गतिविधि का उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान प्रकृति की पूर्णता की ओर दिलाना और प्रकृति को प्रेरणास्रोत के रूप में देखने के लिए प्रेरित करना।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
आवश्यक सामग्री: किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं है।
शिक्षक के लिए नोट:
हमारे चारों ओर फैली हुई प्रकृति सभी के मन को भाती है। बस ध्यान देने की ज़रूरत है कि यह अपने आपमें पूर्ण (perfect) है। इसका प्रमाण है कि पेड़-पौधे, बादल, हवा, पानी, सूरज आदि एक-दूसरे के लिए किसी नियम की तरह हमेशा से काम कर रहे हैं।
इस गतिविधि का यही उद्देश्य है कि विद्यार्थियों का ध्यान इस तरफ जाए और वे प्राकृतिक सौंदर्य की सराहना कर सकें और प्रकृति से प्रेरणा पा सकें।
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
गतिविधि के चरण:
1. हमें प्रकृति की किन-किन चीज़ों से क्या-क्या प्रेरणा मिलती है? जैसे-फूलों से सदा मुस्कराने की, पेड़ों से सदा दूसरों के काम आने की आदि।
2. किसी प्राकृतिक रचना (पेड़, शेर, बादल आदि) के बारे में सोचिए और बताइए कि उसे और अधिक सुंदर बनाने के लिए उसकी रचना में क्या बदलाव किए जा सकते हैं?
3. क्या आप प्रकृति को पूर्ण (perfect) मानते हैं? कैसे? चर्चा करें। (संकेत- प्रकृति में सब कुछ नियम से होता है। जैसे- धरती का घूमना, पेड़ से बीज और बीज से वैसा ही पेड़ बनना, सभी चीज़ें एक-दूसरे के लिए उपयोगी होना आदि।)
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
क्या करें और क्या न करें:
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
आवश्यक सामग्री: किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं है।
शिक्षक के लिए नोट:
हमारे चारों ओर फैली हुई प्रकृति सभी के मन को भाती है। बस ध्यान देने की ज़रूरत है कि यह अपने आपमें पूर्ण (perfect) है। इसका प्रमाण है कि पेड़-पौधे, बादल, हवा, पानी, सूरज आदि एक-दूसरे के लिए किसी नियम की तरह हमेशा से काम कर रहे हैं।
इस गतिविधि का यही उद्देश्य है कि विद्यार्थियों का ध्यान इस तरफ जाए और वे प्राकृतिक सौंदर्य की सराहना कर सकें और प्रकृति से प्रेरणा पा सकें।
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
गतिविधि के चरण:
- विद्यार्थियों के बैठने की व्यवस्था में इस प्रकार परिवर्तन करें कि वे जिनके साथ प्रतिदिन बैठते हैं उनसे भिन्न सहपाठियों के साथ जोड़ें में बैठें।
- अब उन्हें अपनी आँख बंद करके कल्पना करने को कहें कि वे किसी बग़ीचे में बैठे हैं जिसमें चारों ओर फूल खिले हैं। उन फूलों की ख़ुशबू का आनंद लेने को कहें। शिक्षक भी साथ में ऐसा करे।
- शिक्षक के निर्देश पर 2-3 मिनट बाद धीरे-धीरे आँखें खोलकर अपने पास बैठे सहपाठी को देखकर मुस्कराएँ और फिर से आँखें बंद करें।
- अब बग़ीचे में आने वाली आवाज़ों को सुनने के लिए कहें।
- बग़ीचे में उड़ती हुई तितली की कल्पना करें, उसके पीछे दौड़े और उसे अपने हाथ पर बैठाने का प्रयत्न करें।
- शिक्षक के निर्देश पर 2-3 मिनट बाद आँखें खोल लें और जोड़ें में बैठे विद्यार्थी एक-दूसरे से निम्नलिखित प्रश्न पूछें-
- 1. कल्पना करते समय आपको सबसे अच्छा कब महसूस हुआ?
- 2. आप प्रकृति की कौनसी चीज़ को सबसे ज़्यादा पसंद करते हैं? और क्यों?
1. हमें प्रकृति की किन-किन चीज़ों से क्या-क्या प्रेरणा मिलती है? जैसे-फूलों से सदा मुस्कराने की, पेड़ों से सदा दूसरों के काम आने की आदि।
2. किसी प्राकृतिक रचना (पेड़, शेर, बादल आदि) के बारे में सोचिए और बताइए कि उसे और अधिक सुंदर बनाने के लिए उसकी रचना में क्या बदलाव किए जा सकते हैं?
3. क्या आप प्रकृति को पूर्ण (perfect) मानते हैं? कैसे? चर्चा करें। (संकेत- प्रकृति में सब कुछ नियम से होता है। जैसे- धरती का घूमना, पेड़ से बीज और बीज से वैसा ही पेड़ बनना, सभी चीज़ें एक-दूसरे के लिए उपयोगी होना आदि।)
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
क्या करें और क्या न करें:
- कक्षा के सभी विद्यार्थियों में एक-दूसरे के प्रति स्वीकार्यता (acceptance) के लिए बैठने की व्यवस्था में बदलाव करते रहना चाहिए।
- विद्यार्थियों को निर्देश बिलकुल स्पष्ट होने चाहिए।
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- एक-दूजे को जानें
- यू आर यूनीक
- क्या कर रहे हो
- आओ ख़ुद को जानें
- बग़ीचे की सैर
- मेरे जीवन का लक्ष्य
- ख़ुशी के पल
- पैसा ही चाहिए या पैसा भी चाहिए
- किसका फ़ायदा
- आओ मन:स्थिति पहचानें
- मेरी परेशानी मेरे ही कारण
- अच्छा लगना, अच्छा होना
- मेरा रिमोट मेरे पास
- हम सब एक समान
- अपनी-अपनी पर्ची
- तन और मन
- मैं किसका सम्मान करता हूँ
- मैं कैसे पहचाना जाऊँ
- ख़ुश होना: किससे और कितनी देर
- कौन ख़ुश, कौन नाख़ुश
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