18. फ़र्क तो पड़ता है

उद्देश्य: छात्रों को प्रेरित करना कि उनके एक छोटे कदम से भी फ़र्क पड़ता है इसलिए कुछ भी कार्य को यह सोच कर न छोड़ दें कि अकेले उनके करने से क्या होगा।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी
शास्त्री जी गाँव के मुखिया थे, जो समुद्र के किनारे बसा था। एक प्राथमिक विद्यालय , एक अस्पताल और सड़क किनारे एक छोटा सा डाकखाना ! सरकारी सुविधाओं के नाम पर कुल मिला कर इतना ही गाँव को हासिल था। मुखिया होने के नाते शास्त्री जी को अपनी ज़िम्मेदारी का अहसास था किन्तु लोगों की शिकायतों का अम्बार उन्हें बेचैन किये जाता था । जब भी पंचायत घर में लोग जुटते तो सुनने में आता, “अरे ! किस किस बात का सुधार करें ?” “कहां से शुरू करें ?” “किस किस की मदद करें ?” “सभी यहाँ पर दुखी हैं। कुछ ऐसी ही सोच में वह समुद्र के किनारे टहल रहे थे कि उनकी नज़र समुद्र के किनारे तड़पती मछलियों पर पड़ी । वहीं गाँव के कुछ लड़के भी खेल रहे थे शास्त्री जी ने देखा कि उनमें से एक लड़का सुभाष एक-एक करके मछलियों को उठाकर समुद्र में फेंकने लगा । तभी समुद्र में एक लहर आई और बहुत सारी और मछलियों को भी किनारे पर छोड़ कर चली गई। सुभाष बिना विचलित हुए पहले की तरह मछलियों को उठाकर समुद्र में फेंकता रहा । सुभाष के साथ आए उसके मित्र उसे देख रहे थे | उनमें से रमेश ने उससे पूछा, “तुम एक एक करके मछलियां समुद्र में फेंक रहे हो , ऐसा करने से क्या फर्क पड़ेगा? तुम कितनी मछलियों की जान बचा लोगे ?” सुभाष ने आत्मविश्वास भरे स्वर में जवाब दिया, “जिस मछली को मैं समुद्र में फेंक रहा हूँ उसे तो फ़र्क पड़ेगा ।” ऐसा कहने के साथ ही उसने एक और मछली उठाई और रमेश के हाथ मे दे दी। रमेश ने अपने हाथ में उस तड़पती मछली को देखा और फ़ौरन उसे समुद्र में फेंक दिया । ये देख कर बाक़ी मित्रों ने भी मछलियाँ उठाईं और समुद्र में फेंकना शुरू कर दिया । सभी मिलकर कह रहे थे , “इन पर फर्क पड़ता है।”
शास्त्री जी चुपचाप खड़े देख रहे थे जैसे उनको अपनी समस्या का समाधान मिल गया हो।

चर्चा की दिशा:
हमारे छोटे छोटे प्रयासों से एक बड़ा बदलाव भी लाया जा सकता है, कुछ ऐसी सोच ही आज समाज की आवश्यकता है।

चर्चा के लिए प्रश्न:
1 क्या आपने कभी किसी काम को करने की पहल की है जो कोई नहीं कर रहा था, उदाहरण देकर बताओ।
2 उन कार्यों को साझा करो जो आपको लगता है कोई नहीं कर रहा परन्तु काम उतना कठिन भी नहीं है।
(बाहर रोड पर कई पौधे लगे हैं जो सूख रहे है क्योंकि कोई पानी नही दे रहा, पास के पार्क के गेट में नुकीला लोहा निकला है जो आने जाने वाले लोगों को लग जाता है, सड़क के कूड़ेदान के बाहर लोग कूड़ा फैंक जाते हैं)

घर जाकर देखो ,पूछो ,समझो (विद्यार्थियों के लिए):
अपने आस पड़ोस में आए कुछ बदलावों के बारे में घर में चर्चा करो।यह भी चर्चा करो कि आपके हिसाब से और कौन से बदलाव हैं जो आपके गली या मोहल्ले में आने चाहिए।अपने परिवार एवं् आस पड़ोस में देखने का प्रयास करें कि आपके छोटे छोटे प्रयासों से क्या बदलाव लाए जा सकते हैं।

कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

दूसरा दिन:

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी की पुनरावृत्ति की जाए।
कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है।

चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1क्या आपने अपने आस पास किसी को किसी कार्य की पहल करते देखा है? आपके मन में उनके लिए क्या विचार/भाव आए? साझा करें।
2 आपने अपने विद्यालय में या आस पड़ोस में स्वच्छता अभियान के चलते बहुत से लोगों को साफ सफाई करते देखा होगाl क्या इस अभियान में आपने भी कुछ योगदान दिया है? यदि हां तो कैसे? यदि नहीं तो आने वाले समय में आप कैसे एक नई शुरुआत कर सकते हैं?

कक्षा के अंत में  1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

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  1. माँ का चश्मा
  2. समझा तो जाना
  3. राजू की नीयत
  4. असमंजस
  5. समस्या या समाधान
  6. छोटी-सी पर मोटी-सी बात
  7. रूपम की पहिया कुर्सी
  8. नीता का पेन
  9. शाबाशी की कलम
  10. ख़ुश व्यक्ति ख़ुशी बाँटता है
  11. मैं हूँ ना
  12. मेरे प्यारे पापा
  13. तैयारी
  14. आओ पिकनिक चलें
  15. मन की बात
  16. मैन विद ए स्टिकर
  17. तराना का छाता
  18. फ़र्क तो पड़ता है
  19. गिफ्ट रैप
  20. रोड ब्लॉक

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