4. क्या असली तो क्या नकली


कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों को दुःख की परिस्थिति में भी सभी पहलुओं में अपनी समझ को और संबंध बनाए रखते हुए निर्णय लेने के लिए प्रेरित करना। सामान की ख़ुशी से ज़्यादा गहरी संबंध और समझ की ख़ुशी है यह बात स्पष्ट हो जाए।
समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक की संतुष्ट होने तक

कहानी: 
सोहन के पिता के निधन के बाद परिवार पर आर्थिक संकट आ गया। ऐसे में माँ ने घर चलाने के लिए सोहन को अपना एक हार दिया और कहा कि इसे अपने चाचा की दुकान पर बेच देना। सोहन के चाचा एक जौहरी थे। सोहन ने अपने चाचा को जब हार दिखाया तो चाचा ने हार को अच्छे से देखा और कहा कि अभी बाजार मंदा है, इसे थोड़ा रुककर बेचना। यह सुनकर सोहन थोड़ा निराश हुआ परन्तु तभी चाचा ने कहा कि अभी तो तुम मेरी दुकान पर नौकरी कर सकते हो, वैसे भी मुझे एक भरोसेमंद सहायक की ज़रूरत है। सोहन अगले दिन से दुकान पर काम सीखने लगा। वहाँ उसे हीरों व रत्नों की परख का काम सिखाया गया। धीरे-धीरे उसे रत्नों की परख करना आ गया। कुछ महीनों बाद उसके चाचा ने उससे कहा कि जो हार तुम बेचना चाहते थे, उसे अब ले आओ। सोहन ने घर जाकर माँ का हार जैसे ही हाथ में लेकर गौर से देखा तो पाया कि वह हार तो नकली है! वह तुरंत दौड़कर चाचा के पास पहुँचा और पूछा कि आपने मुझे तभी सच क्यों नहीं बताया जब मैं इस हार को बेचने आया था? इस पर चाचा ने कहा कि अगर मैं तुम्हें उस समय सच बता देता तो तुम्हें लगता कि संकट की घड़ी में चाचा भी तुम्हारे कीमती हार को नकली बता रहे हैं और तुम्हारी मदद नहीं करना चाहते। आज जब तुम्हें ख़ुद ही गहनों को परखने का ज्ञान हो गया है तो अब तुम ख़ुद असली-नकली की पहचान कर सकते हो।

पहला दिन: 
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न: 
1. क्या सही-गलत की पहचान ख़ुद कर पाने से आपकी ख़ुशी बढ़ती है? कैसे? एक उदाहरण दीजिए।
2. कोई एक उदाहरण देकर बताइए जब आपको पता चला कि आप कई दिनों से जिस बात को जैसे माने हुए थे वह वैसी नहीं थी। (जैसे ice-cream अकेले खाना और दोस्तों के साथ खाने में हम दोस्तों के साथ ही पसंद करते हैं जिससे हमें एहसास होता है की दोस्तों के साथ बिताए हुए समय की ख़ुशी अकेले रहकर आइस-क्रीम खाने से कई ज़्यादा है।) इसका पता चलने पर आपको कैसा लगा और क्यों? घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
  • विद्यार्थियों से घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानने के लिए कहा जाए। 
दूसरा दिन अथवा आगे: 
  • शिक्षक विद्यार्थियों से कहानी की पुनरावृत्ति करवाएँ। 
  • घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ। 
  • पहले दिन के चिंतन के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुन: किया जा सकता है। 
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न: 
1. यदि किसी परिस्थिति में आपको संबंध या सामान में से कोई एक चुनना हो तो आप क्या चुनेंगे और क्यों?
2. सोहन के चाचा ने उसको पैसे न देकर सही-गलत को परखने की समझ दी। आप अपने जीवन से एक ऐसा उदाहरण दीजिए जब आप भी सही-गलत की समझ को प्राप्त करके ख़ुश हुए हों।

क्या करें और क्या न करें: 
  • सभी को अभिव्यक्ति का अवसर दें और उनकी बात धैर्य से सुनें। 
  • शिक्षक यह देखें कि सभी विद्यार्थी चर्चा में भाग ले रहे हैं या नहीं। 
  • जो विद्यार्थी चर्चा में भाग लेने से संकोच कर रहे हैं उन्हें इसके लिए प्रेरित करे और उनका सहयोग करें।

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