गतिविधि का उद्देश्य: विद्यार्थियों को प्रतिस्पर्धा (competition) की बजाय सहयोग (cooperation) के लिए प्रेरित करना।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
आवश्यक सामग्री: कागज़ की पर्चियाँ।
शिक्षक के लिए नोट:
यदि प्रकृति को देखा जाए तो मिट्टी, हवा, पानी, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी आदि सभी एक-दूसरे के लिए पूरक (complementary) हैं। प्रकृति में कहीं भी प्रतिस्पर्धा (competition) और हार-जीत नहीं है। इसके विपरीत यदि मनुष्य को देखा जाए तो जीवन के हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और हार-जीत की मानसिकता दिखाई पड़ती है।
प्रकृति में सब कुछ एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है और सभी एक-दूसरे के लिए हैं, इसलिए स्वयं के बने रहने के लिए दूसरों को बनाए रखना आवश्यक है। जैसे- यदि प्रकृति में हम पेड़-पौधों को नहीं रहने देंगे तो हम भी नहीं रह सकते हैं, इसलिए हमारे रहने के लिए पेड़-पौधों को बनाए रखना आवश्यक है। अत: प्रकृति के नियमानुसार रहने देना ही रहना है और जीने देना ही जीना है।
इस गतिविधि के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रतिस्पर्धा/होड़ (competition) की बजाय सहयोग (cooperation) और पूरकता के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया गया है।
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
गतिविधि के चरण:
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. पहली बार अपनी पर्ची ढूँढते समय आप क्या सोच रहे थे?
2. एक-दूसरे की मदद से किसी काम को करने के क्या फ़ायदे हैं?
3. मनुष्य को छोड़कर क्या प्रकृति में कहीं भी दूसरे से आगे निकलने की होड़ दिखाई देती है?
4. प्रकृति में होड़/प्रतिस्पर्धा (competition) के स्थान पर क्या दिखाई देता है? (उत्तर- पूरकता/सहयोगिता)
5. जब हम भी प्रतिस्पर्धा (competition) के स्थान पर सहयोग (cooperation) को अपनाएँगे तो इसका हमारी ज़िंदगी में क्या प्रभाव पड़ेगा?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
क्या करें और क्या न करें:
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
आवश्यक सामग्री: कागज़ की पर्चियाँ।
शिक्षक के लिए नोट:
यदि प्रकृति को देखा जाए तो मिट्टी, हवा, पानी, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी आदि सभी एक-दूसरे के लिए पूरक (complementary) हैं। प्रकृति में कहीं भी प्रतिस्पर्धा (competition) और हार-जीत नहीं है। इसके विपरीत यदि मनुष्य को देखा जाए तो जीवन के हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और हार-जीत की मानसिकता दिखाई पड़ती है।
प्रकृति में सब कुछ एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है और सभी एक-दूसरे के लिए हैं, इसलिए स्वयं के बने रहने के लिए दूसरों को बनाए रखना आवश्यक है। जैसे- यदि प्रकृति में हम पेड़-पौधों को नहीं रहने देंगे तो हम भी नहीं रह सकते हैं, इसलिए हमारे रहने के लिए पेड़-पौधों को बनाए रखना आवश्यक है। अत: प्रकृति के नियमानुसार रहने देना ही रहना है और जीने देना ही जीना है।
इस गतिविधि के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रतिस्पर्धा/होड़ (competition) की बजाय सहयोग (cooperation) और पूरकता के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया गया है।
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
गतिविधि के चरण:
- विद्यार्थियों को समूहों में बाँटा जाए। एक समूह में विद्यार्थियों की संख्या 12 से 15 हो तो बेहतर होगा।
- विद्यार्थियों को कागज़ की समान आकार की एक-एक पर्ची दी जाए। सभी विद्यार्थी अपनी-अपनी पर्ची पर अपना नाम लिखें।
- कक्षा के सामने थोड़ी जगह बनाकर एक समूह की सभी पर्चियों को फ़ोल्ड करके एक जगह पर रखें।
- अब उस समूह को कम से कम समय में अपने-अपने नाम की पर्ची खोजने के लिए कहा जाए। जैसे- 15 विद्यार्थियों के समूह को 30 सेकंड दिए जा सकते हैं।
- सभी समूहों को इसी तरह मौका दिया जाए। यदि कोई भी समूह निर्धारित समय में अपने-अपने नाम की पर्ची नहीं खोज पाते हैं तो उन्हें इस कार्य को निर्धारित समय में पूरा करने के लिए कोई योजना बनाने का अवसर दिया जाए।
- योजना के बाद जो समूह यह दावा करते हैं कि वे इस बार अपना कार्य निर्धारित समय में पूरा कर लेंगे, उन्हें फ़िर से मौका दिया जाए।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. पहली बार अपनी पर्ची ढूँढते समय आप क्या सोच रहे थे?
2. एक-दूसरे की मदद से किसी काम को करने के क्या फ़ायदे हैं?
3. मनुष्य को छोड़कर क्या प्रकृति में कहीं भी दूसरे से आगे निकलने की होड़ दिखाई देती है?
4. प्रकृति में होड़/प्रतिस्पर्धा (competition) के स्थान पर क्या दिखाई देता है? (उत्तर- पूरकता/सहयोगिता)
5. जब हम भी प्रतिस्पर्धा (competition) के स्थान पर सहयोग (cooperation) को अपनाएँगे तो इसका हमारी ज़िंदगी में क्या प्रभाव पड़ेगा?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
क्या करें और क्या न करें:
- गतिविधि के दौरान विद्यार्थियों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाए।
- पर्ची खोजने के लिए समय का निर्धारण समूह में विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर किया जाए।
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- एक-दूजे को जानें
- यू आर यूनीक
- क्या कर रहे हो
- आओ ख़ुद को जानें
- बग़ीचे की सैर
- मेरे जीवन का लक्ष्य
- ख़ुशी के पल
- पैसा ही चाहिए या पैसा भी चाहिए
- किसका फ़ायदा
- आओ मन:स्थिति पहचानें
- मेरी परेशानी मेरे ही कारण
- अच्छा लगना, अच्छा होना
- मेरा रिमोट मेरे पास
- हम सब एक समान
- अपनी-अपनी पर्ची
- तन और मन
- मैं किसका सम्मान करता हूँ
- मैं कैसे पहचाना जाऊँ
- ख़ुश होना: किससे और कितनी देर
- कौन ख़ुश, कौन नाख़ुश
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