उद्देश्य: इस कहानी का उद्देश्य छात्रों का ध्यान सही आधार पर सही मूल्यांकन कर पाने पर जाएगा।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए
कहानी
किसी शहर से कुछ दूर एक किसान अपने गाँव में रहता था । वैसे तो वह संपन्न था पर फिर भी वो अपने जीवन से खुश नहीं था । एक दिन उसने निश्चय किया कि वह अपनी सारी ज़मीन -जायदाद बेच कर किसी अच्छी जगह बस जाएगा । अगले ही दिन उसने एक जान -पहचान के प्रॉपर्टी डीलर को बुलाया और बोला , ” भाई , मुझे तो बस किसी तरह ये जगह छोड़नी है, रहने के लिए कोई अच्छी जगह दिला दो तो बात बन जाए !”
“क्यों , क्या दिक्कत हो गयी यहाँ आपको ?”, एजेंट ने पूछा ।
“आओ मेरे साथ “, किसान बोला , ” देखो कितनी समस्याएं हैं यहाँ पर। यह उबड़-खाबड़ रास्ते देखो , और यह झील देखो , इसके चक्कर में पूरा घूम कर रास्ता पार करना पड़ता है। । इन छोटे -छोटे पहाड़ों को देखो , जानवरों को चराना कितना मुश्किल होता है ।और ये देखो ये बगीचा , आधा समय तो इसकी सफाई और रख-रखाव में ही चला जाता है । क्या करूँगा मैं ऐसी बेकार प्रॉपर्टी का…”
एजेंट ने घूम -घूम कर इलाके का जायजा लिया और कुछ दिन बाद किसी ग्राहक के साथ आने का वादा करके चल दिया ।
इस घटना के एक – दो दिन बाद किसान सुबह का अखबार पढ़ रहा था कि कहीं किसी अच्छी जगह का पता चल जाए जहाँ वह सब बेच -बाच कर जा सके ।
तभी उसकी नज़र एक आकर्षक विज्ञापन पर पड़ी , ” लें सपनो का घर , एक शांत सुन्दर जगह , प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर, सुन्दर झील और पहाड़ियों के बीच , शहर की भीड़ -भाड़ से उचित दूरी पर बसाएं एक स्वस्थ -सुन्दर आशियाना । संपर्क करें -XXXXXXX”
विज्ञापन पढ़ने के बाद उसको समझ आया कि यह तो उसकी ही प्रॉपर्टी का विज्ञापन है तब किसान को एहसास हुआ कि वह वाकई में अपनी मनचाही जगह पर रहता है।
चर्चा की दिशा
बहुत बार हम सब का ध्यान स्वयं की विशेषताओं पर नहीं जाता।दूसरों की उपलब्धियाँ हमें अक्सर तंग करती हैं। यदि हम अपनी उपलब्धियाँ गिनना शुरू करें तो जीवन सुखमय हो सकता है।
चर्चा के प्रश्न:
1. उदाहरण दे कर बताओ, आपको दूसरे की कौन-कौन सी वस्तुएँ ज्यादा अच्छी लगी हों? अपने साथी से भी पूछें कि उसे आप की कौन-कौन सी वस्तुएँ अपनी वस्तुओं से ज्यादा अच्छी लगती हैं।
2. हम दूसरे की वस्तु के प्रति आकर्षित क्यों हो जाते हैं? (अध्यापक के लिए हिंट : आकर्षित होने का आधार उपयोगिता है तो दिशा ठीक है,परंतु यदि आपको उसकी ज़रूरत नहीं है तब कुछ गड़बड़ है)
3. आपने कब अपने गुणों को पहचानने में कमी की। उदाहरण दे कर बताएँ।
घर जाकर देखो, पूछो समझो (विद्यार्थियों के लिए)
अपने भाई बहन एवं माता पिता के साथ बैठ कर आपको मिली नेमतों और अपनी विशेषताओं की चर्चा करें।
कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
दूसरा दिन
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए
पिछले दिन की कहानी पर एक बार पूरी तरह से कक्षा में पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
घर से मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिन के चर्चा के प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी छोटे समूह में बात चीत करेंगे।
पहले दिन के चिंतन के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है।
चर्चा के प्रश्न:
1 अपने जीवन का ऐसा कोई उदाहरण दो जब आपकी योग्यता को आप के बजाय किसी दूसरे ने पहचाना l उस समय आपको कैसा लगा? आपके मन में उस व्यक्ति के लिए क्या भाव आए थे?
2 क्या आपको लगता है कि आपके जीवन में बहुत सारी समस्याएँ हैं या आपने खुद ज़रुरत से ज्यादा समस्याओं को पकड़ रखा है?
3 ऐसी किसी वस्तु का उदाहरण दें जो आपको अच्छी नहीं लगती। (अध्यापक बाकी बच्चों से उसकी उपयोगिता बताने को कहें) छोटे समूहों में चर्चा करवाएं।
कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
--------------------------------------------
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए
कहानी
किसी शहर से कुछ दूर एक किसान अपने गाँव में रहता था । वैसे तो वह संपन्न था पर फिर भी वो अपने जीवन से खुश नहीं था । एक दिन उसने निश्चय किया कि वह अपनी सारी ज़मीन -जायदाद बेच कर किसी अच्छी जगह बस जाएगा । अगले ही दिन उसने एक जान -पहचान के प्रॉपर्टी डीलर को बुलाया और बोला , ” भाई , मुझे तो बस किसी तरह ये जगह छोड़नी है, रहने के लिए कोई अच्छी जगह दिला दो तो बात बन जाए !”
“क्यों , क्या दिक्कत हो गयी यहाँ आपको ?”, एजेंट ने पूछा ।
“आओ मेरे साथ “, किसान बोला , ” देखो कितनी समस्याएं हैं यहाँ पर। यह उबड़-खाबड़ रास्ते देखो , और यह झील देखो , इसके चक्कर में पूरा घूम कर रास्ता पार करना पड़ता है। । इन छोटे -छोटे पहाड़ों को देखो , जानवरों को चराना कितना मुश्किल होता है ।और ये देखो ये बगीचा , आधा समय तो इसकी सफाई और रख-रखाव में ही चला जाता है । क्या करूँगा मैं ऐसी बेकार प्रॉपर्टी का…”
एजेंट ने घूम -घूम कर इलाके का जायजा लिया और कुछ दिन बाद किसी ग्राहक के साथ आने का वादा करके चल दिया ।
इस घटना के एक – दो दिन बाद किसान सुबह का अखबार पढ़ रहा था कि कहीं किसी अच्छी जगह का पता चल जाए जहाँ वह सब बेच -बाच कर जा सके ।
तभी उसकी नज़र एक आकर्षक विज्ञापन पर पड़ी , ” लें सपनो का घर , एक शांत सुन्दर जगह , प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर, सुन्दर झील और पहाड़ियों के बीच , शहर की भीड़ -भाड़ से उचित दूरी पर बसाएं एक स्वस्थ -सुन्दर आशियाना । संपर्क करें -XXXXXXX”
विज्ञापन पढ़ने के बाद उसको समझ आया कि यह तो उसकी ही प्रॉपर्टी का विज्ञापन है तब किसान को एहसास हुआ कि वह वाकई में अपनी मनचाही जगह पर रहता है।
चर्चा की दिशा
बहुत बार हम सब का ध्यान स्वयं की विशेषताओं पर नहीं जाता।दूसरों की उपलब्धियाँ हमें अक्सर तंग करती हैं। यदि हम अपनी उपलब्धियाँ गिनना शुरू करें तो जीवन सुखमय हो सकता है।
चर्चा के प्रश्न:
1. उदाहरण दे कर बताओ, आपको दूसरे की कौन-कौन सी वस्तुएँ ज्यादा अच्छी लगी हों? अपने साथी से भी पूछें कि उसे आप की कौन-कौन सी वस्तुएँ अपनी वस्तुओं से ज्यादा अच्छी लगती हैं।
2. हम दूसरे की वस्तु के प्रति आकर्षित क्यों हो जाते हैं? (अध्यापक के लिए हिंट : आकर्षित होने का आधार उपयोगिता है तो दिशा ठीक है,परंतु यदि आपको उसकी ज़रूरत नहीं है तब कुछ गड़बड़ है)
3. आपने कब अपने गुणों को पहचानने में कमी की। उदाहरण दे कर बताएँ।
घर जाकर देखो, पूछो समझो (विद्यार्थियों के लिए)
अपने भाई बहन एवं माता पिता के साथ बैठ कर आपको मिली नेमतों और अपनी विशेषताओं की चर्चा करें।
कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
दूसरा दिन
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए
पिछले दिन की कहानी पर एक बार पूरी तरह से कक्षा में पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
घर से मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिन के चर्चा के प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी छोटे समूह में बात चीत करेंगे।
पहले दिन के चिंतन के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है।
चर्चा के प्रश्न:
1 अपने जीवन का ऐसा कोई उदाहरण दो जब आपकी योग्यता को आप के बजाय किसी दूसरे ने पहचाना l उस समय आपको कैसा लगा? आपके मन में उस व्यक्ति के लिए क्या भाव आए थे?
2 क्या आपको लगता है कि आपके जीवन में बहुत सारी समस्याएँ हैं या आपने खुद ज़रुरत से ज्यादा समस्याओं को पकड़ रखा है?
3 ऐसी किसी वस्तु का उदाहरण दें जो आपको अच्छी नहीं लगती। (अध्यापक बाकी बच्चों से उसकी उपयोगिता बताने को कहें) छोटे समूहों में चर्चा करवाएं।
कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
--------------------------------------------
No comments:
Post a Comment