कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों को मानव मानव संबंधों के प्रति संवेदनशील होकर व्यवहार करने के लिए प्रेरित करना।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी
सुमन स्कूल से वैन में जा रही थी। स्कूल का समय हो चला था वैन के आगे आगे एक गाड़ी बहुत ही धीमी रफ्तार से चल रही थी। वैन का ड्राइवर हमेशा की तरह कुछ जल्दी में था। अगली गाड़ी से आगे निकलना चाहता था। उसका हाथ बार बार हॉर्न पर जा रहा था। सुमन जी आंखें गड़ाए अगली गाड़ी के लिए रास्ता देने का इंतजार कर रही थी।
अचानक सुमन का ध्यान गाड़ी पर लगे स्टिकर पर गया। लिखा था,’फिजिकली चैलेंज्ड(physically challenged)- धीमे चलायें । सुमन ने जोर से पढ़ा तो वैन में बैठे सभी बच्चों का ध्यान अगली गाड़ी में बैठे व्यक्ति की ओर गया।
ड्राइवर ने न केवल स्पीड को कम किया बल्कि उसका रवैया भी उस गाड़ी की प्रति रक्षात्मक सा हो गया।
बस जैसे तैसे बिल्कुल समय पर स्कूल पहुंच गए। स्कूल पहुंच कर भी सुमन के दिमाग से वह स्टिकर नही निकल पाया।
केवल सुमन ही नहीं बल्कि सभी बच्चे जो उस वैन में थे,उसी स्टिकर वाली गाड़ी की चर्चा कर रहे थे।
प्रदीप बोला कि यदि उस गाड़ी में स्टिकर नही होता तो क्या होता?
सुप्रिया ने कहा हमारी वैन वाले भैया तो जल्दी में थे, झगड़ा भी हो सकता था।
गीता बोली, मुझे तो झगड़े से डर लगता है भाई।
नेहा बोली,” झगड़े की बात नही है, मैं तो यह सोच रही हूँ कि सड़क पर तो बिना स्टिकर ही इस तरह के बहुत से लोग सफर करते होंगे।
सभी गहरी सोच में पड़ गए।
चर्चा की दिशा:
अपने आसपास सभी लोगों के हालात को हमेशा जान पाना संभव नहीं है। इसी कारण प्रतिक्रिया करने से अवांछनीय घटनाएँ घट जाती है। यदि हम इस बात के लिए संवेदनशील हो जाएँ कि सामने वाला किसी परिस्थितिवश ही ऐसा कर रहा है और हम जानबूझकर गलती करना नहीं चाहते तब हम सही व्यवहार कर पाएँगे।
चर्चा के लिए प्रश्न:
1 आपको ड्राइवर का रवैया कैसा लगा?
2 आपको क्या लगता है कि क्या सोचकर उसका रवैया बदल गया होगा?
3 क्या सड़क पर या और कहीं जब आप पापा,मम्मी या किसी और के साथ होते है तब आपने कोई कहासुनी या झगड़े वाली स्थिति का सामना किया है? उदाहरण देकर बताएं l
4 कहा-सुनी अक्सर किन किन बातों पर होती है?
5 क्या ऐसी परिस्थिति में एक दूसरे के हालात समझ पाने से स्थिति बेहतर हो सकती है l चर्चा करें।
(यदि कोई उदाहरण नहीं दे पाए तो सर्वप्रथम शिक्षक कोई उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं)
घर जाकर देखो ,पूछो,समझो (विद्यार्थियों के लिए)
अपने आसपास की घटनाओं पर चर्चा करें कि जब कोई कहा-सुनी वाली स्थिति में आपने सामने वाले की स्थिति जानने की कोशिश की हो।
ऐसा करने से क्या फ़र्क पड़ गया?
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
दूसरा दिन
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
पिछले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
घर से मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिन के चर्चा के प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी छोटे समूह में बात चीत करेंगे।
पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1 क्या आपने दूसरे की परिस्थिति पूरी तरह जाने बिना कभी कोई ऐसा व्यवहार किया जो बाद में आपको ही ठीक नहीं लगा? उदाहरण देकर बताएं
2 आपको क्या लगता है कि क्या कभी दूसरों से भी ऐसा हो जाता होगा? अपने जीवन से ऐसा कोई उदाहरण साझा करो।
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी
सुमन स्कूल से वैन में जा रही थी। स्कूल का समय हो चला था वैन के आगे आगे एक गाड़ी बहुत ही धीमी रफ्तार से चल रही थी। वैन का ड्राइवर हमेशा की तरह कुछ जल्दी में था। अगली गाड़ी से आगे निकलना चाहता था। उसका हाथ बार बार हॉर्न पर जा रहा था। सुमन जी आंखें गड़ाए अगली गाड़ी के लिए रास्ता देने का इंतजार कर रही थी।
अचानक सुमन का ध्यान गाड़ी पर लगे स्टिकर पर गया। लिखा था,’फिजिकली चैलेंज्ड(physically challenged)- धीमे चलायें । सुमन ने जोर से पढ़ा तो वैन में बैठे सभी बच्चों का ध्यान अगली गाड़ी में बैठे व्यक्ति की ओर गया।
ड्राइवर ने न केवल स्पीड को कम किया बल्कि उसका रवैया भी उस गाड़ी की प्रति रक्षात्मक सा हो गया।
बस जैसे तैसे बिल्कुल समय पर स्कूल पहुंच गए। स्कूल पहुंच कर भी सुमन के दिमाग से वह स्टिकर नही निकल पाया।
केवल सुमन ही नहीं बल्कि सभी बच्चे जो उस वैन में थे,उसी स्टिकर वाली गाड़ी की चर्चा कर रहे थे।
प्रदीप बोला कि यदि उस गाड़ी में स्टिकर नही होता तो क्या होता?
सुप्रिया ने कहा हमारी वैन वाले भैया तो जल्दी में थे, झगड़ा भी हो सकता था।
गीता बोली, मुझे तो झगड़े से डर लगता है भाई।
नेहा बोली,” झगड़े की बात नही है, मैं तो यह सोच रही हूँ कि सड़क पर तो बिना स्टिकर ही इस तरह के बहुत से लोग सफर करते होंगे।
सभी गहरी सोच में पड़ गए।
चर्चा की दिशा:
अपने आसपास सभी लोगों के हालात को हमेशा जान पाना संभव नहीं है। इसी कारण प्रतिक्रिया करने से अवांछनीय घटनाएँ घट जाती है। यदि हम इस बात के लिए संवेदनशील हो जाएँ कि सामने वाला किसी परिस्थितिवश ही ऐसा कर रहा है और हम जानबूझकर गलती करना नहीं चाहते तब हम सही व्यवहार कर पाएँगे।
चर्चा के लिए प्रश्न:
1 आपको ड्राइवर का रवैया कैसा लगा?
2 आपको क्या लगता है कि क्या सोचकर उसका रवैया बदल गया होगा?
3 क्या सड़क पर या और कहीं जब आप पापा,मम्मी या किसी और के साथ होते है तब आपने कोई कहासुनी या झगड़े वाली स्थिति का सामना किया है? उदाहरण देकर बताएं l
4 कहा-सुनी अक्सर किन किन बातों पर होती है?
5 क्या ऐसी परिस्थिति में एक दूसरे के हालात समझ पाने से स्थिति बेहतर हो सकती है l चर्चा करें।
(यदि कोई उदाहरण नहीं दे पाए तो सर्वप्रथम शिक्षक कोई उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं)
घर जाकर देखो ,पूछो,समझो (विद्यार्थियों के लिए)
अपने आसपास की घटनाओं पर चर्चा करें कि जब कोई कहा-सुनी वाली स्थिति में आपने सामने वाले की स्थिति जानने की कोशिश की हो।
ऐसा करने से क्या फ़र्क पड़ गया?
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
दूसरा दिन
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
पिछले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
घर से मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिन के चर्चा के प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी छोटे समूह में बात चीत करेंगे।
पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1 क्या आपने दूसरे की परिस्थिति पूरी तरह जाने बिना कभी कोई ऐसा व्यवहार किया जो बाद में आपको ही ठीक नहीं लगा? उदाहरण देकर बताएं
2 आपको क्या लगता है कि क्या कभी दूसरों से भी ऐसा हो जाता होगा? अपने जीवन से ऐसा कोई उदाहरण साझा करो।
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
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