4. शिकायतों का बोझ

कहानी का उद्देश्य: कहानी के माध्यम से विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर ले जाना है कि दूसरों के प्रति द्वेष भाव रखना स्वयं के लिए हानिकारक है।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए

कहानी
एक गुरु थे। उनके अनेक शिष्य थे। गुरु की खूब सेवा करने में लगे रहते थे ।सभी को लगता था कि वही असली सेवा करता है, बाकी तो केवल दिखावा ही करते हैं ।सभी एक दूसरे से ईर्ष्या करते और अवसर पाकर सभी एक दूसरे के लिए कुछ नकारात्मक बात गुरुजी से कर दिया करते। एक दिन गुरु जी ने उनसे कहा कि कल जब तुम लोग यहां आओगे तो अपने साथ एक एक थैली में बड़े-बड़े टमाटर लेकर आओगे,जिसका जितने व्यक्तियों से कोई शिकवा शिकायत है वह उतने ही टमाटर लेकर आए ।अगले दिन सभी शिष्य टमाटर लेकर आ गए। किसी के पास 4 टमाटर थे तो किसी के पास 7 l गुरु ने कहा कि अगले 7 दिन तक यह टमाटर सब अपने अपने पास रखेंगे। जहां भी जाएं खाते-पीते सोते जागते। यह टमाटर सदा ही उनके साथ रहने चाहिए। शिष्यों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन वे क्या करते। गुरु जी का आदेश था। दो-चार दिनों के बाद ही शिष्य टमाटरों की बदबू से परेशान हो गए ।जैसे तैसे 7 दिन बीत गए और गुरुजी के पास पहुंचे। सब ने गुरु जी से कहा, गुरु जी आपकी आज्ञा से पिछले सप्ताह भर से हम टमाटरों को अपने पास रखे हुए हैं लेकिन इन टमाटर से तो हमें बदबू आने लगी है। और इनकी बदबू के कारण कोई भी हमारे पास नहीं बैठना चाहता ।अब इन्हें फेंक देना चाहिए। इनका बोझ ढोना व्यर्थ लग रहा है।
गुरुजी मुस्कुरा कर बोले, जब केवल सात दिनों में तुम्हें यह टमाटर बोझ लगने लगे हैं तब सोचो कि जिन लोगों से तुम ईर्ष्या करते रहते हो उसका कितना बोझ तुम्हारे मन पर रहता है। इस अनावश्यक बोझ के कारण तुम्हारे मन में भी बदबू भर जाती है ठीक इन टमाटर की तरह। ईर्ष्या के कारण हम अपनी सोच को बहुत छोटा कर लेते हैं ।बेहतर होगा कि अपने मन से गलत भावनाओं को निकाल दो। यदि किसी से प्रेम नहीं कर सकते तो नफरत भी मत करो ।इससे तुम्हारा मन स्वच्छ और हल्का होगा और तुम सब आपस में मित्रता करना चाहोगे ।गुरु जी की बात सुनकर सभी एक दूसरे को देखने लगे और गुरु जी ने कहा, यह सब मैंने तुम्हें शिक्षा देने के लिए ही किया था।

चर्चा की दिशा
हम अक्सर अपना समय दूसरों की गलतियां ढूंढने और उनकी शिकायतें करने में लगा देते हैं। दूसरों की सफलता आदि से भी प्रभावित रहते हैं और ईर्ष्या जैसे भावों से अपने विचारों को नकारात्मक परिस्थिति में ले जाते हैं। इस कहानी के माध्यम से विद्यार्थियों को ईर्ष्या जैसे नकारात्मक भाव से दूर रखने का प्रयास किया गया है ।अध्यापक ध्यान दें कि चर्चा इसी दिशा में जाए कि जहां एक ओर ईर्ष्या की भावना रखने से अपनी गति रुक जाती है अथवा धीमी पड़ जाती है वहीं दूसरी ओर किसी की सफलता से प्रेरणा पा कर आगे बढ़ना भी ज़रूरी है।

पहला दिन:

चर्चा के लिए प्रश्न
1 क्या आपको कभी किसी साथी या संबंधी की उपलब्धियों आदि से उनके प्रति ईर्ष्या होती है? उदाहरण द्वारा बताएं कि ऐसा किस कारण से होता है
2 जब आपका कोई साथी किसी प्रकार की सफलता प्राप्त करता है तब आपके मन में कैसे-कैसे भाव उत्पन्न होते हैं?

घर जाकर देखो, पूछो समझो (विद्यार्थियों के लिए)
यह ध्यान करें कि आपके आसपास ऐसे कौन लोग हैं जिनके प्रति आपको या आपके माता पिता अथवा भाई बहन को ईर्ष्या की भावना होती है। इस बात की चर्चा भी करें कि ऐसा क्यों होता है।क्या आप इस भवन से बाहर आने का प्रयास करते हैं?

कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें

दूसरा दिन

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए

पिछले दिन की कहानी पर एक बार पूरी तरह से कक्षा में पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
घर से मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिन के चर्चा के प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी छोटे समूह में बात चीत करेंगे। पहले दिन के चिंतन के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है।

चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न
1 यदि आपके मन में ईर्ष्या और जलन जैसे नकारात्मक भाव उत्पन्न होते हैं तब आप इन भावों को कैसे दूर कर सकते हैं? चर्चा करें।
2 ईर्ष्या के कारण संबंधों में किस प्रकार की समस्याएं आ जाती हैं?
3 चर्चा करें कि ईर्ष्या के कारण आपसी सम्बन्धों में आई समस्याओं को आप कैसे हल करेंगे?
4 इस बात पर चर्चा करें कि आप किसी से ईर्ष्या नहीं करते या करते हैं तो क्यों करते है।

कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें

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  1. हाथी की रस्सी
  2. भूल जाना बेहतर है
  3. राष्ट्रपति
  4. शिकायतों का बोझ
  5. शहर की ओर /किसका फैसला
  6. शरीर का घमंड
  7. पिकासो की पेंटिग
  8. पार्क
  9. वर्कशॉप
  10. मेरा नया दोस्त
  11. व्यर्थ क्या
  12. कौन: पेन या मित्र?
  13. जीत किसकी
  14. दो दिन बाद
  15. मेरी गलती/नेपोलियन
  16. सही दर्पण
  17. तीन मज़दूर तीन नज़रिये
  18. बैंडेड
  19. चाँद तारे
  20. कहानी एक बीज की

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