7. ख़ुशी के पल

गतिविधि का उद्देश्य: विद्यार्थियों को अपने ख़ुशी के पलों को संजोने का अवसर देकर उत्साह के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
आवश्यक सामग्री: पेपर शीट, पेंसिल और रंग।

शिक्षक के लिए नोट:
कभी-कभी व्यक्ति जीवन की मुश्किलों का सामना न कर पाने से चिंताओं से घिर जाता है। ऐसे समय में जीने का उत्साह कम होता जाता है और कुछ लोग धीरे-धीरे अवसाद (depression) से भी ग्रस्त हो जाते हैं। जब व्यक्ति अपने जीवन की उपलब्धियों को याद करता है तो जीने का उत्साह बढ़ता है और उन ख़ुशी के पलों को महसूस करने से जीवन में कुछ नया करने की प्रेरणा भी मिलती है।
इस गतिविधि के माध्यम से विद्यार्थियों को अपने जीवन में ख़ुशी के पलों को संजोने का अवसर दिया गया है ताकि वे और अधिक उत्साह के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित हों।

पहला दिन:

कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

गतिविधि के चरण:
  • सभी विद्यार्थियों को शांत बैठकर कुछ देर तक अपने जीवन की उन सभी महत्त्वपूर्ण घटनाओं/अवसरों/उपलब्धियों को याद करने के लिए कहें जिन्हें याद करने पर अब भी ख़ुशी होती है।
  • अब सभी विद्यार्थी अपनी-अपनी पेपर शीट पर एक बहती हुई नदी का एक बड़ा-सा चित्र बनाएँ जिसे हम प्रतीकात्मक रूप से जीवन-धारा या river of life कह सकते हैं।
  • इस जीवन-धारा में कोई पाँच अविस्मरणीय (memorable) घटनाओं/अवसरों/उपलब्धियों को चित्र/चिह्न/प्रतीक के माध्यम से उनके घटित होने के क्रम में व्यक्त करें। (जैसे- किसी ने ज़रूरत के समय दूसरों के लिए कभी कुछ किया है तो उस व्यक्ति या स्थिति का चित्र बना सकते हैं। किसी के लिए विद्यालय का पहला दिन बहुत यादगार है तो वह अपने विद्यालय का चित्र बना सकता है। किसी ने किसी खेल में कोई उपलब्धि हासिल की है तो वह उस खेल का चित्र बना सकता है।) 
  • अपने ख़ुशी के पलों (happy moments) को चित्रों के माध्यम से व्यक्त करते समय कोई भी आपस में बातें न करें।
  • शिक्षक भी इस गतिविधि में शामिल हो ताकि विद्यार्थियों का उत्साह और बढ़े।
  • अब विद्यार्थियों को जोड़े में बैठने को कहें और एक-दूसरे के साथ अपने ख़ुशी के पलों को साझा करने को कहें कि उन्होंने कौनसी बातें कैसे व्यक्त की हैं।
  • अगले दिन की गतिविधि के लिए अपनी पेपर शीट को सँभालकर रखें।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. अपने ख़ुशी के पलों को व्यक्त करते समय कैसा महसूस हुआ?
2. ख़ुशी के पलों को व्यक्त करने के बाद कैसे विचार आ रहे हैं?
3. ख़ुशी के पलों को याद करने से हमारी मन:स्थिति (mood या state of mind) पर क्या प्रभाव पड़ता है? और क्यों?

कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

दूसरा दिन:

कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

गतिविधि के चरण:
  • सबसे पहले शिक्षक अपनी पेपर शीट को दिखाते हुए अपने ख़ुशी के पलों को विद्यार्थियों के साथ साझा करे।
  • साझा करते समय यह भी बताएँ कि उन पलों को किन चित्र/चिह्न/प्रतीक के माध्यम से व्यक्त किया है।
  • अब बारी-बारी से सभी विद्यार्थियों को अपनी पेपर शीट को दिखाते हुए अपने ख़ुशी के पलों को साझा करने का अवसर दें।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. अपनी जीवन-धारा में व्यक्त किए गए अवसरों में कितने ऐसे अवसर हैं जब आपके लिए किसी ने कुछ किया हो और कितने ऐसे अवसर हैं जब आपने किसी के लिए कुछ किया हो?
2. हम अधिक ख़ुश कब होते हैं- जब कोई हमारे लिए कुछ करता है तब या हम किसी के लिए कुछ करते हैं तब?
3. दूसरों की ख़ुशी के लिए कुछ करने में ही हमारी ख़ुशी है। कैसे? कक्षा में चर्चा करें।

कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

क्या करें और क्या न करें:
  • यदि कोई विद्यार्थी चित्र के माध्यम से अभिव्यक्त करने या कक्षा में अपनी बात साझा करने मंर संकोच करे तो उसे प्रोत्साहित करें, लेकिन बाध्य न करें।
  • विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के दूसरे माध्यमों को अपनाने के लिए भी प्रेरित किया जा सकता है।
-----------------------------

  1. एक-दूजे को जानें
  2. यू आर यूनीक
  3. क्या कर रहे हो
  4. आओ ख़ुद को जानें
  5. बग़ीचे की सैर
  6. मेरे जीवन का लक्ष्य
  7. ख़ुशी के पल
  8. पैसा ही चाहिए या पैसा भी चाहिए
  9. किसका फ़ायदा
  10. आओ मन:स्थिति पहचानें
  11. मेरी परेशानी मेरे ही कारण
  12. अच्छा लगना, अच्छा होना
  13. मेरा रिमोट मेरे पास
  14. हम सब एक समान
  15. अपनी-अपनी पर्ची
  16. तन और मन
  17. मैं किसका सम्मान करता हूँ
  18. मैं कैसे पहचाना जाऊँ
  19. ख़ुश होना: किससे और कितनी देर
  20. कौन ख़ुश, कौन नाख़ुश

No comments:

Post a Comment