11. मैं हूँ ना

कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान इस बात की ओर दिलाना कि हम समस्या से दुखी नहीं होते बल्कि समाधान न मिलने से दुखी होते हैंI
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी
सोनू किसी को परेशान नहीं देख सकता था। एक दिन उसने अपने दादाजी को चिंतित देखा तो फ़ौरन उनके पास जाकर बोला, “दादा जी! आप क्या सोच रहे हैं? आज आप हाथ में पकड़ा अख़बार भी नहीं पढ़ रहे हैं।” दादाजी ने जवाब दिया, “बेटा, मेरा चश्मा गिरकर टूट गया है और उसके बिना मैं कुछ पढ़ नहीं सकता।” यह सुनकर सोनू झट से बोला, "दादाजी! मैं हूँ ना!” इतना कहते ही वह दौड़कर गया और अपना बक्सा उठा लायाI उसने बक्से में से एक आवर्धक लेंस (Magnifying Glass) निकाला और दादाजी को देकर बोला, “अगर आप इससे देखेंगे तो आपको सब कुछ दिखेगा, बड़ा-बड़ा और एकदम साफ़। अभी आप इसी से अख़बार पढ़िए, शाम तक मैं आपका चश्मा ठीक करवाकर ले आऊँगा।”
इसी तरह एक दिन सोनू ने दादी जी को रसोईघर में कुछ ढूँढते देखा तो फ़ौरन मदद के लिए पहुँच गया। दादी जी ने बताया, "मुझे एक पैकेट से तेल निकाल कर बोतल में डालना है। पता नहीं तेल डालने वाली कुप्पी कहाँ रख दी है, मुझे मिल ही नहीं रही है। समझ नहीं आता तेल बोतल में कैसे डालूँ?” सोनू ने रसोई घर में पड़ी ख़ाली कोल्ड-ड्रिंक की बोतल ली और चाकू से उसे बीच में से काट दिया और बोतल का ढक्कन वाला भाग उनको देकर बोला, “लो दादी जी! अब इसकी मदद से तेल निकालो। कोई दिक्क़त नहीं होगी।”
एक दिन उसकी माँ कपड़ों की तुरपाई कर रही थीं। माँ अभी सुई में धागा ही डाल रही थीं कि अचानक उनके हाथ से सुई गिर गई। वह परेशान होकर सुई ढूँढने लगीं क्योंकि उन्हें डर था कि सुई किसी को चुभ न जाये। तभी सोनू वहाँ आ गया। माँ ने बताया कि उनकी सुई कहीं गिर गई है।
‘मैं हूँ ना” बोलते हुए सोनू दौड़कर गया और एक चुम्बक ले आया, उसे एक पतली लकड़ी से बाँध दिया और कमरे में चुम्बक घुमाने लगा। चुम्बक घुमाते घुमाते सुई उस चुम्बक पर चिपक गई। माँ बड़ी ख़ुश हुईं और बोलीं, “तू है ना! तेरे होते इस घर में कोई समस्या ज्यादा देर ठहर ही नहीं सकती।”
हर परिस्थिति में पार पाने के विश्वास की चमक सोनू के मुख पर मुस्कान के रूप में दिखाई दे रही थी।

चर्चा की दिशा:
हम सब अक्सर अपने आपको समस्याओं से घिरा पाते है। समाधान न मिल पाने के कारण दुखी भी रहते हैं। कभी कभी ऐसा होता है कि कोई और हमारी समस्या का हल सुझा देता है और हमें लगता है कि यह तो बहुत आसान था।दरअसल हल तो हमारे पास ही होता है, हम उसे खोज नहीं पाते क्योंकि हमारा ध्यान हल खोजने पर नहीं होता। बाहर सिर्फ घटनाएं होती हैं और जब हमारे पास समाधान नहीं होते तो वे हमें समस्याएँ लगती हैं।जब हमारे पास समाधान होता है तो हमें वही घटनाएं अवसर लगती हैं।समाधान से हम सुखी होंगे और समाधान तो समझ होने से ही मिलेंगे।

चर्चा के लिए प्रश्न:
1 क्या आपने भी कभी किसी समस्या का सामना करते हुए परिवार के सदस्यों की मदद की है? कैसे?
2 कोई ऐसी समस्या बताओ जिसका समाधान ढूंढने में आपके किसी मित्र या प्रियजन ने मदद की हो। उसने आपकी मदद कैसे की?
3 क्या आपको लगता है कि जो हल आपके मित्र ने सुझाया वह आप भी सुझा सकते थे? यदि हां तो फिर आप अपनी समस्या का हल स्वयं क्यों नहीं ढूंढ़ पाए?(बहुत बार हम समस्या में उलझ कर रह जाते हैं उसके हल ढूंढने के पूरे प्रयास ही नहीं करते। स्वयं से ज़्यादा किसी दूसरे पर विश्वास रखते हैं।)
4 अपनी कोई ऐसी समस्या बताओ जिसका समाधान पहले आपको नहीं मिल पा रहा था, परन्तु अंत में आपने बहुत सोच विचार कर सुलझा लिया हो। ऐसा करने पर आपको कैसा लगा?(समाधान ही सुख है। हम सब समाधान प्राप्त कर बहुत खुश होते हैं तथा स्वयं पर विश्वास कर पाते हैं।)

घर जाकर देखो ,पूछो,समझो(विद्यार्थियों के लिए):
अपने घर में या आस पड़ोस में देखो और समझने का प्रयास करो कि लोग समस्याओं से दुखी है या उनका समाधान न मिलने से।
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

दूसरा दिन:

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

पिछले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
घर से मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिन के चर्चा के प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी छोटे समूहों में बातचीत करेंगे।
पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों (जिन्होंने पहले दिन उत्तर न दिए हों) के लिए पुनः किया जा सकता है।

चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1 क्या आपने कभी अपने किसी दोस्त की किसी समस्या का हल निकालने में मदद की है ? उदाहरण देकर बताओ। यह भी बताओ कि ऐसा करके आपको क्या मिला।
2 क्या आपने अपने घर या पास पड़ोस में ऐसे व्यक्ति देखे हैं जो समस्याओं से परेशान नहीं होते बल्कि उनका समाधान शांत मन से ढूंढने की कोशिश करते हैं? उदाहरण दे कर बताएं।

कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

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  1. माँ का चश्मा
  2. समझा तो जाना
  3. राजू की नीयत
  4. असमंजस
  5. समस्या या समाधान
  6. छोटी-सी पर मोटी-सी बात
  7. रूपम की पहिया कुर्सी
  8. नीता का पेन
  9. शाबाशी की कलम
  10. ख़ुश व्यक्ति ख़ुशी बाँटता है
  11. मैं हूँ ना
  12. मेरे प्यारे पापा
  13. तैयारी
  14. आओ पिकनिक चलें
  15. मन की बात
  16. मैन विद ए स्टिकर
  17. तराना का छाता
  18. फ़र्क तो पड़ता है
  19. गिफ्ट रैप
  20. रोड ब्लॉक

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