उद्देश्य: हम अपने आसपास देखें तो पाएंगे कि प्रकृति में हमारे लिए बहुत कुछ उपलब्ध है। प्रकृति द्वारा प्राप्त हर वस्तु उपयोगी है, इनकी उपयोगिता को और बढ़ाने का प्रयत्न हम कर सकते है।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए
कहानी
कार्तिक एक होनहार बालक था।सभी अध्यापक उससे बहुत प्रसन्न रहते। इसी बात के चलते वह कुछ घमंडी स्वभाव का बन गया। वह सभी को अपने से छोटा और हीन समझने लगा यह बात कक्षा अध्यापक को अच्छी नहीं लग रही थी।एक दिन उन्हीं के जन्मदिवस पर सभी विद्यार्थियों ने उन्हें कुछ उपहार भेंट करना चाहा तो अध्यापक ने विनम्रतापूर्वक कहा ,
" उपहार स्वरूप मुझे ऐसी वस्तु चाहिए जो बिल्कुल व्यर्थ हो"। सभी ऐसी चीज की खोज में निकल पड़े। मिट्टी को व्यर्थ समझ कर विद्यार्थियो ने मिट्टी की तरफ हाथ बढ़ाया तो ख्याल आया, हम इसे व्यर्थ क्यों समझ रहे हैं। इसी में तो सब पेड़, फल, फूल, अनाज आदि फलते फूलते हैं ।वे आगे बढ़ गए। घूमते फिरते उन्हें गंदगी का ढेर दिखा। उसे देखते ही सबके के मन में घृणा उभरी। उन्होंने सोचा इससे बेकार चीज और क्या होगी। तभी एक ने कहा," इससे बढ़िया खाद कहां मिलेगी। फसलें इसी से पोषण ग्रहण करती हैं।"
सभी गहरी सोच में डूब गए। तो भला व्यर्थ क्या हो सकता है। कुछ भी व्यर्थ न मिलने पर खाली हाथ ही अध्यापक के पास पहुंचे।
अध्यापक ने विनम्रता से कहा," संसार में नहीं अपने भीतर झांक के देखो कि व्यर्थ क्या है”। विद्यार्थियों को समझते देर न लगी कि गुरुजी उस अहंकार की बात कर रहे हैं जो अपने भीतर ही है। कार्तिक तुरन्त बोल उठा," सर, मुझे समझ में आ गया कि मेरा अहंकार ही वह वस्तु है जो मुझे त्याग देनी चाहिए”।
चर्चा की दिशा:
विद्यार्थियों से इस बात की चर्चा भी कर सकते हैं कि किस तरह वस्तुओं का सही निपटारा किया जा सकता है। हर वस्तु का निपटारा यदि सही तरीके से किया जाए तो वह मिट्टी में ही मिल जाएगी और उसकी उर्वरकता को भी बढ़ाएगी। यदि सब कुछ व्यवस्थित हो तो बेकार कुछ नहीं है। अव्यवस्थित होने पर बेकार लगने लगता हैl उदाहरण के तौर पर कार्बन डाई ऑक्साइड हमारे शरीर के लिए उपयोगी नहीं है इसलिए हम सांस के द्वारा इसे बाहर छोड़ते हैं। किन्तु पौधों के भोजन बनाने में वह एक आवश्यक तत्व है।
चर्चा के प्रश्न:
1. ऐसी किसी वस्तु का उदाहरण दें जो व्यर्थ समझ कर किसी ने फेंक दी और आपके लिए उपयोगी सिद्ध हुई हो ।
2.आप ऐसा कोई उदाहरण दें जिसमें आपने या आपके परिवार में किसी ने व्यर्थ पदार्थ से कुछ बनाया हो।
3.आप भी अपने भीतर चिंतन करें व बताएँ कि आपके भीतर क्या क्या व्यर्थ है?
घर जाकर देखो, पूछो समझो (विद्यार्थियों के लिए)
अपने घर जाकर उन वस्तुओं की सूची बनाओ जो आपको व्यर्थ लगती हैं।माता- पिता,
भाई- बहन के साथ चर्चा करके पता लगाओ कि इन व्यर्थ वस्तुओं के क्या उपयोग हो सकते हैं।
कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
दूसरा दिन
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए
पिछले दिन की कहानी पर एक बार पूरी तरह से कक्षा में पुनरावृत्ति कराई जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
घर से मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिन के चर्चा के प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी छोटे समूह में बात चीत करेंगे।
पहले दिन के चिंतन के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है।
चर्चा के प्रश्न:
1. ऐसी कौन कौन सी वस्तुएं हैं जिन्हें अधिकतर लोग व्यर्थ समझ कर फेंक देते हैं? इनमें से कौन सी वस्तुएं आप उपयोगी बना सकते हैं ?बताएँ कैसे?
2. दो -दो के समूह में बैठकर, कक्षा में तथा अपने परिवार में, अपनी उपयोगिता के बारे में चर्चा करें ।(चर्चा करने के बाद अध्यापक उन बिन्दुओं को पूरी कक्षा में साझा करवाएँ ।
3. जब कुछ व्यर्थ (waste) ही नहीं होता तो फिर गंदगी क्या है ? हम गंदगी से परेशान क्यों होते हैं ?( teacher की मदद के लिए:गंदगी हमारे द्वारा ही फैलाई जाती है, अपना कार्य करने के बाद न समेटना, जगह जगह सामान फैलाना, किसी वस्तु का उसके स्थान पर ना होकर किसी और जगह होना ही गंदगी है। यह अव्यवस्था भी है।
कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
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समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए
कहानी
कार्तिक एक होनहार बालक था।सभी अध्यापक उससे बहुत प्रसन्न रहते। इसी बात के चलते वह कुछ घमंडी स्वभाव का बन गया। वह सभी को अपने से छोटा और हीन समझने लगा यह बात कक्षा अध्यापक को अच्छी नहीं लग रही थी।एक दिन उन्हीं के जन्मदिवस पर सभी विद्यार्थियों ने उन्हें कुछ उपहार भेंट करना चाहा तो अध्यापक ने विनम्रतापूर्वक कहा ,
" उपहार स्वरूप मुझे ऐसी वस्तु चाहिए जो बिल्कुल व्यर्थ हो"। सभी ऐसी चीज की खोज में निकल पड़े। मिट्टी को व्यर्थ समझ कर विद्यार्थियो ने मिट्टी की तरफ हाथ बढ़ाया तो ख्याल आया, हम इसे व्यर्थ क्यों समझ रहे हैं। इसी में तो सब पेड़, फल, फूल, अनाज आदि फलते फूलते हैं ।वे आगे बढ़ गए। घूमते फिरते उन्हें गंदगी का ढेर दिखा। उसे देखते ही सबके के मन में घृणा उभरी। उन्होंने सोचा इससे बेकार चीज और क्या होगी। तभी एक ने कहा," इससे बढ़िया खाद कहां मिलेगी। फसलें इसी से पोषण ग्रहण करती हैं।"
सभी गहरी सोच में डूब गए। तो भला व्यर्थ क्या हो सकता है। कुछ भी व्यर्थ न मिलने पर खाली हाथ ही अध्यापक के पास पहुंचे।
अध्यापक ने विनम्रता से कहा," संसार में नहीं अपने भीतर झांक के देखो कि व्यर्थ क्या है”। विद्यार्थियों को समझते देर न लगी कि गुरुजी उस अहंकार की बात कर रहे हैं जो अपने भीतर ही है। कार्तिक तुरन्त बोल उठा," सर, मुझे समझ में आ गया कि मेरा अहंकार ही वह वस्तु है जो मुझे त्याग देनी चाहिए”।
चर्चा की दिशा:
विद्यार्थियों से इस बात की चर्चा भी कर सकते हैं कि किस तरह वस्तुओं का सही निपटारा किया जा सकता है। हर वस्तु का निपटारा यदि सही तरीके से किया जाए तो वह मिट्टी में ही मिल जाएगी और उसकी उर्वरकता को भी बढ़ाएगी। यदि सब कुछ व्यवस्थित हो तो बेकार कुछ नहीं है। अव्यवस्थित होने पर बेकार लगने लगता हैl उदाहरण के तौर पर कार्बन डाई ऑक्साइड हमारे शरीर के लिए उपयोगी नहीं है इसलिए हम सांस के द्वारा इसे बाहर छोड़ते हैं। किन्तु पौधों के भोजन बनाने में वह एक आवश्यक तत्व है।
चर्चा के प्रश्न:
1. ऐसी किसी वस्तु का उदाहरण दें जो व्यर्थ समझ कर किसी ने फेंक दी और आपके लिए उपयोगी सिद्ध हुई हो ।
2.आप ऐसा कोई उदाहरण दें जिसमें आपने या आपके परिवार में किसी ने व्यर्थ पदार्थ से कुछ बनाया हो।
3.आप भी अपने भीतर चिंतन करें व बताएँ कि आपके भीतर क्या क्या व्यर्थ है?
घर जाकर देखो, पूछो समझो (विद्यार्थियों के लिए)
अपने घर जाकर उन वस्तुओं की सूची बनाओ जो आपको व्यर्थ लगती हैं।माता- पिता,
भाई- बहन के साथ चर्चा करके पता लगाओ कि इन व्यर्थ वस्तुओं के क्या उपयोग हो सकते हैं।
कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
दूसरा दिन
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए
पिछले दिन की कहानी पर एक बार पूरी तरह से कक्षा में पुनरावृत्ति कराई जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
घर से मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिन के चर्चा के प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी छोटे समूह में बात चीत करेंगे।
पहले दिन के चिंतन के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है।
चर्चा के प्रश्न:
1. ऐसी कौन कौन सी वस्तुएं हैं जिन्हें अधिकतर लोग व्यर्थ समझ कर फेंक देते हैं? इनमें से कौन सी वस्तुएं आप उपयोगी बना सकते हैं ?बताएँ कैसे?
2. दो -दो के समूह में बैठकर, कक्षा में तथा अपने परिवार में, अपनी उपयोगिता के बारे में चर्चा करें ।(चर्चा करने के बाद अध्यापक उन बिन्दुओं को पूरी कक्षा में साझा करवाएँ ।
3. जब कुछ व्यर्थ (waste) ही नहीं होता तो फिर गंदगी क्या है ? हम गंदगी से परेशान क्यों होते हैं ?( teacher की मदद के लिए:गंदगी हमारे द्वारा ही फैलाई जाती है, अपना कार्य करने के बाद न समेटना, जगह जगह सामान फैलाना, किसी वस्तु का उसके स्थान पर ना होकर किसी और जगह होना ही गंदगी है। यह अव्यवस्था भी है।
कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
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