कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों को समाज के विकास में अपनी भागीदारी के लिए प्रेरित करना ।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए
कहानी
शहर के एक बड़े पार्क में एक बूढ़ा व्यक्ति रोजाना पेड़-पौधों की सेवा करता था। मौसम के अनुसार नए-नए बीज उगाता और पौधों को खाद-पानी देता। उसने ऐसे-ऐसे पौधे उगा रखे थे जिनको बड़ा होने में कई साल लगते हैं। लोग बड़ी हैरानी से उसको देखते थे। वह आदमी बहुत बूढ़ा था। कभी भी उसका अंतिम समय आ सकता था। लोग चर्चा करते थे कि वह कभी भी अपने उगाए पेड़ों के फूलों और फलों को नहीं देख पाएगा। वह अपनी मेहनत का फल स्वयं नहीं चख पाएगा।
एक दिन शहर का एक व्यापारी अपने आपको रोक नहीं पाया। उसने पार्क में पौधों की सेवा कर रहे उस व्यक्ति से पूछा कि आप किसके लिए इतनी मेहनत कर रहे हैं। जब तक इन पर फूल और फल आएँगे तब तक आप शायद यहाँ नहीं होंगे। बूढ़े व्यक्ति ने व्यापारी की तरफ़ देखा और हँसकर बोला, “यदि यही तर्क मेरे बाप-दादाओं का भी होता तो मुझे आज अपने आसपास इतने फल और फूल नहीं मिले होते। मेरे बाप-दादाओं ने बीज बोए तो मैं फल खा रहा हूँ और अब मैं बोऊँगा तो मुझसे अगली पीढ़ी खा पाएगी।”
चर्चा की दिशा:
विद्यार्थियों का ध्यान आज उनके पास उपलब्ध संसाधनों व सुविधाओं की ओर ले जाने की आवश्यकता है। जैसे, स्कूल के कमरों के बारे में कहें कि जिन मजदूरों और इंजीनियरों ने उन्हें बनाया उनके बच्चें शायद आगे बढ़कर निकल चुके होंगे। जिन लोगों ने कंप्यूटर बनाया उन्होंने शायद कंप्यूटर का इतना सुख नहीं उठाया होगा जितना पूरी दुनिया में आने वाली पीढ़ियाँ उठा रही हैं।
अत: जब हम हमारे पूर्वजों के योगदान को स्वीकारते हैं तो स्वयं को बहुत ऋणी पाते हैं। हमारे ध्यान जाता है कि सभी लोग किसी न किसी तरीके से हमारी उन्नति से जुड़े हुए है। इस एहसास के बाद हम केवल कुछ पाने और संग्रह करने की मानसिकता से निकलकर सभी के लिए कुछ करने की सोचते हैं।
इस कहानी और प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को समाज में अपनी भागीदारी के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया गया है।
चर्चा के लिए प्रश्न:
1. आपको कौन-कौन सी सुविधाएँ अपने से पहले की पीढ़ियों से मिली हुई हैं? सूची बनाओ।
2. यदि आज आपको ये सुविधाएँ नहीं मिली होती तो इसका आपके जीने पर क्या प्रभाव पड़ता?
घर जाकर देखो, पूछो समझो (विद्यार्थियों के लिए)
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए
1. आपके लिए आपसे पहले वाली पीढ़ियों ने इतना कुछ किया है तो आप इस ऋण को कैसे चुकाएँगे?
2. आप अपने से पहले वाली पीढ़ियों के लिए अपनी कृतज्ञता कैसे व्यक्त कर सकते हैं?
(संकेत- उपलब्ध धरोहरों को नुकसान न पहुँचाना, इन्हें और समृद्ध बनाना, ख़ुद भी कुछ नया करना आदि।)
कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
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समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए
कहानी
शहर के एक बड़े पार्क में एक बूढ़ा व्यक्ति रोजाना पेड़-पौधों की सेवा करता था। मौसम के अनुसार नए-नए बीज उगाता और पौधों को खाद-पानी देता। उसने ऐसे-ऐसे पौधे उगा रखे थे जिनको बड़ा होने में कई साल लगते हैं। लोग बड़ी हैरानी से उसको देखते थे। वह आदमी बहुत बूढ़ा था। कभी भी उसका अंतिम समय आ सकता था। लोग चर्चा करते थे कि वह कभी भी अपने उगाए पेड़ों के फूलों और फलों को नहीं देख पाएगा। वह अपनी मेहनत का फल स्वयं नहीं चख पाएगा।
एक दिन शहर का एक व्यापारी अपने आपको रोक नहीं पाया। उसने पार्क में पौधों की सेवा कर रहे उस व्यक्ति से पूछा कि आप किसके लिए इतनी मेहनत कर रहे हैं। जब तक इन पर फूल और फल आएँगे तब तक आप शायद यहाँ नहीं होंगे। बूढ़े व्यक्ति ने व्यापारी की तरफ़ देखा और हँसकर बोला, “यदि यही तर्क मेरे बाप-दादाओं का भी होता तो मुझे आज अपने आसपास इतने फल और फूल नहीं मिले होते। मेरे बाप-दादाओं ने बीज बोए तो मैं फल खा रहा हूँ और अब मैं बोऊँगा तो मुझसे अगली पीढ़ी खा पाएगी।”
चर्चा की दिशा:
विद्यार्थियों का ध्यान आज उनके पास उपलब्ध संसाधनों व सुविधाओं की ओर ले जाने की आवश्यकता है। जैसे, स्कूल के कमरों के बारे में कहें कि जिन मजदूरों और इंजीनियरों ने उन्हें बनाया उनके बच्चें शायद आगे बढ़कर निकल चुके होंगे। जिन लोगों ने कंप्यूटर बनाया उन्होंने शायद कंप्यूटर का इतना सुख नहीं उठाया होगा जितना पूरी दुनिया में आने वाली पीढ़ियाँ उठा रही हैं।
अत: जब हम हमारे पूर्वजों के योगदान को स्वीकारते हैं तो स्वयं को बहुत ऋणी पाते हैं। हमारे ध्यान जाता है कि सभी लोग किसी न किसी तरीके से हमारी उन्नति से जुड़े हुए है। इस एहसास के बाद हम केवल कुछ पाने और संग्रह करने की मानसिकता से निकलकर सभी के लिए कुछ करने की सोचते हैं।
इस कहानी और प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को समाज में अपनी भागीदारी के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया गया है।
चर्चा के लिए प्रश्न:
1. आपको कौन-कौन सी सुविधाएँ अपने से पहले की पीढ़ियों से मिली हुई हैं? सूची बनाओ।
2. यदि आज आपको ये सुविधाएँ नहीं मिली होती तो इसका आपके जीने पर क्या प्रभाव पड़ता?
घर जाकर देखो, पूछो समझो (विद्यार्थियों के लिए)
- विद्यार्थियों से घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानने के लिए कहा जाए।
- ऐसी स्थिति में अपने विचार व भावों के प्रति सजग रहने के लिए कहा जाए ताकि आगे अपने अनुभवों को ईमानदारी से साझा किया जा सके।
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए
- कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा कराई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं।
- घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
- पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है।
1. आपके लिए आपसे पहले वाली पीढ़ियों ने इतना कुछ किया है तो आप इस ऋण को कैसे चुकाएँगे?
2. आप अपने से पहले वाली पीढ़ियों के लिए अपनी कृतज्ञता कैसे व्यक्त कर सकते हैं?
(संकेत- उपलब्ध धरोहरों को नुकसान न पहुँचाना, इन्हें और समृद्ध बनाना, ख़ुद भी कुछ नया करना आदि।)
कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
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