9. अरुणिमा सिन्हा


कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान स्वयं के प्रति विश्वास के महत्व की ओर ले जाना और शारीरिक बल एवं मनोबल की ओर ध्यान ले जाना।
समय: कम से कम दो पीरियड अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

कहानी: 
अरुणिमा सिन्हा उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर की निवासी हैं और 2012 से केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में सेवारत है। वह राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबाल खिलाड़ी रही हैं। अप्रैल 2011 में लखनऊ से दिल्ली जाते समय बरेली के निकट ट्रेन में कुछ लोगों ने उनका बैग और सोने की चेन खींचने का प्रयास किया। अरुणिमा ने उनका डटकर मुकाबला किया, लेकिन उन्हें ट्रेन से बाहर धक्का दे दिया गया जिसके कारण उसने अपना एक पैर गँवा दिया।
अरुणिमा ने माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई को छूने का मन बना लिया था। इसके लिए उसे ऊर्जा देने का काम एक टी वी शो “टू डू समथिंग” ने किया था। अरुणिमा को बड़ी प्रेरणा क्रिकेटर युवराज सिंह से मिली, जिन्होंने कैंसर जैसी बीमारी को हराकर फिर से अपने देश के लिए खेलने का ज़ज़्बा दिखाया था। बछेंद्री पाल ने अरुणिमा से कहा था, “अरुणिमा तुमने इस हालत में एवरेस्ट श्रृंखला की ऊँचाई को छूने का मन बना लिया है अब तो सिर्फ़ लोगों को दिखाना रह गया है।” शारीरिक चुनौती और प्रतिकूल परिस्थितियों के बावज़ूद अरुणिमा ने गज़ब के साहस का परिचय दिया। 21 मई 2013 को दुनिया की सबसे ऊँची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट को फ़तह कर एक नया इतिहास रचा। अरुणिमा के मज़बूत इरादों ने उन्हें यहीं नहीं रुकने दिया। उसने सातों महाद्वीपों की सबसे ऊँची पर्वत चोटियों को फ़तह कर दुनिया को मन की ताकत से अवगत करा दिया। पहली भारतीय दिव्यांग महिला का यह रिकार्ड सभी के लिए प्रेरणा बन गया।

  पहला दिन: चर्चा के लिए प्रश्न: 
1 . किसी भी कार्य को संपन्न करने के लिए केवल शरीर की ताकत की आवश्यकता होती है या मन की ताकत की भी आवश्यकता होती है? चर्चा करें।
2.क्या दूसरे ही हमारा मनोबल बढ़ा सकते हैं या हम स्वयं भी अपना मनोबल बढ़ा सकते हैं? चर्चा करें।

  घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए): 
  • विद्यार्थियों से घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानने के लिए कहा जाए। 
  • ऐसे व्यक्तियों के बारे में जानकारी एकत्र करें जिन्होंने शारीरिक चुनौतियों के बावजूद ऐसी उपलब्धियाँ हासिल की है जिसके लिए सामान्यतया लोग प्रयास भी नहीं करते हैं? कक्षा में साझा करें। 
   दूसरा दिन: 
  • कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं। 
  • घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ। 
  • पहले दिन के चिंतन के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुन: किया जा सकता है। 
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न: 
1. सभी में सोचने-समझने की असीम मानसिक क्षमाताएँ होने के बावज़ूद सभी लोग बड़ी उपलब्धियाँ हासिल क्यों नहीं कर पाते?
2. शारीरिक ताकत अधिक होने के बाद भी कुछ लोग बड़ी उपलब्धियाँ हासिल क्यों नहीं कर पाते?
3. आपने अपने मन की ताकत के आधार पर क्या करने के किए सोचा है? कक्षा में सभी के साथ साझा करें।
4. कुछ लोग परिस्थितियों में थोड़ा सा बदलाव होते ही परेशान हो जाते हैं, किंतु कुछ लोग परिस्थितियों के विपरीत होने पर भी सफलता प्राप्त कर लेते हैं। ऐसा होने के कौन-कौनसे कारण हो सकते हैं? चर्चा करें।

चर्चा की दिशा अकसर यह देखने में आता है कि कुछ लोग शारीरिक ताकत कम होने के बावज़ूद अपने मजबूत मनोबल से अपनी सभी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं और समय आने पर बड़ी उपलब्धियाँ भी हासिल कर लेते हैं, जैसे- हेलेन केलर, स्टीफन हॉकिंग और सुधा चंद्रन आदि। वहीं कुछ लोग शारीरिक ताकत अधिक होने पर भी प्रतिकूल परिस्थितियों में बहुत अधिक चिंतित हो जाते हैं। ऐसे लोग अपनी क्षमताओं से अवगत नहीं होते हैं। इस कहानी और प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों का ध्यान मन की ताकत की ओर दिलाने का प्रयास किया गया है ताकि बच्चों को यह स्पष्ट हो जाए कि शारीरिक बल और मनोबल दो अलग-अलग वास्तविकताएँ हैं। इससे प्रत्येक विद्यार्थी में यह भरोसा जगेगा कि वे अपने मन की ताकत से जीवन में सभी कार्यों में सफलताएँ हासिल कर सकते हैं, फिर चाहे शारीरिक ताकत कम ही क्यों न हो।

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  1. अलेक्जेंडर और डायोगनीज
  2. मन के अंदर महल
  3. राबिया की सूई
  4. क्या असली तो क्या नकली
  5. कितनी ज़मीन
  6. अहंकार का कमरा
  7. पगड़ी
  8. मेरी पहचान
  9. अरुणिमा सिन्हा
  10. सुकरात के तीन सवाल
  11. तीन मज़दूर तीन नज़रिए
  12. निर्मल पानी
  13. कौन बोल रहा है
  14. पतंग की डोर 
  15. बड़ा आदमी
  16. भाई है बोझ नहीं 
  17. मिल-जुलकर 
  18. दूध में चीनी

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