार स्वर्ण मुद्राओं में बिक गई।

चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न: 
1. क्या आपने भी कभी दिखावे के लिए कोई महँगी चीज़ ख़रीदी है? क्या और क्यों?
 2. ऐसे कौन से गुण हैं जो आप में नहीं हैं या बहुत कम हैं फिर भी आप उनके होने का दिखावा करते हैं? घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए):
  • विद्यार्थियों से घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानने के लिए कहा जाए। 
  • विद्यार्थियों को अपने आसपास यह देखने के लिए कहा जाए कि लोग किस तरह अपना अहंकार बढ़ाने में लगे हुए हैं। 
  दूसरा दिन अथवा आगे: 
  • विद्यार्थियों द्वारा कहानी की पुनरावृत्ति करवाएँ। 
  • घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दें। 
  • पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुन: किया जा सकता है। 
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न: 
1. हम महँगी चीज़े किन-किन कारणों से ख़रीदते हैं? 
2. जब हम पहचान और सम्मान पाने के लिए महँगी चीज़े खरीदते हैं तो क्या यह उद्देश्य पूरा होता है? यदि नहीं, तो फिर ऐसा क्यों करते हैं? 

चर्चा की दिशा: यदि कोई व्यक्ति किसी बात में सिर्फ़ स्वयं को ही श्रेठ मानने लगता है तो इस भ्रम को ‘अहंकार’ कहते हैं। ज्ञान के साथ-साथ विनम्रता बढ़ती है। अहंकार के साथ-साथ क्रोध बढ़ता है। यदि समय के साथ-साथ अपनों की संख्या बढ़ रही है तो यह इस बात का प्रमाण है कि हमारी समझ बढ़ रही है और अपनों की संख्या घट रही है तो यह इस बात का प्रमाण है की हमारा अहंकार बढ़ रहा है। समझदार व्यक्ति अपने व्यवहार, विचार और उपयोगिता से स्वयं में सम्मान पूर्वक जीता है। नासमझ व्यक्ति दिखावे से सम्मान पाने की अपेक्षा रखता है और स्वयं भ्रम में रहते हुए दूसरों को भ्रमित समझता है। इस कहानी के माध्यम से विद्यार्थियों को अपने अहंकार का पोषण करने वाली चीज़ों के प्रति सजग रहने के लिए प्रेरित किया गया है।

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  1. अलेक्जेंडर और डायोगनीज
  2. मन के अंदर महल
  3. राबिया की सूई
  4. क्या असली तो क्या नकली
  5. कितनी ज़मीन
  6. अहंकार का कमरा
  7. पगड़ी
  8. मेरी पहचान
  9. अरुणिमा सिन्हा
  10. सुकरात के तीन सवाल
  11. तीन मज़दूर तीन नज़रिए
  12. निर्मल पानी
  13. कौन बोल रहा है
  14. पतंग की डोर 
  15. बड़ा आदमी
  16. भाई है बोझ नहीं 
  17. मिल-जुलकर 
  18. दूध में चीनी

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