गतिविधि का उद्देश्य: विद्यार्थियों को क्षमा के महत्त्व से अवगत कराना और इस ओर ध्यान दिलाना कि हमसे गलती होने पर जैसी अपेक्षा हम दूसरों से रखते हैं वैसी ही अपेक्षा दूसरे भी हमसे रखते हैं।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
आवश्यक सामग्री: किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं है।
शिक्षक के लिए नोट:
हम अधिकतर दूसरों के नकारात्मक व्यवहार से प्रभावित होते रहते हैं और ख़ुद को दुःखी करते रहते हैं। कोई व्यक्ति नासमझी में हमारी परेशानी का कारण एक बार बनता है, लेकिन हम स्वयं (जो कि ख़ुद को समझदार मानते हैं) उसी बात को याद करके कई बार अपनी परेशानी का कारण बनते हैं। नासमझी से प्रभावित होना भी नासमझी ही है। दूसरे की नासमझी से अप्रभावित रहना ही ‘क्षमा’ है।
इस गतिविधि में विद्यार्थियों को क्षमा के सही अर्थ को समझकर दूसरों के ग़लत व्यवहार से प्रभावित न होने के लिए प्रेरित किया गया है ताकि वे दूसरों के साथ क्षमापूर्वक जी सकें।
पहला दिन:
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
गतिविधि के चरण:
भाग-1
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कुछ विद्यार्थी कक्षा में स्वेच्छा से अपने अनुभव साझा करें कि इस गतिविधि के बाद उनके व्यक्तिगत जीवन में क्या फ़ायदा हुआ। क्या वे किसी को क्षमा कर पाए? क्षमा करने के बाद कैसा महसूस कर रहे हैं?
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
क्या करें और क्या न करें:
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
आवश्यक सामग्री: किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं है।
शिक्षक के लिए नोट:
हम अधिकतर दूसरों के नकारात्मक व्यवहार से प्रभावित होते रहते हैं और ख़ुद को दुःखी करते रहते हैं। कोई व्यक्ति नासमझी में हमारी परेशानी का कारण एक बार बनता है, लेकिन हम स्वयं (जो कि ख़ुद को समझदार मानते हैं) उसी बात को याद करके कई बार अपनी परेशानी का कारण बनते हैं। नासमझी से प्रभावित होना भी नासमझी ही है। दूसरे की नासमझी से अप्रभावित रहना ही ‘क्षमा’ है।
इस गतिविधि में विद्यार्थियों को क्षमा के सही अर्थ को समझकर दूसरों के ग़लत व्यवहार से प्रभावित न होने के लिए प्रेरित किया गया है ताकि वे दूसरों के साथ क्षमापूर्वक जी सकें।
पहला दिन:
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
गतिविधि के चरण:
भाग-1
- सभी विद्यार्थियों को शांत और सहज होकर बैठने को कहें।
- सभी अपनी आँखें बंद करके धीरे-धीरे पाँच बार गहरी साँस लें।
- अब उन्हें अपनी मन:स्थिति (mood or state of mind) को देखने/महसूस करने के लिए कहें।
- फिर किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में सोचने के लिए कहें जिसके कारण वे कभी बहुत परेशान या दु:खी हुए हों।
- 1-2 मिनट उस व्यक्ति के द्वारा किए गए व्यवहार के बारे में सोचें। साथ ही यह भी सोच सकते हैं कि उसे क्या सज़ा मिलनी चाहिए।
- अब फिर से उन्हें अपनी मन:स्थिति को महसूस करने के लिए कहें।
- अब धीरे-धीरे आँखें खोलने को कहें और निम्नलिखित प्रश्न पूछें-
- आपको जिस व्यक्ति ने कभी परेशान किया हो उसके बारे में सोचते समय आप कैसा महसूस कर रहे थे?
- आपके ऐसा सोचने से, क्या उस व्यक्ति पर अभी कोई फ़र्क पड़ा होगा?
- आपके ऐसा सोचने से, क्या आप पर अभी कोई फ़र्क पड़ा? क्या फ़र्क पड़ा?
- उसने आपको एक बार परेशान या दु:खी किया और आपने उसके बारे में सोचकर अपने आपको कितनी बार दु:खी किया?
- उस व्यक्ति ने आपको ज़्यादा दु:खी किया या आपने स्वयं को ज़्यादा दु:खी किया?
- यदि एक बार हमारे दु:ख का कारण बनने वाले को नासमझ कहा जाए तो कई बार हमारे दु:ख का कारण बनने वाले को क्या कहा जाए?
- अब फिर से आँखें बंद करके धीरे-धीरे पाँच बार गहरी साँस लेने को कहें।
- अब यह सोचें कि नासमझी में कभी-कभी मुझसे भी ग़लती हो जाती है। ग़लती होने पर मैं चाहता/चाहती हूँ कि मुझे क्षमा किया जाए।
- अब उस व्यक्ति के बारे में सोचें कि उसने भी नासमझी में ग़लती की है।
- 1-2 मिनट तक मन ही मन उसे क्षमा करें। उसके अच्छे गुणों और अच्छे कामों के बारे में भी सोचें।
- अब फिर से अपनी मन:स्थिति को महसूस करने के लिए कहें।
- अब धीरे-धीरे आँखें खोलने को कहें और निम्नलिखित प्रश्न पूछें-
- आपमें से कौन-कौन उस व्यक्ति को मन से क्षमा कर पाया? (हाथ उठवाएँ)
- उस व्यक्ति को क्षमा करने के बाद आप कैसा महसूस कर रहे हैं?
- आपके क्षमा करने पर, क्या उस व्यक्ति पर अभी कोई फ़र्क पड़ा होगा?
- आपके क्षमा करने पर, क्या आप पर अभी कोई फ़र्क पड़ा? क्या फ़र्क पड़ा?
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कुछ विद्यार्थी कक्षा में स्वेच्छा से अपने अनुभव साझा करें कि इस गतिविधि के बाद उनके व्यक्तिगत जीवन में क्या फ़ायदा हुआ। क्या वे किसी को क्षमा कर पाए? क्षमा करने के बाद कैसा महसूस कर रहे हैं?
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
- आपसे गलती होने पर आप दूसरों से क्या अपेक्षा रखते हैं?
- किसी को क्षमा करने से किसको फ़ायदा होता है? क्या फ़ायदा है?
- किसी को क्षमा न करने से किसको नुकसान है? क्या नुकसान है? (संकेत- विद्यार्थियों का ध्यान मानसिक परेशानी से शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों की ओर भी दिलाया जाए।)
- दूसरों को क्षमा न करके हम अपना ही नुकसान क्यों करते रहते हैं?
- ‘अच्छा सोचने से सोचने वाले का ही फ़ायदा होता है और बुरा सोचने से सोचने वाले का ही नुकसान होता है।’ कैसे? इस पर कक्षा में चर्चा करें।
क्या करें और क्या न करें:
- यदि कोई विद्यार्थी किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में कुछ न सोचना चाहे तो उसे बाध्य न किया जाए।
- यदि कोई विद्यार्थी पुरानी बातों को याद करके अधिक असहज महसूस करता है तो परामर्शदाता शिक्षक (EVGC) के माध्यम से विद्यार्थी की मदद करें।
-----------------------------
- एक-दूजे को जानें
- यू आर यूनीक
- क्या कर रहे हो
- आओ ख़ुद को जानें
- बग़ीचे की सैर
- मेरे जीवन का लक्ष्य
- ख़ुशी के पल
- पैसा ही चाहिए या पैसा भी चाहिए
- किसका फ़ायदा
- आओ मन:स्थिति पहचानें
- मेरी परेशानी मेरे ही कारण
- अच्छा लगना, अच्छा होना
- मेरा रिमोट मेरे पास
- हम सब एक समान
- अपनी-अपनी पर्ची
- तन और मन
- मैं किसका सम्मान करता हूँ
- मैं कैसे पहचाना जाऊँ
- ख़ुश होना: किससे और कितनी देर
- कौन ख़ुश, कौन नाख़ुश
No comments:
Post a Comment