गतिविधि का उद्देश्य: सुविधाओं से ख़ुशी क्षणिक होती है, संबंधों में जीने की ख़ुशी लम्बे समय तक होती है और समझ से जीने की ख़ुशी हमेशा बनी रहती है - विद्यार्थियों को यह समझ में आ पाना।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
आवश्यक सामग्री:- किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं
शिक्षक के लिए नोट: हमें ख़ुशी चाहिए और विभिन्न तरीकों से हम उसे पाने की कोशिश करते हैं। हमारा ज़्यादा वक़्त सुविधाओं से ख़ुशी पाने के प्रयास में लग जाता है। हमें सुविधाओं की आवश्यकता तो है, परन्तु इनसे लंबे समय तक ख़ुशी नहीं मिल सकती। जैसे:- हमारे मोबाइल, जूते, कपड़े, विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट भोजन आदि से एक समय बाद हम ऊब जाते हैं। तब हमें यह बात समझ में आती है कि वस्तु केवल शरीर की ज़रूरत है, उससे आगे भी सुख का कोई आधार है। सही समझ के साथ संबंधों में जीने की ख़ुशी ज़्यादा देर तक टिकती है। उससे हम ऊबते नहीं हैं। पर उस ख़ुशी की भी एक सीमा है। पर यदि स्वयं का अंतर्विरोध समाप्त हो जाए और व्यवस्था को समझते हुए उसमें जीने की काबिलियत आ जाए, तो हर पल ख़ुशी का बन जाए। इस गतिविधि का उद्देश्य यहां विद्यार्थियों से इतनी गहरी बात करना नहीं है। यह तो केवल उनका ध्यान इस ओर ले जाने मात्र के लिए है।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
गतिविधि के चरण:-
पहला दिन: चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न
1. आपको अपना पसंदीदा खाना अकेले खाने में ज़्यादा मज़ा आता है या किसी अपने के साथ?
2. इन तीनों प्रकार की खुशी में क्या अंतर लगता है? अपने समूह में चर्चा करके साझा करें।
3. क्या इनमें से किसी एक प्रकार की खुशी के बिना रहा जा सकता है? चर्चा करें।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
क्या करें क्या न करें:
1. बच्चों को सूची बनाने के लिए पर्याप्त समय दें।
2. जो बच्चे साझेदारी करना चाहते हैं उन्हें ऐसा करने दें।
3. बच्चों द्वारा प्रस्तुत अभिव्यक्ति को सही या गलत न ठहराएँ ।
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समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
आवश्यक सामग्री:- किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं
शिक्षक के लिए नोट: हमें ख़ुशी चाहिए और विभिन्न तरीकों से हम उसे पाने की कोशिश करते हैं। हमारा ज़्यादा वक़्त सुविधाओं से ख़ुशी पाने के प्रयास में लग जाता है। हमें सुविधाओं की आवश्यकता तो है, परन्तु इनसे लंबे समय तक ख़ुशी नहीं मिल सकती। जैसे:- हमारे मोबाइल, जूते, कपड़े, विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट भोजन आदि से एक समय बाद हम ऊब जाते हैं। तब हमें यह बात समझ में आती है कि वस्तु केवल शरीर की ज़रूरत है, उससे आगे भी सुख का कोई आधार है। सही समझ के साथ संबंधों में जीने की ख़ुशी ज़्यादा देर तक टिकती है। उससे हम ऊबते नहीं हैं। पर उस ख़ुशी की भी एक सीमा है। पर यदि स्वयं का अंतर्विरोध समाप्त हो जाए और व्यवस्था को समझते हुए उसमें जीने की काबिलियत आ जाए, तो हर पल ख़ुशी का बन जाए। इस गतिविधि का उद्देश्य यहां विद्यार्थियों से इतनी गहरी बात करना नहीं है। यह तो केवल उनका ध्यान इस ओर ले जाने मात्र के लिए है।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
गतिविधि के चरण:-
- 5-5 विद्यार्थियों के समूह बनाएँ।
- जिन वस्तुओं, संबंधों (व्यक्तियों) तथा कार्यों से उन्हें ख़ुशी मिलती है, उनकी सूची अपने समूह में चर्चा करके किसी एक विद्यार्थी की कॉपी में बनाएँ ।
- 5-7 मिनट बाद प्रत्येक समूह से एक प्रतिनिधि आकर अपनी सूची पढ़े और शिक्षक उस सूची से पढ़े गए नामों को श्यामपट्ट पर लिख लें।
- सूची को विद्यार्थियों के साथ चर्चा करते हुए निम्नलिखित तरीके से वर्गीकृत करें।
वस्तुओं से मिलने वाली खुशी :कम समय के लिए A
|
संबंधों से मिलने वाली खुशी:
लंबे समय तक टिकने वाली B
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समझ से मिलने वाली खुशी: निरंतर बनी रहने वाली C
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आइसक्रीम (ice-cream)
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मित्र के साथ खेलना
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सही निर्णय ले पाना
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चाकलेट (chocolate)
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मम्मी के साथ साईकिल चलाना
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लड़ाई कैसे न हो - यह समझ में आना
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राजमा-चावल
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दादी के साथ पार्क में घूमना
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बड़े होकर आप क्या बनना चाहते हो - इसकी स्पष्टता
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नए कपड़े
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पापा के साथ राजमा चावल खाना
|
मन में अंतर्विरोध (inner conflict) न हो
|
नई साइकिल
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नानी से कहानी सुनना
|
प्रकृति के नियम समझ में आना
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पहला दिन: चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न
1. आपको अपना पसंदीदा खाना अकेले खाने में ज़्यादा मज़ा आता है या किसी अपने के साथ?
2. इन तीनों प्रकार की खुशी में क्या अंतर लगता है? अपने समूह में चर्चा करके साझा करें।
3. क्या इनमें से किसी एक प्रकार की खुशी के बिना रहा जा सकता है? चर्चा करें।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
क्या करें क्या न करें:
1. बच्चों को सूची बनाने के लिए पर्याप्त समय दें।
2. जो बच्चे साझेदारी करना चाहते हैं उन्हें ऐसा करने दें।
3. बच्चों द्वारा प्रस्तुत अभिव्यक्ति को सही या गलत न ठहराएँ ।
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- अपनी ख़ुशी के हम निर्माता
- कितने दोस्त
- खुशी देर तक या कम समय तक
- खुशी या खुशी पाने के तरीके
- खेतों से मेज़ तक
- तुम्हारे गुण मैं बताऊं
- नाम और इशारा
- मेरी विशेषताएँ
- मेरे अच्छे काम
- मैं आपको जानता हूँ
- स्वास्थ्य व स्वच्छता के स्टेशन
- थम्स अप, थम्स डाउन
- व्यवस्था में मेरी भागीदारी
- मेरे आस-पास
- मेरी भावनाएँ
- सिक्के का दूसरा पहलू
- संबंधों में ख़ुशी
- अदृश्य सितारे
- अच्छा है या नहीं
- यू आर स्पेशल
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