1. तेरे गुण और मेरे गुण

गतिविधि का उद्देश्य:
1. परस्पर सराहना से एक-दूसरे के प्रति स्वीकार्यता (acceptance) होना और कक्षा में सौहार्दपूर्ण वातावरण बनना।
2. हम एक दूसरे की अच्छाइयों को हमेशा देख पाएं, और व्यक्त कर पाएं
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
आवश्यक सामग्री: play cards

शिक्षक नोट:
कुछ लोग लापरवाही और ईर्ष्या या किसी और कारण से दूसरों की अच्छाइयों की सराहना और उन्हें प्रेरित नहीं करते। इसके विपरीत कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बड़ी सहजता से दूसरों की प्रशंसा व सराहना करते हैं। ऐसे लोगों के लिए दूसरों को प्रेरित करना कठिन कार्य नहीं लगता बल्कि वे इस कार्य से खुश होते हैं।
मनुष्य को स्वाभाविक रूप से दूसरों की ओर से प्रेरणा की आवश्यकता होती है। दूसरों की ओर से प्रेरणा व्यक्ति की प्रगति में बहुत प्रभावी होती है और उसे आशा व मनोबल प्रदान करती है। इस गतिविधि में इस ओर बच्चों का ध्यान ले जाने का प्रयास हुआ है।

कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए

गतिविधि के चरण:
  • शिक्षक द्वारा कक्षा को दो समूहों में बाँटा जाएगा। दोनों समूहों में बराबर की संख्या में विद्यार्थी रखना ठीक रहेगा। यदि कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या अधिक हो तो एक बार में 10-10 या 15-15 विद्यार्थियों के दो समूह बना सकते हैं। 
  • दोनों समूहों के विद्यार्थी दो समांतर पंक्तियों में इस प्रकार खड़े हों कि एक समूह के एक विद्यार्थी के सामने दूसरे समूह का एक विद्यार्थी हो और दोनों के चेहरे आमने–सामने रहें।सभी विद्यार्थी स्वेच्छा से अपने में उपस्थित कुछ गुण एक कार्ड पर लिख कर अपने सामने की ओर पकड़ कर रख लें। यानी सभी विद्यार्थी आमने सामने अपने -अपने गुणों के कार्ड लेकर खड़े रहेंगे
  • अब अध्यापक का निर्देश मिलने पर एक समूह के सभी विद्यार्थी अपने-अपने सामने खड़े दूसरे समूह के विद्यार्थियों को उनमें उपस्थित एक अच्छी बात(गुण)कार्ड पर लिखे गुणों में से चुन कर बताएं की उन्हें भी अपने साथी में वह गुण दिखता है। जैसे :- सच्चा, ईमानदार, दयालु, मददगार,हर कार्य के लिए तत्पर) सुविधा के लिए कुछ गुणों कि सूची लिख कर सामने लगाई जा सकती हैं।
  • अब दूसरे समूह के विद्यार्थी भी इस गतिविधि को अपने सामने खड़े विद्यार्थी के साथ दोहराएंगे।
  • किसी एक समूह के विद्यार्थी अपने स्थान पर ही खड़े रहेंगे और दूसरे समूह के विद्यार्थी इस प्रकार आगे बढ़ेंगे कि एक दूसरे के आमने सामने खड़े विद्यार्थियों के जोड़े बदल जाएं। हर विद्यार्थी अपने गुण सुनने के पश्चात दूसरे विद्यार्थी को धन्यवाद अवश्य कहेगा।
गतिविधि हेतु प्रस्तावित प्रश्न:
  • अपनी सराहना सुनकर आपको कैसा महसूस हुआ?
  • वह बात बताएं जो आपके साथी ने बताई परंतु आपको नहीं पता थी।ऐसे में आपको कैसा लगा?
  • हमें एक दूसरे की सराहना क्यों करनी चाहिए?
  • रोज़मर्रा के जीवन में हम दूसरों की आलोचना ज्यादा करते हैं या सराहना? ऐसा हम क्यों करते हैं?
  • क्या आपने कभी किसी की केवल दिखावे के लिए प्रशंसा की है ? ऐसा आपने क्यों किया? साझा करें !
  • जब हम एक दूसरे की अच्छाईयों को देख पाते है और उन्हें व्यक्त कर पते है तो हमें कैसा लगता है?
क्या करें और क्या न करें (Dos and Don’ts):
  • यदि विद्यार्थी एक-दूसरे से अभी अच्छी तरह से परिचित नहीं हैं तो भी उन्हें साथी के हाव-भाव, कक्षा में व्यवहार आदि के आधार पर एक-दूसरे के गुण बताने को प्रोत्साहित किया जाए।
  • संख्या अधिक होने पर शेष विद्यार्थियों के साथ यह गतिविधि अगले दिन भी करवाई जा सकती है।
  • शिक्षक इस बात का प्रयास करें कि विद्यार्थी एक दूसरे की अच्छाइयों को देख पाएं, और व्यक्त कर पाएं।  
कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें

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  1. तेरे गुण और मेरे गुण
  2. गुणों की खान
  3. चेक-इन
  4. अच्छी बातें अच्छे काम
  5. ग्रेटीट्यूड वाल
  6. खुशी एक भाव है
  7. आओ खुशी को समझें
  8. ख़ुशी तो सभी को चाहिए
  9. सोचने की क्षमता अपार- असीमित
  10. जान-बूझ कर या अपने-आप
  11. शरीर और मन की आवश्यकताएं
  12. मेरी भूमिका
  13. अच्छा लगना कितनी देर
  14. अच्छा लगना - अच्छा होना
  15. सामान और सम्मान
  16. मूल्य और कीमत का अंतर
  17. मुझे हमेशा चाहिए
  18. भ्रम
  19. भाव/feelings एक समान
  20. शरीर और मन की ताकत

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