17. तीन मज़दूर तीन नज़रिये

कहानी का उद्देश्य: यह स्पष्टता बनाना कि किसी काम को करके हम सुखी या दुखी नहीं होते हैं बल्कि उस काम को करते समय हमारा भाव क्या है, यह हमारे सुखी या दुखी होने का आधार बनता है।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए

कहानी:
कहीं पर एक स्कूल बन रहा था। तीन मज़दूर बैठे पत्थर तोड़ने का काम कर रहे थे। वहाँ से एक राहगीर गुज़रा, उसने पहले मज़दूर से पूछा, “क्या कर रहे हो?”। वह दुखी मन से बोला, “पत्थर तोड़ रहा हूँ।” सच में वह मन में भी पत्थर ही तोड़ रहा था इसीलिए वह दुखी भी था।
राहगीर दूसरे मज़दूर के पास गया, वह दुखी नहीं था, संतुलित था - न दुखी न सुखी। राहगीर ने उससे पूछा, “क्या कर रहे हो?” उसने कहा, “रोज़ी-रोटी कमा रहा हूँ।” सच में वह मज़दूर रोज़ी-रोटी कमाने के लिए ही काम कर रहा था। इसीलिए उसके चेहरे पर न दुख था न सुख।
राहगीर तीसरे मज़दूर के पास पहुँचा। वह मज़दूर आनंदित था। वह पत्थर तोड़ते हुए गुनगुना रहा था। उसने अपना गीत बीच में रोक कर कहा, “मैं शिक्षा का मंदिर बना रहा हूँ। यहाँ बच्चे पढ़ेंगे।” यह कहते हुए उसकी आँखों में चमक थी। जीवन में काम करने के यही तीन तरीके हैं - पहला - मजबूरी में काम करना और दुखी रहना, दूसरा है - रोज़ी-रोटी के लिए मशीन की तरह मेहनत करना, या तीसरा है - अपने काम से दूसरे लोगों को होने वाले सुख से आनंदित रहना। जीवन का आनंद जीने वाले की दृष्टि में होता है। वह अंदर से आता है बाहर से नहीं।

चर्चा की दिशा:
हमारा और बच्चों का ध्यान इस तरफ़ जाए कि किसी काम को करके हम सुखी या दुखी नहीं होते हैं बल्कि उस काम को करते समय हमारा भाव क्या है उससे हम सुखी या दुखी होते हैं।दूसरे शब्दों में कार्य की उपयोगिता और उसको करते समय व्यवस्था में उस काम की भूमिका को समझ कर करने पर हमें ख़ुशी मिलती है।

पहला दिन

चर्चा के लिए प्रश्न:
1. तीनों मज़दूरों में से कौन सबसे ज्यादा समझदार या खुशहाल मनःस्थिति में है ? चर्चा करें।
2. पहले मजदूर को अपने काम में कोई रुचि नहीं है और अगर उसे बिना काम किये मजदूरी मिल जाय तो भी वह दुखी ही रहेगा, क्योंकि वह दुखी होने का कोई न कोई और कारण ढूंढ लेगा। सहमत/असहमत? चर्चा करें।
3. यदि आपको घर बैठे एक कमरे में सब सुविधा (जैसे TV, AC, खाना, आराम के लिए बिस्तर) उपलब्ध करा दिया जाए और आपको कह दें कि आपको कमरे से कभी बाहर नहीं निकलना, हमेशा के लिए यह सब मिलता ही रहेगा। तो आपको कैसा लगेगा? सुखी होंगे या दुखी होंगे? क्यों? चर्चा करें।
4. यदि तीसरे मज़दूर को एक निरर्थक काम (जैसे एक कमरे से दस कुर्सी दूसरे कमरे में ले जानी, फिर वही दस कुर्सी वापस पहले कमरे में ले जानी, सुबह से शाम तक यही करते रहना) करने के लिय दे दिया जाता तो उसको कैसा लगता? वो अभी भी सुखी ही रहता या दुखी हो जाता? चर्चा करें।
5. उपयोगी काम पर थोड़ी चर्चा कर लें- जैसे, इस कहानी में स्कूल बनाना एक उपयोगी काम है और तीसरा मजदूर उस उपयोगी काम में अपने योगदान को समझ रहा है इसीलिये वह खुश है| कुछ अन्य उपयोगी काम के उदाहरण दें, जैसे - सफाई करना, मिड डे मील बांटना, पढ़ाना, घर में खाना बनाना।(शिक्षक के लिए नोट: आवश्यकता हो तो चर्चा करें कि जो काम व्यवस्था को बनाए रखते या मज़बूत करते हैं उन्हें उपयोगी काम कहा जा रहा है)।

कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें

घर जाकर देखो, पूछो समझो (विद्यार्थियों के लिए)विद्यार्थियों से घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानने के लिए कहा जाए।

दूसरा दिन:

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए
  • पिछले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। आवश्यकता पड़ने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
  • पिछले दिन के चर्चा के कुछ प्रश्नों का प्रयोग पुनर्विचार के लिए किया जाए।
  • घर से मिले फीडबैक के आधार पर विद्यार्थी छोटे समूहों में बातचीत करें । उनके कुछ विचार पूरी कक्षा के सामने प्रस्तुत करवाए जा सकते हैं।
चर्चा के लिए प्रश्न:
1. क्या आपने अपनी माँ या पिताजी के भावों को, एक ही काम करते हुए, अलग-अलग समय पर, अलग-अलग पाया है?
2. क्या आपके साथ ऐसी स्थिति आयी है कि अलग-अलग समय पर, एक ही काम करते हुए, आपकी मनःस्थिति अलग रही हो? उदाहरण दे कर बताये।
3. ख़ुश होकर काम करने से ख़ुशी मिलेगी या काम करके आप ख़ुश होंगे? (अपने जीवन से कोई उदाहरण दे कर बताओ कि कौन- कौन से काम आप ख़ुश हो कर करते हो और किन-किन कामों मे आपको लगता है कि कर के ख़ुशी मिलेगी?) (शिक्षक के लिए नोट: ख़ुश होकर करने से आशय है उस काम की उपयोगिता की समझ होना। हम कोई भी काम क्यों कर रहे हैं, उसकी व्यवस्था में क्या भूमिका है, इस स्पष्टता से हम ख़ुश होते हैं)।
4. जिन कामों से आपको लगता है कि कर के ख़ुशी मिलेगी, क्या उन्हें ख़ुश हो कर भी किया जा सकता है, उदाहरण दे कर समझाओ।(यदि बच्चों को कोई उदाहरण ढूँढने में मुश्किल हो रही हो तो टीचर इस उदाहरण से चर्चा शुरू कर सकते हैं: हम अपने मित्रों के साथ बाहर जाकर आइस-क्रीम खाने का प्रोग्राम बनाते हैं, तो ऐसा लगता है कि आइस-क्रीम खा कर हम ख़ुश होंगे। लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि हम मित्रों के साथ ख़ुश ही हैं। आइस-क्रीम नहीं खायी तो भी ख़ुश, और खा ली तो भी ख़ुश।; दूसरा उदाहरण: आपके मित्र ने नए जूते लिए और वो नए जूते मिलने के कारण ख़ुश दिख रहा है। आपने नए जूते नहीं लिए और लेने की ज़रूरत भी नहीं लग रही तब भी आप ख़ुश ही हैं ।)

कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें

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  1. हाथी की रस्सी
  2. भूल जाना बेहतर है
  3. राष्ट्रपति
  4. शिकायतों का बोझ
  5. शहर की ओर /किसका फैसला
  6. शरीर का घमंड
  7. पिकासो की पेंटिग
  8. पार्क
  9. वर्कशॉप
  10. मेरा नया दोस्त
  11. व्यर्थ क्या
  12. कौन: पेन या मित्र?
  13. जीत किसकी
  14. दो दिन बाद
  15. मेरी गलती/नेपोलियन
  16. सही दर्पण
  17. तीन मज़दूर तीन नज़रिये
  18. बैंडेड
  19. चाँद तारे
  20. कहानी एक बीज की

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