18. मैं कैसे पहचाना जाऊँ

गतिविधि का उद्देश्य: विद्यार्थियों को अपने गुणों के आधार पर अपनी पहचान बनाने के लिए प्रेरित करना।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
आवश्यक सामग्री: चार्ट पेपर, कागज़ की पर्ची और रंग।

शिक्षक के लिए नोट:
प्रत्येक व्यक्ति अपनी पहचान बनाना चाहता है, लेकिन अधिकतर लोग अस्थायी आधारों से स्थायी पहचान बनाने के असफल प्रयास कर रहे हैं। कुछ लोग अपने रूप से, कुछ ताकत से, कुछ धन-संपत्ति से और कुछ ऊँचा पद पाकर अपनी पहचान बनाने का प्रयास कर रहें हैं, जबकि ये चारों आधार अस्थायी हैं। इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति के पास ये चारों आधार हैं, लेकिन उसका व्यवहार और स्वभाव अच्छा नहीं है, तो क्या आप उसका सम्मान करेंगे? यदि किसी व्यक्ति के पास ये चारों आधार हैं, लेकिन वह दूसरों के लिए बिलकुल भी मददगार या उपयोगी नहीं है, तो क्या आप उसका सम्मान करेंगे?
इससे निष्कर्ष निकलता है कि एक व्यक्ति अपने अच्छे व्यवहार और स्वभाव के साथ दूसरों के लिए उपयोगी होता है तो ही वह वास्तविक और स्थायी पहचान और सम्मान पाने का अधिकारी होता है। फिर चाहे उसके पास उपर्युक्त अस्थायी आधार हों या न हों।
इस गतिविधि के माध्यम से विद्यार्थियों को दिखावे की बजाय अपने गुणों से अपनी पहचान बनाने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया गया है।

कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

गतिविधि के चरण:
  • विद्यार्थियों को सादे कागज़ या चार्ट पेपर को किसी समान आकार/डिज़ाइन में काटकर पर्चियाँ दी जाएँ।
  • विद्यार्थियों को शांत मन से अपने बारे में सोचने के लिए कहा जाए और पूछा जाए कि आप क्या चाहते हैं कि आपको जीवन में आपके किस अच्छे काम या गुण के कारण पहचाना जाए?
  • प्रत्येक विद्यार्थी अपने किसी एक अच्छे काम या गुण को पहचान कर उसे पर्ची पर लिखे और साथ में अपना नाम भी लिखें। जैसे:-
    • मैं चाहता हूँ कि मुझे एक मदद करने वाले व्यक्ति के रूप में पहचाना जाए। –अंकित ‘VIIबी'
    • अथवा
    • I need to be identified by my honesty. –Amit Kumar ‘VIIC’
  • शिक्षक भी अपनी पर्ची तैयार करे और कक्षा में साझा करे।
  • अब प्रत्येक विद्यार्थी अपनी पहचान के आधार को कक्षा में साझा करे और साथ में यह भी बताए कि उसने पहचान के लिए यही आधार क्यों चुना।
  • सभी पर्चियों को पिन बोर्ड या चार्ट पेपर पर चिपकाकर कक्षा में लगाएँ।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

दूसरा दिन:

कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

इस गतिविधि में प्रत्येक विद्यार्थी की व्यक्तिगत शेयरिंग (sharing) आवश्यक है। अत: बचे हुए विद्यार्थी भी अपनी पहचान के आधार को कक्षा में साझा करें और साथ में यह भी बताएँ कि उन्होंने अपनी पहचान के लिए यही आधार क्यों चुना है। विद्यार्थियों को बताया जाए कि हम समय-समय पर इस बात पर चर्चा करेंगे कि अपनी पहचान के आधार के लिए आपने क्या प्रयास किए और उसमें कितना आगे बढ़े।

चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. सामान्यतया लोग अपनी पहचान बनाने के लिए क्या-क्या दिखावा करते हैं?
2. क्या आपने भी अपनी पहचान के लिए कभी दिखावा करने का प्रयास किया है? क्या प्रयास किया है?
3. जब लोग दिखावा करके अपनी पहचान बनाने का प्रयास करते हैं तो क्या आपको वह स्वीकार होता है? क्यों नहीं होता है?
4. क्या आप दिखावा करने वालों का सम्मान कर पाते हैं? क्यों नहीं कर पाते हैं?
5. आप जिस आधार पर अपनी पहचान बनाना चाहते हैं उसके लिए क्या-क्या प्रयास करेंगे?

कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

क्या करें और क्या न करें:
  • पर्ची पर लिखने के लिए स्केच पेन व रंगों का प्रयोग किया जा सकता है।
  • विद्यार्थियों को अपनी पहचान के लिए तय किए गए आधार को अपने घर पर साझा करने के लिए कहा जाए।
-----------------------------

  1. एक-दूजे को जानें
  2. यू आर यूनीक
  3. क्या कर रहे हो
  4. आओ ख़ुद को जानें
  5. बग़ीचे की सैर
  6. मेरे जीवन का लक्ष्य
  7. ख़ुशी के पल
  8. पैसा ही चाहिए या पैसा भी चाहिए
  9. किसका फ़ायदा
  10. आओ मन:स्थिति पहचानें
  11. मेरी परेशानी मेरे ही कारण
  12. अच्छा लगना, अच्छा होना
  13. मेरा रिमोट मेरे पास
  14. हम सब एक समान
  15. अपनी-अपनी पर्ची
  16. तन और मन
  17. मैं किसका सम्मान करता हूँ
  18. मैं कैसे पहचाना जाऊँ
  19. ख़ुश होना: किससे और कितनी देर
  20. कौन ख़ुश, कौन नाख़ुश

No comments:

Post a Comment