20. कहानी एक बीज की

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए

उद्देश्य- विद्यार्थियों में सत्य को स्वीकार करने का साहस विकसित करना।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

कहानी:
एक कम्पनी के मालिक आलोक सर ने अपनी कम्पनी के लिए अगले मालिक को चुनने के लिए एक अलग तरीके से फैसला किया। उन्होंने कम्पनी में काम कर रहे युवकों और युवतियों को अपने कमरे में बुलाया। कुछ विशेष बीजों को देते हुए, उनसे कहा, "जाओ और इन बीजों को गमलों में लगाओ। एक साल में मैं तुम्हारे पौधों को देखूंगा और उस के आधार पर कम्पनी का नया मालिक चुनूंगा।"
युवाओं में स्नेहा नाम की एक लड़की थी। सबकी तरह उसने भी अपने घर जाकर एक गमला लिया और उसमें वह बीज बो दिए।रोज़ वह उस गमले में पानी देती, लेकिन, बीजों से पौधे नहीं निकले। ऑफिस में उसके दोस्त अपने बढ़ते पौधों के बारे में बात करते तो वह उदास हो जाती।स्नेहा के पास तो केवल मिट्टी भरा गमला था,जिस में पौधा नहीं उग पाया था।
जब आलोक सर को पौधा दिखाने का दिन आया तो स्नेहा भयभीत मन से वहां पहुंची। सभी युवाओं के पास, उनके गमलों में शानदार पौधे थे। जब आलोक सर ने स्नेहा का पौधा देखा, तो उसे सामने बुलाया और सबको संबोधित करते हुए कहा, "अपने नए मालिक से मिलो ! इसमें वह साहस और निष्ठा है, जो एक कम्पनी के मालिक बनने के लिए ज़रूरी है।मैंने तो आप सब को उबले हुए बीज दिए थे जो उग ही नहीं सकते थे।।स्नेहा ने अपना खाली गमला ला कर साहस और निष्ठा का परिचय दिया है। मेरे बाद इस कम्पनी की मालिक स्नेहा होगी।

चर्चा की दिशा:
कहानी के पश्चात विद्यार्थियों से उस विशेषता की चर्चा करने को कहें जो उन्हें स्नेहा में दिखाई दी।

चर्चा के प्रश्न:
1.क्या आपको अपने परिवार के किसी सदस्य में भी स्नेहा जैसी ईमानदारी दिखाई दी है?आपने उनके किस व्यवहार से यह जाना?(इस चर्चा में शिक्षक अपने विचार अवश्य साझा करें)
2 .क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है जब आपने किसी काम को करने में पूरी मेहनत की लेकिन आपको सफलता नहीं मिली ?उदाहरण देकर बताएं।
3 .क्या कभी ऐसा हुआ है जब किसी कार्य में आपको असफलता मिली हो और आपने अपनी कमी को स्वीकार करके साहस का परिचय दिया हो ।कक्षा में अपने अनुभव साझा करें।
4.उन लोगों के नाम साझा करें जिन्होंने आपके कठिन समय में आपकी हिम्मत बढ़ाई हो या फिर सही सलाह देकर आप की मदद की हो ।

घर जाकर देखो ,पूछो,समझो(विद्यार्थियों के लिए)
  • विद्यार्थियों से घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानने के लिए कहा जाए।
  • अपने आस पास लोगो को देखो और जानने की कोशिश करो कि वे कौन लोग हैं जो गलती होने पर ईमानदारी से उसे स्वीकार करते हैं और उसे सुधारने का प्रयास करते हैं
घर जाकर देखो ,पूछो,समझो (विद्यार्थियों के लिए)

कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें

दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए
  • कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं।
  • घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
  • पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है।
चर्चा के प्रश्न:
1क्या आप अपने रोजमर्रा के जीवन में ईमानदारी बरतते हैं? ऐसा करते हुए आप कैसा महसूस करते हैं?
2.ऐसी बात बताओ जब आपने कोई झूठ बोला या आपसे कोई गलती हुई और आपने उसे छिपा लिया। ऐसा करने पर आपको कैसा लगा?
3. उदाहरण देकर बताएं जब आपने कक्षा में किसी विद्यार्थी को स्नेहा की तरह व्यवहार करते हुए देखा हो।
4.यदि कक्षा के अधिकतर विद्यार्थी इस गुण को अपना लें तो कक्षा का वातावरण कैसा होगा?

कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें

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  1. हाथी की रस्सी
  2. भूल जाना बेहतर है
  3. राष्ट्रपति
  4. शिकायतों का बोझ
  5. शहर की ओर /किसका फैसला
  6. शरीर का घमंड
  7. पिकासो की पेंटिग
  8. पार्क
  9. वर्कशॉप
  10. मेरा नया दोस्त
  11. व्यर्थ क्या
  12. कौन: पेन या मित्र?
  13. जीत किसकी
  14. दो दिन बाद
  15. मेरी गलती/नेपोलियन
  16. सही दर्पण
  17. तीन मज़दूर तीन नज़रिये
  18. बैंडेड
  19. चाँद तारे
  20. कहानी एक बीज की

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