कहानी का उद्देश्य: किसी घटना/बात को पूरा जाने बगैर निष्कर्ष तक पहुँचने से बचें और संबंधों में आपसी विश्वास सुदृढ़ हो।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
बिन्नी ने देखा इस बार भी उसके जन्मदिन पर सिर्फ़ उसके दादा-दादी ही आए थे। अन्य रिश्तेदार तो पहुँचे ही नहीं! जबकि उसकी बहन के जन्मदिन पर हर साल सभी रिश्तेदार आते हैं। उसे लगा, कहीं ऐसा तो नहीं कि उसके मम्मी-पापा उसकी बहन को ज़्यादा चाहते हैं और इसीलिए उसके जन्मदिन पर ही सभी को बुलाते हैं! उसके मन में मम्मी-पापा और बहन से नाराज़गी तो थी, पर उसने यह बात किसी से कही नहीं।
अगले दिन उसकी सहेली अनु ने जब उसे उदास देखा तो पूछ बैठी कि आखि़र बात क्या है ? उसने अपने मन की बात उसे बताई। अनु ने कुछ सोचकर थोड़ी देर बाद कहा, “अच्छा! यह बताओ तुम्हारा जन्मदिन तो 26 फ़रवरी को आता है, तुम्हारी बहन का जन्मदिन कब आता है?”
बिन्नी ने बताया,” अगस्त को l”
अनु ने कहा,“और आजकल मेरे भईया के पेपर चल रहे हैं और तुम्हारी दीदी के भी। है न?”
“हाँ! सो तो है।”, इतना कहते ही बिन्नी को समझ आ गया कि वो जो सोच रही थी वह ग़लत था और वह भागी मम्मी के पास।
(आपको क्या लगता है बिन्नी क्यों भागी मम्मी के पास?)
बिन्नी मम्मी के पास जाकर बोली, “क्या आप मेरे जन्मदिन पर सबको बुलाते हैं?”
मम्मी के ‘हाँ’ कहते ही वह उनसे लिपट गई और रोने लगी। मम्मी के पूछने पर उसने उन्हें अपने मन की बात बताई कि वो ग़लत समझ रही थी और उसे अब पता चला कि “उसके जन्मदिन के समय पेपर होने के कारण ज्यादा लोग नहीं आ पाते और दीदी के जन्मदिन पर ज़्यादा रिश्तेदार इसलिए आते हैं क्योंकि उन दिनों स्कूल में पेपर नहीं चल रहे होते हैं।”
सुनकर मम्मी ने उसके बाल सहलाते हुए बस इतना कहा, “जब कभी भी तुम्हारे मन में ऐसी कोई आशंका आए, तो अपने अंदर मत रखा करो। उनके बारे में हमसे बात कर लिया करो।”
“जी मम्मी जी!”, मुस्कुराकर बिन्नी ने कहा।
चर्चा की दिशा :
हम सभी अपने संबंधों में समानता और न्याय चाहते हैं। पर कभी-कभी हमे लगता है कि हमारे साथ न्याय नहीं हो पा रहा है। यदि हम सजगता से अपने संबंधों को देखते हैं तो हम समझ पाते हैं कि दूसरे व्यक्ति की स्थिति क्या है।विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि कब-कब उन्हें लगता है कि उनके साथ परिवार में या विद्यालय में न्याय नहीं हुआ और उसके कारणों को समझने के लिए उन्होंने क्या प्रयास किए। यदि हमारे साथ न्याय होता है तब हम दूसरों का सम्मान भी कर पाते हैं।
चर्चा के लिए प्रश्न:
1 यदि मन की बात मन में ही रख ली जाए तो इसका क्या नुकसान हो सकता है?उदाहरण देकर बताएँ।
2 यदि आपको कोई बात बुरी लगती है और आप भी अपने मन की बात मन में ही रखते हैं तो बताएँ आप ऐसा क्यों करते हैं ?
3. ऐसा आपके साथ कब हुआ है जब आपको कोई बात समझ नहीं आई और आप खुलकर अपना प्रश्न नहीं पूछ पाए? उदाहरण देकर बताएँ।
घर जाकर देखो ,पूछो,समझो(विद्यार्थियों के लिए):
आज हम इस बात पर ध्यान देंगे कि जब भी हमारे मन में कोई प्रश्न या विचार आए तो क्या हमने अपनी बात किसी से साझा की।
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
1 क्या कभी किसी ने आपसे अपने मन की बात की है।आपको क्या लगता है कि उस ने आपसे ही अपने मन की बात क्यो की होगी।
2 आप अपने मन की बात किससे करना पसंद करते हैं? क्यों?
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
बिन्नी ने देखा इस बार भी उसके जन्मदिन पर सिर्फ़ उसके दादा-दादी ही आए थे। अन्य रिश्तेदार तो पहुँचे ही नहीं! जबकि उसकी बहन के जन्मदिन पर हर साल सभी रिश्तेदार आते हैं। उसे लगा, कहीं ऐसा तो नहीं कि उसके मम्मी-पापा उसकी बहन को ज़्यादा चाहते हैं और इसीलिए उसके जन्मदिन पर ही सभी को बुलाते हैं! उसके मन में मम्मी-पापा और बहन से नाराज़गी तो थी, पर उसने यह बात किसी से कही नहीं।
अगले दिन उसकी सहेली अनु ने जब उसे उदास देखा तो पूछ बैठी कि आखि़र बात क्या है ? उसने अपने मन की बात उसे बताई। अनु ने कुछ सोचकर थोड़ी देर बाद कहा, “अच्छा! यह बताओ तुम्हारा जन्मदिन तो 26 फ़रवरी को आता है, तुम्हारी बहन का जन्मदिन कब आता है?”
बिन्नी ने बताया,” अगस्त को l”
अनु ने कहा,“और आजकल मेरे भईया के पेपर चल रहे हैं और तुम्हारी दीदी के भी। है न?”
“हाँ! सो तो है।”, इतना कहते ही बिन्नी को समझ आ गया कि वो जो सोच रही थी वह ग़लत था और वह भागी मम्मी के पास।
(आपको क्या लगता है बिन्नी क्यों भागी मम्मी के पास?)
बिन्नी मम्मी के पास जाकर बोली, “क्या आप मेरे जन्मदिन पर सबको बुलाते हैं?”
मम्मी के ‘हाँ’ कहते ही वह उनसे लिपट गई और रोने लगी। मम्मी के पूछने पर उसने उन्हें अपने मन की बात बताई कि वो ग़लत समझ रही थी और उसे अब पता चला कि “उसके जन्मदिन के समय पेपर होने के कारण ज्यादा लोग नहीं आ पाते और दीदी के जन्मदिन पर ज़्यादा रिश्तेदार इसलिए आते हैं क्योंकि उन दिनों स्कूल में पेपर नहीं चल रहे होते हैं।”
सुनकर मम्मी ने उसके बाल सहलाते हुए बस इतना कहा, “जब कभी भी तुम्हारे मन में ऐसी कोई आशंका आए, तो अपने अंदर मत रखा करो। उनके बारे में हमसे बात कर लिया करो।”
“जी मम्मी जी!”, मुस्कुराकर बिन्नी ने कहा।
चर्चा की दिशा :
हम सभी अपने संबंधों में समानता और न्याय चाहते हैं। पर कभी-कभी हमे लगता है कि हमारे साथ न्याय नहीं हो पा रहा है। यदि हम सजगता से अपने संबंधों को देखते हैं तो हम समझ पाते हैं कि दूसरे व्यक्ति की स्थिति क्या है।विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि कब-कब उन्हें लगता है कि उनके साथ परिवार में या विद्यालय में न्याय नहीं हुआ और उसके कारणों को समझने के लिए उन्होंने क्या प्रयास किए। यदि हमारे साथ न्याय होता है तब हम दूसरों का सम्मान भी कर पाते हैं।
चर्चा के लिए प्रश्न:
1 यदि मन की बात मन में ही रख ली जाए तो इसका क्या नुकसान हो सकता है?उदाहरण देकर बताएँ।
2 यदि आपको कोई बात बुरी लगती है और आप भी अपने मन की बात मन में ही रखते हैं तो बताएँ आप ऐसा क्यों करते हैं ?
3. ऐसा आपके साथ कब हुआ है जब आपको कोई बात समझ नहीं आई और आप खुलकर अपना प्रश्न नहीं पूछ पाए? उदाहरण देकर बताएँ।
घर जाकर देखो ,पूछो,समझो(विद्यार्थियों के लिए):
आज हम इस बात पर ध्यान देंगे कि जब भी हमारे मन में कोई प्रश्न या विचार आए तो क्या हमने अपनी बात किसी से साझा की।
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
- कहानी की एक बार पूरी तरह से कक्षा में पुनरावृत्ति की जाए।
- कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए,आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
- पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है।
1 क्या कभी किसी ने आपसे अपने मन की बात की है।आपको क्या लगता है कि उस ने आपसे ही अपने मन की बात क्यो की होगी।
2 आप अपने मन की बात किससे करना पसंद करते हैं? क्यों?
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
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