14. हम सब एक समान

गतिविधि का उद्देश्य: विद्यार्थियों को हम सबमें निहित समानता के आधारों से अवगत कराना।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
आवश्यक सामग्री: किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं है।

शिक्षक के लिए नोट:
अभी सभी मनुष्यों को जाति, पंथ, धर्म, वेश-भूषा, भाषा, क्षेत्र, वर्ग, व्यवसाय आदि कई आधारों पर अलग-अलग माना जाता है। आदमी-आदमी के बीच भेद करने के ये सभी आधार ख़ुशी की तलाश में आदमी ने ही बनाए हैं। इस भेद के आधार पर अपने-पराए के बीच दीवारें भी बनी हुई हैं। इसके परिणाम में हिंसा, आतंकवाद और युद्ध भी दिखाई देते हैं। इस परिणाम के लिए 'शिक्षित मनुष्य' की अधिक मेहनत दिखाई पड़ती हैं।
इसके विपरीत यदि सच्चाई को देखा जाए तो सभी मनुष्य ख़ुशी चाहते हैं। सभी अपनी पहचान और सम्मान चाहते हैं। सभी के पास सोचने और समझने की असीम क्षमता है। ये सभी प्राकृतिक आधार हैं। इन आधारों के आधार पर हम कह सकते हैं कि हम सब एक समान हैं।
यदि व्यक्ति-व्यक्ति में समानता को स्वीकार किया जाए तो आने वाली पीढ़ियों को हिंसा, आतंकवाद और युद्ध से मुक्ति दिलाई जा सकती है। जब तक आदमी को आदमी से भय रहेगा तब तक सबकी मूल चाहत 'ख़ुशी' अधूरी ही रहेगी।
प्रत्येक व्यक्ति दूसरे को अपनी बात मनवाकर ‘अपने जैसा मानने वाला’ बनाने का प्रयास करता है अर्थात हर व्यक्ति अपनेपन का विस्तार चाहता है। यदि व्यक्ति-व्यक्ति में समानता का प्राकृतिक आधार स्वीकार हो जाए तो अपने-पराए के बीच की दीवारें नहीं रहेंगी और आदमी से आदमी का भय दूर हो सकता जिससे अपनेपन के विस्तार के साथ सबकी मूल चाहत ‘ख़ुशी’ पूरी हो सकती है।
इस गतिविधि के माध्यम से विद्यार्थियों का ध्यान आदमी-आदमी में प्राकृतिक आधार पर समानता की ओर दिलाया गया है ताकि सभी एक-दूसरे को अपने जैसा देख सकें।

कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

गतिविधि के चरण:
  • कक्षा को छोटे समूहों में बाँटा जाए।
  • प्रत्येक समूह 8-10 मिनट चर्चा करके उन आधारों/बातों को पहचाने जो आदमी-आदमी में समानता को दर्शाते हैं। जैसे- दूसरों की मदद करने पर सभी को ख़ुशी होती है। अपमान होने पर सभी दु:खी होते हैं।
  • अब प्रत्येक समूह कक्षा में अपने निष्कर्षों को प्रस्तुत करे।
  • समानता के सभी बिंदुओं को बोर्ड पर लिखा जाए। समान बिंदुओं को एक बार ही लिखा जाए।
  • यदि शिक्षक के लिए नोट में दिए गए आधारों को कोई भी समूह नहीं पहचान पाए हों तो शिक्षक उन आधारों को भी प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों से निकलवाए। जैसे-आपको क्या लगता है – पहचान और सम्मान सभी को चाहिए या कुछ ही लोगों को चाहिए? सोचने-समझने की ताकत को अधिक काम में लेने से कुछ बच्चों में यह ख़त्म हो जाती है या सभी बच्चों में यह ताकत काम में लेने से और अधिक निखरती है?
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. क्या आप पहले भी कभी सोचते थे कि हम सब एक सामान हैं? किस आधार पर ऐसा सोचते थे?
2. हम सब एक समान हैं। यह जानने के बाद क्या विचार आ रहे हैं?
3. यदि सभी लोग एक-दूसरे को अपना जैसा समझने लगें तो यह दुनिया कैसी होगी? चर्चा करें।

कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

क्या करें और क्या न करें:
  • गतिविधि के दौरान यदि कोई समूह समानता के आधारों को नहीं पहचान पा रहा हो तो शिक्षक उदाहरण देकर और सोचने के लिए प्रोत्साहित करे।
  • विद्यार्थियों को ख़ुद सोचकर अपने निष्कर्ष निकालने दें।
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  1. एक-दूजे को जानें
  2. यू आर यूनीक
  3. क्या कर रहे हो
  4. आओ ख़ुद को जानें
  5. बग़ीचे की सैर
  6. मेरे जीवन का लक्ष्य
  7. ख़ुशी के पल
  8. पैसा ही चाहिए या पैसा भी चाहिए
  9. किसका फ़ायदा
  10. आओ मन:स्थिति पहचानें
  11. मेरी परेशानी मेरे ही कारण
  12. अच्छा लगना, अच्छा होना
  13. मेरा रिमोट मेरे पास
  14. हम सब एक समान
  15. अपनी-अपनी पर्ची
  16. तन और मन
  17. मैं किसका सम्मान करता हूँ
  18. मैं कैसे पहचाना जाऊँ
  19. ख़ुश होना: किससे और कितनी देर
  20. कौन ख़ुश, कौन नाख़ुश

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