1. आलाप गतिविधि (Vocalization): 15 मिनट
उद्देश्य: इस गतिविधि का उद्देश्य विद्यार्थियों का ध्यान अध्यापक द्वारा दिए गए निर्देशों की ओर केंद्रित करवाना है। इस गतिविधि के द्वारा बच्चे ध्यान से देखना सीखेंगे। हाथ के उतार-चढ़ाव को ध्यान से देखने के साथ-साथ, बच्चे अपने स्वर को ऊँचा या नीचा करेंगे।
क्या करें क्या न करें:
इस गतिविधि में विद्यार्थियों को शिक्षक के हाथों की गति के अनुसार “आआआ” बोलना है।
इस गतिविधि के अगले स्तर के रूप में विद्यार्थियों का ध्यान उनके गले में उत्पन्न होने वाली कम्पन को महसूस करवाना है।
उद्देश्य: इस गतिविधि का उद्देश्य विद्यार्थियों का ध्यान अध्यापक द्वारा दिए गए निर्देशों की ओर केंद्रित करवाना है। इस गतिविधि के द्वारा बच्चे ध्यान से देखना सीखेंगे। हाथ के उतार-चढ़ाव को ध्यान से देखने के साथ-साथ, बच्चे अपने स्वर को ऊँचा या नीचा करेंगे।
क्या करें क्या न करें:
- गले पर रखी हुई उंगलियों का विशेष ध्यान रखें। कोई भी बच्चा गले को जोर से न दबाए।
- इस गतिविधि के दौरान विद्यार्थियों को अपनी अभिव्यक्ति खुलकर देने दें। जैसे हँसकर, मुस्कुराकर, खिलखिलाकर आदि।
- स्तर का बदलाव तेजी से न करें। आराम से गति को बढ़ाएँ-घटाएँ।
इस गतिविधि में विद्यार्थियों को शिक्षक के हाथों की गति के अनुसार “आआआ” बोलना है।
इस गतिविधि के अगले स्तर के रूप में विद्यार्थियों का ध्यान उनके गले में उत्पन्न होने वाली कम्पन को महसूस करवाना है।
- शिक्षक कक्षा में कहें, “विद्यार्थियों, मेरे हाथ पर ध्यान दीजिए। जैसे-जैसे मेरा हाथ ऊपर जाए तो आपको “आआआआआआ” की आवाज ऊँची करते जाना है और जैसे-जैसे मेरा हाथ नीचे आए तो यही “आआआआआ” की आवाज घटाते जाना है।“
- विद्यार्थियों को अपने गले पर दो उंगलियाँ रखकर कंपन को महसूस करने के लिए कहा जाए। (इसके लिए अध्यापक पहले स्वयं ऐसा करके दिखाएँ।)
- अगर कोई बच्चा अपने गले की कम्पन महसूस नहीं कर पा रहा हो, तो अध्यापक उसे सही क्रिया करने में मदद करें। या फिर समझ बनाने के लिए अपने गले पर उसकी उंगली रखवाकर कम्पन महसूस करवा सकते हैं।
- हाथ के उतार-चढ़ाव के साथ विभिन्न स्तर पर इसका अभ्यास करवाया जाए।
- दूसरे विकल्प के रूप में शिक्षक चाहें तो विद्यार्थियों को इस प्रकार निर्देश दे सकते हैं- दोनों हाथों को एक साथ जोड़ने पर शाँत हो जाएँ और उनके बीच की दूरी बढ़ाने पर आलाप का स्वर ऊँचा करें, इस प्रकार अभ्यास करा सकते हैं। हाथ के बीच के अंतर बढ़ाने या घटाने की गति कम-ज्यादा की जा सकती है। ऐसा करने से बच्चे अपना ध्यान शिक्षक के हाथों की गति पर देने के साथ अपनी आवाज़ में भी उतार चढ़ाव कर रहे हैं।
- तीसरे विकल्प के रूप में अध्यापक एक बच्चे को कक्षा के आगे बुलाकर इस गतिविधि को करवाने के लिए कह सकते हैं। वह छात्र चाहे तो इस गतिविधि को ‘आआआआआ’ की आवाज के बजाय अपने नाम के पहले अक्षर के साथ भी कर सकता है।
- क्या आपने मेरे हाथ की गति को देखा?
- क्या आपको गले में कंपन महसूस हुआ?
- कंपन को महसूस करते समय कैसा लगा?
- क्या तेज़ आवाज़ में कंपन महसूस हुआ?
- क्या धीमी आवाज़ में कंपन महसूस हुआ?
- आवाज़ तेज़ या धीमी होने पर क्या कंपन में कोई अंतर महसूस हुआ?
- क्या पहले कभी आपका ध्यान अपने गले के कम्पन पर गया था?
- इस गतिविधि को करने के लिए आपको कहाँ ध्यान देना पड़ा?
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- सत्र 1 (Understanding Breathing)
- सत्र 2 (साइमन कहता है)
- सत्र 3 (आलाप)
- सत्र 4 (निर्देश अनुसार कार्य करना)
- सत्र 5 (Mindful Listening)-I
- सत्र 6 (Mindful Listening)- II
- सत्र 7(Mindful Listening)- III
- सत्र 8 (Mindful Listening)- IV
- सत्र 9 (Mindful Seeing- I)
- सत्र 10 (Mindful Seeing- II)
- सत्र 11 (Heartbeat Activity)
- सत्र 12 (Mindful Touch)
- सत्र 13 (Mindful Scribbling)
- सत्र 14 (Mindful Walking)
- सत्र 15 (Mindfulness of Feelings)
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