गतिविधि का उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर दिलाना कि हमारी ख़ुशी के आधार क्या-क्या हैं और इन अलग-अलग आधारों से होने वाली ख़ुशी की अवधि कितनी होती है।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
आवश्यक सामग्री: किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं है।
शिक्षक के लिए नोट:
हमारे सारे प्रयास अपनी ख़ुशी के लिए होते हैं। जो प्रयास दूसरों की ख़ुशी के लिए करते हैं वे भी आख़िर इसीलिए करते हैं कि उससे हम ख़ुश होते हैं। सभी के ख़ुश होने के अलग-अलग कारण या तरीके दिखाई पड़ते हैं, लेकिन सभी कारणों को देखा जाए तो उन्हें नीचे दिए गए तीन भागों में बाँटा जा सकता है।
A. सामान की ख़ुशी = थोड़ी देर की ख़ुशी (momentary happiness in sensory pleasures)
B. संबंध की ख़ुशी = ज़्यादा देर तक ख़ुशी (deeper happiness in feelings in relations)
C. समझने की ख़ुशी = लगातार ख़ुशी (sustainable happiness in understanding or clarity in thoughts)
इस गतिविधि में विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर दिलाना है कि अभी उनकी ख़ुशी के आधार क्या हैं। साथ ही उनको यह भी स्पष्ट हो जाए कि लगातार ख़ुशी का आधार क्या है।
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
गतिविधि के चरण:
1. शिक्षक विद्यार्थियों के छोटे-छोटे समूह बना लें।
2. प्रत्येक समूह के विद्यार्थी आपस में चर्चा करके अपनी-अपनी नोटबुक में उन वस्तुओं, संबंधों या घटनाओं आदि की सूची बनाएँ जिनसे उन्हें ख़ुशी मिली है। शिक्षक बच्चों को इस बात के लिए प्रेरित करें कि वे जितनी चाहें उतनी लंबी सूची बना सकते हैं।
3. 5-7 मिनट बाद शिक्षक बच्चों से पूछें कि उन्होंने अपनी सूची में क्या-क्या शामिल किया है। बच्चे जो-जो बात कहें शिक्षक उन्हें बोर्ड पर निम्नलिखित तीन हेडिंग के नीचे लिखें। A. सामान की ख़ुशी B. संबंधों की ख़ुशी C. समझने की ख़ुशी
4. जैसे-जैसे बच्चा अपनी नोटबुक से सूची पढ़ता जाए वैसे-वैसे शिक्षक नीचे दिए गए उदाहरणों के अनुसार हेडिंग्स के नीचे लिखते जाएँ। दूसरे समूह के बच्चे अपनी सूची से केवल उन्हीं चीज़ों या बातों को पढ़कर सुनाएँ जो बोर्ड पर अभी तक नहीं लिखी गई हैं।
5. शिक्षक इस गतिविधि को यह कहकर पूरा करे कि ये तीन प्रकार की ख़ुशी हैं:
एक- जब हमें चीज़ों से ख़ुशी मिलती है जिसे ‘अच्छा लगना’ भी कहते हैं= सामान की ख़ुशी।
दो- जब हमें संबंधों में ख़ुशी मिलती है जिसे ‘तालमेल’ भी कहते हैं = संबंध की ख़ुशी।
तीन- जब हमें अपने अंदर स्पष्टता होती है जिसे ‘समझ’भी कहते हैं= समझने की ख़ुशी।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. आपको कोई चौथे प्रकार की ख़ुशी भी लगती है? अगर हाँ, तो उसे भी इस टेबल में शामिल कर लें। (शिक्षक के द्वारा जाँचा जाए कि विद्यार्थी का सुझाव इन्हीं तीन में आता है या उसे अलग से ही लिखना होगा।)
2. आपको इन तीनों प्रकार की ख़ुशी में क्या अंतर लगता है?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
गतिविधि के चरण:
1. शिक्षक से अनुरोध है कि पिछले दिन की गतिविधि के निष्कर्ष (main points) को पुन: बोर्ड पर टेबल बनाकर दोहराएँ।
2. विद्यार्थी टेबल के साथ और गहराई से जाँचें।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. इन तीनों प्रकार की ख़ुशी में क्या अंतर लगता है?
2. समय का कोई अंतर लगता है अर्थात कौनसी ख़ुशी कितने समय तक होती है?
3. तीनों कॉलम में से कौनसी ख़ुशी-
a. थोड़ी देर के लिए होती है?
b. ज़्यादा देर के लिए होती है? और
c. लगातार होती है?
4. आप अभी तक ज़्यादातर किसमें ख़ुशी ढूँढते आए हैं?
5. आपकी ख़ुशी उस चीज़ में लंबे समय तक बनी रहती है या आपको फिर से ख़ुश होने के लिए कुछ ढूँढना पड़ता है?
6. इस चर्चा के आधार पर हर एक कॉलम के बारे में बच्चों के साथ यह चर्चा करें कि इनमें से किसमें ख़ुशी के ज़्यादा देर तक बने रहने की संभावना है और बच्चों से पूछें कि क्या यह सही है।
A. सामान की ख़ुशी = थोड़ी देर की ख़ुशी
B. संबंध की ख़ुशी = ज़्यादा देर तक ख़ुशी
C. समझने की ख़ुशी = लगातार ख़ुशी
(संकेत: सामान की ख़ुशी = थोड़ी देर की ख़ुशी। इस पर बच्चों का तर्क हो सकता है कि कुछ सामान थोड़ी देर की ख़ुशी देते हैं, लेकिन कुछ सामान से लंबी ख़ुशी मिलती है। जैसे- चॉकलेट खाने की ख़ुशी तो कुछ देर रहती है, लेकिन नए कपड़े या साइकिल आदि की ख़ुशी कई साल तक चल सकती है, इसलिए उन्हें लंबे समय तक मिलने वाली ख़ुशी में क्यों नहीं डाला गया।
इस पर बच्चों को स्पष्ट कर दें कि किसी भी सामान से मिलने वाली ख़ुशी या तो तब तक है जब तक वह नया है या फिर जब तक कि वह नष्ट न हो जाए या फिर हम उसका नया या और बढ़िया मॉडल किसी के पास न देख लें। जैसे ही कोई नया मॉडल या कोई और आकर्षक चीज़ हमें किसी और के पास दिखाई देती है तो हमारी ख़ुशी कम होने लगती है। इसी तरह सामान के नष्ट होने की स्थिति में भी ख़ुशी गायब हो जाती है।
संबंधों की ख़ुशी = ज़्यादा देर तक ख़ुशी। इसमें थोड़ा भ्रम हो सकता है। कुछ बच्चे यह तर्क दे सकते हैं कि संबंधों से मिलने वाली ख़ुशी भी तो लगातार ख़ुशी होती है। बच्चे अपनी जगह सही हैं, लेकिन उन्हें यह स्पष्ट कर दें कि संबंधों में ख़ुश होते वक्त वस्तुत: हम सामने वाले के व्यवहार से ख़ुश हो रहे होते हैं। जब तक वे हमारी इच्छा के अनुसार व्यवहार करते हैं या बात करते हैं तो हम ख़ुश रहते हैं और जैसे ही वे हमारी रीति या इच्छा के विपरित बात या व्यवहार करते हैं तो हमारी ख़ुशी गायब हो जाती है, इसलिए संबंधों की ख़ुशी सामान की तुलना में लगातार दिखती है, लेकिन वास्तव में यह व्यवहार से मिल रही ख़ुशी होती है जो लगातार नहीं रहती है।
समझने की ख़ुशी = लगातार ख़ुशी। लगातार ख़ुशी के बारे में बच्चों को स्पष्ट कर दें कि समझना अपने आप में ख़ुशी देता है और जब भी हमें कोई बात समझ में आ जाती है तो वह समझ हमेशा बनी रहती है। जैसे- अगर किसी को एक बार 2+2 = 4, समझ में आ जाता है तो फिर वह हमेशा के लिए समझ में आ जाता है। इसी तरह पानी प्यास बुझाता है या आग जलाती है। यह समझ एक ही बार बन गई तो हमेशा बनी ही रहती है। इसे एक और तर्क से समझ सकते हैं। यदि एक बार हमें यह समझ में आ जाए कि हमारे माता-पिता की आर्थिक स्थिति क्या है तो फिर कभी भी हमें यह बात दुख नहीं देती कि हमारे माता-पिता हमारे लिए बाकी बच्चों के माता-पिता जितना पैसा खर्च नहीं करते।)
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
क्या करें और क्या न करें:
1. विद्यार्थियों को सोचने के लिए पर्याप्त समय दिया जाए।
2. विद्यार्थियों को सीधे निष्कर्ष न देकर उन्हें अपने निष्कर्ष बनाने दिया जाए अर्थात transfer of knowledge की बजाय construction of knowledge के लिए प्रयास करें।
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समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
आवश्यक सामग्री: किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं है।
शिक्षक के लिए नोट:
हमारे सारे प्रयास अपनी ख़ुशी के लिए होते हैं। जो प्रयास दूसरों की ख़ुशी के लिए करते हैं वे भी आख़िर इसीलिए करते हैं कि उससे हम ख़ुश होते हैं। सभी के ख़ुश होने के अलग-अलग कारण या तरीके दिखाई पड़ते हैं, लेकिन सभी कारणों को देखा जाए तो उन्हें नीचे दिए गए तीन भागों में बाँटा जा सकता है।
A. सामान की ख़ुशी = थोड़ी देर की ख़ुशी (momentary happiness in sensory pleasures)
B. संबंध की ख़ुशी = ज़्यादा देर तक ख़ुशी (deeper happiness in feelings in relations)
C. समझने की ख़ुशी = लगातार ख़ुशी (sustainable happiness in understanding or clarity in thoughts)
इस गतिविधि में विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर दिलाना है कि अभी उनकी ख़ुशी के आधार क्या हैं। साथ ही उनको यह भी स्पष्ट हो जाए कि लगातार ख़ुशी का आधार क्या है।
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
गतिविधि के चरण:
1. शिक्षक विद्यार्थियों के छोटे-छोटे समूह बना लें।
2. प्रत्येक समूह के विद्यार्थी आपस में चर्चा करके अपनी-अपनी नोटबुक में उन वस्तुओं, संबंधों या घटनाओं आदि की सूची बनाएँ जिनसे उन्हें ख़ुशी मिली है। शिक्षक बच्चों को इस बात के लिए प्रेरित करें कि वे जितनी चाहें उतनी लंबी सूची बना सकते हैं।
3. 5-7 मिनट बाद शिक्षक बच्चों से पूछें कि उन्होंने अपनी सूची में क्या-क्या शामिल किया है। बच्चे जो-जो बात कहें शिक्षक उन्हें बोर्ड पर निम्नलिखित तीन हेडिंग के नीचे लिखें। A. सामान की ख़ुशी B. संबंधों की ख़ुशी C. समझने की ख़ुशी
4. जैसे-जैसे बच्चा अपनी नोटबुक से सूची पढ़ता जाए वैसे-वैसे शिक्षक नीचे दिए गए उदाहरणों के अनुसार हेडिंग्स के नीचे लिखते जाएँ। दूसरे समूह के बच्चे अपनी सूची से केवल उन्हीं चीज़ों या बातों को पढ़कर सुनाएँ जो बोर्ड पर अभी तक नहीं लिखी गई हैं।
A. सामान की ख़ुशी = जब हमें चीज़ों (भौतिक सुविधाओं) से ख़ुशी मिलती है।
|
B.
संबंध की ख़ुशी = जब हमें संबंधों में ख़ुशी मिलती है।
|
C.
समझने की ख़ुशी = जब हमें कोई चीज़ समझ में आती है।
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आइसक्रीम
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भाई-बहन के साथ खेलना
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गणित का कोई चैप्टर, जैसे- संख्या पद्धति (number system) समझ में आ जाना
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चॉकलेट
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दोस्तों के साथ पढ़ना
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खाना बनाने में चीज़ों का आवश्यक अनुपात (ratio) समझ में आ जाना
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राजमा-चावल
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परिवार के साथ घूमने जाना
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ज़िंदगी में क्या बनना है - इसकी स्पष्टता
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नए कपड़े
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मम्मी-पापा के साथ समय बिताना
|
स्वयं से निर्णय ले पाना
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साइकिल
|
मिल-जुलकर रहना
|
साइकिल चलाना आ जाना
|
5. शिक्षक इस गतिविधि को यह कहकर पूरा करे कि ये तीन प्रकार की ख़ुशी हैं:
एक- जब हमें चीज़ों से ख़ुशी मिलती है जिसे ‘अच्छा लगना’ भी कहते हैं= सामान की ख़ुशी।
दो- जब हमें संबंधों में ख़ुशी मिलती है जिसे ‘तालमेल’ भी कहते हैं = संबंध की ख़ुशी।
तीन- जब हमें अपने अंदर स्पष्टता होती है जिसे ‘समझ’भी कहते हैं= समझने की ख़ुशी।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. आपको कोई चौथे प्रकार की ख़ुशी भी लगती है? अगर हाँ, तो उसे भी इस टेबल में शामिल कर लें। (शिक्षक के द्वारा जाँचा जाए कि विद्यार्थी का सुझाव इन्हीं तीन में आता है या उसे अलग से ही लिखना होगा।)
2. आपको इन तीनों प्रकार की ख़ुशी में क्या अंतर लगता है?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
गतिविधि के चरण:
1. शिक्षक से अनुरोध है कि पिछले दिन की गतिविधि के निष्कर्ष (main points) को पुन: बोर्ड पर टेबल बनाकर दोहराएँ।
2. विद्यार्थी टेबल के साथ और गहराई से जाँचें।
सामान = ख़ुशी
|
संबंध = ख़ुशी
|
समझ = ख़ुशी
|
गिफ़्ट,
नया सामान,
नई किताब,
नए जूते इत्यादि।
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भाई-बहन और दोस्त के साथ गपशप,
भाई-बहन के साथ खेलना,
जब परिवार या मित्रों ने हमारे भाव समझे इत्यादि।
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किसी शब्द का मतलब समझ पाना,
गणित या विज्ञान का कोई सूत्र समझ पाना,
किसी समस्या का समाधान मिलना,
उलझन के समय सही निर्णय ले पाना,
किसी झगड़े को समझदारी से निपटा लेना,
माता-पिता की आर्थिक स्थिति को समझना इत्यादि।
|
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. इन तीनों प्रकार की ख़ुशी में क्या अंतर लगता है?
2. समय का कोई अंतर लगता है अर्थात कौनसी ख़ुशी कितने समय तक होती है?
3. तीनों कॉलम में से कौनसी ख़ुशी-
a. थोड़ी देर के लिए होती है?
b. ज़्यादा देर के लिए होती है? और
c. लगातार होती है?
4. आप अभी तक ज़्यादातर किसमें ख़ुशी ढूँढते आए हैं?
5. आपकी ख़ुशी उस चीज़ में लंबे समय तक बनी रहती है या आपको फिर से ख़ुश होने के लिए कुछ ढूँढना पड़ता है?
6. इस चर्चा के आधार पर हर एक कॉलम के बारे में बच्चों के साथ यह चर्चा करें कि इनमें से किसमें ख़ुशी के ज़्यादा देर तक बने रहने की संभावना है और बच्चों से पूछें कि क्या यह सही है।
A. सामान की ख़ुशी = थोड़ी देर की ख़ुशी
B. संबंध की ख़ुशी = ज़्यादा देर तक ख़ुशी
C. समझने की ख़ुशी = लगातार ख़ुशी
(संकेत: सामान की ख़ुशी = थोड़ी देर की ख़ुशी। इस पर बच्चों का तर्क हो सकता है कि कुछ सामान थोड़ी देर की ख़ुशी देते हैं, लेकिन कुछ सामान से लंबी ख़ुशी मिलती है। जैसे- चॉकलेट खाने की ख़ुशी तो कुछ देर रहती है, लेकिन नए कपड़े या साइकिल आदि की ख़ुशी कई साल तक चल सकती है, इसलिए उन्हें लंबे समय तक मिलने वाली ख़ुशी में क्यों नहीं डाला गया।
इस पर बच्चों को स्पष्ट कर दें कि किसी भी सामान से मिलने वाली ख़ुशी या तो तब तक है जब तक वह नया है या फिर जब तक कि वह नष्ट न हो जाए या फिर हम उसका नया या और बढ़िया मॉडल किसी के पास न देख लें। जैसे ही कोई नया मॉडल या कोई और आकर्षक चीज़ हमें किसी और के पास दिखाई देती है तो हमारी ख़ुशी कम होने लगती है। इसी तरह सामान के नष्ट होने की स्थिति में भी ख़ुशी गायब हो जाती है।
संबंधों की ख़ुशी = ज़्यादा देर तक ख़ुशी। इसमें थोड़ा भ्रम हो सकता है। कुछ बच्चे यह तर्क दे सकते हैं कि संबंधों से मिलने वाली ख़ुशी भी तो लगातार ख़ुशी होती है। बच्चे अपनी जगह सही हैं, लेकिन उन्हें यह स्पष्ट कर दें कि संबंधों में ख़ुश होते वक्त वस्तुत: हम सामने वाले के व्यवहार से ख़ुश हो रहे होते हैं। जब तक वे हमारी इच्छा के अनुसार व्यवहार करते हैं या बात करते हैं तो हम ख़ुश रहते हैं और जैसे ही वे हमारी रीति या इच्छा के विपरित बात या व्यवहार करते हैं तो हमारी ख़ुशी गायब हो जाती है, इसलिए संबंधों की ख़ुशी सामान की तुलना में लगातार दिखती है, लेकिन वास्तव में यह व्यवहार से मिल रही ख़ुशी होती है जो लगातार नहीं रहती है।
समझने की ख़ुशी = लगातार ख़ुशी। लगातार ख़ुशी के बारे में बच्चों को स्पष्ट कर दें कि समझना अपने आप में ख़ुशी देता है और जब भी हमें कोई बात समझ में आ जाती है तो वह समझ हमेशा बनी रहती है। जैसे- अगर किसी को एक बार 2+2 = 4, समझ में आ जाता है तो फिर वह हमेशा के लिए समझ में आ जाता है। इसी तरह पानी प्यास बुझाता है या आग जलाती है। यह समझ एक ही बार बन गई तो हमेशा बनी ही रहती है। इसे एक और तर्क से समझ सकते हैं। यदि एक बार हमें यह समझ में आ जाए कि हमारे माता-पिता की आर्थिक स्थिति क्या है तो फिर कभी भी हमें यह बात दुख नहीं देती कि हमारे माता-पिता हमारे लिए बाकी बच्चों के माता-पिता जितना पैसा खर्च नहीं करते।)
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
क्या करें और क्या न करें:
1. विद्यार्थियों को सोचने के लिए पर्याप्त समय दिया जाए।
2. विद्यार्थियों को सीधे निष्कर्ष न देकर उन्हें अपने निष्कर्ष बनाने दिया जाए अर्थात transfer of knowledge की बजाय construction of knowledge के लिए प्रयास करें।
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- एक-दूजे को जानें
- यू आर यूनीक
- क्या कर रहे हो
- आओ ख़ुद को जानें
- बग़ीचे की सैर
- मेरे जीवन का लक्ष्य
- ख़ुशी के पल
- पैसा ही चाहिए या पैसा भी चाहिए
- किसका फ़ायदा
- आओ मन:स्थिति पहचानें
- मेरी परेशानी मेरे ही कारण
- अच्छा लगना, अच्छा होना
- मेरा रिमोट मेरे पास
- हम सब एक समान
- अपनी-अपनी पर्ची
- तन और मन
- मैं किसका सम्मान करता हूँ
- मैं कैसे पहचाना जाऊँ
- ख़ुश होना: किससे और कितनी देर
- कौन ख़ुश, कौन नाख़ुश
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