12. कौन: पेन या मित्र?

कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान दिलाना कि संबंध से मिलने वाली खुशी वस्तुओं से मिलने वाली खुशी से बहुत अधिक होती है।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए

कहानी
सुमित और रोहन में अच्छी मित्रता थी । दोनों एक साथ खेलते व पढ़ते थे। एक दिन रोहन सुमित के घर उसकी कॉपी वापिस करने गया। सुमित ने उसे अपना नया पेन दिखाया जो उसके दादाजी उसके लिए लाए थे। रोहन को पेन बहुत पसंद आया। सुमित ने अपने परिवार की एलबम भी रोहन को दिखाई। रोहन के जाने के बाद सुमित ने एलबम अलमारी में रख दी। तभी उसका ध्यान पेन की तरफ गया, पेन तो वहाँ था ही नहीं। उसने सोचा ,कहीं पेन रोहन ने तो नहीं ले लिया। फिर उसके अंदर से आवाज़ आई, “नहीं-नहीं रोहन ऐसा नहीं कर सकता।”
अगले दिन सुमित, रोहन से विद्यालय में मिला। सुमित का ध्यान रोहन की जेब पर गया उसमें रोहन का पेन था। उसने कहा “अरे मेरा पेन तुम्हारे पास है”। रोहन ने पहले तो न कहा परंतु फिर उसने एक मिनट विचार करके पेन सुमित को दे दिया और कहा “कल पेन ग़लती से मेरे पास रह गया था”।
एक हफ्ते बाद सुमित अलमारी की सफाई कर रहा था। उसने देखा कि उसका पेन एलबम के अंदर रखा हुआ है। उसे आश्चर्य हुआ और वह दौड़कर रोहन के घर गया, अपना पेन मिलने की बात बताई। वह रोहन का पेन लौटाते हुए बोला ,“जब तुमने पेन लिया ही नहीं था तो मुझे अपना पेन क्यों दे दिया”। रोहन ने कहा कि मुझे पेन से ज़्यादा अपना मित्र प्यारा था ,इसलिए मैंने पेन दे दिया।

चर्चा की दिशा:
कभी-कभी हम संबंधों से ज़्यादा वस्तुओं को महत्त्व दे देते हैं जिसका परिणाम हमेशा दुखद ही होता है।
हमारी भावनात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति संबंधों में ही होती है। इसके साथ ही सुरक्षा की भावना भी अच्छे संबंधों में ही रहती है। संबंध अच्छे रहें तो वस्तुओं की उपलब्धता फिर भी हो ही सकती है, लेकिन संबंधों में दूरियाँ पैदा करके वस्तुओं को हासिल कर ख़ुश नहीं रहा जा सकता है।
इस कहानी में विद्यार्थियों को संबंधों के महत्त्व को समझने के लिए प्रेरित किया गया है।

पहला दिन:

चर्चा के लिए प्रश्न:
1. जब आपको पता चलता है कि आपसे ग़लती हो गई है तो किस तरह प्रतिक्रिया करते हो?
2. अपने जीवन की एक ऐसे घटना साझा करिए जब आपने वस्तुओं की अपेक्षा सम्बन्धों को ज़्यादा महत्व दिया हो।
3. अपने जीवन की एक ऐसी घटना साझा करिए जब आपने सम्बन्धों की अपेक्षा वस्तुओं को ज़्यादा महत्व दिया हो

घर जाकर देखो, पूछो समझो (विद्यार्थियों के लिए)
  • विद्यार्थियों से घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानने के लिए कहा जाए।
  • ऐसी स्थिति में अपने विचार व भावों के प्रति सजग रहने के लिए कहा जाए ताकि आगे से विद्यार्थी किसी के लिए कोई अवधारणा बनाने से पहले अपने भावों के प्रति सजग रहें ।
कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें

दूसरा दिन:

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए
  • कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं।
  • घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
  • पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है।
चर्चा के लिए प्रश्न:
1. उपरोक्त दोनो घटनाओ में से किस घटना में आपको ज्यादा खुशी मिली और क्यों?
2. आपको कौन सी खुशी चाहिए? कम अंतराल वाली या ज्यादा देर तक बनी रहने वाली?
3. हम जीवन में अक्सर वस्तुओं की अपेक्षा मानवीय संबंधों को महत्व देते ही हैं । अपनी रोज़मर्रा की जिन्दगी से ऐसे ही कुछ उदाहरण साझा करें ।

कक्षा के अंत में एक 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें

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  1. हाथी की रस्सी
  2. भूल जाना बेहतर है
  3. राष्ट्रपति
  4. शिकायतों का बोझ
  5. शहर की ओर /किसका फैसला
  6. शरीर का घमंड
  7. पिकासो की पेंटिग
  8. पार्क
  9. वर्कशॉप
  10. मेरा नया दोस्त
  11. व्यर्थ क्या
  12. कौन: पेन या मित्र?
  13. जीत किसकी
  14. दो दिन बाद
  15. मेरी गलती/नेपोलियन
  16. सही दर्पण
  17. तीन मज़दूर तीन नज़रिये
  18. बैंडेड
  19. चाँद तारे
  20. कहानी एक बीज की

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